Category: सहारा

  • Sahara India : SEBI court issues bailable warrant against Sahara founder Subrata Roy

    Sahara India : SEBI court issues bailable warrant against Sahara founder Subrata Roy

    Sahara India : The warrant was issued in a 2014 case by SEBI against Sahara Housing Investment Corporation Ltd., Sahara India Real Estate Corporation Ltd and others in which Roy is one of the accused.

    A Securities and Exchange Board of India (SEBI) special court on September 6 issued a bailable warrant against businessman and Sahara India Parivar founder Subrata Roy.

    Special Judge VS Gaike was hearing a 2014 case by SEBI against Sahara Housing Investment Corporation Ltd. (SHICL), Sahara India Real Estate Corporation Ltd (SIRECL) and others in which Roy, an accused, was supposed to appear before the court.

    However, Roy’s counsel filed an application for exemption on the ground of his medical condition post COVID-19 infection. It was stated that he suffered from Type 2 Diabetes as well as hypertension and medical certificate issued by Sahara Hospital, Lucknow was filed on record.

    SEBI’s counsel opposed the application stating that Roy had undertaken to remain present in court after disposal of his discharge application and that post-effects of COVID-19 last only for three to four days.

    The court noted that in 2017 the Bombay High Court had directed Roy to remain present before the trial court on all dates post the disposal of his discharge application in the case. Thereafter, it noted that as per the roznama, Roy — in defiance of the High Court’s directions — had not appeared after 2019 and, therefore, rejected his application for exemption.

    On oral request of counsel for SEBI, the court also issued a bailable warrant of ₹25,000 against Roy.

    However, the order was kept in abeyance for a week as Roy’s lawyers wished to challenge it before the High Court.

    According to the allegations made against both the companies, a special resolution was passed to raise funds through the issuance of unsecured Optionally Fully Convertible Debentures (OFCDs) through a private placement of friends, associates, group companies, workers, and others affiliated in any way with the Sahara Group of Companies.

    The Red Herring Prospectus claimed that the Company had no plans to list the OFCDs on any recognised stock market.

    As per SEBI, SIRECL received around ₹6,380 crore from over 75 lakh investors between 2009 and 2011. SHICL, on the other hand, received around ₹19,400 crore from nearly two crore investors between 2008 and 2011.

    The business allegedly launched a public offering disguised as a private placement using OFCDs. SEBI claimed that it received several complaints concerning the company’s failure to disclose its Red Herring Prospectus.

  • Sahara India : सुप्रीम कोर्ट ने सैट के आदेश पर लगाई रोक 

    Sahara India : सुप्रीम कोर्ट ने सैट के आदेश पर लगाई रोक 

    Sahara India : सैट ने एसआईसीसीएल  और उसके निदेशकों पर सुब्रत राय समेत सेबी के कुर्की आदेश को दिया था हटा 

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सिक्युरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल (सैट) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसने सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन (SICCL) और उसके निदेशकों पर सुब्रत रॉय सहित सेबी के कुर्की आदेश को हटा दिया था, कंपनी ने बाजार नियामक के पास 2,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। .
    सेबी के अनुसार, यह उठाने का आदेश, एससी के 2012 और 2013 के आदेशों के उल्लंघन में है, जिसने सेबी को संपत्तियों की कुर्की और बिक्री और बैंक खातों को फ्रीज करने सहित सभी कानूनी उपाय करने का निर्देश दिया था, दोनों द्वारा एकत्र किए गए 25,781 करोड़ रुपये की वसूली के लिए। सहारा फर्म – SICCL और सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन – तीन करोड़ निवेशकों द्वारा भुगतान में चूक के मामले में ब्याज के साथ।
    सेबी ने कहा कि सैट का निर्णय अनुरक्षण योग्य नहीं था, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करने का एक अप्रत्यक्ष प्रयास और इसके द्वारा शुरू की गई वसूली प्रक्रिया को पटरी से उतारने का एक स्पष्ट प्रयास। सेबी ने कहा कि ट्रिब्यूनल के पास सहारा समूह की अपीलों पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई, 2013 के आदेश के मद्देनजर किसी भी उच्च न्यायालय या न्यायिक मंच को अपने आदेशों के कार्यान्वयन में बाजार नियामक के खिलाफ कोई आदेश पारित करने से रोक दिया गया था।
    न्यायमूर्ति एसए नजीर की अगुवाई वाली पीठ ने सैट के आदेश पर रोक लगाते हुए न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ सेबी की अपील पर सहारा इंडिया कमर्शियल कॉरपोरेशन, सुब्रत रॉय और अन्य से भी जवाब मांगा। इसने मामले को पहले से लंबित मामलों के साथ भी टैग किया।
    सैट ने नवंबर में SICCL और सुब्रत रॉय सहित तत्कालीन निदेशकों को सेबी के पास 2,000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा था। राशि जमा करने के बाद कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ कुर्की आदेश हटा लिया जाएगा। फंड को बाजार नियामक द्वारा एस्क्रो खाते में रखा जाना था। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने एसआईसीसीएल और सहारा इंडिया को भारत और विदेशों में सभी संपत्तियों और संपत्तियों की पूरी सूची और सभी बैंक खातों, डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड/शेयरों/प्रतिभूतियों (भौतिक या में) की पूरी सूची प्रदान करने का भी निर्देश दिया था। डीमैट फॉर्म) सेबी को चार सप्ताह के भीतर।
    पिछले साल अप्रैल में सेबी के रिकवरी अधिकारी ने एक डिमांड नोटिस जारी कर एसआईसीसीएल और उसके तत्कालीन निदेशकों को 15 दिनों के भीतर 14,106 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था, जिसमें विफल रहने पर वसूली की जाएगी। चूंकि सहारा समूह की कंपनी अपने आदेशों का पालन करने में विफल रही, वसूली अधिकारी ने अक्टूबर 2021 में एक कुर्की आदेश जारी किया जिसमें बैंकों को फर्मों के खातों और डीमैट खातों को संलग्न करने का निर्देश दिया गया। इसे SICCL ने SAT के समक्ष चुनौती दी थी।
    बांड के माध्यम से 25,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने में मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए सहारा समूह को सेबी के साथ लंबी कानूनी लड़ाई में बंद कर दिया गया है। रॉय और दो समूह निदेशक दिल्ली की तिहाड़ जेल में दो साल बिताने के बाद मई 2016 से पैरोल पर बाहर हैं।
  • Sahara Protest : रात 2 बजे बस्ती पुलिस ने घर से उठा लिया अभय देव शुक्ला को, निवेशकों और एजेंटों में आक्रोश

