Category: सहारा

  • सहारा मीडिया में होगा एक और आंदोलन!

    सहारा मीडिया में होगा एक और आंदोलन!

    खतरे में सहारा टीवी के 250 कर्मचारियों की नौकरी 

    द न्यूज 15 ब्यूरो 
    नई दिल्ली। सहारा मीडिया में एक बार फिर से आंदोलन की आग सुलग रही है। जानकारी मिली है कि इस बार धुंआ टीवी चैनल से उठा है। जानकारी मिल रही है कि सहारा टीवी में कह दिया गया है कि एक नवम्बर के बाद ऑफिस नहीं आना है। कर्मचारियों से इस्तीफे मांगे जा रहे हैं। प्रबंधन की ओर से इस तरह की खबरें फैलाई जा रही हैं कि जो कर्मचारी इस्तीफा देंगे, उनका बकाया भुगतान किस्तों में उनके घर पहुंचाया जाता रहेगा।
    हालांकि इन कर्मचारियों ने अपना गुस्सा जाहिर किया तो उच्च प्रबंधन से यह संदेश दिलवा दिया कि जिस व्यक्ति ने यह बात बोली है उसका यह निजी निर्णय है। वैसे एक वेब पोर्टल ने 250 कर्मचारियों की छंटनी और टीवी चैनल के बंद होने की खबर कई दिन पहले चला दी थी। सहारा मीडिया की स्थिति यह है कि राष्ट्रीय सहारा के ग्रुप एडिटर विजय राय कई दिनों से ऑफिस नहीं आ रहे हैं। मीडिया हेड सुमित राय कर्मचारियों से मिलते नहीं।
    दरअसल सहारा मीडिया में आंदोलन 2015 से चल रहा है। 2014 में जब सुब्रत रॉय सहारा सेबी के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तिहाड़ जेल में बंद कर दिए गये थे। सहारा मीडिया में कर्मचारियों को वेतन मिलना बंद हो गया। एक टोकन मनी बांध दी गई। 2015-16 में सहारा मीडिया में तीन आंदोलन हुए। पहला आंदोलन बृजपाल चौधरी और चरण सिंह की अगुवाई में हुआ तो दूसरा गीता रावत और शशि राय के नेतृत्व में और तीसरा गीता रावत और मोहित श्रीवास्तव की अगुवाई में हुआ। इन आंदोलन का इतना फायदा जरूर हुआ था कि ठीक ठाक अमाउंट कर्मचारियों को रेगुलर मिलना शुरू हो गया था। आंदोलन की अगुवाई करने वाले कर्मचारियों को आंदोलन करने के खामियाजा भी भुगतना पड़ा था।
    देखने की बात यह है कि जब सहारा मीडिया में बकाया वेतन को लेकर आंदोलन चल रहा था तो तिहाड़ जेल में बंद सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय ने आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल वहां पर ही बुलाया। प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से गीता रावत, शशि रॉय, चरण सिंह, मोहित श्रीवास्तव, मुकुल रघुवंशी और उत्पल कौशिक थे। सुब्रत रॉय ने उठकर इस प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया पर जब मीटिंग शुरू हुई तो उन्होंने तुरंत बोला कि आप लोग नेतागिरी न करें। सहारा में एक ही नेता है और वह मैं हूं। हालांकि दो घंटे तक चली इस मीटिंग में जब सुब्रत राय की एक न चली तो उन्होंने यह कहकर मीटिंग समाप्त कर दी कि उनके पास पैसा नहीं है। जिन सुब्रत रॉय के सामने सहारा में कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता था उन पर सवालों की बौछार हुई थी। सुब्रत राय की जिंदगी में यह पहली मीटिंग थी जिसमें उनको अपने ही कर्मचारियों के सवालों का बौछारों का सामना करना पड़ रहा था।
    यह ऐसी मीटिंग थी जिसमें सहारा में व्याप्त व्यवस्था का खुलकर विरोध हुआ था। सुब्रत राय और उनके सिपहसालारों के रवैये से नाराज आंदोलनकारियों ने नोएडा स्थित सहारा परिसर में टेंट गाड़ कर आंदोलन को तीव्र कर दिया। यह मीडिया जगत का ऐसा आंदोलन था जिसमें परिसर के अंदर ही टेंट गाड़ कर सुब्रत राय और उनके सिपहसालारों को ललकार दिया गया था।
    एक समय था कि सहारा में कर्मचारी और एजेंट सुब्रत राय के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल सकते थे। सहारा ग्रुप में पहले गुड सहारा और फिर सहारा प्रणाम को ही अभिवादन माना जाता रहा है। सहारा में सुब्रत राय ने विभिन्न हथकंडे अपनाकर कर्मचारियों और एजेंटों में अपनी छवि भगवान की बनवा रखी थी। राजनीति, बालीवुड और खेल जगत में अपना रुतबा मनवाने वाले और अपने को विश्व के सबसे बड़े परिवार का अभिभावक बताने वाले सुब्रत राय को जिंदगी का सबसे बड़ा झटका उस समय लगा जब सहारा मीडिया में बकाया वेतन भुगतान को लेकर उनके खिलाफ ही बगावत हो गई। उसके बाद से सहारा निवेशकों का आंदोलन भी लगातार जारी है। सहारा निवेशकों के 2 लाख करोड़ से ऊपर का भुगतान बताया जा रहा है। हालांकि निवेशकों का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
  • Sahara News : बकाया भुगतान को लेकर सहारा मीडिया कार्यालय पर कर्मचारियों का प्रोटेस्ट 

