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जोशीमठ में भारी दरार, कैसे होगी चारधाम की यात्रा पार

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चारधाम यात्रा पर सकंट के बादल हटने का नाम नहीं ले रहें है। चारधाम यात्रा की तैयारिया तो हो रही है लेकिन एक सवाल जो तीर्थ यात्रियों में बना हुआ है वो ये है कि ये तैसारी कैसी है ? 2 महिने से भी कम समय बचा है चारधाम की यात्रा के शुरू होने में। लेकिन बद्रनाथ हाइवे पर दरारों से जो नजारा बना हुआ है वो लोगों में दहशत पैदा कर रहा है।इतना ही नहीं लोगों को ये भी डर है कि कही जोशीमठ और बद्रीनाथ में तुर्किये जैसे हालात ना पैदा हो जाये। आज कि इस वीडियों में हम इसी विषय पर बताने जा रहें है तो post में एंड तक बने रहिएगा….

जोशीमठ से लेकर माड़वारी तक दहशत

इस वक्त जो संकट बद्रनाथ हाइवे पर बना हुआ है वो तीर्थ यात्रियों को लगातार सता रहा है। बता दें 10 जगह सड़क धसी है। लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में बड़ी दरारें आई है, जो लोगों को डरा रही है। बद्रीनाथ हाइवे,जोशीमठ से लेकर माड़वारी तक दहशत की इन दरारों ने कई सवाल खड़े कर दिये है। वही तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप से भी बड़ा भूकंप उत्तराखंड क्षेत्र में भी आने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि वैज्ञानिक अभी इसके समय के बारे में ठीक जानकारी नहीं दे पा रहे हैं, लेकिन इसकी वार्निंग दे दी गयी है। यह भूकंप कभी भी आ सकता है। वैज्ञनिकों का कहना है कि इसकी तीव्रता तुर्की में आए भूकंप से भी ज्यादा हो सकती है। जोशीमठ (Joshimath Crisis) समेत कई इलाकों में हो रहे भू धंसाव का खतरा अभी थमा भी नहीं है कि ऐसी चेतावनी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

बद्रीनाथ यात्रा कैसे होगी पूरी

बतां दे उत्राखंड में चारधाम यात्रा शुरू होने वाली है। राजमार्ग पर दरारों के कारण लोगों की चिंता बढ़ गई है।इस साल बद्रीनाथ यात्रा 27 अप्रेल से शुरू होने वाली है। ऐसे में वहा के जो स्थानीय लोग है वे बेहद ही परेशान है। इसी सिलसिले में शिवरात्रि के त्योहार पर आपदा प्रभावितों ने आदि गुरु शंकराचार्य की तपस्थली ज्योतेश्वर मंदिर में जोशीमठ को बचाने के लिए पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने तहसील में धरना देकर अपनी मांगें दोहराई।

25 अप्रैल को खुलेंगे केदरनाथ के कपाट

उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा की घोषणा कर दी है। यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन भी जल्द ही शुरू हो जाएगी। बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को जबिक केदरनाथ के कपाट 25 अप्रैल को खुलेंगे। बता दें कि कोरोना महामारी के चलते तीन साल तक चार धाम यात्रा स्थगित कर दी गई थी। पिछले साल इस यात्रा की दोबारा शुरुआत हुई तो रिकॉर्ड 17.6 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ पहुंचे थे। इस बार भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (JBSS) के एक अधिकारी संजय उनियाल के मुताबिक यह खतरा काफी बड़ा है। चूंकि चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु बद्रीनाथ जाएंगे। उनके बद्रीनाथ पहुंचने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। ऐसे में भू धंसाव और दरारों की वजह से उनकी जान पर बन सकती है।

बद्रीनाथ राजमार्ग पर उठ रहे सवाल

एक वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ने अपना नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘जिन जगहों पर दरारें दिखाई दी हैं, उनकी विशेषज्ञों द्वारा विस्तार से जांच की जानी चाहिए, जिससे ये पता लग सके कि समस्या कहां है। हालांकि चमोली के जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने मीडिया से कहा है कि एक टीम दरारों की जांच कर रही है और यह चिंता का कारण नहीं है। हालाकि अभी भीड़ नहीं हैं लेकिन जब यात्रा शुरू होगी तब क्या होगा।
वही कुछ एक्सपर्ट के अनुसार बद्रीनाथ राजमार्ग पहले से ही धंसाव का सामना कर रहा है। और ऐसे में जो दरारें पड़ी ही वो बेहद ही चिंता का विषय है। उन्होंने कहा “हम नहीं जानते कि चार धाम यात्रा के चरम समय के दौरान जब हजारों वाहन सड़क पर दौड़ेंगे तो क्या होगा। बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खुलेंगे, जबकि केदारनाथ की यात्रा 25 अप्रैल से शुरू होगी, इसकी घोषणा सरकार ने शनिवार को की। बता दें कि पिछले साल रिकॉर्ड 17.6 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ पहुंचे थे।”

भूकंप की तारीख कंफर्म नहीं

जानकारों के अनुसार उत्तराखंड में सतह के नीचे बहुत तनाव पैदा हो रहा है। ये भूगर्भीय तनाव एक बड़े भूकंप आने के बाद ही खत्म हो पाएगा। डॉ. राव की चेतावनी के मुताबिक भूकंप की तारीख और समय की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, लेकिन वहां होने वाली तबाही कई भौगोलिक कारकों पर निर्भर करेगा। ये भौगोलिक कारक विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम सटीक समय और तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन उत्तराखंड में कभी भी भारी भूकंप आने से तबाही मच सकती है।

अब भी धंस रहे मकान

वहीं, भू-धंसाव से सबसे अधिक प्रभावित सिंहधार वार्ड में अब भी मकान धंस रहे हैं. यहां कई मकानों की छत, आंगन और कमरे धंस गए हैं जबकि पूर्व में एक मंदिर भी भू-धंसाव से क्षतिग्रस्त हो गया था. सिंहधार वार्ड के प्रभावित क्षेत्र में चार आवासीय भवन डेंजर जोन में हैं. इन मकानों की छत और आंगन धंस गए हैं. बाथरूम और किचन भी तिरछे हो गए हैं। क्षेत्र में लगातार भू-धंसाव हो रहा है। मकान उनकी आंखों के सामने ही टूट रहे हैं. रात को राहत शिविरों में रहने के बाद दिन में एक बार अपने घरों को देखने जाते है।