Category: शुभकामनाएं

  • “हम दोनों की कहानी… वक्त से भी खूबसूरत निकली। दसवीं सालगिरह मुबारक!”

    “हम दोनों की कहानी… वक्त से भी खूबसूरत निकली। दसवीं सालगिरह मुबारक!”

    “जहाँ तुम हो, वहीं मेरा घर है। और अब ये घर 10 साल का हो गया है।”

    शादी की दसवीं सालगिरह शुरू होने पर….

     

    कुछ पुरानी तस्वीरें फिर से मुस्कुराईं,
    वो पहली मुस्कान, वो हल्की सी शरमाहट,
    जैसे वक्त की किताब फिर से पलट गई।

    साल दर साल साथ चले,
    कभी धूप में, कभी छांव तले,
    कुछ खामोशियां थीं, कुछ हँसी के मेले,
    कभी रूठना, कभी मनाना — सब रंग थे रिश्ते के इस खेल में।

    पहली लड़ाई की बात याद है?
    या वो पहली बार जब तुमने चाय बनाई थी?
    आज भी उसी चाय की खुशबू
    हर सुबह को खास बना जाती है।

    इन सालों में हमने बहुत कुछ पाया,
    कुछ खोया, कुछ सहेजा, कुछ संभाला,
    पर सबसे कीमती तो ये साथ था —
    जो हर मोड़ पर हमें एक-दूजे के और करीब लाता गया।

    शादी की दसवीं सालगिरह शुरू होने पर,
    मैं सिर्फ तुम्हारा “धन्यवाद” कहना चाहता हूँ —
    कि तुमने हर तूफान में मेरा हाथ थामा,
    और हर मुस्कान में मेरी आंखों में झांका।

    आओ, इस नए दशक की शुरुआत करें,
    फिर से एक वादा करें —
    कि अगला हर साल,
    प्यार में बीते, साथ में बीते, और यूँ ही खूबसूरत बीते।

     डॉ. सत्यवान सौरभ

  • शुभ दिन की शुभकामना, करो प्रिये स्वीकार। उन्नति पथ बढ़ते रहो, स्वप्न करो साकार

    शुभ दिन की शुभकामना, करो प्रिये स्वीकार। उन्नति पथ बढ़ते रहो, स्वप्न करो साकार

    घर-आँगन ख़ुशबू बसी, महका मेरा प्यार।
    पाकर तुझको है परी, स्वप्न हुआ साकार॥
    ●●●
    मंजिल कोसो दूर थी, मैं राही अनजान।
    पता राह का दे गई, तेरी इक मुस्कान॥
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    मैं प्यासा राही रहा, तुम हो बहती धार।
    अंजुली भर बस बाँट दो, मुझको प्रिये प्यार॥
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    मेरी आदत में रमे, दो ही तो बस काम।
    एक हाथ में लेखनी, दूजा तेरा नाम॥
    ●●●
    खत जब पहली बार का, देखूं जितनी बार।
    महका-महका-सा लगे, यादों का संसार॥
    ●●●
    पंछी बनकर उड़ चले, मेरे सब अरमान।
    देख बिखेरी प्यार से, जब तुमने मुस्कान॥
    ●●●
    आँखों में बस तुम बसे, दिन हो चाहे रात।
    प्रिये तेरे बिन लगे, सूनी हर सौगात॥
    ●●●
    सजनी आकर बैठती, जब चुपके से पास।
    ढल जाते हैं गीत में, भाव सब अनायास॥
    ●●●
    आँखों में सपने सजे, मन में जागी चाह।
    पाकर तुमको है प्रिये, खुली हज़ारों राह॥
    ●●●
    तुम ही मेरा सुर प्रिये, तुम ही मेरा गीत।
    तुम को पाकर हो गया, मैं जैसे संगीत॥
    ●●●
    तुमसे प्रिये जिंदगी, तुमसे मेरे ख्वाब।
    तुम से मेरे प्रश्न हैं, तुम से मेरे जवाब॥
    ●●●
    बिन तेरे लगता नहीं, मन मेरा अब मीत।
    हर पल तुमको सोचता, रचता ग़ज़लें गीत॥