    Sahara News : बकाया भुगतान को लेकर सहारा मीडिया कार्यालय पर कर्मचारियों का प्रोटेस्ट 

  • Sahara Protest : अगस्त को दिल्ली जंतर मंतर भुगतान के लिए हुंकार भरेंगे सहारा निवेशक

    Sahara Protest : अगस्त को दिल्ली जंतर मंतर भुगतान के लिए हुंकार भरेंगे सहारा निवेशक

    नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद होंगे मुख्य अतिथि, विशेष अतिथि होंगी कांग्रेस दिल्ली की प्रदेश अध्यक्ष डा. बबीता

    नई दिल्ली। ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा ने सहारा निवेशकों के भुगतान के लिए फिर से हुंकार भरी है।  6  अगस्त को दिल्ली जंतर मंतर पर ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के बैनर तले बड़ी संख्या में निवेशक आंदोलन करने दिल्ली आ रहे हैं। मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला का कहना है कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद आएंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उन्होंने दिल्ली महिला कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. बबीता के आने की बात कही है।

    दरअसल पिछले दिनों आपस में उलझे संगठनों ने मामला लंबा खिंचने से सबक लिया और अब फिर से ये संगठन एकजुट होने की बात करने लगे हैं। संगठन की ओर से दावा किया जा रहा है कि 6  अगस्त को होने वाले इस आंदोलन में भेदभाव भुलाकर सभी संगठनों के कार्यकर्ता शिरकत करने जा रहे हैं। संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि अब यह लड़ाई आर-पार की होगी। जंतर मंतर पर होने वाले इस आंदोलन को लेकर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला ने उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद स्थित अपने आवास पर एक पत्रकार वार्ता की। इस पत्रकार वार्ता में अभय देव शुक्ला ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के सारे दावे झूठे निकले हैं।
    पत्रकार से बात करते हुए अभय देव शुक्ला ने ऐलान किया कि जंतर मंतर पर सहारा पीड़ित अर्धनग्न प्रदर्शन करेंगे। अभय देव शुक्ला का कहना है कि केंद्र सरकार और सहारा प्रबंधन दोनों ही निवेशकों को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये लोग सहारा-सेबी में जमा धन को हड़पना चाहते हैं। उन्होंने सहारा अधिकारियों और सरकार की सांठगांठ होने का आरोप भी लगाया। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और पंजाब समेत देश के कई राज्यों से हजारों की संख्या दिल्ली पहुंच रहे हैं। अभय देव शुक्ला ने आरोप लगाया कि अमित शाह और सहारा के अधिकारी मिलकर सहारा की संपत्ति की खरीद-फरोख्त करा रहे हैं। उन्होंने सरकार पर सवाल खड़ा किया कि 3000 मुकदमे दर्ज होने के बाद भी सहारा अधिकारियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं की जा रही है।
    दरअसल सहारा निवेशकों के भुगतान के लिए देशभर में तमाम आंदोलन हुए। सहारा के डायरेक्टरों के खिलाफ तमाम एफआईआर दर्ज की गईं। कितनी याचिकाएं अदालत में दायर की गईं। गृहमंत्री अमित शाह ने सहारा रिफंड पोर्टल भी लांच किया। सब कुछ हुआ पर निवेशकों का भुगतान नहीं हो पाया। इसमें दो राय नहीं कि ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा, ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार, ठगी पीड़ितों की आवाज, अखिल भारतीय जन कल्याण मंच, विश्व भारती