क्या मंत्री के बयान से जदयू में होगी बगावत?
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने भूमिहार समाज को लेकर अपने बयान से सूबे में भूचाल खड़ा कर दिया है। जेडीयू ने उनके बयान से किनारा कर लिया है। अशोक चौधरी अब खुद अपने कहने का आशय समझा रहे। भूमिहार की गोद में खुद के पलने और भूमिहार परिवार में बेटी ब्याहने की बात कर सफाई देते थकते नहीं। पर भूमिहार नेता इस बार उन्हें बख्शने के मूड में नहीं हैं। जेडीयू ने अशोक के बयान से किनारा कर लिया है, लेकिन नीतीश कुमार खामोश हैं। उनकी खामोशी को उनके गुस्से का इजहार माना जा रहा है।
भूमिहार समाज के लोगों का कहना है कि अशोक चौधरी की यह पुरानी आदत है। पिछले साल वे जेडीयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से भी टकराए थे। बाद में ललन सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। संभव है कि अशोक चौधरी इसे अपनी जीत मान बैठे हों और अब भूमिहारों से फिर टकराव का प्लान बना लिया हो। जिस अंदाज में उन्होंने भूमिहार को टिकट न देने की बात जहानाबाद में कही, उसके लिए तो अधिकृत भी नहीं हैं। यह बात सभी जानते हैं कि टिकट बंटवारे का काम नीतीश कुमार की सहमति के बिना संभव ही नहीं। फिर अशोक चौधरी को यह अधिकार किसने दे दिया। क्या नीतीश ने टिकट बांटने के लिए उन्हें अधिकृत कर दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि अशोक चौधरी की महत्वाकांक्षा बढ़ी है। वे अपने को नीतीश कुमार के कद का समझने लगे हैं। बेटी को सांसद बना कर उन्होंने परिवारवादी राजनीति की राह पकड़ ली है, जो जेडीयू का कल्चर नहीं है। रही बात भूमिहार को टिकट न देने वाले उनके बयान की तो टिकट बांटने के वे अधिकारी थे तो बेटी को क्यों दूसरे दल से टिकट मिला। उन्होंने जेडीयू का टिकट क्यों नहीं दिला दिया। दरअसल चौधरी जेडीयू का खेल बिगाड़ना चाहते हैं। संभव है कि उन्होंने नया ठौर तलाश लिया हो। वैसे भी इधर-उधर आवाजाही उनके लिए नई बात नहीं है। कांग्रेस छोड़ कर वे जेडीयू में आए थे और जेडीयू छोड़ कहीं और जाएं तो आश्चर्य नहीं।
माना जा रहा है कि अशोक चौधरी ने अपने बयान से जेडीयू और नीतीश कुमार की छवि को डेंट किया है। इसे नीतीश बर्दाश्त नहीं करेंगे। नीतीश कुमार का ग़ुस्सा जो लोग समझते हैं, वे इस तरह के कयास लगा रहे हैं। बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार संभावित है। उसमें अशोक चौधरी को अपने बड़बोलेपन की कीमत चुकानी पड़ जाए तो आश्चर्य नहीं। भूमिहार समाज का ग़ुस्सा शांत कराने के लिए नीतीश ऐसा कर भी सकते हैं। भूमिहारों ने नीतीश को कैसे मदद की है, यह बात सभी जानते हैं। यही वजह है कि वे भूमिहार नेताओं को तवज्जो भी देते रहे हैं। पिछले साल लाख अफवाहें उड़ीं कि ललन सिंह आरजेडी के संपर्क में हैं, लेकिन नीतीश ने उस पर भरोसा नहीं किया। ललन सिंह आज नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल के सदस्य हैं तो इसमें नीतीश की रजामंदी है।