    डॉo सत्यवान सौरभ,
    चिंतक, कवि, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार।

  • ‘प्रज्ञान’ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ 

    ‘प्रज्ञान’ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ 

    चिंतक/कवि/लेखक दम्पति डॉ. सत्यवान सौरभ और प्रियंका सौरभ के सुपुत्र ‘प्रज्ञान’ का 25 सितम्बर को पहला जन्मदिन है। आइए हम सभी मिलकर हमारे प्रिय, लाडले ‘प्रज्ञान’ का जन्मदिन मनाते हैं। हमारे संस्थान की ओर से प्रिय ‘प्रज्ञान’ को आकाश भर अनन्त शुभकामनाएँ। ईश्वर की कृपा सदैव आप पर बनी रहे। जन्मदिन की अनन्त शुभकामनाएँ स्वीकारें बेटा ‘प्रज्ञान’।

    बढ़े सौरभ प्रज्ञान।।

    जन्मदिन की बधाइयाँ, करें पुत्र स्वीकार।
    है सबकी शुभकामना, खुशियाँ मिले हजार।।

    बहुत-बहुत शुभकामना, तुमको प्रियवर आज।
    हो प्रशस्त जीवन सुखद, सुन्दर साज समाज।।

    जीवन भर मिलती रहें, खुशियाँ सदा अपार।
    मात शारदे! आपके, भरें ज्ञान भण्डार।।

    शुभ सरिता बहती रहे, जीवन हो सत्संग।
    घर आँगन खिलते रहें, प्रेम प्रीति के रंग।।

    धर्म-कर्म अध्यात्म का, सदा करें उत्थान।
    लक्ष्य प्राप्ति हेतु अनवरत, बढ़े सौरभ प्रज्ञान।।

    जीवन भर प्रज्ञान को, खुशियाँ मिलें अपार।
    बुजुर्ग शुभ आशीष दें, बाँटे लाड-दुलार।।

    उन्नति पथ बढ़ते रहो, स्वप्न करो साकार।
    ईश्वर की कृपया रहें, खुशियाँ मिलें अपार।।

    जीवन में खुशियों की पतंग की डोर सर्वदा आपके हाथ में रहे। मां वागीश्वरी के आशीष की बरसात में निरंतर आप भीगते रहें। जन्मदिन की शुभकामनाएँ।

  • सम्राट मिहिर भोज की जयंती मनाई 

    सम्राट मिहिर भोज की जयंती मनाई 

    गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की जयंती कवि नगर गुर्जर भवन में मनाई गई। इस अवसर पर मिहिर भोज के राज के बारे में बताया गया। इस अवसर पर गुर्जर नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों के सम्राट मिहिर भोज के राज की विस्तार से जानकारी दी जाए, जिससे समाज के बच्चों के गुर्जर समाज के वजूद के बारे में पता चला। इस अवसर पर गुर्जर नेता सनी गुर्जर, मदन गुर्जर, विकास गुर्जर, ज्ञानी नागर, हरी नागर, सुरेंद्र नागर, पप्पू विकल आदि ने भाग लिया।
  • देश के कई हिस्सों में आज मनाई जा रही ईद, पूरे भारत में कल होगा सेलिब्रेशन