जन सेवा संस्थान समेत कई संगठन सहारा निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली जंतर मंतर-रामलीला मैदान समेत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, बिहार की राजधानी पटना, झारखंड की राजधानी रांची, राजस्थान की राजधानी जयपुर, मध्य प्रदेश प्रदेश की राजधानी भोपाल, उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के साथ विभिन्न शहरों में धरना-प्रदर्शन किया गया पर किसी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।
    बताया जा रहा है कि लगभग ७ हजार सहारा निवेशकों ने पैसा न मिलने के चलते आत्महत्या कर ली पर सहारा के किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया जाता है कि सहारा लगभग सभी पार्टियों को चंदा देता है। इसलिए सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष के नेता भी निवेशकों का साथ नहीं दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ सुब्रत राय के पारिवारिक संबंध बताये जाते थे। सुब्रत राय का बॉलीवुड, खेल हस्तियों और राजनेताओं के साथ अच्छे खासे संबंध रहे हैं। भले आज की तारीख में सुब्रत राय और अमर सिंह दुनिया में न हों पर किसी समय दोनों की जुगलबंदी की चर्चा देशभर में होती थी। चाहे अमिताभ बच्चन हों, कपिल देव हों, सचिन तेंदुलकर हों या फिर दूसरी हस्तियां, सभी से सुब्रत राय के अच्छे-खासे रिश्ते रहे हैं। वह बात दूसरी है कि जिन निवेशकों के पैसों के बल पर सुब्रत राय ने अपना रुतबा हासिल किया था। ये निवेशक आज की तारीख में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

  • Sahara Protest : फिर से संकट में सहारा, सेबी ने सहारा के निदेशक, प्रमोटर व प्रबंधकों के अकाउंट का धन किया अटैच

    Sahara Protest : फिर से संकट में सहारा, सेबी ने सहारा के निदेशक, प्रमोटर व प्रबंधकों के अकाउंट का धन किया अटैच

    सहारा इंडिया के निदेशक, प्रमोटर व प्रबंधकों के अकाउंट का धन रिकवर कर लिया गया है। दरअसल
    सेबी ने सहारा इंडिया कमर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड से आम जनता से लिये 14106 करोड़ की राशि का जबाब मांगा गया था। सहारा के डायरेक्टरों ने इसे गंभीरता से लिया और जवाब नहीं दिया। अब सेबी ने कार्रवाई करते हुए इनके सभी तरह के खातों का धन रिकवर कर लिया है।

    जानकारी मिल रही है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के रिकवरी सेल ने एसआईसीसीएल, इसके निदेशकों, प्रमोटर, प्रबंधकों जिनमें एल अहमद, ओपी दीक्षित, एएन मुखर्जी, असद अहमद, सीबी थापा, लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) डीएस थापा, सुब्रत रॉय सहारा, ओपी श्रीवास्तव, जेबी रॉय, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एएस राव, पीएस मिश्रा, वाईएन सक्सेना, रनोज दासगुप्ता, सहारा इंडिया और इसके घटक भागीदारों को सामूहिक रूप से पत्र जारी कर, खातों को रिकवर कर लिया है।

  • सहारा इंडिया लखनऊ के ठिकानों पर ईडी का छापा 

    सहारा इंडिया लखनऊ के ठिकानों पर ईडी का छापा 

    लखनऊ/कोलकाता। यूपी के लखनऊ में सहारा इंडिया के ठिकानों पर ED की टीम ने छापा मारा है। ED की कोलकाता यूनिट ने यह कार्रवाई वहां की एक चिट फंड कंपनी में हुए कथित घोटाले को लेकर की है। सहारा के लखनऊ स्थित कपूरथला में हेड ऑफिस में एजेंसी के करीब 100 अधिकारी जांच कर रहे हैं।