    Sahara Protest : रात 2 बजे बस्ती पुलिस ने घर से उठा लिया अभय देव शुक्ला को, निवेशकों और एजेंटों में आक्रोश

    शनिवार को बस्ती के आरएम के गाली गलौज करने पर हो गई थी बहस, शांत करा दिया गया था मामला : नीरज शर्मा
    भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के खिलाफ निवेशकों और एजेंटों की लड़ाई लड़ रहे ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला को रात 2 बजे बस्ती पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

    इस बारे में संगठन के महासचिव नीरज शर्मा ने बताया कि शनिवार को बस्ती में हुए प्रदर्शन में सहारा इंडिया के आरएम शकील अहमद ने जब प्रदर्शनकारियों के साथ गाली गलौज की तो उन्हें प्रदर्शनकारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि रात २ बजे पुलिस ने अभय देव के घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस को कुछ पूछताछ करनी थी तो सुबह भी अभय देव शुक्ला को पुलिस थाने बुलाया जा सकता था।

    उन्होंने कहा कि अभय देव शुक्ला कोई अपराधी नहीं है बल्कि वह पीड़ितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। नीरज शर्मा ने बताया कि शनिवार को बस्ती में अभय देव शुक्ला के नेतृत्व में आंदोलन किया गया था। इस प्रदर्शन में हजारों निवेशक और एजेंट मौजूद थे। उन्होंने जब प्रदर्शन में नारेबाजी हो रही थी तो सहारा इंडिया बस्ती के आरएम शकीला अहमद भी थे और वह एजेंट और निवेशकों के साथ गाली गलौज करने लगे। इसके बाद उनका प्रदर्शनकारियों के साथ कुछ विवाद भी हुआ। हालांकि बाद में इस विवाद को शांत करा दिया गाय। पता चला है कि देर रात शकील अहमद ने बस्ती थाने में पहुंचकर अभय देव शुक्ला, इजहार, हरीश पांडे, सुरेश यादव, नीरज शर्मा एवं निवेशक बहराइची के नाम से एक एफआईआर दर्ज करा दी। नीरज शर्मा ने कहा कि सहारा इंडिया में कैसे आंदोलनकारियों को फंसाया जा रहा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मैं शिवपुरी में बीएड का एग्जाम दे रहा था कि मेरा नाम भी लिखवा दिया गया।

    उन्होंने बताया कि इन लोगों पर आईपीएस की धारा 147, 323, 504, 506,356,392 की धाराओं के तहत किया गया है। उन्होंने का कि यह सहारा प्रबंधन द्वारा सहारा इंडिया के खिलाफ चल रहे आंदोलन को दबाने की कुटरचित साजिश है। जिसे किसी भी हालत में सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मामले का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। अभय देव की रिहाई के बाद देश में बड़ा आंदोलन छेड़ दिया जाएगा। जब तक निवेशकों और एजेंटों का पैसा नहीं मिल जाता तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

  • Sahara India : भुगतान को लेकर सहारा मीडिया नोएडा के मेन गेट पर आकर बैठा लोकल निवेशक 

    Sahara India : भुगतान को लेकर सहारा मीडिया नोएडा के मेन गेट पर आकर बैठा लोकल निवेशक 

    Sahara India : सहारा इंडिया में जमा किये थे तीन करोड़, एक करोड़ मिलने की बात आई है सामने, बाकी दो करोड़ रुपए लेने के लिए बैठा है धरने पर, प्रबंधन ने बंद किया मेन गेट 

    सहारा इंडिया में अपनी हनक के लिए जाने जाने वाले ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय की हेकड़ी ऐसे निकाली जा रही है कि एक ओर सहारा निवेशकों और एजेंटों ने उन्हें ललकार रखा है तो दूसरी ओर सहारा मीडिया में फिर से आंदोलन की आग सुलग रही है। नोएडा के सहारा मीडिया परिसर में गढ़ी गांव का एक लोकल निवेशक गेट पर आकर बैठ गया है। बताया जा रहा है कि उसके सहारा इंडिया पर तीन करोड़ रुपये बकाया हैं।

