टूटती परंपराएं, दरकता लोकतंत्र

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अरुण श्रीवास्तव

एक पुरानी कहावत है ‘इश्क़ और मुश्क में सब जायज़ है’। पर सबके के लिए जायज़ है क्या ? यूं तो इस तरह की कहावतों का इस्तेमाल प्यार को पाने वाले खुद को सही साबित करने के लिए करते हैं। मुश्क का अर्थ है, सुगंध जो फैलती है जिसे आप और हम चाह कर भी नहीं रोक पाते। ताज़ा मुद्दा राष्ट्रपति के ताज़ा बयान का है। कोलकाता में जूनियर डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या को लेकर कोलकाता सहित देश के अन्य हिस्सों में बढ़ रहे आक्रोश को लेकर कहा कि, बस हो बहुत हुआ, कोई भी सभ्य समाज बेटियों के साथ ऐसी बर्बरता की इजाजत नहीं दे सकता। अब समय आ गया है कि न केवल इतिहास का सीधे सामना किया जाए बल्कि अपनी आत्मा के भीतर जहां का जाए और महिलाओं के खिलाफ अपराध की बीमारी की जड़ तक पहुंच जाए।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोलकाता की वारदात के बाद ‘विशेष हस्ताक्षरित लेख महिला सुरक्षा ‘अब बहुत हो गया… में लिखा है कि कोलकाता में एक डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसके बाद हत्या की जघन्य घटना ने पूरे देश को सकते में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि जब मैं यह खबर सुनी तो बुरी तरह से स्तब्ध और व्यथित हो गई सबसे अधिक निराशाजनक बात यह है कि यह कोई अकेला मामला नहीं है। पिछली घटनाओं से हमने क्या सबक लिया। जैसे-जैसे सामाजिक विरोध काम होते गए यह घटनाएं सामाजिक स्मृति के गहने और दुर्गम कोने में दब गई मुझे डर है कि यह सामूहिक स्मृति उतनी ही गणित है जितनी महिलाओं को एक वस्तु मानने की मानसिकता। अब यह मानसिकता आज की तो है नहीं। उन्होंने कोलकाता की घटना को रेखांकित करते हुए लिखा कि, वहां पर जब छात्र, डॉक्टर व नागरिक प्रदर्शन कर रहे थे तब भी अपराधी देश में अन्य दूसरी जगहों पर शिकार की तलाश में घात लगाए थे। पाइथन में छोटी-छोटी स्कूली बच्चियों तक शामिल हैं’।
राष्ट्रपति का पद देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है। इसके बाद उप राष्ट्रपति, विभिन्न प्रदेशों के राज्यपाल, लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभाओं के सभापति का पद होता है। इस पद पर बैठा व्यक्ति हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर होता है। वैसे भी हमने जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था को अंगीकृत किया है उसमें राष्ट्रपति का पद शोभा का होता है। कुछ खास अवसरों पर वह बोलता है। इसका मतलब यह भी नहीं कि, राष्ट्रपति को बोलना नहीं चाहिए। आमतौर पर राष्ट्रपति का बोलना देश के नाम संदेश होता है। वह किसी रैली या चुनावी सभाओं को संबोधित नहीं करतीं। फिर आमतौर पर उनका भाषण लिखा जाता है और यह कार्य विषय विशेषज्ञों की टीम करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने जो कहा वो एक लेख के रूप में विभिन्न समाचार-पत्रों में प्रकाशित हुआ है। राष्ट्रपति ने अपने लेख में सिर्फ कोलकाता रेप पर विशेष रूप से प्रकाश डाला है। जबसे उन्होंने पद संभाला तबसे लेकर आज तक न जाने कितनी बलात्कार की घटनाएं घट चुकी हैं पर वे खामोश रहीं। जबकि भारत में हर घंटे तीन महिलाओं के साथ बलात्कार होता है। जिस साल मुर्मू जी ने राष्ट्रपति का पद संभाला उस साल देश भर में 31 हजार बलात्कार के मामले दर्ज हुए। सजा का औसत मात्र 12 फीसद ही है जबकि ब्रिटेन में 60 फीसद मामलों में सजा मिलती है। साल दर साल घटनाएं बढ़ रही हैं। पर राष्ट्रपति खामोश रहीं। उनके सरकारी निवास राष्ट्रपति भवन से कुछ किलोमीटर की दूरी पर देश का गौरव बढ़ाने वाली दर्जनों महिला खिलाड़ियों ने कई दिनों तक अपने साथ हुए यौन उत्पीडन के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया, न्याय मिलने के बजाए उन्हें पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं, सड़कों पर घसीटी गईं पर राष्ट्रपति ने नहीं कहा कि, ‘अब बहुत हुआ ‘। इस घटना के कुछ दिनों बाद देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में परिवहन निगम