समय चक्र होता हमेशा परिवर्तनशील
समस्तीपुर पूसा डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के पंचतंत्र सभागार में जैविक खाद उत्पादन तकनीक के विषय पर किसानों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन विवि के सस्य विज्ञानं विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेंद्र सिंह व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर प्रशिक्षण सत्र की अध्यक्षता करते हुए मौजूद प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ. देवेंद्र सिंह ने कहा की समय का चक्र परिवर्तनशील है। हरित क्रांति के दौर में रासायनिक खाद की उपयोगिता बहुत ही ज्यादा बढ़ गई थी जिसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फसलों में नाइट्रोजन डालने पर आने वाले महज तीन दिनों में ही फसल बिलकुल हरे-भड़े हो जाते हैं। बिहार के भूमि में भरपुर मात्रा में जीवांश पाए जाते है। उन्होंने कहा की धान उत्पादन के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति आई है। उन्होंने कहा मिट्टी के जीवांश को बचाते हुए भविष्य में भूमि को आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित व सुरक्षित रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा की कंपोजिट प्रतिक्रिया के करण ही लोगों का स्वास्थ्य ज्यादातर खराब हो रहा है।
जलवायु परिवर्तन के दौर में किसानों को अपने सोच में परिवर्तन लाने की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा किसान वैज्ञानिक के तकनीकों को अपनाकर बेहतर फसल उत्पादन प्राप्त करते हुए अपने आप को खेतीबाड़ी में सफल व सक्षम बना सकते हैं। उन्होंने कहा की जैविक खाद के दौर में किसान हरे धईचा को मिट्टी में पलटकर मिट्टी को मजबूत बना सकते हैं। मिट्टी में साल दर साल हरे भरे धईचा को काटकर मिला देने से मिट्टी में संपूर्ण पोषक तत्व जमा हो जाता है। उन्होंने कहा कि जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी का लाभदायक कीट जो मित्र कीट कहलाता है वह बढ़ता है। जैविक खाद से ही अलग-अलग तरीके से वर्मी कंपोस्ट का निर्माण कर बेहतर लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जैविक खेती को जिंदा रखने की जरूरत है। प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. एमएस कुंडू ने कहा की धरती पर अगर पशु नहीं रहेंगे तो खेती असंभव हो जाएगी। समाज को प्रदूषण मुक्त बनाने में पशुओं का अहम योगदान हैं। उन्होंने कहा कि देसी गाय के गोबर से जीवामृत सहित अन्य जैविक खाद का निर्माण कर किसान अपने खेतों में प्रयोग करते हुए अपने फसल का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। किसान जैविक व रासायनिक खाद में तुलनात्मक अध्ययन करके ही उसे अपने खेतों में प्रयोग करें। मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रसार शिक्षा उपनिदेशक प्रशिक्षण डॉ.अनुपमा कुमारी ने कहा स्पंज की तरह जैविक खाद पानी सोखने का काम करता है। जैविक खाद मिट्टी में अधिक से अधिक कार्बन उत्पन्न करता हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक खेती के महत्व को जानने व समझने की आवश्यकता हैं।