    देश के कई हिस्सों में आज मनाई जा रही ईद, पूरे भारत में कल होगा सेलिब्रेशन

    सऊदी अरब में 9 अप्रैल की रात को चांद का दीदार होने के बाद वहां ईद का जश्‍न शुरू हो चुका है. लोग एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दे रहे हैं. सोशल मीडिया के जरिए ईद मुबारक के संदेश भेज रहे हैं. हालांकि भारत में ईद-उल-फितर मनाने के लिए एक दिन और इंतजार करना होगा. दरअसल शव्‍वाल का चांद नजर आने के बाद ईद-उल-फितर त्‍योहार मनाया जाता है. यह इस्लाम धर्म का एक अहम त्योहार है. यह त्योहार रमजान का पाक महीना खत्‍म होने के बाद मनाया जाता है. रमजान के पाक महीने में रोजे रखने और अल्‍लाह की इबादत करने के बाद ईद का त्‍योहार मनाया जाता है. इसे मीठी ईद भी कहते हैं क्‍योंकि इस ईद पर मीठी सेवइयां खाईं और खिलाई जाती हैं.
    ईद-उल-फ़ित्र के मौके पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुबारकबाद दी. उन्होंने कहा कि देश के लोगों और मुस्लिम समुदाय को बधाई. मैं दुनिया भर के मुसलमानों से भी आग्रह करता हूं कि वे फिलिस्तीन के लोगों, कश्मीरी भाइयों और बहनों को याद रखें जो कब्जे वाली ताकतों के सबसे बुरे अत्याचारों का सामना कर रहे हैं. हम सभी अल्लाह से उनकी कठिनाइयों को कम करने की प्रार्थना करते हैं.
    अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ईद की मुबारकबाद दी. उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे मुस्लिम परिवार और समुदाय ईद के लिए एक साथ आते हैं, वे कई लोगों के महसूस किए गए दर्द पर भी विचार कर रहे हैं. मेरी संवेदनाएं दुनिया भर में संघर्ष, भूख और विस्थापन झेल रहे उन लोगों के साथ हैं, जिनमें गाजा और सूडान जैसे स्थान के लोग भी शामिल हैं. अब शांति स्थापित करने और सभी की गरिमा के लिए खड़े होने के काम के लिए फिर से प्रतिबद्ध होने का समय आ गया है.

    ईद मनाने पर क्या बोले मुफ्ति नसीर-उल-इस्लाम

    भारत में आमतौर पर सऊदी अरब में ईद होने के अगले दिन ईद मनाई जाती है लेकिन जम्मू कश्मीर में मुफ्ति नसीर-उल-इस्लाम ने ऐलान किया था कि चांद शव्वाल का चांद (जिसे आमतौर पर ईद का चांद कहा जाता है) देख लिया गया है और ईद बुधवार को ही मनाई जाएगी. उन्होंने बताया था कि उनकी अध्यक्षता में एक कंसुलेटिव कमेटी बनाई गई थी, जिसे अलग-अलग हिस्से से चांद देखे जाने की जानकारी दी गई.

    आज कहां-कहां मनाई जा रही ईद?

    दुनिया के कुछ देशों में आज 10 अप्रैल को ईद मनाई जा रही है. यहां 9 अप्रैल को चांद रात थी. यानी 9 अप्रैल की रात को शव्‍वाल का चांद दिखाई दे गया है. इन देशों में सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका, ब्रिटेन आदि शामिल हैं.

    कब मनाई जाती है ईद?

    मुफ्ति नसीर-उल-इस्लाम ने बताया कि बाद में विचार विमर्श के बाद चांद देखे जाने की पुष्टि हुई और फिर बुधवार को ही ईद मनाए जाने ऐलान किया. मुस्लिम समुदाय के लोग पूरा एक महीना रोजा रखने के बाद अगले महीने की शुरुआत का चांद देखकर ईद मनाते हैं. मसलन, रमजान के बाद इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से शव्वाल का महीने आता है, जिसे हिजरी महीना कहा जाता है.

    भारत के 2 राज्‍यों में भी मनाया जा रहा ईद-उल-फितर

    वहीं भारत के केरल और जम्‍मू कश्‍मीर में भी 10 अप्रैल को ईद मनाई जा रही है. वहीं बाकी राज्‍य 10 अप्रैल को भारत में चांद नजर आने के बाद 11 अप्रैल को मीठी ईद मनाएंगे. दरअसल केरल और जम्मू-कश्मीर के साथ लद्दाख में 10 अप्रैल को ही ईद उल फित्र का त्योहार मनाया जा रहा है क्‍योंकि इन राज्यों में सऊदी अरब के हिसाब से ही ईद का ऐलान होता है. यही वजह है कि इन राज्‍यों में अमूमन हर साल बाकी राज्‍यों की तुलना में एक दिन पहले ईद मनाई जाती है.

    12 मार्च से शुरू हुए थे रोजे

    सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा आदि के लोगों ने 11 मार्च, 2024 से रोजा रखना शुरू किया था. वहीं भारत में 12 मार्च 2024 से रोजा रखना शुरू किया गया था. इसलिए भारत में 10 अप्रैल को ईद-उल-फितर का चांद दिख सकता है. यानि भारत में 10 अप्रैल दिन बुधवार को इफ्तार के बाद चांद नजर आ सकता है और फिर इसके बाद 11 अप्रैल को ईद का त्‍यौहार मनाया जाएगा.

  • अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?

    अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस पूरे कार्यकर्म की झलक देखने को मिली वही श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से देश की economy में सनातन कारोबार का एक नया अध्याय बहुत ही मजबूती से जुड़ गया है। जिसके तेजी से देशभर में विकास की बड़ी संभावना देखी जा रही है। अकेले 22 जनवरी को ही देशभर में एक लाख से ज़्यादा कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इनमें 2 हजार शोभायात्रा, 5 हजार से अधिक फेरी, 1000 से अधिक श्री राम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज्‍यादा संगीतमय श्री राम भजन और श्री राम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए. 50 हजार से अधिक जगहों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, अखंड रामायण और अखंड दीपक के कार्यक्रम किए गए तो 40 हज़ार से ज्यादा भंडारे व्यापारियों ने आयोजित किए । देश भर में करोड़ों की संख्या में श्री राम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार के चित्र, श्री राम मंदिर के चित्र की भी ज़बरदस्त बिक्री हुई. करोड़ों किलो मिठाई और ड्राई फ्रूट की प्रसाद के रूप में बिक्री की गई. यह सब आस्था और भक्ति के सागर में डूबे लोगों ने किया और देश में ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया. Confederation of All India Traders (कैट) ने ये कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार श्री राम मंदिर के कारण से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार हुआ जिसमें अकेले दिल्ली में लगभग 25 हजार करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का सामान और सेवाओं के जरिए व्यापार हुआ।

    वही बात करे अयोध्या की तो अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है । अयोध्या भक्तों की भीड़ से भर गई है। पहले दिन दर्शन के लिए इतने लोग यहां शामिल हुए कि कई सारे लोग तो दर्शन भी नहीं कर पाए । 4000 संतों का ग्रुप भी आया । रामलला के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिसकर्मियों को पहले दिन दर्शन के लिए 50 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन, करीब 5 लाख लोग अयोध्या पहुचे । ऐसे में पुलिस की ओर से विशेष योजना तैयार की गई। आनन-फानन में एक हजार सुरक्षाकर्मियों को अयोध्या राम मंदिर की व्यवस्था को संभालने के लिए तैनात किया गया। रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया ।

    अब तक राम मंदिर को 5500 करोड़ रुपये का दान मिल चुका है. बता दें इस समय राम मंदिर ट्रस्ट के बैंक खाते 3 PSU बैंक में है. इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक का नाम शामिल है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कुछ समय पहले जानकारी शेयर की गई थी, जिसमें बताया गया था कि मार्च 2023 के आखिर तक बैंक की कुल जमा लगभग 3000 करोड़ रुपये थी. वहीं, ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.

    इसी बीच न्यूज एजेंसी PTI ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि के हवाले से जानकारी दी है कि राम मंदिर के निर्माण पर अब तक 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. हालांकि, अभी मंदिर का पूर्ण निर्माण करने के लिए 300 करोड़ रुपए की और जरूरत होगी. वही आपको बताते हैं राम मंदिर को बनाने में किसने कितना दान दिया है. राम मंदिर के निर्माण के लिए संत मोटारी बापू ने 18.6 करोड़ रुपये का दान दिया है । यह महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता भारत से 11.30 करोड़ रूपये, ब्रिटेन और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपये और अमेरिका, कनाडा और विभिन्न अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपये के योगदान से एकत्र की गई थी. वेटरन एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने भी राम मंदिर को गुप्त दान दिया है. इसके अलावा अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज ने भी करोड़ों का दान दिया है.

  • क्यों 23 जनवरी को मनाया जाता है पराक्रम दिवस?

    क्यों 23 जनवरी को मनाया जाता है पराक्रम दिवस?

