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फिर से होगा बिहार का बंटवारा, आरजेडी मिथिलांचल तो बीजेपी मांग रही सीमांचल

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विधान परिषद् में प्रतिपक्ष नेता राबड़ी देवी ने मिथिलांचल राज्य बनाने की मांग की है तो बीजेपी कटिहार, किशनगंज अररिया और पूर्णिया के साथ ही झारखंड के दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, साहेबगंज, पाकुर और बंगाल में मालदा और मुर्शिदाबाद को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे हैं  

चरण सिंह 

तो क्या फिर से बिहार का बंटवारा होने जा रहा है। तो क्या बिहार में मिथलांचल प्रदेश बनेगा ? तो क्या किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया के साथ ही झारखंड में गोड्डा, देवघर, दुमका जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुर और पश्चिम बंगाल में मालदा और मूर्शिदाबाद को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनेगा। इन दोनों मांगों ने फिर से जोर पकड़ा है एक ओर जहां विधान परिषद की प्रतिपक्ष नेता राबड़ी देवी ने मैथिली भाषा में संविधान के अनुदान कराने पर केंद्र सरकार की सराहना करते हुए यह भी कह दिया कि मिथांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग कर दी है वहींंं बिहार, झारखंड और पश्चिमी बंगाल के सीमावर्ती मुस्लिम बहुल जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग बीजेपी कर रही है।
जहां तक राबड़ी देवी के विधानसभा में मिथांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग की है उसके पीछे लालू प्रसाद का दिमाग माना जा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जो लालू प्रसाद यादव बिहार के बंटवारे के पक्ष में नहीं थे वे मिथिांचल को अलग प्रदेश बनाने की मांग कैसे करा रहे हैं। दरअसल मिथलांचल में भाजपा का ठीकठाक जनाधार हो गया है। बीजेपी जहां मिथिलांचल में एम्स बनाने का श्रेय ले रही है हीं एयरपोर्ट बनाने का भी लाभ लेना चाहती है। ऐसे में राजद की राजनीति है कि मिथिांचल को अलग कर प्रदेश बिहार में उनका एकछत्र राज चलता रहे। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बलौच ने राबड़ी देवी की इस मांग कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि राबड़ी देवी मिथिलांचल को बंगाल बनाना चाहती है। उन्होंने कहना है कि कटिहार, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया में बांग्लादेश के घुसपैठियों की भरमार है। झारखंड के सीमावर्ती जिलों में भी यही हालात होने की बलौच ने की है।
दरअसल बलौच किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया के साथ ही झारखंड के देवघर दुमका, गोड्डा देघवघर जामाताड़ा, साहिबगंज और पाकुर के साथ ही पश्चिम बंगाल में मालदा और मूर्शिदाबाद को मिलाकर केंद्र सरकार केंद्र शासित जिला बनाना चहते हैं। तो क्या बिहार में फिर से बंटवारे की राजनीति होगी। हालांकि जब बीजेपी ने बिहार, झारखंड पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को मिलाकर अल राज्य की मांग कर रही थी तो जदयू के सांसद ललन सिंह ने कहा था कि बीजेपी की यह मांग बचकाना है। दरअसल बीजेपी सांसद निशिकांत ठाकुर ने लोकसभा में बिहार, झारखंड अ्रौर बंगाल के कुछ जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग कर रहंी थी।
यदि मिथिलांचल या फिर सीमांचल राज्य बनता है तो ऐसा भी नहीं कि पहली बार बिहार का बंटवारा होगा। इससे पहल भी झारखंड के रूप में बिहार का बंटवारा हो चुका है। २४ नवम्बर २००० को बिहार से अलग होकर झारखंड भारत का २८वां राज्य बना था। झारखंड की स्थापना लंबे संघर्ष के बाद हुई थी। इस राज्य में आदिवासी जनजातियां बहुसंख्यक हैं और यहां खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाई जाती है।  बिहार औेर झारखंड दोनों ही राज्य भारत के विकासशील राज्यों में गिने जाते हैं। दोनों ही राज्यों के सामने समात तरह की चुनौतियां हैं, जैसे कि गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और सामाजिक असामनता। हालांकि दोनों राज्यों के विकास और वर्तमान स्थिति में कॉफी अंतर है।
भाजपा की ओर से पूर्व सभापति ताराकांत झा भी मिथिलांचल राज्य की मांग कर चुके हैं। वैसे झारखंड के साथ-साथ मिथिलांचल राज्य की भी मांग उठी थी। मगर, विधिवत स्वरूप के साथ मिथिलांचल राज्य की मांग अगस्त 2004 में भाजपा नेता ताराकांत झा ने की थी। उस वक्त ताराकांत ने संवाददाता सम्मेलन कर मिथिला राज्य की मांग करते आंदोलन की रूपरेखा तैयार की थी। उन्होंने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था। भाजपा सांसद रहे कीर्ति झा आजाद ने भी 2015 में मिथिला राज्य की मांग की थी। उन्होंने संसद में यह मुद्दा उठाया था। 2019 में बीजेपी के तीन नेताओं-गोपाल ठाकुर (दरभंगा से सांसद), अशोक कुमार (मधुबनी से सांसद) और संजय सरावगी (दरभंगा से विधायक) ने भी मिथिला राज्य की मांग उठाई थी।