  • सहारा के अपराधियों को बचाने में लगी है सरकार : अभय देव 

    सहारा के अपराधियों को बचाने में लगी है सरकार : अभय देव 

    ऑल इंडिया जन आंदोलन संयुक्त निवेशक मोर्चा ने उत्तर प्रदेश के बस्ती में पत्रकारों से बात करते हुए सहारा प्रबंधन और सरकार पर निकाली भड़ास 
    सहारा संकल्प यात्रा पर निकली है मोर्चा की टीम 

    बस्ती । सरकार, सहारा प्रबंधन और तथाकथित मीडिया संस्थानों की मिलीभगत से सहारा के 13 करोड़ जमाकर्ताओं का 3 लाख करोड़ रूपये का भुगतान नही हो रहा है। एक बहुत बड़ी साजिश रची गई है। 4 हजार से ज्यादा निवेशक और सहारा कार्यकर्ता मौत को गले लगा चुके हैं, इसके बावजूद सरकार नींद से नही जागी। सरकार सहारा प्रबंधन के अपराधियों को बचाने में लगी है
    यह बात संयुक्त ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय  देव ने कही। वे प्रेस क्लब सभागार में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।

    वे सहारा संकल्प न्याय यात्रा लेकर सम्पूर्ण भारत के भ्रमण पर निकले हैं। वे जिलों में कार्यक्रम आयोजित कर सहारा के जमाकर्ताओं को पीआईएल से जुड़ने को प्रेरित कर रहे हैं। श्री चतुर्वेदी ने कहा पिछले 3 साल से भुगतान के लिये जारी संघर्ष का नतीजा रहा कि गृहमंत्री ने खुद घोषणा किया कि जमाकर्ताओं को पाई पाई भुगतान किया जायेगा। लेकिन पता चला है कि शासन के दबाव में जिला प्रशासन के द्वारा उनके चहेतों का भुगतान किया जा रहा है जिसके अनेक प्रमाण हैं। चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि आरटीआई के जरिये मिली जानकारी के अनुसार देशभर में 242 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है, हैरानी इस बात की है इसके लिये 249 करोड़ व्यय किया गया।

    जिला अध्यक्ष  बस्ती के बृजेश कुमार सिंह को जिला अध्यक्ष मनोनित किया गया  नवनियुक्त  जिलाध्यक्ष ने कहा  पानी  सर से ऊपर का चुका है इसलिए अब वैधानिक प्रक्रिया शुरू की है, ज्यादा से जयादा लोग पीआईएल से जुड़ेंगे तो इस मामले की सुनवाई अलग बेंच करेगी और विनेशकों को जल्दी न्याय मिलेगा।
    संयुक्त आल इंहडया जनान्दोलन संघर्ष न्याय मोर्चा को ब्यापारियो  के संगठन अखिल व्यापार संगठन ने पूरे देश मे समर्थन दिया बस्ती में व्यापार संगठन के  नेता राधेश्याम गुप्ता जी ने कहा सरकार इसे चेतावनी समझे या हमारी विनती, निवेशकों का पाई पाई लेकर ही दम लेंगे।  क्योंकि छोटे-छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े-बड़े व्यापारियों तक का पैसा लगा हुआ है हम ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा के इस पहल का स्वागत करते हैं और पूरे देश के व्यापारी सुप्रीम कोर्ट में लग रही पल का हिस्सा होंगे अब हकीकत पूरा देश जान चुका है और निवेशक किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उन्होने कहा सरकार को वर्ग संघर्ष से देश को बचाने की खातिर समय रहते निर्णायक कदम उठाना होगा।
    बभनान कस्बे में हुई बैठक में मध्य प्रदेश की महिला अध्यक्ष ने व्यापारियों को जागरुक करते हुए कहा कि अब कोई दूसरा विकल्प हम अभी आपके पास नहीं बचता इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट तुरंत पहुंचना होगा नहीं तो सहारा प्रबंधन की चाल कामयाब हो जाएगी और सभी कागज रद्दी का टुकड़ा हो जाएगा
    मध्य प्रदेश से आए प्रदेश उपाध्यक्ष विष्णु कुमार झा ने व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बड़ी मेहनत से पैसा कमाने के बाद कोई हमारा पैसा लूट ले इसके डूबने का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है की कितने पीड़ा में लोग होंगे इस तरह इस का किया गया कार्य भी अपराध की श्रेणी में ही आता है इसलिए सरकार सहित न्यायालय को तुरंत संज्ञान में लेना चाहिए

