हिंदू धर्म में सूरज को देवता का रूप माना जाता है। भगवान सूर्य देव की वजह से ही पृथ्वी प्रकाशवान है. मान्यता है कि सूर्य देव की नियमित पूजा करने से तेज और सकारात्मक शक्ति प्राप्त होती है. ज्योतिषियों के अनुसार, नवग्रहों में से सूर्य को राजा का पद प्राप्त है. विज्ञान में भी बताया जाता है कि बिना सूर्य के पृथ्वी पर जीवन असंभव है, इसलिए वेदों में इसे जगत की आत्मा भी कहा जाता है. लेकिन, भगवान सूर्य देव की उत्पत्ति कैसे हुई, यह सवाल सबके मन में आता है. पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार भगवान सूर्य देव के जन्म को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि और मरीचि के पुत्र महर्षि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की कन्या दीति और अदिति से हुआ था. अदिति इस बात से दुखी थी कि दैत्य और देवताओं में आपसी लड़ाई होती रहती थी. तब अदिति ने सूर्य देव की उपासना की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सूर्य देव ने पुत्र के रूप में जन्म लेने का वर दिया. कुछ समय बाद अदिति को गर्भधारण हुआ. जिसके बाद भी उन्होंने कठोर उपवास नहीं छोड़ा.
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UAE के बाद एक और मुस्लिम देश में भव्य मंदिर बनने की तैयारी शुरू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ही नहीं विदेशों में सनातन का डंका बज रहा है। जिन मुस्लिम देशों में मंदिर बनाने की कोई कल्पना नहीं कर पाता था आज उन्हीं देशों में मंदिर बन रहे हैं। वही 22 जनवरी, 2024 को भारत में राम नागरी अयोध्या में राम मंदिर का pm नरेंद्र मोदी ने उदघाटन किया उसके बाद हाल ही में 14 फरवरी को United Arab Emirates यानि UAE में BAPS का भव्य-दिव्य मंदिर का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। अब इसके बाद एक और मुस्लिम देश बहरीन में मंदिर बनने जा रहा है। इससे पहले अमेरिका के न्यूजर्सी में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 8 अक्टूबर 2023 को किया गया। भारत के बाहर बना ये दुनिया के सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में एक है। ऐसा तब संभव होता है जब देश का नेतृत्व करने वाला नेता प्रखर राष्ट्रभक्त हो और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस करता हो। 10 साल पहले कांग्रेस की मनमोहन सरकार कहती थी कि यदि हम राम मंदिर की बात करेंगे तो अरब के देश हमें तेल देना बंद कर देंगे। आज उन्हीं देशों में मंदिर बन रहे हैं और शेख लोग खुद नाच नाच कर भगवान की परिक्रमा कर रहे हैं। यह सब पीएम मोदी के दूरदर्शी विजन से संभव हो रहा है।
बहरीन में भी BAPS मंदिर का निर्माण करेगी. इसके लिए जमीन आवंटित हो चुकी है और इस मंदिर को बनाने के लिए सारी formalities भी पूरी हो चुकी हैं. ऐसे में जल्द ही मंदिर के contruction का काम शुरू हो सकता है. बहरीन में बनने वाला मंदिर भी अबूधाबी के मंदिर की तरह भव्य होगा. इस मंदिर का निर्माण भी बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था यानि BAPS करेगी, जिसने अबूधाबी में मंदिर बनाया है. अबूधाबी में बने मंदिर की क़ीमत 700 करोड़ रुपये है और बहरीन में मंदिर निर्माण में काफी खर्च होने वाला है. BAPS के प्रतिनिधिमंडल ने बहरीन के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा के साथ बैठक भी की है.
स्वामी अक्षरातीतदास, डॉ. प्रफुल्ल वैद्य, रमेश पाटीदार और महेश देवजी के प्रतिनिधिमंडल ने क्राउन प्रिंस के साथ मुलाकात के बाद कहा कि स्वामीनारायण हिंदू मंदिर के निर्माण का उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करना, अलग-अलग संस्कृतियों और आध्यात्मिक कार्यों के लिए जगह प्रदान करना है. BAPS के महंत गुरु स्वामी महाराज ने बहरीन में मंदिर निर्माण की अनुमति मिलने के बाद वहां के क्राउन प्रिंस सलमान बिन हमद अल खलीफा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह फैसला दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों और धार्मिक सद्भाव के विश्वास को दर्शाता है. इसके साथ ही उन्होंने मंदिर के जल्दी निर्माण के लिए प्रार्थना भी की. ताकि लाखों लोगों को शांति मिल सके. इससे पहले भारतीय मूल के निवासियों ने कहा था कि UAE में मंदिर मोदी जी की वजह से ही बना. एक इस्लामिक देश में जहां मूर्ति पूजा हराम मानी जाती है, वहां भी मोदी जी की वजह से इतना भव्य मंदिर बन पा रहा है.
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ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की बड़ी जीत, जिला अदालत ने तहखाने में दी पूजा-पाठ की इजाजत
Gyanvapi Case : 1993 से यहां पर पूजा-पाठ बंद था, फैसले के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि अब वहां पर नियमित रूप से पूजा-पाठ शुरू किया जाएगा
Gyanvapi Case News : वाराणसी में ज्ञानवापी तहखाने में पूजा-पाठ होगा। जिला न्यायालय ने आदेश दिया है। हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिल गया है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि व्यास जी के तहखाने में इजाजत की इजाजत मिली है। व्यास परिवार अब तहखाने में पूजा पाठ करेगा। हिंदू पक्ष ने व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी। सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करता था। 1993 के बाद तत्कालीन राज्य सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा बंद हो गई थी। 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कब्जे में लिया था। एएसआई सर्वे कार्रवाई के दौरान तहखाने की साफ-सफाई हुई थी। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के अधीन तहखाने में पूजा की जाएगी। ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा।
क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील?
