हरियाणा में जीत का बिहार ‘बूस्टर डोज’ कनेक्शन

0
40
Spread the love

 नीतीश, चिराग और मांझी पर सीधा सियासी असर

दीपक कुमार तिवारी

पटना ।  हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम बीजेपी के लिए बूस्टर डोज से कम नहीं। हरियाणा विधानसभा चुनाव का परिणाम न केवल झारखंड विधानसभा बल्कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को तो प्रभावित करेगा ही साथ ही साथ बिहार की राजनीति में सीटों की हिस्सेदारी को भी प्रभावित करेगा। साथ ही पाला बदलने जैसे प्रकरण को अब विराम मिलता भी नजर आएगा। हाल के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन में इन दिनों प्रदेश बीजेपी पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है। ये दबाव कई तरीके से पक्ष और विपक्ष भी बनाने में लगे हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद जेडीयू का मनोबल सिर चढ़ कर बोल रहा था। स्थिति ये थी कि जेडीयू लोकसभा चुनाव में स्ट्राइक रेट की सीढ़ी चढ़ कर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका का दावा करने लगी। तर्क ये दिया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में 16 सीटों पर लड़ कर 12 सीटों पर जेडीयू ने जीत हासिल की। पर बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ कर 12 पर जीत हासिल की। अपने इस स्ट्राइक रेट के हवाले से जेडीयू ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी 120 सीटों पर लडने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया था।
झारखंड विधानसभा चुनाव प्रकरण पर ही बात करें तो जेडीयू के रणनीतिकारों ने बीजेपी के ऊपर ज्यादा से ज्यादा सीट हासिल करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। इस कोशिश में कभी बीजेपी के रणनीतिकार सरयू राय को जेडीयू की सदस्यता दिला कर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी। जेडीयू यहीं नहीं रूकी। राज्य के एक और नामचीन नेता राजा पीटर को जेडीयू की सदस्यता दिला कर बीजेपी के सामने एक नई चुनौती दे दी। मिली जानकारी के अनुसार जेडीयू झारखंड में पांच सीट मांग कर बीजेपी की ताकत को सीमित करने की चाल चल दी है।
लोक जनशक्ति पार्टी (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी लोकसभा चुनाव में 100 फीसदी स्ट्राइक रेट के हवाले से आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 50 सीटों का दावा कर रहे हैं। साथ इसके झारखंड विधानसभा चुनाव में भी पांच सीटों की दावेदारी चिराग पासवान कर चुके हैं। और इसके लिए झारखंड में चिराग पासवान कई जनसभाओं को संबोधित भी किया।
राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति पारस ने भी बिहार विधानसभा में उचित हिस्सेदारी की आवाज उठा दी है। साथ ही यह भी कह डाला कि न्याय नहीं मिला तो 243 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करेंगे।
महागठबंधन में एक बार फिर नीतीश कुमार शामिल होंगे। इस तरह की हवा भी राजनीतिक गलियारों में उठती या उठाई जाती रही है। इधर तो राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने ही इस बात को हवा देनी शुरू कर दी कि नीतीश कुमार को नींद नहीं आ रही है। नींद टूटती है तो सोचते हैं कहां चले आए?
बहरहाल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद बीजेपी नेतृत्व को हिंदी बेल्ट में जीत का सिलसिला जारी रहते दिख रहा। इसके पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को अप्रत्याशित जीत हासिल हुई थी। इसका प्रभाव बिहार के साथी दलों पर भी पड़ेगा। हालांकि गठबंधन की राह में थोड़ा बहुत समझौता करना पड़ता है। लेकिन हरियाणा की जीत निश्चित रूप से एनडीए में शामिल बिहार के साथी दल अपने अनाप-शनाप मांग को पूरा नहीं करा पाएंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here