दलवीर यादव
यदि संविधान बचाना चाहते हो तो बहुजन समाज को अपना नेता निडर ईमानदार कार्यशील गैर पाखंडी लड़ाकू तथा बाबा साहेब, कबीर दास, रामस्वरूप वर्मा ललई यादव जगदेव प्रसाद फुले पेरियार चौधरी चरण सिंह के विचारों से ओतप्रोत हो, बुद्ध के विचारों का आदर करता हो बिकाऊ न हो, टिकाऊ हो। यह बात भली भांति समझ लो कि आज के बहुजन नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है ये डरपोक हैं, पाखंडी हैं, समझौतावादी है। ये आपकी कोई मदद करने वाले नहीं हैं। नहीं तो यदि ये हिम्मत दिखाते तो योगी सरकार का बुलडोजर भय पैदा नहीं करता । ये अपने को नहीं बचा पा रहे हैं ।तो जनता की रक्षा क्या करेंगे।
क्या बहुजन के किसी नेता में हिम्मत है कि बयान दे कि सरकार आने पर अडानी और दूसरे यारों की पत्तियों का राष्ट्रीयकरण करेंगे, जिन लोगों ने इन्हें फायदा पहुँचाया है उन्हें जेल भेजा जायेगा। हिम्मत है कि कहे कि चुनाव मशीनों से नहीं होगा। ये घोषणा करनी पड़ेगी जिन अफसरों या जजों ने या मीडिया ने पक्षपात किया है वे दंडित होंगे। जितने फैसले प्राइवेटिकरण के लिए लिये जा रहे हैं, उन्हें हमारी सरकार रद्द करेगी । बहुजन का कोटा पूरा किया जायेगा।
ये नेता प्रेस करें कि भाजपा अपने सभी नेताओं की पहले जांच करे तब विपक्ष की जांच होगी। ये घोषणा भी करें कि मेरी आय से अधिक संपत्ति सरकार लेले। कार्यकर्ताओं की कार्यशाला लगाई जाय। आज जितनी जांच एजेंसी हैं, यह कहकर सड़कों पर निकले कि हम जाँच के लिए तैयार है । लेकिन अपने व आम जनता पर जुर्म नहीं होने देंगे आज
देश मे कोई सुरक्षित नहीं है ।बहुजन के नेता कायर है पाखन्डी है । जो भी मोदी को चैलेंज देगा।वो अगला प्रधानमंत्री होगा। ये सरकार की बेईमानी को भी नहीं रोक पा रहे हैं। ये नेता परिवार से नहीं निकल पा रहे हैं। इन नेताओं से मोह भंग करो । विकल्प ढूंढें । ये मानसिक गुलाम हैं,
जुझारू नेताओ को चुनो। गुलामो को न ही
ये नेता प्रेस करें कि भाजपा अपने सभी नेताओं की पहले जांच करे तब विपक्ष की जांच होगी। ये घोषणा भी करें कि मेरी आय से अधिक संपत्ति सरकार लेले। कार्यकर्ताओं की कार्यशाला लगाई जाय। आज जितनी जांच एजेंसी हैं, यह कहकर सड़कों पर निकले कि हम जाँच के लिए तैयार है । लेकिन अपने व आम जनता पर जुर्म नहीं होने देंगे आज
देश मे कोई सुरक्षित नहीं है ।बहुजन के नेता कायर है पाखन्डी है । जो भी मोदी को चैलेंज देगा।वो अगला प्रधानमंत्री होगा। ये सरकार की बेईमानी को भी नहीं रोक पा रहे हैं। ये नेता परिवार से नहीं निकल पा रहे हैं। इन नेताओं से मोह भंग करो । विकल्प ढूंढें । ये मानसिक गुलाम हैं,
जुझारू नेताओ को चुनो। गुलामो को न ही