     

    शहनाज जहां महिला अध्यक्ष मध्य प्रदेश ने कहा गाढ़ी कमाई का एक एक रूपया बड़ी मशक्कत से जमाकर्ताओं ने सहारा पर भरोसा करके जमा किया था, कि बुरे वक्त में काम आयेगा। लेकिन जानबूझकर हालात खराब किये जा रहे हैं। अनेकों जमाकर्ताओं, सहारा कार्यकर्ताओं का परिवार बरबाद हो या, बच्चे अनाथ हो गया, बेटियों की शादियां नही हो पाई लेकिन सरकार की संवेदनहीनता की मार जमाकर्ता झेलता रहा। उन्होने कहा हमे कानून पर भरोसा है इसलिये लीगल प्रक्रिया शुरू की है, शीघ्र ही इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी। मोर्चा के मध्य प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष विष्णु कुमार झा ने कहा सहारा कार्यकर्ताओं को आगे आकर न्याय मोर्चा की मदद करनी चाहिये। इस पूरे मामले में उनकी जवाबदेही बनती है। कहीं ऐसा न हो वर्ग संघर्ष की स्थिति में वे ही निशाने पर रहें। पत्रकार वार्ता में ब्रजेश कुमार सिंह, राधेश्याम जायसवाल, हरीराम सोनी, राम सहाय यादव, अशोक कुमार वर्मा दीप चंद गुप्ता, राम गोपाल, अनिल कुमार वर्मा, देव नारायण सिंह, श्याम सोनी आदि मौजूद थे।

  • Sahara Protest : भुगतान के नाम पर सीआरसीएस ने फिर बनाया सहारा निवेशकों को बेवकूफ!

    Sahara Protest : भुगतान के नाम पर सीआरसीएस ने फिर बनाया सहारा निवेशकों को बेवकूफ!

    चरण सिंह 

    इसे सहारा निवेशकों की बेबसी ही कहा जाएगा कि उनके मालिकान और अधिकारियों ने उनका बेवकूफ बनाया वहीं केंद्र सरकार भी लगातार उनका बेवकूफ बनाने में लगी है। अब जब लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। आचार संहिता लागू है। मतलब कुछ नहीं हो सकता है, ऐसे में सीआरसीएस ने अपनी वेबसाइट सहारा निवेशकों के भुगतान करने की बात कही है। सीआरसीएस की ओर से लिखा गया कि एक लाख रुपये तक के निवेशक १४ मई से आवेदन करें तो एक लाख से पांच लाख तक के निवेशक २० मई से आवेदन करें। पांच लाख से ऊपर के निवेशकों को जल्द ही सूचना दी जाएगी।

     

    ऐसे में प्रश्न उठता है कि केंद्र सरकार ने दस साल में सहारा निवेशकों का भुगतान क्यों नहीं कराया ? जब सहारा-सेबी के खाते से पांच हजार रुपये सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निकाल लिये गये थे तो वे रुपये सहारा निवेशकों को क्यों नहीं दिये गये ? सहारा रिफंट पॉर्टल के लांच होने के बावजूद निवेशकों को पैसे नहीं मिले। जांच के नाम पर आवेदन रिजक्ट कर दिये गये। अब क्या गारंटी है कि सीआरसीएस जिन आवेदनों को मंगा रहा है उन आवेदनों में कोई कमी नहीं निकालेगा या फिर निवेशकों को उनका पैसा मिल जाएगा। वैसे भी यह सरकार रहेगी या नहीं रहेगी इस बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता है। बात सहारा निवेशकों की ही नहीं है दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की स्थिति भी कमोवेश यही है।
    देखने की बात यह है कि सहारा के साथ दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ने के लिए ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार, ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष न्याय मोर्चा, ठगी पीड़ितों की आवाज संगठन बने। अपने-अपने स्तर से सभी संगठनों ने प्रयास भी किये। देशभर में आंदोलन हुआ। दिल्ली जंतर मंतर के साथ ही रामलीला मैदान में भी कई धरना प्रदर्शन हुए पर सरकार ने निवेशकों की पीड़ा की ओर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। बताया जाता है कि भुगतान न होने की स्थिति में सहारा के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के हजारों एजेंटों ने आत्महत्या कर ली है। सहारा में निवेशकों के भुगतान का वादा करते-करते सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय चल बसे पर निवेशकों को उनका भुगतान न हो सका।

