चरण सिंह
लोकसभा चुनाव में भारी शिकस्त के बाद बसपा मुखिया मायावती ने अब पूरा फोकस विधानसभा चुनाव पर किया है। हरियाणा में बसपा इनेलो के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने जा रही है। बसपा हरियाणा में ३७ सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अगले साल बिहार में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी बसपा हाथ आजमाएगी। दरअसल पार्टी को फिर खड़ा करने के लिए और अपने भतीजे आकाश आनंद को देश की राजनीति में स्थापित करने के लिए मायावती को यह संदेश देना होगा कि वह केंद्र सरकार के दबाव में नहीं है। जिस तरह से आकाश आनंद ने लोकसभा चुनाव में सीतामपुर में भाजपा को ललकार दिया था और मायावती ने बीजेपी के दबाव में उन्हें घर बैठा दिया था। ऐसे में संदेश यह गया है कि मायावती बीजेपी से डरी हुई है। जब तक फिर से आकाश आनंद का बीजेपी के खिलाफ आक्रामक भाषण नहीं होगा तब तक लोगों में विश्वास नहीं जगेगा कि मायावती बीजेपी के दबाव से बाहर है। हालांकि मायावती के भाई भतीजेवाद के चलते उनसे दलित नाराज देखे जा रहे हैं। मायावती को यह भी सोचना होगा कि अब भाई भतीजे के दम पर पार्टी खड़ी नहीं हो पाएगी। जब तक जमीनी संघर्ष मायावती अपने कार्यकर्ताओं से नहीं कराएंगी तब तक पार्टी का प्रदर्शन सुधरना मुश्किल है।
दरअसल देश में जितने भी दल हैं वे सभी दलित-पिछड़ों की बात करते देखे जाते हैं। बातें तो ऐसी की जाती हैं कि जैसे ये लोग दलितों और पिछड़ों के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। जबकि जमीनी हकीकत यह है कि राजनीतिक दल सब कुछ वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए करते हैं। भले ही राजतंत्र का विरोध कर लोकतंत्र की स्थापना की गई हो पर आज के अधिकतर नेता राजतंत्र का विरोध तो करते हैं पर ये लोग वंशवाद को इतना बढ़ावा दे रहे हैं कि ऐसा लग रहा है कि ये लोग लोकतंत्र में राजतंत्र घुसड़ने में लगे हैं।
समाजवादी पार्टी पर वंशवाद का आरोप लगाने वाली मायावतीं ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बना दिया है। अब अपने भाई आनंद कुमार को भी अहम जिम्मेदारी सौंप दी है। दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा में जो बसपा ने इनेलो के साथ गठबंधन किया है। यहां पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची बनाने की जिम्मेदारी भी अपने भतीजे आकाश आनंद और अपने भाई आनंद कुमार को सौंप दी है।
ये दोनों बाप बेटे ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट फाइनल करेंगे। आकाश आनंद को इनेलो और बसपा की संयुक्त रैलियां कराने की भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। पार्टी बिहार में भी २४३ विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। दरअसल आज की तारीख में मायावती पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाया जा रहा है। तो क्या हरियाणा में भी इंडिया गठबंधन के वोट काटने के लिए चुनाव लड़ा जा रहा है। इसमें दो रो राय नहीं कि इनेलो मुखिया अभय चौटाला तो बीजेपी को फायदा देने के लिए मायावती के साथ गठबंधन नहीं कर सकते। हालांकि मायावती ने इस गठबंधन की सरकार बनने की बात कही है। उन्होंने कहा कि जनविरोधी पार्टियों के खिलाफ यह गठबंधन बनाया गया है। बसपा अगले साल होने वाले बिहार की विधानसभा चुनाव में भी सभी २४३ सीटों पर चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। मतलब मायावती फिर से पार्टी को मजबूत करने में लग गई हैं।