    गत दिनों जब बड़ी संख्या लोकल निवेाकों ने आकर सहारा परिसर के अंदर हंगााम किया तो उसे एक करोड़ रुपये दे दिये गये थे। अब यह निवेशक कुर्सी डालकर बैठ धरना दे रहा है और उसका कहना है कि जब तक उसे उसका भुगतान नहीं मिल जाात तब तक वह वहां से हिलने वाला नहीं है। इस निवेशक के रुतबे को देखते हुए सहारा मीडिया के स्थानीय प्रबंधन ने बाकायदा एक पंखा भी लगा रखा है। जानकारी मिली है कि शुक्रवार को धरने पर बैठे इस निवेशक की वजह से सहारा मीडिया का मेन गेट बंद हैं। सहारा परिसर में आने वाले अधिकारी और कर्मचारी झुंडपुरा की ओर वाले गेट से आ-जा रहे हैं।

     

    वैसे भी गत दिनों जहां नोएडा के लोकल निवेशकों ने सहारा मीडिया में आकर हंगामा किया था वहीं सहारा मीडिया के कर्मचारियों ने भी बकाया वेतन को लेकर धरना दिया था। 27  तारीख को एक माह का वेतन मिलने के बाद भले ही अभी मामला शांत हो पर यदि इस महीने वेतन न मिला तो नोएडा में फिर से कर्मचारी धरने पर बैठ सकते हैं। दरअसल नोएडा परिसर में 2015 -16  में बड़ा आंदोलन हो चुका है। इस आंदोलन में न केवल नोएडा बल्कि लखनऊ, गोरखपुर, देहरादून, लखनऊ, कानपुर की राष्ट्रीय सहारा की यूनिट में काम बंद कर दिया गया था। सहारा समय में बुलेटिन रोक दिये गये थे। इस आंदोलन की आंच तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत राय तक पहुंची थी। आंदोलनकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल

    तिहाड़ जेल में जाकर सुब्रत राय को खरी खोटी सुनाकर आया था।
    दरअसल पूरे देश में सहारा इंडिया से निवेशक और एजेंट अपना पैसा मांग रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिमी बंगाल, मध्य प्रदेश में बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा है। देशभर में चल रहे आंदोलन में विभिन्न संगठनों के बैनर तले निवेशक और एजेंट सड़कों पर हैं। ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय संघर्ष मोर्चा का अभय देव शुक्ला, ठगी पीड़ित जमाकर्ता परिवार मदन लाल आजाद, राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चा दिनेश दिवाकर तो अखिल भारतीय जन कल्याण मंच अमन श्रीवास्तव के नेतृत्व में सहारा इंडिया के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

  • Sahara Protest : भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के खिलाफ बिहार लखीसराय में प्रदर्शन 

    Sahara Protest : भुगतान को लेकर सहारा इंडिया के खिलाफ बिहार लखीसराय में प्रदर्शन 

    सहारा निवेशकों और एजेंटों को भुगतान दिलाने के लिए बिहार में आंदोलन ने गति पकड़ ली है। गुरुवार को ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय संघर्ष मोर्चा बिहार के अध्यक्ष मोहित कुमार और मीडिया प्रभारी अजीत कमार के नेतृत्व में लखीसराय में सहारा इंडिया के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी सुब्रत राय चोर है। सुब्रत राय हमारा भुगतान करो। के नारे लगा रहे थे। आंदोलनकारी नारे लगाते हुए लखीसराय में स्थित सहारा इंडिया के ऑफिस में घुस गये और वहां पर बैठे अधिकारियों से अपना भुगतान मांगा।

    इस अवसर पर मोहित कुमार ने कहा कि बिहार में सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत राय का जन्मस्थान होने की वजह से यहां पर लोगों ने सबसे अधिक निवेश किया है। लोगों ने अपने बच्चों को पढ़ाने, बेटियों की शादी कराने के लिए सहारा इंडिया में पैसा जमा किया था पर जब उनको पैसा की जरूरत  हुई तो अब सुब्रत राय पैसा देने को तैयार नहीं। उन्होंने कहा कि भुगतान के दबाव में एजेंट आत्महत्या कर रहे हैं। कितने एजेंट अपने घरों में नहीं जा पा रहे हैं। उनके परिजनों को अपमानित किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया जन आंदोलन मोर्चा ने देशभर में भुगतान कराने के लिए मोर्चा खोल दिया है। सुब्रत राय को निवेशकों और एजेंटों का भुगतान करना ही होगा। यदि समय से सहारा इंडिया ने भुगतान नहीं किया तो बिहार में खुले सहारा इंडिया के कार्यालयों को बंद करा दिया जाएगा। उन्होंने नीतीश सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठे नीतीश कुमार भी निवेशकों और एजेंटों का पैसा नहीं दिलवा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो शासन और प्रशासन के खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा।

  • Sahara Protest : सुब्रत राय के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज

    Sahara Protest : सुब्रत राय के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज

    सहारा के सुप्रीमो सुब्रत राय के खिलाफ ग्वालियर के डबरा में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। दरअसल गत वर्ष फरवरी महीने में सहारा एजेंट भूपेंद्र जैन ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली थी और छोड़े गये सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए सिर्फ और सिर्फ सहारा कंपनी को जिम्मेदार ठहराया था।