     


    दिलचस्प बात यह है कि गृह मंत्री अमित शाह ने सहारा निवेशकों को उनका भुगतान कराने का वादा किया। सहारा रिफंड पार्टल लांच भी किया गया। सहारा सेबी के खाते से पांच हजार करोड़ रुपये भी निकाले गये पर निवेशकों को उनका पैसा न मिल सका। मतलब यह सब निवेशकों का वोट हासिल करने के लिए हो रहा था। अब भी जब सीआरसीएस ने अपनी वेबसाइट पर सहारा निवेशकों से भुगतान के लिए आवेदन मांगे हैं तो निवेशक यही कह रहे हैं कि यह सब वोट हासिल करने के लिए किया जा रहा है। क्योंकि सहारा निवेशक १० करोड़ के आसपास बताये जा रहे हैं। निवेशक बीजेपी पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि अब वे बीजेपी को वोट नहीं देंगे।

    यदि बात लीगल कार्यवाही की करें तो तमाम मामले में विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं पर निवेशकों को कुछ खास राहत नहीं मिल पा रही है। विश्व भारती जन सेवा संस्थान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कने का दावा किया जा रहा है। ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी में लगा है। मतलब सब कुछ हो रहा है पर नहीं हो रहा है तो वह निवेशकों का भुगतान है। निवेशक इसे देश का सबसे बड़ा घोटाला करार दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि सहारा का दो लाख करोड़ और सभी ठगी कंपनियों पर निवेशकों का २० लाख करोड़ रुपये से ऊपर का बकाया भुगतान है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि न तो सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष इस ओर गंभीरता से विचार क्यों नहीं कर रहा है, जबकि सहारा निवेशकों के भुगतान का मामला विभिन्न विधानसभाओं के साथ ही लोकसभा में भी उठ चुका है। खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने सहारा निवेशकों का भुगतान कराने का वादा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की गारंटी की बात करते रहे पर उनको इन ठगी कंपनियों के मालिकान भ्रष्ट नहीं लगे।

  • सुब्रत रॉय के ईगो और बेईमानी की नीयत से डूब गया सहारा और निवेशकों का पैसा 

    सुब्रत रॉय के ईगो और बेईमानी की नीयत से डूब गया सहारा और निवेशकों का पैसा 

    सहारा सेबी प्रकरण में सहारा ग्रुप के सिर्फ दो कंपनियों (सहारा रियल इस्टेट कारपोरेशन और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन लिमिटेड) में निवेशकों से वसूला गया धन और उस समय तक ब्याज जोड़कर मात्र 25781 करोड़ रुपया ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सेबी के पास जमा करना था।
    प्राप्त RTI रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013 के मूल्यांकन के अनुसार 20,172 करोड़ की जमीन गिरवी रखी गई थी और 5000 करोड़ की राशि कुछ अन्य जमीन बेचकर और सोसायटियों से लोन लेकर जमा करा दी गई थी। उसके बाद भी कई जगह करोडों की जमीन और संपत्ति बची हुई थी । सवाल ये है कि 20 हजार करोड़ की संपत्ति की जमीन  होते हुए भी सुब्रत रॉय ने 12 वर्षों में विवाद का पूरा मूलधन क्यो नही जमा किया..?? उसके बाद भी करोड़ों की संपत्ति थी जिससे कि पैराबैंकिंग व अन्य कार्य को सुचारू रूप से चलाया जा सकता था,फिर भी सुब्रत रॉय ने अपने ईगो और रिकार्ड बनाने के चक्कर मे करोडों निवेशकों के भविष्य और नमकीन बेचने वाले सुब्रत रॉय को सहाराश्री की उपनाम दिला अकूत संपत्ति बनाने में सहयोग देने वाले कर्मचारियों और एजेंटों के भविष्य को अधर में लटका दिए।बल्कि ये कहा जा सकता है कि  नमकीन बेचने वाले सुब्रत रॉय की सहाराश्री बनने के बाद नियत में बेईमानी  समा गई थी।
  • संयुक्त निवेशक मोर्चा के बैनर तले देशभर के जिला मुख्यालयों पर लड़ी गई निवेशकों की लड़ाई