    23 जनवरी भारत के लिए कैलेंडर की सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह इतिहास में लिखा हुआ और दिलों में अंकित एक दिन है, जिसे पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत का इतिहास पराक्रमी सेना के वीर जवानों की कहानी से भरा रहा है । भारत का पराक्रम देख पूरी दुनिया सहम जाती है। ऐसे में सेना के सम्मान को बढ़ाने के लिए हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। पराक्रम दिवस को भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म जयंत के रूप में मनाया जाता है। हालांकि पहले उनके जन्म दिवस के मौके पर किसी तरह का आयोजन नहीं किया जाता था लेकिन भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 में इस दिन को खास बनाने का ऐलान करते हुए हर साल पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की।

    पराक्रम दिवस मनाकर पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता है और उनके योगदानों को याद करता है। सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी के जंग में उनका ओजस्वी नारा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ ने पूरे देश में हर भारतीय के खून में उबाल ला दिया था और आजादी की जंग में एक नई जान फूंक दी थी। भारत माता के इसी वीर सपूत के जन्म दिवस को याद करते हुए हम पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन स्कूल कॉलेज में नेताजी को लेकर नाटक का भी आयोजन किया जाता है। वहीं बच्चों को नेताजी के जीवन और उनके स्पीच के बारे में जानकारी दी जाती है। जिसकी मदद से वह अपने भविष्य की राह आसान बनाते हैं।

    नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में हुआ था। वह एक राजनीतिक पकड़ वाले नेता थें जो देश की आजादी के लिए साहसिक और निर्णायक कदम उठाने में विश्वास रखते थे। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के गठन में उनके योगदान के लिए याद किया जाता है, जिसने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपना पूरा जीवन भारत की आजादी के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन भारत के युवाओं के लिए एक आदर्श की तरह है। उन्होंने आजादी की जंग में शामिल होने के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा को छोड़ दिया था और इंग्लैंड से भारत वापस लौट आए थे। भारत में स्वतंत्रता आदोलन की लड़ाई को तेज करने के लिए उन्होंने आजाद हिंद सरकार, आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद बैंक का बनाया था। उन्हें इसमें कई देशों का साथ भी मिला था। आजादी के जंग में उनकी इसी जज्बे को याद करते हुए हर साल पराक्रम दिवस देश में मनाया जाता है ।

  • श्रीनगर के लाल चौक पर पहली बार मनाया गया नए साल का जश्न

    श्रीनगर के लाल चौक पर पहली बार मनाया गया नए साल का जश्न

    साल 2024 का आगमन हो चुका है और पूरा देश जश्न मनाकर नए साल का स्वागत कर रहा है। 31 दिसंबर की रात पूरे देश में जश्न का महौल देखने को मिला। साल 2024 के स्वागत में भारत के ऐसे जगहों पर जश्न मनाया गया, जहां कुछ सालों तक लोग दहशत में शाम 7 बजे के बाद घरों से नहीं निकलते थे। या यूं कहें कि आजादी के बाद यहां पहली बार नए साल का जश्न मना तो कहीं गलत नहीं होगा। अब आप भी सोच रहे होंगे कि पूरे भारत में तो जश्न मनाया जाता है और हम किस जगह की बात कर रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि कहां आजादी के बाद पहली बार नए साल का जश्न मनाया गया। दरअसल हम बात कर रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और अनंतनाग की जहां पहली बार नए साल का जश्न मनाया गया। श्रीनगर क लाल चौक में रात 12 बजे तक लोग नए साल का जश्न मनाते और झूमते गाते नजर आए। बता दें कि साल 2019 से पहले घंटा घर पर होने वाली सभाएं ज्यादातर विरोध प्रदर्शन या अलगाववादी घटनाओं से जुड़ी होती थीं, लेकिन रविवार का माहौल सबसे अलग और नया था।