    लगभग डेढ़ साल के इंतजार के बाद डबरा के भूपेंद्र जैन आत्महत्या मामले में सहारा के सर्वेसर्वा सुब्रत राय के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है। उन पर धोखाधड़ी करने का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले में भी धारा लगाई गई है। दरअसल डबरा के सुभाष गंज में रहने वाले भूपेंद्र जैन गत 20 वर्ष से सहारा कंपनीकी एजेंट थे और कंपनी की विभिन्न स्कीमलों में निवेशकों का पैसा निवेश कराया करते थे। लकिन परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद भी कंपनी ने कई निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया ओैर उच्चाधिकारियों से कहने के बाद भी कंपनी ने कई निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया और उच्चाधिकारियों से कहने के बाद भी कंपनी ने एक न सुनी। उधर निवेशक भूपेंद्र जैन और उनके परिजनों ठहराया था।

    डबरा की पुलिस ने आत्महत्या के लिए दो लोगों पर मामला तो दर्ज किया लेकिन सुब्रत राय पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने इस मामले की विवेचना क्राइम ब्रांच ग्वालियर का सौंपी जिसने विधिक राय ली और उसके बाद एसपी के हस्तक्षेप से इस मामले में सुब्रत राय के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।

    भूपेंद्र जैन द्वारा छोड़े गये सुसाइड नोट में लिखा है कि सहारा इंडिया के कारण आये दिन उनको निवेशक परेशान करते हैं, जिनकी गाढ़ी कमाई उन्होंने भूपेद्र जैन के माध्यम से सहारा में निवेश कराया था। लेकिन अब उसका कंपनी भुगतान नहीं कर रही है। निवेशक भुगतान के लिए दबाव डालते हैं और कंपनी है कि कोर्ट के निर्णय के बाद भी भुगतान नहीं कर रही है। भूपेंद्र जैन अपने पीछे पत्नी और एक बेटा छोड़ गये हैं। भूपेंद्र जैन ने इस पत्र में अपने सभी परिजनों को संबोधित किया और बताया कि किस तरह से सहारा कंपनी उनको भुगतान नहीं कर रही है और भुगतान के लिए लंबा चौड़ा कमीशन भी मांग रही है। भूपेंद्र जैन का यह भी कहना था कि यदि सहारा समय पर पेमेंट कर दी उनके ऊपर कोई कर्ज नहीं होता। आत्महत्या की जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ सहारा है।

    भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है और जो भी इस तरह की की आत्महत्या के लिए उकसाता है उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 10 वर्ष तक की बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए उत्तरदायी होगा।

     

  • Sahara Protest : अभय देव शुक्ला ने की 10 सितम्बर के आंदोलन को सफल बनाने की अपील 

    Sahara Protest : अभय देव शुक्ला ने की 10 सितम्बर के आंदोलन को सफल बनाने की अपील 

    ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय देव शुक्ला ने कहा है कि निवेशक और एजेंट जैसा कि जानते  हैँ कि देश  भर  में सहारा  के जमाकर्ता एवं कार्यकर्ताओं ने सहारा कम्पनी मे अपने गाढ़ी  कमाई का एक एक पाई  जोड़ कर विषम  समय मे अपने भविष्य  के लिए कोई अपनी बच्चियों कि शादी  के लिए  कोई अपने बुढ़ापे  के दवा के लिए  तो कोई व्यापारी साथी  अपने व्यापार को बढ़ाने  के लिए  छोटी-छोटी  धन  राशि  जमा किया था  लेकिन सहारा का सरगना सहारा सुब्रत राय उनके सभी  पैसे  को कूटरचित  साजिश कर हड़पने पर आमादा है।
    लोगों की गाढ़ी  कमाई आज  डूबने के कगार पर है  सरकार मीडिया  और  राजनेताओ को अपने पैसे  के बदौलत  वो खरीद  रहा है  ताकि  निवेशकों का पैसा  न देना पड़े उन्हें वो कानूनी लड़ाई  मे उलझा  कर और  पुलिस प्रसासन को मोटी रकम देकर पूरे देश  के गरीब निवेशकों का पैसा  हड़पना चाहता  है  कार्यकर्ता और  जमाकर्ता में वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन  हो गयीं है  चुंकि  आप सभी  लोग हमेशा  समाज के हित की चिंता  करते हुए  सोशल एक्टिवटी से लोगों के सहयोग मे समर्पित भाव  से कार्य करते हुए  बस्ती जनपद मे लोगों की मदद करते रहते हैँ आज  आप सभी  की मदद की जरूरत बस्तीजनपद  के गरीब पीड़ित ब्यक्तिओ को भी  है  अतः  आप सभी  लोगों से सादर  निवेदन है  कि दिनांक 10 सितम्बर दिन शनिवार  दिन मे दस बजे बस्ती राजकीय  इंटर कालेज से शास्त्री चौक  तक तिरंगा यात्रा मे पहुंच कर गरीबो की आवाज़  सरकार तक पहुंचाने  मे मदद करने की कृपा करें।
  • Sahara Protest : सहारा भुगतान को लेकर धनबाद के निरसा क्षेत्र में नुक्कड़ सभा

    Sahara Protest : सहारा भुगतान को लेकर धनबाद के निरसा क्षेत्र में नुक्कड़ सभा

    Sahara Protest : 7 सितंबर के धरना प्रदर्शन को सफल बनाने में जुटे सहारा निवेशक और एजेंट

    संयुक्त ऑल इंडिया जन आंदोलन संघर्ष मोर्चा ने सोमवार को झारखंड धनबाद के निरसा क्षेत्र में सहारा इंडिया के खिलाफ भुगतान की मांग को लेकर जन जागृति मुहिम चलायी। यह मुहिम 7 सितंबर को धनबाद जिला मुख्यालय पर होने वाले धरना प्रदर्शन को लेकर चलाई जा रही है। सोमवार शाम के  समय निरसा चौक पर नुक्कड़ मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमे मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नागेंद्र कुमार कुशवाहा ने कहा कि सहारा इंडिया विगत 2 सालो से भुगतान नहीं दे रहा है।

