बिहार कांग्रेस के संगठन में हिस्सेदारी और भागीदारी पर न्याय नहीं
अभिजीत पाण्डेय
पटना । कांग्रेस सांसद राहुल गांधी दलितों, पिछड़ों को अधिकार देने और उचित भागीदारी देने की बात कर सड़क से लेकर संसद तक कास्ट पॉलिटिक्स को परवान चढ़ा रहे हैं।
कांग्रेस भले की कुछ भी दावा करे, लेकिन बिहार कांग्रेस के संगठन की तस्वीर आईना बनकर सामने खड़ा है।
भारतीय राजनीति बिना जाति की बात किये आगे नहीं बढ़ सकती। एक समय जो कांग्रेस पार्टी देश में जातिवाद को खत्म करने का दावा करती थी वह अब लगातार जातीय आग्रहों को लेकर आगे बढ़ रही है। इसको अपनी ओर से सबसे अधिक ताकत इस पार्टी के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी दे रहे हैं और सड़क से लेकर संसद तक कास्ट पॉलिटिक्स को परवान चढ़ा रहे हैं। खास तौर पर जबसे केंद्रीय बजट के दौरान हलवा सेरेमनी में जातीय विमर्श को लाने के बाद ये बहस और अधिक मजबूत हो गई है। लेकिन, इन सबके बीच सवाल कांग्रेस पार्टी के दावे पर भी उठ रहा है कि क्या कांग्रेस जातिगत आधार पर अपनी ही पार्टी के भीतर न्याय करती है, या फिर इनके नेता केवल राजनीति करते हैं।
बिहार कांग्रेस के भीतर प्रतिनिधित्व देने के आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी के दावों और हकीकत के बीच काफी अंतर है। बिहार कांग्रेस में संगठन की बात हो या चुनाव में उम्मीदवार की बात इससे स्पष्ट होता है कि किसको कितनी तरजीह मिली है।
बिहार कांग्रेस में फिलहाल प्रदेश अध्यक्ष का पद अखिलेश सिंह के पास है जो सामान्य वर्ग से हैं। इससे पहले के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा भी सवर्ण ही थे। वर्तमान में कोषध्यक्ष निर्मलेंदु वर्मा भी जेनरल कास्ट की हैं। कांग्रेस के बिहार प्रभारी मोहन प्रकाश भी सवर्ण जाति से ही आते हैं।बिहार से राज्यसभा का पद सवर्ण से आने वाले अखिलेश सिंह को ही मिला। विधान परिषद में उम्मीदवार भी सामान्य वर्ग से आते हैं और समीर सिंह को एमएलसी बनाया गया है।
इससे पहले प्रेमचंद्र मिश्रा (सामान्य वर्ग) को कांग्रेस ने विधान परिषद में भेजा था।
वर्ष 2020 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें सामान्य जाति के 33 लोगों को उम्मीदवार बनाया था। वहीं, दलितों को 13 सीटें तो पिछड़ों और अतिपिछड़ों को केवल 11 सीटें ही कांग्रेस ने दी थी। विशेष यह कि कांग्रेस ने 13 उम्मीदवार मुसलमान दिये थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार कांग्रेस का इलेक्शन कमिटी सदस्य बनाया गया था और कमिटी में 50 सदस्य बनाए गए। कमिटी में 25 सवर्ण चेहरे शामिल किए गए।
बिहार कांग्रेस का संगठन का चुनाव पिछले कई सालों से नहीं हुआ है जिसके कारण संगठन भंग है।
बिहार के 38 जिलों में कांग्रेस का धोषित जिलाध्यक्षों में 26 सवर्ण जाति के हैं। 5 ओबीसी, 5 अल्पसंख्यक और 3 दलित समुदाय के हैं। 67 प्रतिशत जिलाध्यक्ष सवर्ण हैं। सवर्णों में भी सर्वाधिक 11 भूमिहार जाति से हैं। इससे पहले बिहार प्रभारी दलित भक्त चरण को बनाया पर एक साल में ही हटा भी दिया।