    पहली बार सार्वजनिक तौर पर मनाया जश्न

    स्थानीय लोगों की मानें तो यहां पहली बार सभी लोग एक साथ मिलकर सार्वजनिक तौर पर नए साल का स्वागत किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा नहीं है कि पहले भी नए साल की पार्टियां नहीं होती थी, लेकिन ज्यादातर लोग घरों में या एक वर्ग तक ही सीमित रहते थे। कुछ साल पहले तक सार्वजनिक स्थान पर नए साल की पार्टी करना अकल्पनीय था लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। उन्होंने कहा, हर कोई जीवन में कुछ मनोरंजन करना चाहता है। चारों ओर देखें और आपको जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग मिलेंगे। आपके पास रूढ़िवादी दृष्टिकोण वाले लोग हैं और आपके पास आधुनिक दिखने वाले लोग भी हैं। वे सभी अच्छा समय बिता रहे हैं। ना सिर्फ शहरवासी, बल्कि घाटी के अन्य हिस्सों से भी कश्मीरी नए साल के जश्न का आनंद लेने के लिए श्रीनगर आए हैं।

    धारा 370 खत्म होने के बाद बदली तस्वीर

    गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश भी बना दिया था। धारा 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में ताबड़तोड़ परिवर्तन देखने को मिला है। यहां पर्यटन से लेकर स्थानीय कारोबार में भी तरक्की देखने को मिली है। बताया जा रहा है कि इस बार पर्यटकों की पहली पसंद जम्मू-कश्मीर है। जबकि पहले नए साल पर लोग हिमाचल जाना पसंद करते थे।

  • मायावती ने जिस नेता को भेजा था राज्यसभा उसे अब बना रहीं समधी

    मायावती ने जिस नेता को भेजा था राज्यसभा उसे अब बना रहीं समधी

    आकाश आनंद और प्रज्ञा सिद्धार्थ की शादी 26 मार्च को होने वाली है, चुनिंदा मेहमानों को न्योता भेजा गया है

    बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के भतीजे आकाश आनंद की इसी महीने २६ मार्च को शादी होने वाली है। जानकारी के अनुसार आकाश आनंद की शादी प्रज्ञा सिद्धार्थ से हो रही है जो पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी हैं। आकाश आनंद, बसपा सुप्रीमो मायावती के छोटे भाई आनंद के बेटे हैं। आकाश आनंद ने लंदन से एमबीए की पढ़ाई की है। तो वहीं उनकी होने वाली पत्नी प्रज्ञा पेशे से डॉक्टर हैं। एमबीबीएस के बाद अब एमडी की पढ़ाई कर रही हैं। प्रज्ञा के पिता अशोक सिद्धार्थ भी पेशे से डॉक्टर हैं।
    कौन हैं मायावती के समधी अशोक सिद्धार्थ
    अशोक सिद्धार्थ मायावती के बेहद करीबी और खास माने जाते हैं। मायावती के कहने पर ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और राजनीति में आये थे। साल 2009 में पहली बार एमएलसी बने ओैर फिर 2016 से 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। अशोक सिद्धार्थ की पत्नी मायावती के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश राज्य महिला की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं।

    26 मार्च को होनेे वाली है शादी

    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आनंद और प्रज्ञा सिद्धार्थ की शादी नोएडा में होने वाली है। २६ मार्च को हो रही इस शादी में बहुजन समाज पार्टी के तमाम नेताओं को निमंत्रण दिया गया है।

    हर जिले से पार्टी नेताओं को भेजा निमंत्रण

    एक मीडिया के रिपोर्ट के अनुसार बसपा ने अपने प्रत्येक जिल के जिलाध्यक्ष और खास नेताओं को भी शादी में बुलाया है।

    बीएसपी के नेशनल क्वार्डिनेटर हैं आकाश आनंद

    आकाश आनंद बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक यानी नेशनल कॉआर्डिनेटर हैं पार्टी में मायावती के बाद एक तरीके से वही सर्वेसवार्े हैं। साल २०१९ के लोकसभा चुनाव में मायावती ने आकाश आनंद को स्टार प्रचारक बनाया था। तब से आकाश मायावती के साथ नजर आते हैं। आकाश आनंद को ही पार्टी के सोशल मीडिया का चेहरा माना जाता है। बीएसपी में आकाश की एंट्री के बाद पार्टी सोशल मीडिया पर बेहद आक्रामक तरीके से एक्टिव हुई। अब बीएसपी सुप्रीमो तमाम मसलों पर सोशल मीडिया के जरिये अपनी राय रखती नजर आती हैं। तो वहीं, आकाश भी सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव नजर आते हैं। बता दें कि मायावती ने आकाश के पिता और अपने छोटे भाई आनंद कुमार को जब अचानक पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने के बाद पद से हटा दिया था तो सियासी गलियारे में तमाम लोग दंग रह गये थे बाद में आकाश की एंट्री भी इस तरह चौंकाने वाली थी।

