चरण सिंह
पहले और दूसरे चरण में मतदान कम तो भाजपा का नुकसान तीसरे चरण का मतदान थोड़ा सा बढ़ा तब भी भाजपा का नुकसान। इस तर्क पर आश्चर्य तो होगा पर जमीनी रूप से इस बात को सही बताया जा रहा रहा है। मतदान कम मतलब बीजेपी का मतदाता गर्मी के चलते घर से बाहर नहीं निकला। तीसरे चरण में मतदान बढ़ा तो लोगों की भाजपा के प्रति नाराजगी। दोनों बातें एक दूसरे के विरोधाभासी लग रही हैं पर यही होने जा रहा है। तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर मतदान हुआ है। इन 10 सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। तीसरे चरण का चुनाव संभल, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, बरेली और आंवला में हुआ है।
इन चुनाव में संभल, मैनपुरी, बदायूं और फिरोजाबाद में समाजवादी वादी का परचम लहराने जा रहा है, क्योंकि मैनपुरी में डिंपल यादव के पक्ष में जिस तरह से उनकी बेटी अदिति जमीनी स्तर पर लगी थी, उससे नेताजी की यादें ताजा हो रही हैं। ऐसे ही बदायूं में शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ा रहे हैं। शिवपाल यादव ने अधिकतर नेताओं को अपने साथ मिला लिया है। इससे बदायूं का चुनाव आदित्य यादव के पक्ष में हो गया है। आदित्य यादव का बदायूं से जीतना तय माना जा रहा है।
ऐसे ही फिरोजाबाद में सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने अपने बेटे अक्षय यादव के पक्ष में रात दिन एक दिये हैं। वैसे भी रामगोपाल यादव को अक्षय यादव का पिछला चुनाव हारने का मलाल है। संभल में इन दस सीटों में सबसे अधिक मतदान हुआ है। शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियार्रहमान बर्क चुनाव लड़ रहे हैं। यह सीट बर्क की रही है। बताया जा रहा है कि जो प्रतिशत बढ़ा है, यह सब जियार्रहमान के पक्ष में गया है। वैसे भी मोदी लहर में जब रामगोपाल यादव का बेटा चुनाव हार गया था पर शफीकुर मान ने संभल से अपनी जीत दर्ज की थी। शफीकुर्रहमान ऐसे मुस्लिम नेता थे जो खुलकर मुस्लिमों की पैरवी करते थे। यह सीट सपा की मजबूत सीट मानी जा रहीं है।
ऐसे में मैनपुरी, बदायूं, संभल और फिरोजाबाद सीट तो सपा की पक्की मानी जा रही है। आगरा में भी टक्कर है। बरेली में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का टिकट काटने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। एटा, आंवला और हाथरस सीटें भाजपा की तय मानी जा रही हैं। उत्तर प्रदेश में पहले और दूसरे चरण के बाद तीसरे चरण में भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है। तीसरे चरण की 10 सीटों में से आठ सीटें भाजपा की हैं। इन सीटों में अधिक से अधिक 5 सीटें भाजपा को मिलती दिखाई दे रहीं हैं।
इन चुनाव में यह बात समझने की जरूरत है कि चुनाव विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नहीं है। चुनाव जनता और सत्ता पक्ष के बीच है। यही वजह है कि भाजपा नेताओं के माथे पर सलवटें पड़ गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाजपा घोषणा पत्र पर बात न कर कांग्रेस के घोषणा पत्र पर बात कर रहे हैं। विपक्ष विशेषकर राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव का आरक्षण और संविधान समाप्त करने की बात लोगों पर असर कर रही है। इसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिल रहा है। बिहार में नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी को इन चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।