एक बातचीत में विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वहां पर नियमित रूप से पूजा पाठ की जाएगी। उन्होंने विक्ट्री साइन दिखाया। वादी अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि आज फैसला हमारे पक्ष में रहा, जो पूजा-पाठ 1993 में बंद हो गया था उसको बहाल करने के लिए हम लोगों की जो मांग थी उसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। पूजा-पाठ अब रोज शुरू होगा। हिंदू पक्ष द्वारा एक और प्रार्थना पत्र पर आज वाराणसी जिला न्यायालय ने आदेश देते हुए ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ की व्यवस्था तय करने का निर्देश दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को बुधवार को नोटिस जारी किया। वादी राखी सिंह ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को सुनाये गये उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने से मना कर दिया था।
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भारतीय समाज के जीवन में श्रीराम
प्रियंका सौरभ
सारांश
भगवान श्रीराम भारतीय संस्कृति के ऐसे वटवृक्ष हैं, जिनकी पावन छाया में मानव युग-युग तक जीवन की प्रेरणा और उपदेश लेता रहेगा। जब तक श्रीराम जन-जन के हृदय में जीवित हैं, तब तक भारतीय संस्कृति के मूल तत्व अजर-अमर रहेंगे। श्रीराम भारतीय जन-जीवन में धर्म भावना के प्रतीक हैं, श्रीराम धर्म के साक्षात् स्वरूप हैं, धर्म के किसी अंग को देखना है, तो राम का जीवन देखिये, आपको धर्म की असली पहचान हो जायेगी। वास्तव में हमें जब भी कोई काम करना हो तो हम भगवान राम की ओर देखते हैं। भगवान राम की जय बोलते हैं। राम हमारे मन में बसे हैं। राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। देश के लब्धप्रसिद्ध युवा दोहाकार डॉ. सत्यवान सौरभ ने अपने दोहा संग्रह ‘तितली है खामोश’ में श्री राम के बारे बड़ी गहराई से लिखा है -राम नाम है हर जगह, राम जाप चहुंओर। चाहे जाकर देख लो, नभ तल के हर छोर।। राम हमारे मन में बसे, श्रीराम हमारी संस्कृति है, हमारी बोलचाल, प्यार, उलाहनों और कहावतों में सदियों से रचे बसे है श्रीराम।
बीज-शब्द-
राम, संस्कृति, मर्यादा, लोकजीवन, कहावतें, लोकगीत, जनमानस, आदर्श, प्रेरणा, रामायण, आराध्य।
विषय प्रवेश-
राम-राम जी। हरियाणा में किसी राह चलते अनजान को भी ये ‘देसी नमस्ते’ करने का चलन है। यह दिखाता है कि गीता और महाभारत की धरती माने जाने वाले हरियाणा के जनमानस में श्रीकृष्ण से ज्यादा श्रीराम रचे-बसे हैं। हरियाणवियों में रामफल, रामभज, रामप्यारी, रामभतेरी जैसे कितने ही नाम सुनने को मिल जाएंगे। लोकजीवन में, साहित्य में, इतिहास में, भूगोल में, हमारी प्रदर्शनकलाओं में उनकी उपस्थिति बताती है; राम किस तरह इस देश का जीवन हैं। राम का होना मर्यादाओं का होना है, रिश्तों का होना है, संवेदना का होना है, सामाजिक न्याय का होना है, करुणा का होना है। वे सही मायनों में भारतीयता के उच्चादर्शों को स्थापित करने वाले नायक हैं। लोकमन में व्याप्त इस नायक को सबने अपना आदर्श माना। राम सबके हैं। वे कबीर के भी हैं, रहीम के भी हैं, वे गांधी के भी हैं, लोहिया के भी हैं। राम का चरित्र सबको बांधता है। अनेक रामायण और रामचरित पर लिखे गए महाकाव्य इसके उदाहरण हैं। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त स्वयं लिखते हैं- राम तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है, कोई कवि बन जाए, सहज संभाव्य है।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ हिम्मत सिंह के अनुसार हरियाणा के आम जनमानस में बरसात होने पर रामजी खूब बरस्या या बरसात न होने पर रामजी बरस्या कोनी का उलाहना सुनने को मिलेगा। किसी से अच्छा प्यार-पहचान जताने के लिए उस गेल्यो बढ़िया राम-राम है या अनजानापन जताने के लिए उसतै तो मेरी राम-राम बी कौना, कहवात का इस्तेमाल करते हैं। यहां सांग में राम के प्रसंग जुड़े हैं तो भजनों में भी राम का जिक्र मिलता है। ‘लाड्डू राम नाम का खाले नै हो ज्यागा कल्याण’.. या ‘मनै इब कै पिलशन मिल जा मैं तो ल्याऊ राम की माला’… जैसे हरियाणवी भजन हिट रहे हैं।
किसी को सांत्वना देने के लिए ‘राम भली करैगा या आंधे की माक्खी राम उड़ावै’ जैसी कहावतें हैं। परसां चढ़ता मेरा बाबुल बुझ्या, कहो तो कातिक नाल्हू हो राम। कार्तिक न्हाणा बड़ा दुहेला, खुशी तैं कार्तिक न्हाले बेटी कहै सै योह राम। यह हरियाणा का एक लोकगीत है। इसमें नवबाला अपने परिवार से कार्तिक नहाने की अनुमति मांगने के लिए अनुनय विनय कर रही है। जवाब में उनके परिजन राम के नाम पर कार्तिक नहाने की अनुमति दे रहे हैं। यह लोकगीत अपने आप में बताने के लिए पर्याप्त है कि हरि की धरती हरियाणा के लोकगीत, लोक रागनी और लोक भजन में भी प्रभु राम रचे-बसे हैं। यहां राम के बिना कहीं भी सार्थकता दिखाई नहीं देती। कार्तिक मास के लोकगीत व लोक भजन तो राम की स्तुति में ही गाए जाते हैं। हरियाणा में राम के नाम पर कई गीत गाए जाते हैं। हरियाणा का लोकगायन राम से शुरू होता है और राम के जयकारे के बाद ही खत्म होता आया है।
हरियाणा का लोक गायन राम संस्कृति से ओत-प्रोत है। राम को हरियाणा में गीत संगीत का प्रणेता माना जाता है। एक अन्य कार्तिक गीत में राम, सीता और लक्ष्मण की आराधना इस प्रकार की जाती है- राम और लक्ष्मण दशरथ के बेटे, दोनों बण खंड जाए, ऐजी कोए राम मिले भगवान। एक बण चाले दो बण चाले, तीजे में लग आई प्यास, एजी कोए राम मिले भगवान। कातिक नहाण के समय सुबह सवेरे जोहड़ के कंठारे पर गाया जाने वाला कार्तिक गीत इस प्रकार है-आई छोरियां की डार, सुत्या जल जागियो हो राम। उर्लै पर्लै घाट खड़ी, तेरी लाडली हो राम। इनकी भी सुनिए हो राम। इसी तरह एक अन्य कार्तिक मास का राम भजन इस प्रकार है- राम को बुलाओ, मेरे लक्ष्मण को बुलाओ, दोनों को ढूंढ के लाओ, कहां गए लछमण और राम। एक अन्य भजन में कार्तिक न्हाण का वर्णन इस प्रकार है- चलो सखी नहाण चलां, कार्तिक आई हो राम। इस प्रकार पूरे लोकगीत में राम की आराधना की जाती है। हरियाणवी लोकगीत में कैकेयी को इस प्रकार कोसा जाता है- कैकेयी तैनै जुल्म गुजारे, वन में भेज दिए राम। राम कड़ी बेल का कड़ा तूंबड़ा, सब तीरथ कर आई। घाट घाट का जल भरले फिर भी ना मिले राम। आगे राम चलत है, पीछे लक्ष्मण भाई, राम बीच बिचालै चलै जानकी, देखो जनक की जाई। वहीं सावन के महीने में राम नाम की टेर से इस प्रकार मल्हार गाया जाता है- कड़वी कचरी है मां मेरी बाग में, क्यूं कर खाल्यूं हो राम।