  • नया वर्ष जनवरी नही मार्च यानी चैत्र मास से शुरू

    नया वर्ष जनवरी नही मार्च यानी चैत्र मास से शुरू

    रोहतास सिंह चौहान 

    ना तो जनवरी साल का पहला मास है और ना ही 1 जनवरी पहला दिन!
    जो आज तक जनवरी को पहला महीना मानते आए है वो जरा इस बात पर विचार करिए ,,,,
    सितंबर…सातवां, अक्टूबर… आठवां, नवंबर…नौवां और दिसंबर…दसवां महीना होना चाहिए। इस हिसाब से फरवरी माह साल का आखिरी और मार्च साल का पहला दिन होना चाहिए।
    हिन्दी में सात को सप्त, आठ को अष्ट कहा जाता है, इसे अग्रेज़ी में sept तथा oct कहा जाता है…इसी से september तथा October बना, नवम्बर में तो सीधे-सीधे हिन्दी के “नव” को ही ले लिया गया है तथा दस अंग्रेज़ी में “Dec” बन जाता है जिससे December बन गया…इसके कुछ प्रमाण हैं!
    जरा विचार करिए कि 25 दिसंबर यानि क्रिसमस को X-mas क्यों कहा जाता है ?


    इसका उत्तर ये है की “X” रोमन लिपि में दस का प्रतीक है और mas यानि मास अर्थात महीना!चूंकि दिसंबर दसवां महीना हुआ करता था इसलिए 25 दिसंबर दसवां महीना यानि X-mas से प्रचलित हो गया, साल का आखिरी माह फरवरी होना चाहिए क्यों कि फरवरी में ही Leap year आता है, जब साल खत्म होता है तभी तो दिन का घट-बढ़ किया जाता है ना!
    प्राचीन काल में अंग्रेज़ भारतीयों के प्रभाव में थे इस कारण सब कुछ भारतीयों जैसा ही करते थे और इंगलैण्ड ही क्या पूरा विश्व ही भारतीयों के प्रभाव में था जिसका प्रमाण ये है कि नया साल भले ही वो 1 जनवरी को माना लें पर उनका नया बही-खाता 1 अप्रैल से शुरू होता है !
    लगभग पूरे विश्व में वित्त-वर्ष अप्रैल से लेकर मार्च तक होता है यानि मार्च में अंत और अप्रैल से शुरू!
    हम भारतीय अप्रैल में अपना नया साल मनाते थे तो क्या ये इस बात का प्रमाण नहीं है कि पूरे विश्व को भारतीयों ने अपने अधीन रखा था!
    इसका अन्य प्रमाण देखिए,
    अंग्रेज़ अपनी तारीख या दिन 12 बजे रात से बदल देते है,जब कि दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है तो 12 बजे रात से नया दिन का क्या तुक बनता है?
    तुक बनता है भारत में नया दिन सुबह से गिना जाता है, सूर्योदय से करीब दो-ढाई घंटे पहले के समय को ब्रह्म-मुहूर्त्त की बेला कही जाती है और यहाँ से नए दिन की शुरुआत होती है,यानि कि करीब 5.30 के आस-पास, और इस समय इंग्लैंड में समय 12 बजे के आस-पास का होता है।
    लेकिन विडम्बना देखिए,हम आज उनका अनुसरण करते हैं;जो कभी हमारा अनुसरण किया करते थे।
    मैं बस ये कहूंगा कि देखिए खुद को और पहचानिए अपने आपको!
    नया वर्ष हिंदी चैत्र मास से शुरू होता है हम भारतीय गुरु हैं, सम्राट हैं किसी का अनुसरण नहीं करते है,अंग्रेजों का दिया हुआ नया साल हमें नहीं चाहिये, जब सारे त्यौहार भारतीय संस्कृति के रीति रिवाजों के अनुसार ही मनाते हैं तो नया साल क्यों नहीं….??