    भुगतान के लिए सुब्रत ने कई बार वादा किया जिसको वो आज तक पूरा नहीं कर पाया, उनका कहना था कि सहारा सेबी के विवाद से सहारा की क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के भुगतान का कोई लेना देना नहीं है वहीं  जैसा की आप सभी जानते हैं कि सहारा के द्वारा भुगतान नहीं होने पर सैकड़ों  लोगों ने आत्महत्या भी कर ली है लेकिन आज तक इन लोगों को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से फिर से सहारा के खिलाफ ये मुहिम चलाई जा रही है जहां देखना होगा कि क्या हमें इंसाफ मिलता है या नहीं, सहारा के खिलाफ कोई कार्रवाई  होगी या नहीं या सरकार ऐसे ही मूकदर्शक बन कर बैठी रहेगी तो ये हमे आगें जानने को मिलेगा वही बात करें इस मीटिंग की तो इस मीटिंग में जनार्दन मिश्रा,अमरेश चक्रवर्ती, अजय चौधरी,सकल साव, मृत्युंजय कुमार,अशोक कुमार राम,राजेश अग्रवाल भोला महतो समेत अनेक जमाकर्ता मौजूद रहे । दरअसल सहारा से भुगतान को लेकर निवेशक और एजेंट देशभर में मोर्चा खोले हुए है। ऑल इंडिया जनांदोलन संघर्ष मोर्चा विभिन्न प्रदेशों के साथ ही झारखंड में भी आंदोलन कर रहा है। झारखंड में नागेंद्र कुशवाहा आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

  •  Sahara Protest : सहारा से भुगतान को लेकर रांची में धरना-प्रदर्शन

     Sahara Protest : सहारा से भुगतान को लेकर रांची में धरना-प्रदर्शन

     Sahara Protest : सहारा के खिलाफ ऑल इंडिया जनांदोलन संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र कुशवाहा ने सम्भाला मोर्चा

     

    भुगतान को लेकर ऑल इंडिया जनांदोलन संघर्ष मोर्चा झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में निवेशकों और एजेंटों ने रांची में जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस अवसर पर निवेशकों और एजेंटों ने सहारा इंडिया हमारा भुगातन करो, सुब्रत राय चोर है के नारे लगाये। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए नागेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सहारा के सरगना सुब्रत राय ने उन निवेशकों और एजेंटों को सड़क पर दर-दर की ठोकरे खाने  के लिए छो़ड़ दिया जिन्होंने उन्हें बुलंदी पर पहुंचाया। उनका कहना था कि सहारा से भुगतान न मिलने के रांची में निवेशकों और एजेंटों के सामने बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। लोग आत्महत्या करने को मजबूर हंै। एजेंट अपने घर नहीं जा  पा रहे हैं। उन्हें अपमानित होना पड़ रहा है। उन्होंने ऑल इंडिया जनांदोलन संघर्ष मोर्चा निवेशकों और एजेंटों की लड़ाई हर स्तर पर लड़ेगा।
    दरअसल ऑल इंडिया जनांदालन संघर्ष मोर्चा ने पूरे देश में सहारा इंडिया के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इसी महीने की 7 को धनबाद में 10  तारीख को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बड़ा आंदोलन है।अगले महीने महाराष्ट्र विधानसभा का घेराव करने की योजना है।

    राजस्थान से भरतपुर से जयपुर तक रथ यात्रा के साथ जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। बिहार में प्रदेश अध्यक्ष मोहित कुमार, संतोष अग्रवाल और अनिल सिंह की अगुआई में 38 जिलों में रथ यात्रा एवं अंत में गांधी मैदान में एक बड़ी जनसभा का आयोजन होगा। छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा का घेराव करने की तैयारी है। पंजाब के पटियाला में तिरंगा यात्रा एवं जन जागरूकता अभियान की शुरुआत होने जा रही है। आसाम में अक्टूबर में विधानसभा का घेराव होगा। मध्य प्रदेश में विधानसभा का घेराव होगा। छह अक्टूबर को देश के हर  जिला मुख्यालय पर एक साथ क्रमिक आमरण अनशन एवं धरना प्रदर्शन होगा। 11 अक्टूबर को देश के हर जिला मुख्यालय पर एक साथ क्रमिक आमरण अनशन एवं धरना प्रदर्शन होगा।