हरियाणा के भजनी व सांगी जब गांव में आते थे तो वह भजनों की शुरुआत राम को समर के इस प्रकार करते थे। राम नाम सबतैं बड़ा, इससे बड़ा न कोये। जो सुमिरन करें राम का, तो बंदे शुद्ध आत्मा होये। पंडित लख्मीचंद, मांगेराम, दयाचंद, जगन्नाथ समचानिया, मास्टर सतबीर सिंह, हरदेवा अली बख्स भी राम से अपने कार्यक्रम की शुरुआत करते थे। जाट मेहर सिंह ने अपनी शहादत के समय जो चिट्ठी लिखी थी तो उसकी शुरुआत भी राम के नाम से की थी। लिखा था साथ रहणिये संग के साथी, दया मेरे पै फेर दियो। देश कै ऊपर जान झोकदी, लिख चिट्ठी में गेर दियो। पहले तो मेरे मात-पिता के चरणों में प्रणाम लिखूं। काका ताऊ बड़े-बड़ों को मेरी राम राम लिखूं। एक रागिनी में कीचक और सुदेशना के महाभारत किस्से में राम का इस प्रकार उद्धरण किया गया है। वो हे उसका राम, जिसमें मन बस ज्या। घाल दे दासी ने, मेरा घर बसज्या। एक अन्य रागिनी में राम का वर्णन अपनी पत्नी को समझाते हुए दूल्हा इस प्रकार करता है। जहाज कै में बैठ, गोरी राम रट कै। ओढना संगवाले, तेरा पल्ला लटके।
रामायण पर चार पीएचडी करवा चुके 90 वर्षीय डॉ. हिम्मत सिंह सिन्हा कहते हैं कि सन् 1999 तक हिंदी भाषी क्षेत्रों में राम व रामायण पर 150 से ज्यादा शोध थे। अब इनकी संख्या 250 से ज्यादा होगी। गैर हिंदी प्रदेशों में भी काफी शोध हुए हैं। हरियाणा व हिंदी भाषी क्षेत्र में राम के लोकजीवन में रचने बसने का श्रेय कई संतों व कवियों और आर्य समाज को जाता है। कबीर को निम्न जाति का मानते हुए उस काल में मंदिरों में नहीं जाने देते थे। तब कबीर ने राम को निर्गुण मानते हुए प्रचार किया। पहले आदि कवि वाल्मीकि, संत रविदास, नामदेव ने निर्गुण रूप का प्रचार किया। हरियाणा में आर्य समाज का काफी प्रभाव रहा है और आर्य समाज ने राम को आदर्श पुरुष माना है। प्रदेश में कबीरपंथ का प्रचार करने के लिए डेरे भी हैं। कबीर के दोहों में रा को छत्र और म को माथे की बिंदी माना है। यानी सभी को रक्षा व सम्मान का प्रतीक माना है। हरियाणा के पुराने सांगों में राम के प्रसंगों का खूब जिक्र होता रहा है, इस वजह भी पीढ़ी दर पीढ़ी राम की असर जनमानस है, जबकि कुरुक्षेत्र जैसी धर्मनगरी समेत प्रदेश में कहीं भी श्रीराम के प्राचीन मंदिर नहीं हैं। रामराज्य की कल्पना में ही नैतिक मूल्य व राजनीतिक दर्शन है। राजनीति में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली आया राम-गया राम की कहावत भी हरियाणवी राजनीति से निकली है। जब 1967 में एक विधायक ने एक ही दिन में 3 बार में दल-बदल किया था।
हरियाणा के गांव मुंदडी में लव-कुश ने रामायण कंठस्थ की थी और सीवन गांव में माता सीता समाई थी। कैथल दडी में भगवान राम व सीता के पुत्रों लव-कुश ने महर्षि वाल्मीकि से इसी तीर्थ पर रामायण को कंठस्थ कर दिया था, जिसके बाद महर्षि वाल्मीकि ने मौन धारण कर दिया था। इससे ही गांव का नाम मुंदडी हो गया। इस तीर्थ पर शिव, हनुमान व लव-कुश के मंदिर हैं। मंदिर के गर्भगृह की भित्तियों पर राम, लक्ष्मण को कंधे पर बैठाए हुए हनुमान, गोपियों के साथ कृष्ण, रासलीला व गणेश इत्यादि के चित्र बने हुए हैं। नारद पुराण के अनुसार चैत्र मास की चतुर्दशी को इस तीर्थ में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।मंदिर के सरोवर की खुदाई से कुषाणकाल (प्रथम-द्वितीय शती ई.) से लेकर मध्यकाल 9-10वी शती ई. के मृदपात्र एवं अन्य पुरावशेष मिले थे। जिससे इस तीर्थ की प्राचीनता सिद्ध होती है। यहां महर्षि वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी भी बनाई जा रही है। वहीं, कैथल के गांव सीवन या शीतवन को जनमानसे जनकनंदिनी सीता जी से संबंधित मानती है। प्रचलित विश्वास के अनुसार सीता इसी स्थान पर धरती में समा गई थीं। इसीलिए इस तीर्थ को स्वर्गद्वार के नाम से भी जाना जाता है। इस तीर्थ का उल्लेख महाभारत एवं वामन पुराण के अतिरिक्त पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण, कूर्म पराण, नारद पुराण तथा अग्नि पुराण में भी पाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि यही शीतवन अपभ्रंश हो कर परवर्ती काल में सीतवन के नाम से विख्यात हो गया। वामन पुराण में इस तीर्थ को मातृतीर्थ के पश्चात् रखा गया है।
वास्तव में हमें जब भी कोई काम करना हो तो हम भगवान राम की ओर देखते हैं। भगवान राम की जय बोलते हैं। राम हमारे मन में बसे हैं। राम हमारी संस्कृति के आधार हैं। वनवास से लेकर रामराज्य की स्थापना तक का श्री राम का संघर्षमय जीवन भारतवर्ष को बहुत कुछ सिखाता है। वे समाज में लोकप्रिय हैं ही, साथ ही एक कुशल योजक, संगठक के रूप में दिखाई देते हैं। श्री राम का हृदय करुणा सागर है। धीर-गम्भीर और वीरता से युक्त उनका तेजस्वी व्यक्तित्व है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन के अनेक पहलू हैं। श्री राम ने जहाँ एक ओर केवट, शबरी और जटायु को आत्मीयता से स्वीकार किया, उनपर स्नेह की वर्षा की; वहीं दूसरी ओर उन्होंने वानरों, भालुओं तथा वनवासियों को एकत्रित किया। उन्होंने वानर सेना को अधर्म के विनाश के लिए तैयार किया। उन्होंने रावण सहित समस्त असुरों को समाप्त कर धर्म की पताका को अभ्रस्पर्शी बनाया। इतना ही नहीं तो