द न्यूज 15
भागलपुर। तीन दिन पहले भागलपुर के काजवलीचक में हुए विस्फोट में क्षतिग्रस्त मकानों को तोड़ने के लिए रविवार को प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी थी। सुबह 9 बजे पुलिस पदाधिकारी और नगर निगम के अफसर पूरे संसाधनों के साथ पहुंचे, लेकिन प्रभावित लोगों ने मकान तोड़ने का विरोध कर दिया। लोगों का कहना था कि विस्फोट उनके घर में नहीं हुआ है और वह दोषी नहीं हैं। लेकिन इस घटना में जान माल दोनों का नुकसान हुआ है। जो क्षति हुई है, उसपर कोई बात नहीं हो रही है। अब मकान भी तोड़ा जा रहा है। आखिर हमलोग अपना मकान कैसे बनायेंगे। प्रशासन पहले इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करे, तब मकान तोड़ने देंगे।
मौके पर मौजूद नाथनगर की अंचलाधिकारी स्मिता झा ने विरोध कर रही महिलाओं को समझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन महिलाएं नहीं मानीं। अंत में नगर निगम को अपना जेसीबी और मजदूर हटाना पड़ा। लोगों के विरोध के बाद प्रशासन के कोई वरीय अधिकारी नहीं पहुंचे। यह जिच दिन के दो बजे तक चलता रहा। प्रभावित लोगों की तरफ से स्थानीय वार्ड पार्षद डॉ. प्रीति शेखर ने अंचलाधिकारी से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि लोग अपनी क्षति के बारे में प्रशासन को लिखित दें तो वरीय अधिकारियों को दिया जाएगा।
इसके बाद ओमप्रकाश साह ने जिलाधिकारी के नाम एक आवेदन दिया जिसमें बताया कि पूरा परिवार सम्मलित रूप से एक मकान में रहते हैं, जिसमें स्व. कैलाश साह, मनोज साह, राजकुमार साह, लड्डू साह, पवन साह आदि के घर हैं। विस्फोट में पूरा मकान क्षतिग्रस्त है। इसके अलावा फ्रिज, गोदरेज, पंखे, चौकी, सिलाई मशीन, बर्तन, मोबाइल, पलंग, साइकिल, ई-रिक्शा, सिलेंडर, ट्रक, सोफा, टीवी, आभूषण सहित की क्षति हुई है। इसलिए इसकी क्षतिपूर्ति की जाए।
आवेदन तैयार करने के बाद प्रशासन की तरफ से कोई निर्णय नहीं हो सका। पूरे दिन निगम का संसाधन घटनास्थल पर मौजूद रहा। शाम पांच बजे तक मकान तोड़ने की कार्रवाई नहीं हो सकी। इस बीच पहले से जमा मलबे को वहां से साफ किया गया। घटनास्थल पर नगर आयुक्त प्रफुल चंद्र यादव, इंजीनियर राकेश सिन्हा आदि मौजूद थे। नगर आयुक्त ने बताया कि मकान तोड़ने के बारे में जिला प्रशासन से जो निर्देश मिलेगा, उस आधार पर निगम अपने संसाधनों से काम करेगा। मौके पर भवन निर्माण विभाग के इंजीनियर भी पहुंचे थे।
जब तक लोग सहमति नहीं देंगे, तबतक मकान नहीं टूटेगा : सदर एसडीओ धनंजय कुमार ने बताया कि पहले उन्हीं लोगों ने मकान तोड़ने की सहमति दी थी। अब मुआवजे की मांग कर तोड़ने से मना कर रहे हैं। मुआवजा के निर्धारण के लिए कमेटी द्वारा निर्णय होना है। जांच में चीजें स्पष्ट होने के बाद ही इसपर निर्णय हो सकता है। चूंकि प्राइवेट मकान है, इसलिए प्रशासन जबरन तोड़ भी नहीं सकता है। लेकिन मकान खतरनाक स्थिति में है। इसलिए वहां फोर्स और मजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है। जब तक वे लोग सहमति नहीं देते हैं, तब तक मकान नहीं तोड़ा जा सकता है।