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उप चुनाव में समीकरण बदल सकता है आजम खान का मुद्दा

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चरण सिंह
नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मोहम्मद आजम खां का मुद्दा उठाकर अखिलेश यादव को परेशानी में डाल दिया है। अखिलेश यादव की परेशानी यह है कि मोहम्मद आजम खान के परिवार की तबाही के खिलाफ समाजवादी पार्टी के मोर्चा न खोलने की वजह से मुस्लिम नाराज हैं। लोकसभा चुनाव में जो मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं उसकी वजह राहुल गांधी बताये जा रहे हैं। आज की तारीख में मुस्लिम राहुल गांधी को अपना नेता मान रहे हैं। क्योंकि महत्वपूर्ण सीटों पर समाजवादी पार्टी लड़ रही थी। कांग्रेस तो उन सीटों पर लड़ रही थी जो समाजवादी पार्टी ने छोड़ी थी।
दरअसल चंद्रशेखर आजाद नगीना से लोकसभा चुनाव जीतकर फुल फॉर्म में हैं। वह अपने दम पर अपनी पार्टी को खड़ा करने का बीड़ा उठा चुके हैं। जिस तरह से दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपना वजूद बनाया था। उसी तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आजाद समाज पार्टी को देखा जा रहा हैै। विधानसभा उप चुनाव में चंद्रशेखर आजाद खैर, मीरापुर, गाजियाबाद सदर, कुंदरकी में प्रभारी बना दिये हैं। आजाद समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील कुमार चित्तौड़ का कहना है कि फूलपुर, मंझवा, कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ और करहल में भी प्रभारी नियुक्त किये जाएंगे। मतलब इन सीटों पर भी चंद्रशेखर आजाद उप चुनाव लड़ंेगे।
मतलब ये प्रभारी ही आजाद समाज पार्टी की ओर से प्रत्याशी होंगे। नगीना में जिस तरह से दलित-मुस्लिमों के साथ सभी वर्गों ने बढ़चढ़कर चंद्रशेखर आजाद को वोट दिया। उससे यह माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसी तरह से आजाद समाज पार्टी को वोट मिल सकता है। अखिलेश यादव की लिए दिक्कत भरा यह है कि बसपा भी उप चुनाव लड़ रही है।
बसपा मुखिया मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को फिर से राष्ट्रीय कोर्डिनेटर बना दिया है। आकाश आनंद भाषण तो अच्छा देते हैं तो यह माना जा रहा है कि उप चुनाव में बसपा भी कुछ कमाल जरूर दिखाएगी। उधर चंद्रशेखर आजाद का वोटबैंक भी दलित और मुस्लिम है। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद ने मुस्लिमों की नमाज के लिए २० मिनट देने की बात भी कर दी है। चंद्रशेखर आजाद ने कांवड़ का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि जब कांवड़ियों के लिए कई दिनों तक रास्ता जाम कर दिया जाता है तो फिर नमाज के लिए २० मिनट का समय क्यों नहीं दिया जा सकता है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि मुस्लिम वोटबैंक आजाद समाज पार्टी की ओर जा सकता है।
अखिलेश यादव की परेशानी यह भी है कि लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने और आरक्षण हटाने का मुद्दा चल गया। दलितों और ओबीसी का वोट मिल गया पर विधानसभा चुनाव में यह मुद्दे नहीं चलने वाले हैं। लोकसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी नगीना लोकसभा सीट पर ही चुनाव लड़ रही थी पर इन उप चुनाव में पार्टी सभी १० सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। जब नगीना में चंद्रशेखर आजाद को हाथों हाथ ले लिया गया तो फिर उप चुनाव में भी चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को पसंद किया जा सकता है। मतलब चंद्रशेखर आजाद मायावती से भी ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी का सकते हैं।