क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो में बिहार राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे

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राम नरेश

पटना। बिहार देश के कुल साख जमा अनुपात यानी क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो के मामले में फिसड्डी है। जिस रेशियो में सीडीआर की बढ़ोतरी हो रही है उस रफ्तार में बढ़ने पर बिहार को 10 साल विकसित राज्यों की बराबरी करने में लगेंगे।

 

देश में राष्ट्रीय स्तर पर बैंकों का सीडी रेशियो 86.57% है। बिहार के अधिकांश जिलों में सीडी रेशियो अभी भी 50% से कम है। पटना जिले का साख जमा अनुपात 48.21% है। जबकि कई राज्यों के सीडी रेशियो को देखें तो बिहार से दोगुना से भी अधिक है। यह स्थिति तब है जब नीतीश कुमार पिछले 17- 18 सालों से इस मुद्दे को लगातार उठा रहे हैं।

एक तरफ बिहार का ग्रोथ भी डबल डिजिट में है। दूसरी तरफ केंद्र और बिहार में डबल इंजन की सरकार है। विशेषज्ञ कह रहे हैं इसका सबसे बड़ा कारण बिहार में उद्योग धंधे का कम होना है। एमएसएमई पर बिहार में फोकस करना होगा और तभी सीडी रेशियो बढ़ेगा। साथ ही बैंकों को अभी और रवैया बिहार के प्रति बदलने की जरूरत है। जबकि दक्षिण और पश्चिम के राज्यों का बैंकों का साख जमा अनुपात 100% से भी अधिक है।

आंध्र प्रदेश का साख जमा अनुपात 157 प्रतिशत, तेलंगाना के 126 प्रतिशत, तमिलनाडु का 144 प्रतिशत, महाराष्ट्र का 101% एक उदाहरण है। जबकि राष्ट्रीय औसत 86% से अधिक है, लेकिन बिहार का ओवरऑल 58.71% है। इसमें से कुछ ही जिलों की स्थिति बेहतर है। अधिकांश जिले का सीडी रेशियो 50% से कम ही है।
बिहार में सबसे अधिक सीडी रेशियो वाला जिला पूर्णिया है, जहां 93.25 प्रतिशत है।

इसके बाद अररिया 88.37% है. पूर्वी चंपारण 79.15% है और वैशाली 78.97% है कुल मिलाकर देखें तो सीमांचल का इलाका सीडी रेशियो में बेहतर है। और यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि सीमांचल का इलाका सबसे गरीब और पिछड़ा इलाका के रूप में जाना जाता साल लगेगा ।

पिछले दो-तीन सालों में सीडीआर में बढ़ोतरी जरूर हुई है. 2021-22 में 52.96% था, 2022-23 में यह बढ़कर 55.64% हो गया। 2023 में यह 58.71% हुआ है. यानी कि हर साल 3% के करीब बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि यही रफ्तार रहे तो राष्ट्रीय औसत पर पहुंचने में भी 10 साल बिहार को और लग जाएगा। विकसित राज्यों के बराबर पहुंचने में 15 से 20 साल लगेगा ।

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