श्री राम का जीवन तप, क्षमा,शील, नीति, मान, सेवा, भक्ति, मर्यादा, वीरता और न जाने कितने महान गुणों से युक्त था। इसलिए वे भारतीय समाज के जीवन में बड़ी गहराई से बस गए हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने “गोस्वामी तुलसी दास” नामक अपनी पुस्तक में कहा है, “राम के बिना हिन्दू जीवन नीरस है; फीका है। यही रामरस उसका स्वाद बनाए रहा और बनाए रहेगा। राम ही का मुख देख हिन्दू जनता का इतना बड़ा भाग अपने धर्म और जाति के घेरे में पड़ा रहा। न उसे तलवार काट सकी, न धनमान का लोभ, न उपदेशों की तड़क-भड़क।” स्वामी विवेकानन्द ने 31 जनवरी, सन 1900 को, अमेरिका के पैसाडेना (कैलिफोर्निया) में ‘रामायण’ विषय पर बोलते हुए अपने व्याख्यान में कहा था, “राम ईश्वर के अवतार थे, अन्यथा वे ये सब दुष्कर कार्य कैसे कर सकते थे? हिन्दू उन्हें भगवान अवतार मानकर पूजते हैं। भारतीयों के मतानुसार वे ईश्वर के सातवे अवतार हैं। राम भारतीय राष्ट्र के आदर्श हैं।” स्वामी जी इसी व्याख्यान में रामायण को भारत का आदि काव्य कहकर उसकी प्रशंसा करते हैं।
निष्कर्ष-
श्री राम भारतीय जनमानस में आराध्य देव के रूप में स्थापित हैं और भारत के प्रत्येक जाति, मत, सम्प्रदाय के लोग श्री राम की पूजा-आराधना करते हैं। कोई भी घर ऐसा नहीं होगा, जिसमें रामकथा से सम्बन्धित किसी न किसी प्रकार का साहित्य न हो क्योंकि भारत की प्रत्येक भाषा में रामकथा पर आधारित साहित्य उपलब्ध है। भारत के बाहर, विश्व के अनेक देश ऐसे हैं जहाँ के लोक-जीवन और संस्कृति में श्री राम इस तरह समाहित हो गए हैं कि वे अपनी मातृभूमि को श्रीराम की लीला भूमि एवं अपने को उनका वंशज मानने लगे हैं। हम श्री राम को पढ़ते हैं, पूजते हैं। उनके जीवन, विचार, संवाद और प्रसंगों को पढ़ते-पढ़ते भाव विभोर हो जाते हैं। उनका नाम लेते ही हमारा हृदय श्रद्धा और भक्ति भाव से सराबोर हो जाता है। यहाँ तक कि भारत के करोड़ों लोग अपने नाम के आगे अथवा पीछे ‘राम’ शब्द का प्रयोग बड़े गर्व से करते हैं; जैसे –रामलाल, रामप्रकाश, सीता राम, रामप्रसाद, गंगा राम, संतराम, सुखराम आदि। विवाह-गीत, सो हर, लोकगीत, होली गीत, लोकोक्तियां आदि सभी लोक संस्कृति में श्री राम और माता जानकी का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। इस तरह लोकजीवन में राम दिखाई देते हैं। सबके राम, सबमें राम, जय जय श्रीराम।
(लेखिका रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार हैं)
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अयोध्या के राम मंदिर से देश को हुआ कितना फायदा ?
अयोध्या में राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में इस पूरे कार्यकर्म की झलक देखने को मिली वही श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से देश की economy में सनातन कारोबार का एक नया अध्याय बहुत ही मजबूती से जुड़ गया है। जिसके तेजी से देशभर में विकास की बड़ी संभावना देखी जा रही है। अकेले 22 जनवरी को ही देशभर में एक लाख से ज़्यादा कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इनमें 2 हजार शोभायात्रा, 5 हजार से अधिक फेरी, 1000 से अधिक श्री राम संवाद कार्यक्रम, 2500 से ज्यादा संगीतमय श्री राम भजन और श्री राम गीत कार्यक्रम आयोजित किए गए. 50 हजार से अधिक जगहों पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, अखंड रामायण और अखंड दीपक के कार्यक्रम किए गए तो 40 हज़ार से ज्यादा भंडारे व्यापारियों ने आयोजित किए । देश भर में करोड़ों की संख्या में श्री राम मंदिर के मॉडल, माला, लटकन, चूड़ी, बिंदी, कड़े, राम ध्वज, राम पटके, राम टोपी, राम पेंटिंग, राम दरबार के चित्र, श्री राम मंदिर के चित्र की भी ज़बरदस्त बिक्री हुई. करोड़ों किलो मिठाई और ड्राई फ्रूट की प्रसाद के रूप में बिक्री की गई. यह सब आस्था और भक्ति के सागर में डूबे लोगों ने किया और देश में ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया. Confederation of All India Traders (कैट) ने ये कहा कि एक मोटे अनुमान के अनुसार श्री राम मंदिर के कारण से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का बड़ा कारोबार हुआ जिसमें अकेले दिल्ली में लगभग 25 हजार करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में लगभग 40 हजार करोड़ रुपये का सामान और सेवाओं के जरिए व्यापार हुआ।
वही बात करे अयोध्या की तो अयोध्या राम जन्मभूमि मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है । अयोध्या भक्तों की भीड़ से भर गई है। पहले दिन दर्शन के लिए इतने लोग यहां शामिल हुए कि कई सारे लोग तो दर्शन भी नहीं कर पाए । 4000 संतों का ग्रुप भी आया । रामलला के दर्शन के लिए उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पुलिसकर्मियों को पहले दिन दर्शन के लिए 50 हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद थी। लेकिन, करीब 5 लाख लोग अयोध्या पहुचे । ऐसे में पुलिस की ओर से विशेष योजना तैयार की गई। आनन-फानन में एक हजार सुरक्षाकर्मियों को अयोध्या राम मंदिर की व्यवस्था को संभालने के लिए तैनात किया गया। रामलला के दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी है। इसको देखते हुए मंदिर में एंट्री को रोक दिया गया ।
अब तक राम मंदिर को 5500 करोड़ रुपये का दान मिल चुका है. बता दें इस समय राम मंदिर ट्रस्ट के बैंक खाते 3 PSU बैंक में है. इसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक का नाम शामिल है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, मंदिर ट्रस्ट की तरफ से कुछ समय पहले जानकारी शेयर की गई थी, जिसमें बताया गया था कि मार्च 2023 के आखिर तक बैंक की कुल जमा लगभग 3000 करोड़ रुपये थी. वहीं, ट्रस्ट ने मंदिर के निर्माण के लिए 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए हैं.
