चरण सिंह
केसी त्यागी के इस्तीफा से यह सीख लेना चाहिए कि क्या केसी त्यागी के बयान जदयू की विचारधारा से मेल नहीं खाते ? क्या केसी त्यागी ऐसा कुछ बोल रहे थे जो कभी नीतीश कुमार ने नहीं बोला था ? क्या केसी त्यागी एक समाजवादी की तरह बयानबाजी नहीं कर रहे थे ? यदि वह सब कुछ जदयू की विचारधारा के हिसाब से बोल रहे थे तो फिर दिक्कत कहां थी ? क्या एनडीए में नीतीश कुमार को अपनी समाजवादी विचारधारा छोड़नी पड़ेगी ? यदि केसी त्यागी हर मापदंड पर खरे उतर रहे हैं तो फिर उनका इस्तीफा क्यों लिया गया ?
दरअसल केसी त्यागी को भाजपा के दबाव में प्रवक्ता पद से हटाया गया है। समाजवादी आंदोलन से निकले केसी त्यागी कितना भी मैनेज करने की कोशिश करें पर वह कहीं न कहीं गलत का विरोध कर बैठते ही हैं। यही वजह रही कि यूपीएससी, इस्राइल, लेटरल एंट्री, एससीएसटी आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोलने पर केसी त्यागी बीजेपी की आंखों में खटकने लगे। यह बीजेपी का दबाव ही रहा है कि जदयू को न चाहते हुए भी केसी त्यागी को हटाना पड़ा है। जानकारी मिल रही है कि नीतीश कुमार ने लल्लन सिंह और संजय झा को केसी त्यागी के पास इस्तीफा देने की खबर लेकर भेजा था।
केसी त्यागी का इस्तीफा मतलब नीतीश कुमार को और झुकना पड़ेगा। लल्लन सिंह आजकल गृहमंत्री अमित शाह को बहुत मान रहे हैं। शायद यही वजह रही कि लल्लन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है। नीतीश कुमार को यह भी ध्यान रखना होगा कि लल्लन सिंह लालू प्रसाद के भी बहुत करीबी बताये जाते हैं। लालू प्रसाद के करीब आने के चलते ही नीतीश कुमार ने लल्लन सिंह को अध्यक्ष पद से हटाया था।
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि केसी त्यागी की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की बात सामने आ रही है। केसी त्यागी यदि राहुल गांधी से मिले हैं तो इसके दो ही कारण हो सकते हैं कि या तो नीतीश कुमार बीजेपी के इस दबाव से नाराज हों और इंडिया गठबंधन से नजदीकियां बना रहे हों या फिर केसी त्यागी कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हों। इन सबके बीच प्रश्न यह है कि क्या नीतीश कुमार एनडीए के चक्कर में अपना वोटबैंक खो देंगे ? या फिर नीतीश कुमार फिर से पलटी मारने की योजना बना रहे हों। इसमें दो राय नहीं कि नीतीश कुमार यदि अपनी पर आ जाएं तो सरकार गिरा भी सकते हैं। उन्हें इंडिया गठबंधन पीएम पद का ऑफर भी दे चुके हैं। केसी त्यागी प्रकरण को लेकर भले ही तरह-तरह की बातें की जा रही हों पर नीतीश कुमार की राजनीति अंतिम दौर चल रही है। मुख्यमंत्री कई बार रह चुके हैं। इंडिया गठबंधन उन्हें पीएम पद का ऑफर दे चुका है। नीतीश कुमार की आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी ठीकठाक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से आरएसएस की भी नारजगी चल रही है। ऐसे में यदि नीतीश कुमार को ज्यादा मजबूर किया गया तो वह पलटी भी मार सकते हैं। यह तो माना जा रहा है कि चार राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली की राजनीति में भूचाल आना तय है। उस भूचाल सिंह केंद्र सरकार सरकार भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे में नीतीश कुमार अपना दांव चल सकते हैं।