    संयुक्त निवेशक मोर्चा के बैनर तले देशभर के जिला मुख्यालयों पर लड़ी गई निवेशकों की लड़ाई

    सहारा के साथ ही दूसरे ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई संयुक्त निवेशक मोर्चा के बैनर तले देशभर में लड़ी जा रही है। सोमवार को 17 संगठनों ने संयुक्त निवेशक मोर्चे के बैनर तले जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा। ठगी पीड़ितों की आवाज संगठन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सिंह, भारतीय अपना समाज पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी, राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रानी शेख, सहारा संघर्ष समिति ने विजय वर्मा, विश्व भारती जन सेवा संस्थान ने राष्ट्रीय सचिव नागेंद्र कुशवाहा और दूसरे संगठनों ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्षों की अगुआई में जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया। इस अवसर पर सभी संगठनों ने प्रदेशों के साथ ही केंद्र सरकार को भी ललकारा। विभिन्न जिलों के डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भेजा।
    इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हर हाल में निवेशकों का भुगतान लिया जाएगा। लोकसभा चुनाव से पहले निवेशकों का भुगतान करा लेना है।

    दरअसल सहारा के साथ ही दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ने के लिए 17  संगठनों के समर्थन से संयुक्त निवेशक मोर्चा का गठन हो हुआ है। संयुक्त निवेशक मोर्चे के बैनर तले दिल्ली जंतर मंतर पर 26 फरवरी से अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम रखा गया था। संयुक्त निवेशक मोर्चा के बैनर प्रथम प्रहरी, विश्व भारती जन सेवा संस्थान, राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन, ठगी पीड़ितों की आवाज, भारतीय अपना समाज पार्टी और राष्ट्रीय उपकार मोर्चा समेत 17 संगठन निवेशकों की लड़ाई लड़ने के लिए दम भर रहे थे। आंदोलन को प्रख्यात समाजसेविका मेधा पाटकर, किसान नेता डॉ. सुनीलम, किसान नेता संजीव प्रधान का समर्थन मिल चुका था। देशभर के तमाम सोशल एक्टिविस्ट और किसान और मजदूर नेताओं का समर्थन इस आंदोलन को मिल रहा था। किसान आंदोलन के चलते दिल्ली जंतर मंतर पर परमिशन ने मिलने की वजह से मोर्चे की कोर टीम ने देशभर में जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन कार्यक्रम रख दिया था।

    दरअसल कई संगठन सहारा और दूसरी ठगी कंपनियों के निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे थे। विभिन्न राज्यों की राजधानियों के साथ ही दिल्ली जंतर मंतर औेर राम लीला मैदान पर भी निवेशकों की लड़ाई लड़ी जा चुका है। क्योंकि ये संगठन अलग अलग लड़ाई लड़ रहे थे तो केंद्र सरकार और इन कंपनियों के प्रबंधन पर बड़ा दबाव नहीं बन पा रहा था। वरिष्ठ पत्रकार और फाइट फॉर राइट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह राजपूत ने इस मोर्चा के गठन का प्रस्ताव इन संगठनों को दिया औेर इन संगठनों ने बड़ी सूझबूझ के साथ संयुक्त निवेशक मोर्चा का गठन किया है। 26 फरवरी से दिल्ली जंतर मंतर पर होने वाले धरना प्रदर्शन की तैयारी बड़ी जोर शोर से हो रही है। इस आंदोलन में सभी संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोर्चे की कोर टीम के सदस्य हैं। आंदोलन की अगुआई मुख्य रूप से फाइट फॉर राइट के राष्ट्रीय अध्यक्ष चरण सिंह राजपूत, प्रथम प्रहरी के बी.के. श्रीवास्तव, विश्व भारती जन सेवा संस्थान के नागेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष रानी शेख, ठगी पीड़ितों की आवाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश सिंह, राष्ट्रीय उपकार मोर्चा के राष्ट्रीय दिनेश चंद्र दिवाकर, भारतीय अपना समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन सिंह सूर्यवंशी, संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय वर्मा के साथ ही कई और संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कोर टीम के सदस्य कर रहे हैं।