    दरअसल ऑल इंडिया जन आंदोलन न्याय मोर्चा के तत्वाधान में देशभर के सहारा पीड़ित जमा करता एवं कार्यकर्ता विगत 5 वर्षों से भुगतान की समस्या को लेकर काफी इंतजार किया कितने बेटियों की शादी टूट गई कितने बच्चों की पढ़ाई लिखाई बर्बाद हो गई कितने लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया कितने लोग बेघर हो गए कितने लोग आज एक एक रोटी के लिए तरस रहे हैं, यहां तक की हजारों लोग आत्महत्या जैसा कृत्य करने पर मजबूर हो गए लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी सहारा इंडिया के उच्च प्रबंधन एवं कंपनी के चेयरमैन को जरा भी अफसोस नहीं है इस विकट परिस्थिति में भी उच्च प्रबंधन नाच गाने और ठुमके लगा रहे हैं यह सब देखने से पता चलता है की यह उच्च प्रबंधन आपकी समस्याओं को लेकर कितना गंभीर है बताने की जरूरत नहीं है तो साथियों तो क्या हम लोग की जिंदगी इंतजार करते-करते खत्म हो जाएगी आखिर में हम लोग का गुनाह किया है हम लोग तो काम ही न किए हैं पैसा कंपनी को दिए हैं पैसा कंपनी के पास जमा है आज भुगतान कौन करेगा देश की सहकारिता विभाग सहारा इंडिया को इन सोसाइटी में काम करने का परमिशन दे रखा है आज सहारा इंडिया भुगतान नहीं देगा तो किसकी गलती तो सहकारिता विभाग सिर्फ परमिशन देने का काम करती है और जनता को लूट वाने का इस बात का आप लोग गौर कीजिए सहकारिता विभाग भारत सरकार के अधीन आती है इसके प्रमुख  अमित शाह  हैं तो अमित शाह की भी जिम्मेदारी बनती है इस देश की सरकार की जिम्मेदारी बनती है की सहारा इंडिया से पीड़ित जमा करता एवं कार्यकर्ताओं का भुगतान कराएं लेकिन अफसोस इस बात की देश की सरकार सहारा के उच्च प्रबंधन सिर्फ और सिर्फ बरगलाने का काम कर रहे हैं और हमारे साथी एक-एक करके इस धरती को छोड़कर जा रहे हैं और कितने लोग जीवन के अंतिम सांस का इंतजार कर रहे हैं तो साथियों तो डर किस बात की आप पैसा जमा करके क्यों डर रहे हो आप लोग से निवेदन अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए अपनी आवाज को विधानसभा पहुंचाने के लिए अपने आवाज को सांसद तक पहुंचाने के लिए अपनी आवाज विधायक एवं सांसद तक पहुंचाने के लिए अपनी आवाज देश की एडमिनिस्ट्रेशन ऑफीसर तक पहुंचाने के लिए अपनी आवाज इस गूंगी बहरी सरकार तक पहुंचाने के लिए बिना डर भय के घरों से निकलना पड़ेगा और देश के विभिन्न हिस्सों में प्रखंड स्तर जिला स्तर एवं राज्य की सभी राजधानियों में बड़े प्रदर्शन करने की आवश्यकता है ताकि देश की गूंगी बहरी सरकार देखें की भारत की एक बहुत बड़ी आबादी भुगतान से प्रभावित है और हम लोग का भुगतान कराने का जिम्मा ले क्योंकि परमिशन भारत सरकार ने दे रखा था जितनी सहारा दोषी है उससे कई गुना ज्यादा भारत सरकार भी गुनाहगार है तू इस कुंभकरण की नींद सोई भारत सरकार को जगाने के लिए अपनी पीड़ा रखने के लिए इस आर्थिक गुलामी से मुक्ति के लिए झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश से अपील इस आंदोलन की लड़ाई की शुरुआत झारखंड की राजधानी रांची से 2 सितंबर 2022 से आगाज होगा एवं 7 सितंबर 2022 धनबाद जिला में रणधीर वर्मा चौक पर सुनिश्चित किया गया है ।

  • Sahara India : मैसेडोनिया में मस्ती मार रहा सुब्रत राय का परिवार?

    Sahara India : मैसेडोनिया में मस्ती मार रहा सुब्रत राय का परिवार?

    Sahara India : निवेशक और एजेंटों की बगावत से आशंकित सहारा के श्री ने जब अपने परिवार को कर दिया था विदेश शिफ्ट

    चरण सिंह राजपूत

    सुब्रत राय क्या निवेशकों, एजेंटों और कर्मचारियों का भुगतान करेंगे या नही? इसको लेकर सबके मन में सवाल है ? सुब्रत राय की नीयत अगर पैसा देने की होती तो वह अपने परिवार को विदेश में शिफ्ट न करते। बताया जा रहा है कि निवेशकों और एजेंटों की बगावत होने से आशंकित सुब्रत रॉय ने 2005 में ही अपनी पत्नी स्वप्ना रॉय, बेटों सीमांतों राय, सुशांतो रॉय दोनों बहुओं को न केवल मकदूनिया गणराज्य की नागरिकता दिलवा दी थी बल्कि अपना कारोबार भी वहां पर शिफ्ट करना शुरू कर  दिया था। इसे सुब्रत राय का अपने निवेशकों, एजेंटों और कर्मचारियों को धोखा देना ही कहा जाएगा। मतलब सुब्रत राय और उनके परिवार को राजा महाराजाओं वाले ठाट बाट दिलाने वाले निवेशक, एजेंट और कर्मचारी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं और सुब्रत राय कर परिवार मैसिडोनिया में मजे मार रहा है।

    दरअसल मकदूनिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप में स्थित है। यह देश नागरिकता की पेशकश रखकर विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करता है। मकदूनिया की सरकार के बारे में ऐसा माना जाता था कि वह ऐसे किसी भी शख्स को नागरिकता देने के लिए तैयार रहती है, जो वहां कम से कम 4 लाख यूरो का निवेश करे और कम से कम 10 लोगों को नौकरी दे। इसके अलावा, जो विदेशी यहां 40 हजार यूरो से ज्‍यादा रियल एस्‍टेट में निवेश करते हैं, उन्‍हें मकदूनिया में 1 साल रहने का अधिकार मिल जाता है। दरअसल, मैसीडोनिया में बेरोजगारी की दर 30 प्रतिशत है और यहां हर तीसरा शख्स गरीबी में जी रहा है। इसलिए इस देश को विदेशी निवेश की सख्त जरूरत है। मकदूनिया की इन शर्तों से ही समझा जा सकता है कि सुब्रत राय के परिवार ने वहां पर अपना कारोबार जमा लिया है।

