समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविधालय के जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र स्थित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 16-20 मार्च, 2024 तक के मौसम पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते है। हलाकि मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है।
इस अवधि में अधिकतम तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। न्यूनतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकती है। शुक्रवार को अधिकतम तापमानः 32.2 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 1.8 डिग्री अधिक एवं न्यूनतम तापमानः 15.5 डिग्री सेल्सियस, सामान्य से 0.5 डिग्री कम रहा। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 9 से 12 कि०मी० प्रति घंटा की रफ्तार से मुख्य रुप से पछिया हवा चलने की सम्भावना है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 35 से 45 प्रतिशत रहने की संभावना है।
जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र के मौसम वैज्ञानिक डा ए सत्तार ने किसानों को समसामयिक सुझाव देते हुए कहा कि उत्तर बिहार में मौसम के शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए किसान भाई खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। सरसों की कटनी, दौनी एवं सुखाने के कार्य को उच्च प्राथमिकता देकर समपन्न करें। भूमि का तापमान ३० डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है अतः तैयार आलू की खोदाई अबिलंब कर लें। ओल की फसल की बुआई करें। बुआई के लिए गजेन्द्र किस्म अनुशंसित है। प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75×75 से० मी० रखें। 0.5 किलोग्राम से कम वजन की कंद की रोपाई नहीं करे। वीज दर 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से रखें। बुआई से पूर्व प्रति गड्ढ़ा 3 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम युरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 16 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का व्यवहार करे। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा मिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सुखने दें उसके बाद उपचारित कन्द को लगायें ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो सके।
बैगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें। इसके पिल्लू फल में घुसकर अन्दर से खाकर पूरी तरह फल को नष्ट कर देते हैं, जिससे प्रभावित फलों की बढ़वार रुक जाती है और वे खाने लायक नहीं रहते, आगे चलकर पूरी फसल बरबाद हो जाती है। कीट का प्रकोप दिखाई देने पर सर्वप्रथम कीट से क्षतिग्रस्त तना एवं फलों की तुराई कर नष्ट कर दें एवं उसके बाद स्पीनेसेड 48 ई०सी०/1 मि०ली० प्रति 4 लीटर पानी की दर से या क्वीनालफॉस 1.5 मि०ली० प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर आसमान साफ रहने पर छिड़काव करें। गरमा मूंग तथा उरद की बुआई प्राथमिकता देकर करें। बुआई के पूर्व 20 किलोग्राम नेत्रजन, 45 किलोग्राम स्फूर, 20 किलोग्राम पोटाष तथा 20 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। मूंग के लिए पूसा विषाल, सम्राट, एस०एम०एल०-668, एच०यू०एम०-16 एवं सोना तथा उरद के लिए पंत उरद 19, पंत उरद-31, नवीन एवं उत्तरा किस्में बुआई के लिए अनुशंसित है। बुआई के दो दिन पूर्व बीज को कार्बेन्डाजीम 2.5 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से शोधित करें। बुआई के ठीक पहले शोधित बीज को उचित राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुआई करें। बीजदर छोटे दानों के प्रभेदों हेतु 20-25 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर तथा बड़े दानों के प्रभेदों हेतु 30-35 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई की दूरी 30×10 से०मी० रखें। बुआई पूर्व मिट्टी में नमी की जाँच कर लें। इन दिनों आम के बगीचों में मंजर पूरी तरह आ चुका है। किसान भाई आम में मंजर वाली अवस्था से फल के मटर के दाने के बराबर होने की अवस्था के मध्य किसी प्रकार का कोई भी कृषि रसायण का प्रयोग नही करे। विकृत दिखने वाले मंजर को तोड़कर बाग से बाहर ले जाकर जला दें अथवा जमीन में गाड़ दें।