इसी बीच न्यूज एजेंसी PTI ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि के हवाले से जानकारी दी है कि राम मंदिर के निर्माण पर अब तक 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. हालांकि, अभी मंदिर का पूर्ण निर्माण करने के लिए 300 करोड़ रुपए की और जरूरत होगी. वही आपको बताते हैं राम मंदिर को बनाने में किसने कितना दान दिया है. राम मंदिर के निर्माण के लिए संत मोटारी बापू ने 18.6 करोड़ रुपये का दान दिया है । यह महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता भारत से 11.30 करोड़ रूपये, ब्रिटेन और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपये और अमेरिका, कनाडा और विभिन्न अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपये के योगदान से एकत्र की गई थी. वेटरन एक्ट्रेस हेमा मालिनी ने भी राम मंदिर को गुप्त दान दिया है. इसके अलावा अक्षय कुमार समेत कई बॉलीवुड सेलेब्रिटीज ने भी करोड़ों का दान दिया है.
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कोई राम लहर नहीं, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को राहुल गांधी ने बताया राजनीतिक कार्यक्रम
Rahul Gandhi On Ram Mandir Inauguration: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही अपने-अपने हिसाब से चुनाव की तैयारी में लग चुके हैं। एनडीए ने फिर से राम मंदिर का राग अलापा है। पहले राम मंदिर निर्माण की बात की जाती थी तो अब राम प्रतिष्ठा के बाद रामलला के दर्शन को लेकर बीजेपी माहौल बनाने में लगी है। उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं। असम में चल रही इस यात्रा में राहुल गांधी देश में राम लहर होने से इंकार कर आ रहे हैं। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को उन्होंने राजनीतिक कार्यक्रम बताया है। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि यह बीजेपी का राजनीतिक कार्यक्रम था।
राम मंदिर उद्घाटन और देश में राम लहर को लेकर एबीपी न्यूज़ के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा, ”कोई लहर नहीं है. मैं पहले कह चुका हूं कि यह बीजेपी का राजनीतिक कार्यक्रम था। हम अपना प्लान देश के सामने रखेंगे. आने वाले दिनों में हम युवा, किसान और महिलाओं के लिए न्याय का हमारा रोडमैप जारी करेंगे.”
दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को बीजेपी, आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फंक्शन बना दिया गया है। इस कारण हमारे नेताओं ने निमंत्रण अस्वीकार कर दिया।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने को लेकर मिले निमंत्रण पत्र को ठुकरा दिया था। इसको लेकर पार्टी ने बयान जारी कर कहा था कि बीजेपी कार्यक्रम का इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए कर रही है।
राहुल गांधी एफआईआर को लेकर क्या बोले?
असम में एफआईआर के आदेश पर राहुल गांधी ने कहा कि इससे हमें फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा, ”असम के सीएम जो कर रहे हैं उससे यात्रा को फायदा मिल रहा है. हमारा प्रचार हो रहा है। इस तरह सीएम और गृह मंत्री अमित शाह हमारी मदद कर रहे हैं। ये डराने की कोशिश है, लेकिन डरने वाले नहीं है। लोग बोल रहे हैं कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा गुवाहाटी में जा सकते हैं तो राहुल गांधी क्यों नहीं जा सकते?”
बिस्व सरमा ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने बताया कि उन्होंने राज्य पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह को बैरिकेड तोड़ने के लिए भीड़ को उकसाने को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है।
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राम नाम की होगी गूंज मक्का और वेटिकन का टूटेगा रिकॉर्ड , पहुंचेगा 10 करोड़ भक्तो का सैलाब
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्येक्रम के बाद अब अयोध्या में भक्तो का जनसैलाब उमड़ रहा है और ऐसा अनुमान हैं कि एक साल में राम मंदिर में जाने वालो की संख्या 10 करोड़ तक हो सकती हैं जो दुनिआ के किसी भी धार्मिक स्थल से ज़यदा होगी। रामलला के विराजमान होते हि 500 सालो का इंतज़ार भी खत्म हो गया है। भारत और देश में रह रहे राम भक्तो के लिए यह बेहद भावुक क्षण था। पूरी नगरी की तस्वीर बदल गई हैं बात करे पर्टयकों कि उनके लिए भी उत्तम व्यस्था हो रही हैं। बड़ते हुए लोगो की संख्या से ऐसी उम्मीद लगाई जा रही हैं कि आने वाले समय में देश के सबसे बड़ा तीर्थ स्थल के रूप में देखा जा सकता हैं। वही बात करे मक्का में सालाना 2 करोड़ लोग जाते थे जबकि वेकिटन में लगभग 90 लाख लोग जाते हैं।
इस हिसाब से राम मंदिर इन सभी कही आगे होगा वही बात करे तो इसके आलावा कशी विश्नाथ धाम अमृतसर में स्वर्ण मंदिर दक्षिण में बड़ा आस्था का बड़ा केंद्र तिरुपति बालाजी और वैष्णो देवी धाम से भी कहीं ज़्यदा लोग राम मंदिर के दर्शन के लिए जाएंगे। बीते दो सालों में कशी विश्नाथ में दर्शन करने वालो कि संख्या कुल 13 करोड़ थी जो कि अपने आप में बड़ा अकड़ा था। और बात करे राम मंदिर कि भक्तो का ताता लग सकता है जिससे यूपी सरकार को राजस्व में बड़े उछाल की उम्मीद हैं। एसबीई की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर में आने वाले भक्तजन के चलते यूपी सरकार को वित वर्ष साल 2024 -225 तक सरकार को 25 हज़ार करोड़ का मुनाफा हो सकता हैं। आकड़ो के मुताबिक आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी के मंदिर में हल साल 2. 5 करोड़ लोग जाते है
वही वैष्णो देवी के मंदिर में लगभग 90 लोग सालाना जाते है। इस्लाम की सबसे पवत्रि स्थल मक्का जाने वालो की संख्या हर साल 2 करोड़ हैं यहाँ पर लोग दूर दूर से काबा देखने के लिए आते है गौरतलब है कि राम मंदिर का निर्माण साल 2022 से चल रहा था तब भी लोग वहा जा रहे थे उस समय के आकड़े 2 . 21 करोड़ लोग वहा जा चुके थे। इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वालो दिनों में क्या आकड़ा होगा -
सनातन यात्रा पर हमला, फिर अबू शेख का वीडियो वायरल..