    सुब्रत राय को उनके निवेशक, एजेंट और कर्मचारी भले ही चोर बता रहे हों पर मकदूनिया ने सुब्रत राय को सर आँखों  पर बैठाया है। सुब्रत रॉय के मकदूनिया के कई बार राजकीय अतिथि बनने की बात सामने आई है। सुब्रत राय ने मकदूनिया में मदर टेरेसा की बड़ी प्रतिमा स्थापित करने की भी पेशकश रखी थी। पता चला है कि सुब्रत राय वहां एक कैसिनो भी बनाया है। गत दिनों सुब्रत राय के साथ ही सहारा समूह के एक और प्रमुख निदेशक के भी मकदूनिया की नागरिकता ले लेनी की खबर सामने आई थी।

    दरअसल मकदूनिया या मैसेडोनिया पूर्व में युगोस्‍लाविया का हिस्‍सा था। बाद में यह 1991 में आजाद हो गया। यह 1993 में यूएन का सदस्‍य बना। हालांकि, नाम की वजह से ग्रीस से हुए विवाद के कारण इस देश ने युगोस्‍लाविया के पूर्व गणराज्‍य के तौर पर पहचान स्‍वीकार कर ली। दक्षिणी बाल्कन में ग्रीस का एक भौगोलिक और प्रशासनिक क्षेत्र है। 2017 में 2.38 मिलियन की आबादी के साथमैसेडोनिया सबसे बड़ा और दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला ग्रीक क्षेत्र है। यह क्षेत्र अत्यधिक पहाड़ी है , जिसमें थेसालोनिकी और कवला जैसे अधिकांश प्रमुख शहरी केंद्र इसके दक्षिणी तट पर केंद्रित हैं। थ्रेस के साथ, और कभी-कभी थिसली और एपिरस के साथ , यह उत्तरी ग्रीस का हिस्सा है। ग्रीक मैसेडोनिया पूरी तरह से के दक्षिणी भाग को शामिल करता है। मैसेडोनिया का क्षेत्र जो इस क्षेत्र के कुल क्षेत्रफल का 51 प्रतिशत है। इसमें ग्रीस का एक स्वायत्त मठवासी क्षेत्र माउंट एथोस भी शामिल है। यदि सुब्रत राय पर सेबी और सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा न होता तो सुब्रत राय भी मैसिडोनिया में शिफ्ट हो गए होते।

    दरअसल 2000 रुपए से सहारा की शुरुआत कर बुलंदी छूने वाले सुब्रत राय को लोग तब से जानना शुरू किये थे जब वह 1990 के दशक में गोरखपुर से लखनऊ चले आये थे और सपा महासचिव अमर सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से पारिवारिक संबंध बनाये थे। तब से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहारा इंडिया परिवार का मुख्यालय है। यह भी जमीनी हकीकत है कि मुलायम सिंह के संबंधों के बल पर ही सुब्रत राय ने लखनऊ में लगभग 170 एकड़ जमीन पर “सहारा सिटी” का निर्माण किया था। धीरे-धीरे सहारा समूह का व्यापार बढ़ने लगा था और बहुत कम समय में सुब्रत राय ने कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बना थी।

    सहारा के मीडिया में आते है प्रचार मिलना भी शुरू हो गया था। दरअसल वर्ष 1992 में पहले लखनऊ और बाद में दिल्ली-नोएडा से सहारा ने हिंदी दैनिक ‘राष्ट्रीय सहारा’ का प्रकाशन शुरू किया था। 1990 के दशक के अंत में समूह ने पुणे के पास अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘एम्बी वैली’ की शुरुआत की थी। एम्बी वैली को धरती का स्वर्ग भी कहा जाता रहा है। बताया जाता है कि सुब्रत राय की इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए हेलीकॉप्टरों से पहाड़ियों पर पानी पहुंचाया गया था।  2000 में सहारा टीवी (जो बाद में ‘सहारा वन’ हो गया ) की शुरुआत हुई। वर्ष 2003 में सहारा ने 3 साप्ताहिक पत्र – सहारा टाइम, सहारा समय और सहारा आलमी का प्रकाशन शुरू किया था।

    सहारा समूह भारतीय क्रिकेट और हॉकी टीमों के भी प्रायोजक रहा है। एक समय पर उनके पास इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की एक फ्रेंचाईजी ‘पुणे वॉरियर्स इंडिया’ की टीम भी थी परन्तु BCCI से किसी मसले पर विवाद के चलते सहारा समूह ने इसे छोड़ दिया। सुब्रत राय फार्मूला वन के एक टीम ‘द सहारा फ़ोर्स इंडिया फार्मूला वन टीम’ के भी मालिक रहे हैं। 2010 में सहारा ने लंदन के ग्रॉसवेनर हाउस तथा 2012 में न्यूयार्क के प्लाजा होटल को ख़रीदा था।

