रिजर्वेशन में जाति आधारित हिस्सेदारी संभव : सर्वोच्च न्यायालय

अभिजीत पाण्डेय

नयी दिल्ली / पटना। सुप्रीम कोर्ट नेअनुसूचित जाति-जनजाति कैटेगरी के लिए सब-कैटेगरी को मान्यता दे दी है। इसके साथ ही अब राज्य सरकारें समाज के सबसे पिछड़े और जरूरतमंद लोगों को पहले से मौजूद रिजर्वेशन में से कोटा दे सकेंगी।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की संवैधानिक पीठ ने अनुसूचित जाति-जनजाति कैटेगरी के लिए सब-कैटेगरी को मान्यता दे दी है। पीठ की ओर से ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने चिन्नैया फैसले को भी खारिज कर दिया है। इसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का कोई भी सब-कैटेगरी संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन होगा।

पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला देकर यह भी साफ कर दिया है कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है और राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कैटेगरी के लिए सब कैटेगरी भी बना सकती हैं, लेकिन सब कैटेगिरी का आधार उचित होना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सब कैटेगरी संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करती, क्योंकि सब कैटेगरी को लिस्ट से बाहर नहीं रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट की जिस पीठ ने यह फैसला सुनाया है, उसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15 और 16 में भी ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य को किसी जाति को सब कैटेगरी करने से रोकता हो।

इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारें नौकरी में रिजर्वेशन के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों की सब कैटेगरी नहीं बना सकतीं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों में सब कैटेगरी बना सकती हैं और सबसे पिछड़े वर्गों को रिजर्वेशन का लाभ दे सकती हैं। उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों ने एससी , एसटी और ओबीसी कैटेगरी के भीतर विभिन्न सब- कैटेगरी को आरक्षण देने की व्यवस्था की है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकारें सब कैटेगरी रिजर्वेशन देने के लिए अहम कदम उठा सकती हैं और सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सब कैटेगरी में शामिल करके शिक्षा और नौकरी में आरक्षण दे सकती हैं।

  • Related Posts

    भगोड़ा कह सकते हैं चोर नहीं  : विजय माल्या

    विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस की विफलता और…

    Continue reading
    आरसीबी की जीत के जश्न में मची भगदड़ से पल्ला झाड़ने पर एक्शन में हाईकोर्ट !

    बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने बेंगलुरु के चिन्नास्वामी…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    यूनाइटेड पेरेंट्स वॉयस के प्रतिनिधिमंडल ने की देवेंद्र यादव से भेंट 

    • By TN15
    • June 9, 2025
    यूनाइटेड पेरेंट्स वॉयस के प्रतिनिधिमंडल ने की देवेंद्र यादव से भेंट 

    ‘सर्विसेज़ मार्केटिंग: टेक्स्ट एंड केसेज़’ पुस्तक का भव्य विमोचन

    • By TN15
    • June 9, 2025
    ‘सर्विसेज़ मार्केटिंग: टेक्स्ट एंड केसेज़’ पुस्तक का भव्य विमोचन

    सम्वेदना फाउंडेशन्स द्वारा डिजिटल सशक्तिकरण की एक अनूठी शुरुआत

    • By TN15
    • June 9, 2025
    सम्वेदना फाउंडेशन्स द्वारा डिजिटल सशक्तिकरण की एक अनूठी शुरुआत

    नेपाल भागने की फिराक में थी सोनम रघुवंशी!

    • By TN15
    • June 9, 2025
    नेपाल भागने की फिराक में थी सोनम रघुवंशी!

    हत्या ही कर देना- यह नारी का कौन सा रूप

    • By TN15
    • June 9, 2025
    हत्या ही कर देना- यह नारी का कौन सा रूप

    जयंत चौधरी के हाथों को करें मजबूत : त्रिलोक त्यागी 

    • By TN15
    • June 9, 2025
    जयंत चौधरी के हाथों को करें मजबूत : त्रिलोक त्यागी