मुंबई । अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम था। हर तरफ खुशी की लहर थी। घर-घर दीये जले। लोगों ने रंग-बिरंगी लाइटों से घरों को सजाया। राम नाम की लहर में लोग झूम रहे थे। मुंबई में भी विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसी खुशी के बीच राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा से कुछ घंटों पहले ही दो समुदाय के गुटों में हिंसक झड़प हुई। सोमवार को मीरा रोड और आसपास की स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मंगलवार को भी भारी पुलिस फोर्स तैनात है। मीरा रोड के नया नगर में जाने वाले सभी रास्तों पर पुलिस ने नाकेबंदी कर दी गई है। पुलिस आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त सहित सभी बड़े अधिकारी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मैदान में डटे हुए हैं। पुलिस ने इस मामले में 17 लोगों की गिरफ्तार की है। मुंबई पुलिस ने उस आरोपी को भी गिरफ्तार किया है जिसने अबू शेख नाम के शख्स का वीडियो शेयर किया और उसके बाद धार्मिक तनाव बढ़ा। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए मौके पर स्थानीय पुलिस, मुंबई पुलिस, पालघर पुलिस, ठाणे ग्रामीण पुलिस, आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) एमएसएफ (महाराष्ट्र सुरक्षा बल) और एसआरपीएफ को तैनात किया गया है। मीरा भायंदर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त श्रीकांत पाठक ने सभी से क्षेत्र में शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम घटना की जांच कर रहे हैं। दोषियों के खिलाफ ही कार्रवाई की जाएगी। मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं। पुलिस ने समय पर कार्रवाई की है। रविवार रात 10.30 बजे के आसपास एक समुदाय के लोग नया नगर से बाइक और अन्य गाड़ियों से धार्मिक नारेबाजी करते हुए गुजर रहे थे। इसी दौरान दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने उन्हें रोका और वहां से जाने को कहा। बातचीत थोड़ी देर में झड़प में तब्दील हो गई और उपद्रवियों ने नारे लगा रहे लोगों और उनकी गाड़ियों पर हमला कर दिया। इस दौरान एक महिला के सिर पर चोटें भी आईं।
वीडियो वायरल होने से बढ़ा तनाव
रात 11.30 बजे तक इस झड़प का विडियो वायरल हो गया। इसके बाद दूसरे पक्ष के लोग भी जुटने लगे। स्थिति को भांपते हुए पुलिस ने नया नगर परिसर के चारों तरफ नाकाबंदी कर दी और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। पुलिस को हालात काबू करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। शहर की तनावपूर्ण स्थिति देखते हुए रविवार देर रात उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुलिस आयुक्त मधुकर पांडेय को तलब किया और स्थिति का जायजा लिया। सुबह-सुबह विधायक प्रताप सरनाईक ने आयुक्त पांडेय से भेंट की और जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की। गौरतलब है कि आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास), दंगा करने सहित विभिन्न संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
4 नाबालिगों सहित 17 गिरफ्तार
उप मुख्यमंत्री और विधायक के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने धड़पकड़ शुरू की। पुलिस ने चार नाबालिगों सहित कुल 17 आरोपियों को हिरासत में लिया। अतिरिक्त आयुक्त श्रीकांत पाठक ने बताया कि पुलिस सीसीटीवी खंगाल रही है और जल्द ही इस मामले में अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जाएगा। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सोमवार दोपहर 2 बजे के आसपास नया नगर पुलिस स्टेशन के बाहर गिरफ्तार लोगों के परिजनों के साथ हजारों लोग जुट गए। भीड़ का कहना था कि पुलिस ने निर्दोष लोगों को हिरासत में लिया है। वे उन्हें छोड़ने की मांग कर रहे थे।
मुंबई से सटे मीरा रोड पर दो समुदायों के बीच झड़प के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। अबू शेख नाम के एक व्यक्ति का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह लोगों को उकसा रहा था। इस वीडियो को पोस्ट करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है और एमबीवीवी पुलिस ने दो दिन की हिरासत की मांग की है।
डीसीपी जयंत बजबालेशहर के अन्य हिस्सों में भी रहा तनाव
सोमवार को वैसे तो सारा शहर जश्न मना रहा था, लेकिन नया नगर सहित शहर के कई हिस्सों में तनाव रहा। शाम 7 बजे गोल्डन नेस्ट, गीता नगर, बैक रोड पर रह-रहकर दोनों पक्षों के उपद्रवी जमा हो रहे थे। कनकिया के कुछ परिसरों में भी स्थिति के तनावपूर्ण होने की सूचना है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उपद्रव में कई लोगों के घायल होने की भी सूचना है। पूरे दिन भीड़ के धार्मिक नारे लगाते हुए विडियो वायरल होते रहे। जहां एक समुदाय के रविवार रात में गाड़ियों की तोड़फोड़ के विडियो वायरल हुए, वहीं सोमवार को दूसरे समुदाय के नारे लगाते हुए हाथों में पिस्टल लहराने के विडियो वायरल हुए। इससे तनाव बढ़ने की आशंका बनी रही।
मुजफ्फर हुसैन की पहल पर टला विवाद
उपद्रव के आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद सोमवार की दोपहर नया नगर पुलिस स्टेशन के बाहर बड़ी तादाद में लोग जमा हुए। यहां हालात बिगड़ सकते थे कि तभी पूर्व विधायक मुजफ्फर हुसैन वहां पहुंचे और उन्होंने लोगों से शांति की अपील की। उन्होंने कहा कि आज एक शुभ दिन है और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम शांति बनाए रखें। उनकी भावनात्मक अपील के बाद स्थिति नियंत्रण में आई और शाम 4 बजे पुलिस स्टेशन के बाहर भीड़ कम हो गई। उधर, विधायक प्रताप सरनाईक ने भी सभी जाति और संप्रदाय के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
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पीएम मोदी ने किया 11 दिन का विशेष अनुष्ठान, धोती-कुर्ता और अंगवस्त्र में दिखा भक्तिमय रूप
