दरअसल पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत -पाकिस्तान में युद्ध के आसार बनने के बाद बांग्लादेश के रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान का विवादित बयान सामने आया है। बांग्लादेश राइफल्स के पूर्व प्रमुख और मोहम्मद यूनुस के खास सिपहसालार फजलुर रहमान ने कहा कि अगर भारत पाकिस्तान पर हमला करता है तो हमें इस मौके का फायदा उठाते हुए नॉर्थ ईस्ट पर कब्जा कर लेना चाहिए। फजलुर रहमान ने यह सब अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा है। रहमान का कहना है कि हमें चीन के साथ ज्वाइंट मिलिट्री सिस्टम को लेकर बातचीत शुरू करनी चाहिए।
कौन हैं फजलुर रहमान?
यूनुस सरकार ने फजलुर रहमान को पिछले साल ही एक संगठन का प्रमुख नियुक्त किया था। बांग्लादेश के पिलखाना में 2009 में हुए नरसंहार में 74 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 57 आर्मी ऑफिसर थे। इस मामले की दोबारा जांच करने के लिए 7 सदस्यों वाले स्वतंत्र आयोग का रहमान को प्रमुख बनाया गया है। इस घटना को बांग्लादेश राइफल विद्रोह, पिलखाना त्रासदी और पिलखाना नरसंहार के नामों से भी जाना जाता है।
फजलुर रहमान के इस बयान से बांग्लादेश सरकार ने खुद को अलग कर लिया है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने कहा कि उनका ये बयान व्यक्तिगत है. उनके इस बयान से बांग्लादेश की सरकार का कोई लेना देना नहीं है।
‘रहमान के बयान में बांग्लादेश सरकार को न घसीटा जाए’
शफीकुल आलम ने बुधवार देर रात एक बयान जारी कर कहा कि यूनुस सरकार भारत के नॉर्थ ईस्ट के खिलाफ ऐसे किसी उग्र बयान का समर्थन नहीं करती। बांग्लादेश सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करता है। उन्होंने आगे कहा कि रिटायर्ड मेजर जनरल फजलुर रहमान के इस बयान में बांग्लादेश सरकार को न घसीटा जाए। सरकार उनके इस बयान का बिल्कुल समर्थन नहीं करती।