  • Sahara Protest : यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में इतिहास रच दिया दो Sahara निवेशकों ने 

    Sahara Protest : यूपी के सिद्धार्थनगर जिले में इतिहास रच दिया दो Sahara निवेशकों ने 

    सुब्रत राय के साथ ही प्रबंधन के दूसरे लोगों को घोषित करा दिया था भगोड़ा, कोर्ट को भी मानना पड़ गया, भुगतान नहीं देना चाहता सहारा प्रबंधन 

    नई दिल्ली/लखनऊ/सिद्धार्थनगर। जो निवेशक यह मान रहे हैं कि वे सहारा प्रबंधन का क्या बिगाड़ सकते हैं। वे निवेशक जरा उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के निवेशक राधेश्यान सोनी और राजू श्रीवास्तव के संघर्ष को देख लें। इन दोनों निवेशकों ने अथक प्रयास कर न केवल सहारा प्रबंधन को भगोड़ा घोषित कराया बल्कि कोर्ट को यह विश्वास करा दिया कि सहारा प्रबंधन निवेशकों को पैसा नहीं देना चाहता है।
    दरअसल राजू लाल श्रीवास्तव और राधेश्याम सोनी की कहानी जितनी पीड़ा दायक है उतनी ही जज्बे और संयम से लड़ाई लड़ने की भी है। इन दोनों निवेशकों ने वर्ष 2021 में अपने साथ व अन्य के साथ हुए गंभीर धोखाधड़ी के खिलाफ सिद्धार्थनगर कोतवाली में देश के जाने माने और बड़े पहुंच वाले चिटफंडिये सुब्रत रॉय और उनके सहयोगियों के खिलाफ अपराध पंजीकृत कराया, जिसका क्रमांक 97/21 है।
    ये अपराध पंजीकृत इसलिए हो गया और इस मोड़ पर पहुंच पाया कि देश में अभी भी 1 प्रतिशत ही लोग सही मगर अपने धर्म और कर्म के प्रति सच्ची निष्ठा रखते हैं और उसी के हिसाब से कार्य करते हैं चाहे किसी तरह का प्रलोभन व दबाव आये मगर वो झुकते नहीं हैं।
    एक निवेशक राजू श्रीवास्तव ने अपने साथ हुए छल कपट और धोखाधड़ी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। ये अभियुक्त वे हैं जिनके समर्थन में रक्षा मंत्री,गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व व वर्तमान के कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री व नेतागण खड़े रहने के भी आरोप समय समय पर लगते रहे हैं।
    यह इस शिकायतकर्ता का जज्बा और संयम ही है कि न्यायालय के भरोसे दिन रात संघर्ष कर उन उच्च जान पहचान शख्सियत के खिलाफ न्यायालय से जमानती वारंट, फिर गैर जमानती वारंट और उसके बाद न्यायालय से भगौड़ा साबित करा देता है। अंत मे न्यायालय को भी मानना पड़ता है कि ये सभी अभियुक्त गण जानबूझकर न्यायालय की गरिमा को नहीं मान रहे हैं और पूरे देश मे ये लोग करोडों की धोखाधड़ी में संलिप्त है। जिससे इन सभी को अपनी संपत्ति बेच देश छोड़ भागने में भी कोई ऐतराज नही होगा,क्योंकि ये लोग बहुत बड़े सख्सियत के लोगों के जान पहचान वाले हैं जिनको देश में किसी प्रशासन द्वारा न तो गिरफ्तार किया जा सकता और नाही इनके खिलाफ कोई कारवाई हो पायेगी, आगे भविष्य में न्यायालय को अपनी गरिमा की रक्षा करते हुए इन सभी अभियुक्तों के संपति को कुर्क करने की कारवाई का आदेश दे संतोष करना पड़ेगा।क्योंकि कारवाई तो प्रशासन को ही करना है।