श्री राम जन्मभूमि कि प्राण प्रतिष्ठा के पहले पीएम मोदी ने 11 दिन का विशेष अनुष्ठान के कार्येक्रम में भाग लिया। जिस दौरान वह दक्षिण के कई मंदिरों में पूजा-अर्चना करने पहुंचे। दरअसल रामायण और भगवान राम से जुड़े स्थलों पर पीएम मोदी ने पूजा-अर्चना की पिछले कुछ दिनों में उन्होंने दक्षिण भारत के कई प्रमुख मंदिरों का दौरा किया और भगवान का आशीर्वाद लिया है। इस दौरान उनका काफी भक्तिमय रूप देखने को मिला था। कहीं भगवा धोती कुर्ता, तो कही सफेद अंगवस्त्र में पीएम मोदी नजर आए।
21 जनवरी को पीएम मोदी धनुषकोडी में कोजंडारामस्वामी मंदिर पहुंचे थे। यहां उन्होंने भगवान का दर्शन और पूजन किया। मालूम हो कि यह मंदिर श्री कोदंडराम स्वामी को समर्पित है। इस शब्द का अर्थ धनुषधारी राम है। वही बात करे तो इससे पहले वह अरिचल मुनाई पहुंचे थे, जहां से राम सेतु का निर्माण हुआ था। उन्होंने उन सभी मंदिरो के दर्शन करे जहा भगवान राम और रामायण से संबंध था। अपनी यात्रा के दौरान वह तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में श्री रंगनाथस्वामी मंदिर पहुंचे थे। साथ ही साथ महाराष्ट्र के नासिक में पौराणिक रूप से अहम माने जाने वाले गोदावरी पंचवटी क्षेत्र में स्थित कालाराम मंदिर भी पहुंचे थे। यहां उन्होंने कीर्तन-भजन में हिस्सा लिया था।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, वनवास के दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने दंडकारण्य वन में कुछ समय बिताया था। ऐसे में प्रधानमंत्री ने अपने विशेष अनुष्ठान के दौरान पीएम मोदी फर्श पर कंबल ओढ़कर सो रहे थे और पूरे दिन केवल नारियल पानी पीते थे। इन 11 दिनों में पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने आधिकारिक वेबसाइट पर कई राम भजन और गीत भी शेयर कर रहे थे। और जिसके बाद श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन में भाषण देते हुए जय श्री राम का नारा दिया और बोले प्रभु श्री राम आ गए हैं उन्होंने बोला इतने सालो कि तपस्या सदियों की प्रतीक्षा त्याग बलिदान के उपरांत हमारे राम आ गए हैं।
इस शुभ अवसर पर कहने के लिए तो काफी चीजे हैं किन्तु कंठ अवरुद्ध हो रहा हैं। हम सभी पर राम की कृपा हैं हमारे श्री राम अब टेंट में नहीं रहेंगे यह पल ऊर्जावान हैं आज से हज़ार साल के बाद भी लोग इस तारीख पर चर्चा करेंगे
हम पर इतनी कृपा हैं कि हम इस पल को जी रहे हैं। उन्होंने बोला की वह श्री राम से क्षमा याचना भी करना’ चाहता हूँ कि कोई कमी रही होगी जो हमारी तपस्या में कमी रह गई होगी पर अब वो कमी दूर हो गई हैं काफी समय तक यह वियोग सहा यह नए काल चक्र की ऊर्जा हैं देश में नए उत्सव का शरुवात हुई है। पूरा देश आज दिवाली बना रहा हैं।
गांव गांव में कीर्तन हो रहे हैं शाम को दीप को जलाएंगे। न्यायपालिका के निर्णय से राम मंदिर निर्माण का मार्ग खुल गया है अपने 11 दिनों के अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों को चरणस्पर्श करने का प्रयास किया हैं। प्रभि श्री राम के चरण पड़े थे मुझे सागर से सरयू का यात्रा करने का अवसर मिला हर जगह राम नाम चाय हैं। भारत के कण कण में राम विराजे हैं इससे अच्छा देश को समाहित करने वाला सूत्र और कुछ नहीं हो सकता हैं। -
तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..
जब हम “रामराज्य” के मूल आदर्शों को संरक्षित करें, अपने भीतर श्री राम को जागृत करें
“रामराज्य” की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। “रामराज्य” को आम तौर पर भगवान राम का शासन माना जाता है और अक्सर इसे प्रशासन का सबसे अचूक रूप माना जाता है। स्वतंत्रता के समय, यही अवधारणा महात्मा गांधी द्वारा गढ़ी गई थी जब वह भारतीयों द्वारा शासित भविष्य के भारत की कल्पना कर रहे थे। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे जहां शासक लोगों की खुशी के लिए शासन करेंगे। ऐसी व्यवस्था जहां सभी के लिए समान अधिकार होंगे, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, और हिंसा न्याय प्राप्त करने का माध्यम नहीं हो सकती। आज देश-दुनिया में शत्रुतापूर्ण ताकतों के अशुभ जमावड़े को देखते हुए इसके लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह हमारा सच्चा लक्ष्य है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। यदि हम अपने भीतर श्री राम को जागृत करें, तो हम हर जगह उस अंततः राम राज्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अब व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों स्तरों पर उस दृढ़ प्रेरणा के उत्पन्न होने का समय आ गया है। यही हमें राम राज्य की ओर मोड़ सकता है और तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा और एक विकसित देश का मार्ग प्रशस्त होगा।
डॉ. सत्यवान सौरभ
आज के “रामराज्य” के संदर्भ में हमें निश्चित रूप से भ्रष्टाचार, हेरफेर और असामाजिक तत्वों के कई नए “अधर्मियों” से लड़ने के लिए अवधारणा के एक नए आदर्श की आवश्यकता है जो इन दिनों प्रचलित प्रतीत होता है। राम मंदिर पर राजनीति आस्था और विश्वास की दृष्टि से “रामराज्य” की अनिवार्यताओं में से एक हो सकती है, लेकिन प्रशासन की दृष्टि से – न्याय, सम्मान और गैर-जबरदस्ती महत्वपूर्ण है। आज, कई लोग “रामराज्य” को “हिंदू राज्य” से जोड़ने का प्रयास करते हैं जो पूरी तरह से अप्रासंगिक है क्योंकि “रामराज्य” का विचार कानून के शासन के सिद्धांतों पर आधारित था, न कि किसी धार्मिक सिद्धांत के शासन पर। ऐसे समय में, जब “रामराज्य” राजनीतिक वर्ग के लिए वोट हासिल करने का एक साधन बनता जा रहा है, तब “रामराज्य” के मूल आदर्शों और अनिवार्यताओं को संरक्षित करना महत्वपूर्ण हो जाता है। मंदिर निर्माण के रूप में “रामराज्य” के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ शासन-प्रशासन में भी सिद्धांतों को प्रचारित एवं क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। महात्मा गांधी सहित भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के कई महान नेताओं ने आधुनिक भारत के लिए अपने दृष्टिकोण का वर्णन करने के लिए राम राज्य शब्द का इस्तेमाल किया। जबकि धर्मनिरपेक्ष राजनेताओं ने राम राज्य को केवल एक रूपक तक सीमित करने की कोशिश की है, इसके आध्यात्मिक और योगिक अर्थ को भुलाया नहीं जा सकता है।
