बुरे काम का बुरा नतीजा

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ऊषा शुक्ला

बुरे काम नतीजा हमेशा बुरा ही होता है | बुरा काम करने से जीवन में आज के समय में जीवन समीकरण बदल गए हैं। जिसके चलते कर्मों की परिभाषा भी बदल गई है। कभी- कभी हम किसी का अच्छा करने जाते हैं तो उसके अच्छे के चक्कर में हमारे साथ बुरा हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें किसी के भला करने की कोशिश ही नहीं करनी चाहिए।हम कितने भी आगे क्यों न बढ़ जाएँ, लेकिन यदि हमने किसी का नुकसान करके उस स्थान को प्राप्त किया है तो हमें कभी भी सुकून नहीं मिलता है। समयानुसार हमें कभी न कभी उस बुरे काम की फल भोगना पड़ता है ।कभी सफलता और खुशियाँ नहीं मिलती है |
बुरा काम करने से हमारा जीवन खराब हो जाता है | समाज में हमारी कोई इज्ज़त नहीं करता है | बुरे काम करने वालों को सब बुरी नजरों से देखते है कोई उनकी मदद नहीं करता है | जीवन में हमें अच्छे काम करने चाहिए | अपना जीवन ईमानदारी के साथ व्यतीत करना चाहिए | बुरे काम का फल हमें हमेशा बुरा मिलता है |हम जैसा कर्म करते हैं हमें वैसा ही फल प्राप्त होता है। जो काम हम आज करते हैं, आने वाले कल में उसका परिणाम निश्चित तौर पर मिलता है। काँटे के पेड़ पर फल नहीं, काँटे ही लगते हैं।हमारा उद्देश्य अच्छा है, सोच अच्छी है और हम कुछ भला करने के लिए बुरा कर रहे हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। यदि हम किसी गलत कार्य को या किसी बुराई को रोकने या खत्म करने के लिए बुराई का रास्ता अपना रहे हैं, तो बुराई होने के बावजूद अच्छाई की श्रेणी में गिनी जाएगी।मेहनत पर विश्वास रखने वालों का कहना है कि समय चाहे जैसा भी हो, अच्छाई और परिश्रम की हमेशा जीत होती है। हर धर्म में कर्म के मुताबिक फल मिलने की बात कही गई है। लोगों की सोच में भले ही परिवर्तन आ गया हो। लेकिन आज भी यदि कोई किसी का बुरा करता है उसके साथ भी बुरा होता है।भगवान ना किसी का बुरा किया, ना कर रहे हैं, ना आगे करेंगे।भगवान हमारे माता-पिता है, हर माता-पिता अपने बच्चों का भला ही करते हैं, कभी बुरा नहीं करते, ना कभी बुरा सोचते हैं, बच्चा चाहे जैसा भी हो, माता पिता कभी अपने बच्चों का बुरा नहीं करते, ना बुरा सोचते हैं। बूरा कौन करता है, आपको समझना है क्या बुरा आपका शरीर करता है, बूरा आपका मन करता है, आपकी आत्मा करती है,।भगवान कभी किसी का बुरा नहीं करता।बूरा कौन कर रहा है, इसका पता लगाना बहुत जरूरी है, कारण जब तक पता नहीं लगेगा समाधान नहीं निकलेगा।आप आराम से बैठिए अपने आप से प्रश्न करिए, क्या मेरा शरीर बुरा करता है, जवाब मिलेगा नहीं, यह पांच तत्वों का बना हुआ है, जल्द धरती अग्नि वायु आकाश। यह कभी बुरा किसी का नहीं करता, क्योंकि धरती सबके लिए है जल सबके लिए है पानी सबके लिए है हवा सबके लिए आकाश सबके लिए है अग्नि सबके लिए है।यह तो सबका भला कर रही है। फिर मन बुरा कर रहा है, नहीं मन एक मेमोरी है, यह कभी किसी का बुरा नहीं करता ।फिर कौन बूरा कर रहा है, बूरा आपके विचार कर रही है, , विचार ही आपका बुरा कर रहा है।
धार्मिक और दार्शनिक परंपराओं में, भगवान या ईश्वर को सामाजिक और मानवाधिकार से अलग माना जाता है, और उन्हें बुराई करने वाले के रूप में नहीं देखा जाता। बुराई या दुख का कारण मानव की स्वतंत्र इच्छा, कर्म, और सामाजिक परिपेक्ष्य से आता है।
अलग-अलग धर्मों और दार्शनिक परंपराओं में इस परिपेक्ष्य में विभिन्न दृष्टिकोण होते हैं, लेकिन बहुत से लोग मानते हैं कि मनुष्य के कर्मों का परिणाम होता है और भगवान या ईश्वर केवल साक्षी रूप से होते हैं, जो इस प्रक्रिया को निगरानी करते हैं, लेकिन उसे नियंत्रित नहीं करते।इसलिए, बुराई करने वाला मानव होता है, और भगवान या ईश्वर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराना नहीं होता है, क्योंकि वे मानवों की स्वतंत्र इच्छा और कर्म का सम्मान करते हैं।

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