    सुब्रत राय बड़े शौक से एयरलाइंस में आये थे। सहारा एयरलाइंस ने बहुत कम समय में देश विदेश में विशेष पहचान बनाई थी। हालांकि बाद में सुब्रत राय को वर्ष 2007 में सहारा एयरलाइन्स जेट एयरवेज को बेचनी पड़ गई थी। सहारा-जेट डील काफी समय तक विवादों में रही क्योंकि पूर्व घोषणा के बावजूद एक समय पर जेट ने सौदे को रद्द कर दिया था। इसके बाद दोनों पक्षों में बातचीत का दौर चला था और फिर जाकर जेट ने सौदे के लिए हां कहा था।

    सुब्रत रॉय द्वारा संचालित सहारा समूह की ओर से  30 जून 2010 तक 1,09,224 करोड़ रूपये की परिसंपत्तियां और लगभग 10 लाख लोग कंपनी के लिए कार्य करने का दावा किया गया था।  सहारा के अनुसार लगभग 30 करोड़ लोगों ने कंपनी में निवेश किया है। हालांकि आज की तारीख में सुब्रत राय सहारा की परिसंपत्तियां दो लाख करोड़ से ऊपर बताते हैं।

    वर्ष 2014 सुब्रत राय पर आफत बनकर आया। दरअसल 26 फरवरी 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने कंपनी द्वारा निवेशकों के पैसे वापस नहीं दिए जाने वाले मामले में अदालत में पेश होने में नाकाम रहने के लिए सुब्रत रॉय की गिरफ्तारी का आदेश दिया। अंततः उन्हें 28 फ़रवरी 2014 को बाजार नियामक (SEBI) के साथ एक विवाद में सुप्रीम कोर्ट के वारंट पर सुब्रत राय को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार लिया गया। इसी मामले में सुब्रत 4 मार्च 2014 दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद कर दिए गए। उनके जमानत की याचिका भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गयी थी और न्यायालय ने यह भी कहा था कि उन्हें रिहा तभी किया जायेगा जब वे निवेशकों के कुल बाकि रकम का एक हिस्सा जमा करेंगे। 10,000 करोड़ रुपये जमा करने की शर्त पर 26 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी पर सुब्रत तमाम कोशिशों के बावजूद तय राशि जमा नहीं कर पाये थे।

    निवेशक ऐसे ही सुब्रत राय के चंगुल में नहीं फंसे हैं। दरअसल सहारा शुरू में कुछ सालों तक वह निवेशकों को सारे पैसे देता था, लेकिन, बाद में वह निवेशकों को कहता था कि आप पैसे लेने की जगह दोबारा इन्वेस्ट करें, हर बार मेच्योरिटी होने पर वह एक नई स्कीम ला देते थे और फिर से निवेश करा देते थे। रिटर्न्स इतने अच्छे थे कि छोटे कामगार निवेश करते थे, इससे सबका पैसा बार-बार निवेश होता रहा।
    सुब्रत राय की दिक्क़तें  तब शुरू हुईं जब उन्होंने कंपनी को पब्लिक बनाया।  इसके बाद वह हाउजिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर पब्लिक गए। मतलब पहली बार वह प्राइवेट से पब्लिक हुए, इसके पीछे उनका मकसद बिजनेस बढ़ाना था, लेकिन, इसके बाद साल 2005 में SEBI से सहारा की लड़ाई छिड़ गई, लेकिन, सुब्रत राय अपने घमंड में खुद को सबसे ऊपर समझने लगे थे। सुब्रत राय सेबी को जवाब तक नहीं देते थे। SEBI दफ्तर में तो सुब्रत राय ने 127 ट्रकों में भरकर 31 हजार बक्शे में 5 करोड़ डॉक्यूमेंट भेज दिए थे, उन्हें लगता था कि इतने डॉक्युमेंट्स को ठीक करने में रेगुलेटर को कई महीने लगेंगे।
    हालांकि, जब सुब्रत रॉय बुरी तरह फंस गए तो उन्होंने कहा था कि पिछले 32 साल में उन्होंने कोई भी हेराफेरी नहीं की है। 1 रुपये भी चुराए हैं तो फांसी दे दीजिए।  इस बीच सेबी की पकड़ मजबूत होती  देख उन्होंने 11 लाख लोगों के साथ राष्ट्रगान गाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था।  लेकिन, रेगुलेटरी अथॉरिटी उन पर जांच प्रक्रिया तेज करती जा रही थी।

    सुब्रत राय की यह हनक ही रही है कि वह कभी भी सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं गए। कोर्ट का ऑर्डर नहीं माने, पेशी से बचने के लिए उन्होंने अपने वकील से कोर्ट कहलवा दिया था कि  उनकी 92 साल की मां बीमार हैं। इसलिए वह कोर्ट नहीं आ सकते, लेकिन, उसी दिन वह एक शादी में थे,  3 करोड़ छोटे निवेशकों को 24 हजार करोड़ कैसे नहीं पहुंचा, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था। हालांकि, सुब्रत रॉय अगर पैसे दे देते तो वह जेल नहीं जाते, लेकिन उन्होंने पैसे नहीं दिए, इसके बाद सुब्रत राय जेल गए। अब सुब्रत राय की न्यायिक हिरासत कैसी थी। इसका अंदाजा इसी बात से ही लगाया जा सकता है कि जेल में भी एक योग इंस्ट्रक्टर उन्हें योग की ट्रेनिंग देने आता था,  इसके पीछे की वजह थी कि उन्हें डर था कि वह मोटे न हो जाएं। मतलब सुब्रतो रॉय एक अलग तरह की लाइफस्टाइल में आ गए. साल 2016 में उन्हें पेरोल मिली तो वह बाहर आए और अभी भी बाहर हैं।