की बस से देहरादून आई एक लड़की से गैंगरेप किया गया राष्ट्रपति आक्रोशित नहीं हुई, इसके पहले इसी प्रदेश में अंकिता भंडारी की भी हत्या हो गई। उसका शव कुछ दिनों बाद मिला। परिजन बलात्कार के बाद हत्या कर दिए जाने की आशंका जता रहे हैं। इस घटना में प्रदेश भाजपा के रसूखदार नेता के पुत्र आंच आ रही है। घटना के बाद बुल्डोजर से वह निर्माण ढहा दिया गया जहां सुबूत मिलने की आशंका जताई जा रही थी। यहां पर भी भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। महाराष्ट्र के बदलापुर के एक स्कूल में चार साल की दो बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ पर राष्ट्रपति मासूम नहीं रहीं। इस घटना के इसी राज्य के कोल्हापुर में एक खेत से डेड बॉडी मिली। शुरुआती जांच में पता चला कि बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी गई।
बताते चलें कि, दिल्ली में हुए निर्भया कांड के बाद कानून में सुधार करते हुए इसे कड़ा बनाया गया ताकि घटनाओं में कमी आते आते यह समाप्त हो जाए। समाप्त होने की कौन कहे यह और तेज़ी से फैल रही है। एक आंकड़े के अनुसार विश्व गुरु बनने के मुहाने पर खड़े भारत में हर दिन 86 बलात्कार की घटनाएं होतीं हैं। इस तरह की घटनाओं की शिकार हर जाति धर्म उम्र की महिलाएं क्या बच्चियां भी हो रही हैं। पहले बलात्कार होता था लोक-लाज के भय से महिलाएं कुएं में कूद कर या पेड़ से लटककर जान दे देती थीं। जान तो अभी भी दो सहेलियों ने दे दी। घटना योगी आदित्यनाथ जी के (उत्तम) प्रदेश फरुखाबाद की है। जन्माष्टमी की रात ये सहेलियां झांकी देखने के लिए निकलीं पर जब काफ़ी देर तक लौट कर आईं नहीं तो परिजनों ने खोजबीन की तो एक पेड़ से लटकी उनकी लाश मिली। ताज्जुब की बात है कि दोनों का शव एक ही दुपट्टे से लटका मिला। पुलिस कह रही है दोनों ने आत्महत्या की होगी परिवार के लोग हत्या की आशंका जता रहे हैं। इस मुद्दे पर भी राष्ट्रपति जी आक्रोशित नहीं हो पाईं। चलिए इसे जानें भी दें तो पश्चिम बंगाल के समीप मणिपुर कई महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है। दो समुदायों के बीच हत्या और उत्पीड़न का नंगा नाच चल रहा है। महिलाओं को नग्नावस्था में घुमाया जा रहा है बलात्कार की घटनाएं घट रही हैं न महामहिम राष्ट्रपति कुछ बोल रहीं हैं और न ही कंगना रनौत। चुप तो बिल्किस बानो के बलात्कारियों की रिहाई पर भी थीं। राज्य सरकार ने कानून की गलत व्याख्या कर बिल्किस के बलात्कारियों को 15 अगस्त स्वाधीनता दिवस को ढाल बनाते हुए रिहा कर दिया। हद तो तब हो गई जब माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया, मिठाइयां खिलाईं गईं।
सनद रहे राष्ट्रपति सिर्फ और सिर्फ पश्चिम बंगाल की ही नहीं हैं। समूचे देश की संवैधानिक मुखिया हैं वे जब गुजरात के दौरे पर थीं तो एक सभा को संबोधित करते हुए सार्वजनिक रूप से उन्होंने कहा कि गुजरात में देश को 76% नमक बनता है लिहाज़ा कहा जा सकता है कि देश के ज्यादातर लोग गुजरात का नमक खाते हैं। गुजरात में चुनाव होने वाले थे। इसलिए उनके इस बयान ने तूल पकड़ा। यही नहीं उनके राष्ट्रपति बनने के बाद कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। एक में राष्ट्रपति महोदया खड़ी हैं और पीएम मोदी बैठे हैं। एक अन्य तस्वीर में राष्ट्रपति महोदया पीएम को दही हिला रही हैं। हिंदू संस्कृति में दही चीनी किसी शुभ काम में जाने से पहले खिलाते हैं। इन तस्वीरों का खंडन भी नहीं हुआ।
याद करिए ज्ञानी जैल सिंह जब राष्ट्रपति नहीं हुए थे तो उन्होंने एक बयान दिया था कि, यदि इंदिरा गांधी जी कहेंगी तो मैं राष्ट्रपति भवन पर झाड़ू भी लगा सकता हूं। उनके इस कथन की सभी विपक्षी दलों से निंदा भी की थी। जबकि वे उस समय राष्ट्रपति नहीं थे। श्रीमती मुर्मू जी तो राष्ट्रपति हैं और राष्ट्रपति किसी दल क्षेत्र समुदाय जाति धर्म और लिंग का नहीं पूरे देश का होता है। राष्ट्रपति बनने से पहले वे दलित रही होंगी, महिला रही होंगी और भाजपा की रही होंगी पर राष्ट्रपति बन जाने के बाद वो इन सबसे से ऊपर हैं।

 

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