
द न्यूज 15
नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने स्कूल पाठ्यक्रम में श्रीमद्भागवत गीता को शामिल करने का फैसला किया है। गुजरात सरकार के इस फैसले को लेकर देश भर में बहस जारी है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस फैसले की सराहना करते हुए बीजेपी पर तंज कसा है। सिसोदिया ने कहा है कि बीजेपी के नेताओं को सबसे पहले गीता का अध्ययन करना चाहिए।
दरअसल गुजरात सरकार ने गुरुवार को कक्षा 6 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में गीता को शामिल करने की घोषणा की है। इसी फैसले पर प्रतिक्रया देते हुए सिसोदिया ने बीजेपी पर तंज भी कसा और राज्य सरकार के फैसले को सराहा भी। सिसोदिया ने एएनआई से बात करते हुए कहा- “निश्चित रूप से यह एक अच्छा कदम है, लेकिन जो लोग इसे ला रहे हैं उन्हें पहले गीता के मूल्यों को पठने और समझने की जरूरत है। उनके कर्म रावण की तरह हैं और वे गीता के बारे में बात कर रहे हैं।”
राज्य सराकर के श्रीमद्भागवत गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के फैसले का आप के साथ-साथ कांग्रेस ने भी स्वागत किया है। इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंग रावल ने कहा- “हम श्रीमद्भागवत गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन गुजरात सरकार को भी गीता से ही सीखने की जरूरत है”।
उधर गुजरात के बाद अब कर्नाटक सरकार भी गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी कर रही है। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के परामर्श के बाद नैतिक विज्ञान विषय के तहत स्कूली छात्रों को गीता पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर जल्द की फाइनल फैसला लिया जाएगा।
इस मामले को लेकर कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि गीता के साथ-साथ रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों के पाठ राज्य के स्कूली पाठ्यक्रम में पहले से ही मौजूद है। भाजपा इस मामले को महिमामंडित करने की कोशिश कर रही है।