राम राज्य धर्म की भूमि है, जिसे एक साझा सार्वभौमिक चेतना की मान्यता में काव्यात्मक रूप से युवा और बूढ़े, उच्च और निम्न, सभी प्राणियों और स्वयं पृथ्वी के लिए शांति, सद्भाव और खुशी के क्षेत्र के रूप में वर्णित किया गया है। राम राज्य न केवल अतीत का बल्कि सर्वकालिक आदर्श है, और हमें प्राचीन भारत और उसकी महान परंपराओं के गौरव की याद दिलाता है। रामायण का संदेश धार्मिक मूल्यों, कर्म योग और सभी जीवन की पवित्र प्रकृति के प्रति सम्मान रखने की आवश्यकता है, भले ही इससे व्यक्तिगत नुकसान हो या आत्म-त्याग की आवश्यकता हो। यदि हम ऐसा करते हैं, जैसा कि भगवान राम के मामले में हुआ, तो प्रकृति की सभी शक्तियां हमारी रक्षा में आ जाएंगी। आज हमारी संस्कृति धर्म के विपरीत मूल्यों को बढ़ावा देती है, अहं-स्व के त्याग को नहीं बल्कि उसके बेलगाम विस्तार को। हमारे व्यक्तिगत अधिकार सर्वोच्च हैं, जिसके पीछे व्यावसायिक रूप से प्रेरित इच्छाओं, भूखों और आवेगों की बहुतायत छिपी हुई है। हमारी अपनी शारीरिक संतुष्टि ही हमारी सर्वोच्च भलाई बन गई है। यहां तक कि धर्म और आध्यात्मिकता का उपयोग किसी भी प्रकार के अतिक्रमण की तुलना में व्यवसाय या राजनीतिक शक्ति के साधन के रूप में अधिक किया जाता है। परिवार, समुदाय, देश और मानवता के प्रति कर्तव्य को हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, पहले अपनी शारीरिक इच्छाओं को संतुष्ट करने के हमारे अधिकार, जिनके मूल के बारे में हम न तो जानते हैं और न ही सवाल करते हैं, के उल्लंघन के रूप में देखा जाता है।
हमारी संस्कृति आत्म-बलिदान की नहीं बल्कि आत्म-पुष्टि की है। हम अपने लिए और पूरे जीवन के लिए अपनी कार्मिक ज़िम्मेदारी को भूल गए हैं, हालाँकि केवल इसी से हमारा जीवन सार्थक होता है और समग्र से जुड़ा होता है। हमारा समाज सेवा और आध्यात्मिकता के पर्याप्त संगत आंतरिक आयाम के बिना प्रौद्योगिकी के माध्यम से बाहरी रूप से विस्तृत हो गया है। हम अपना समय कृत्रिम इच्छाओं और अनावश्यक लालसाओं को पूरा करने में बिताते हैं जो सभी के लिए उचित संसाधन बनाने को सीमित करता है। निष्पक्ष लोकतंत्र, सुशासन और ईमानदारी को किसी देश के बाहर से छीना या थोपा नहीं जा सकता। सुशासन, गुणवत्तापूर्ण और नैतिक शिक्षा और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन प्रत्येक नागरिक के निस्वार्थ प्रयास/समर्थन से खड़ा किया जा सकता है। हम केवल सुशासन के उपभोक्ता नहीं बन सकते; हमें भागीदार और सह-निर्माता बनना चाहिए। राजनेताओं, युवाओं, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों सहित सभी प्रमुख लोगों को अपना कार्य/कर्तव्य ईमानदारी और ईमानदारी से निभाना चाहिए। सभी के निडर और निःस्वार्थ, समेकित प्रयासों से सरकार/लोक सेवकों/जनता को मुख्य रूप से संविधान, नैतिकता और हमारी पारंपरिक संस्कृति द्वारा अपनाए गए व्यावहारिक/मुखर कानून के अनुसार देश की सेवा और गरीब नागरिकों के सामान्य हित पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, न कि किसी विशेष नेता/उनके राजनीतिक परिवार या समूह/समाज के वर्ग के हित में (जाति और समुदाय के आधार पर)।
हमें निश्चित रूप से भ्रष्टाचार, हेरफेर और भौतिकवाद के कई नए रावणों से लड़ने के लिए राम राज्य के एक नए आदर्श की आवश्यकता है, जिनके इन दिनों हजारों सिर हैं। फिर भी राम को खोजने के लिए हमें पहले सीता को खोजना होगा, जिसका अर्थ है पृथ्वी का सम्मान करना और उसकी ग्रहणशील और देखभाल करने वाली प्रकृति का अनुकरण करना। रावण को हराने के लिए हमें हनुमान को एक सहयोगी के रूप में प्राप्त करना होगा, जिसका अर्थ है ईश्वर को समर्पित जीवन उद्देश्य, न कि अलग स्वयं को। राम शाश्वत क्षेत्र में सदैव शासन करते हैं। सवाल यह है कि हम पृथ्वी पर धर्म के मुद्दे को कब अपनाएंगे और अधर्म के कारण होने वाले संघर्ष और द्वंद्व को छोड़ेंगे जो हमें विनाश की ओर ले जाता है। “रामराज्य” की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। “रामराज्य” को आम तौर पर भगवान राम का शासन माना जाता है और अक्सर इसे प्रशासन का सबसे अचूक रूप माना जाता है। स्वतंत्रता के समय, यही अवधारणा महात्मा गांधी द्वारा गढ़ी गई थी जब वह भारतीयों द्वारा शासित भविष्य के भारत की कल्पना कर रहे थे। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे जहां शासक लोगों की खुशी के लिए शासन करेंगे। ऐसी व्यवस्था जहां सभी के लिए समान अधिकार होंगे, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, और हिंसा न्याय प्राप्त करने का माध्यम नहीं हो सकती।
आज देश-दुनिया में शत्रुतापूर्ण ताकतों के अशुभ जमावड़े को देखते हुए इसके लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह हमारा सच्चा लक्ष्य है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। यदि हम अपने भीतर श्री राम को जागृत करें, तो हम हर जगह उस अंततः राम राज्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। अब व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों स्तरों पर उस दृढ़ प्रेरणा के उत्पन्न होने का समय आ गया है। यही हमें राम राज्य की ओर मोड़ सकता है और तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा और एक विकसित देश का मार्ग प्रशस्त होगा।
(लेखक कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट हैं)