सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी संपन्न

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ऋषि तिवारी
नोएडा। अंकुर साहित्य परिवार द्वारा रविवार को सम्मान समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन नोएडा सेक्टर 29 स्थित नोएडा मीडिया क्लब के सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित, सचिन अंबावत, अध्यक्ष, भाजपा पिछड़ा प्रकोष्ठ, नोएडा महानगर ने सभी प्रतिभागी साहित्यकारों को अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया।

मुख्य अतिथि के कर कमलों द्वारा पांच पुस्तकों आजादी के दीवाने (धर्मपाल गांधी)
बेपनाह इश्क गजल संग्रह( चंद्र स्वरुप बिसरिया) हसरतें बेशुमार गजल संग्रह (सुनीता सोनू) भावांजलि दशम (साझा काव्य संग्रह) एक अंजुरी नेह (साझा काव्य संग्रह) का विमोचन किया गया। इसके अतिरिक्त शीघ्र आने वाली पुस्तक बज्म ए हिंद के कवर पेज का विमोचन भी संपन्न हुआ।

दिल्ली के वरिष्ठ गजलकार चंद्र स्वरूप बिसरिया को अंकुर विभूति सम्मान, धर्मपाल गांधी को अंकुर इतिहास विभूति सम्मान, लुधियाना की सुनीता सोनू को अंकुर काव्य विभूति सम्मान तथा अंकुर पत्रकारिता, साहित्य उत्कृष्ट सम्मान-2024 से सम्मानित किया गया। बिहार के कन्हैया प्रसाद केशरी तथा लखनऊ के राजेश मेहरोत्रा को अंकुर साहित्य उत्कृष्ट सम्मान से मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। उत्तराखंड की अनीता जोशी को महिला काव्य श्रेष्ठ सम्मान तथा राजीव भारती को पुरुष काव्य श्रेष्ठ सम्मान एवं गाज़ियाबाद के डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर को साहित्य विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। आदर्श समाज समिति इंडिया के अध्यक्ष धर्मपाल गांधी एवं टीम द्वारा वर्तमान अंकुर के मुख्य संपादक निर्मेष त्यागी वत्स को स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया गया।

अंकुर काव्य सारथी सम्मान से चंद्र स्वरूप बिसरिया, कुंतल शर्मा रतूड़ी, आरती शर्मा, डॉ. मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर, पूरन भंडारी, कन्हैया प्रसाद केशरी, अनूप मिश्र, राजेश मेहरोत्रा, कविराज शर्मा, राजीव भारती, अनीता जोशी, मनीष जैन मौजी, प्रेरणा गर्ग, रमेश चंद्र पाटोदिया, एसीपी जितेंद्र सिंह, ऋतु दुग्गल, राज शर्मा, विमल सागर एवं सरिता सिंह को नवाजा गया। अंकुर काव्य रत्न सम्मान से कन्हैया प्रसाद केशरी, राजीव भारती, रश्मिलता मिश्र, अविनाश व्यौहर, पूरन भंडारी, अनीता जोशी, आरती शर्मा,चंद्र स्वरूप बिसरिया, डॉ राम कुमार मिश्र सहित 22 साहित्यकार सम्मानित किए गए।

उक्त अवसर पर आयोजित काव्य पाठ में ऋतु दुग्गल ने रूठूं तो कभी मना सजना..सुनाया तो रचना जैन ने सरिता सिंह की ओर से उनकी कविता एक किस्सा इस दरो-दिगार से निकला सुनाकर श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। गजलकार चंद्र स्वरूप बिसारिया ने
लिए दिल में एक मुहब्बत की अर्जी दर पर आए हैं सुनाया तो बिमल सागर ने जिंदगी में बदल जाते हैं किरदार सारे एवं पूछते हैं कहां मुकाम मेरा श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किया तो कुंतल शर्मा रतूड़ी ने दुर्योधन ने ही न मानी सुनाकर महाभारत की शिक्षा दी। एसीपी जितेंद्र कुमार ने अपनी गीत“कोई मुझे बाहों में भरकर कह दे, कोई मेरा चेहरा ढक दे रातों में जुल्फें बिखराकर” गाया तो श्रोताओं ने तालियों से अभिवादन किया। सूरत से पधारी आरती शर्मा ने “श्याम मथुरा में हैं जा बुलाए कोई, कितनी पीड़ा में हूं जा बताए कोई तथा थामा जो मेरा हाथ है अब छोड़िएगा ना” जाकर खूब तालियां बटोरीं। अनीता जोशी ने हो जिगर के पास मेरे तुम कभी न रूठना सुनाया तो यादवेंद्र आर्य ने इस कदर प्रतिकूल हैं हालात अपने, मूढ़तावश पाप हमसे हो गए.. सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। राजीव भारती ने अपनी गजल चलो आज ताजमहल का दीदार करते हैं, मोहब्बत का फिर से हम इकरार करते हैं सुनाया तो राजेश मेहरोत्रा ने भी माहौल को और खुशनुमा बनाते हुए “अपने चेहरे को मुस्कराने की इजाजत दे दो” तथा “मेरे मौला हर एक गम से मुझे ऐसे बारी कर दे, किसी मासूम से बच्चे जैसी जिंदगी कर दे” प्रस्तुत की।
अनूप मिश्र देवप्रयागी ने “मेरे गांव में भी अब सड़क बन गयी है, टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी अब टूट गयी है, हर खेत खलिहान शायद बिक रहा है, क्योंकि मेरा गांव भी अब शहर बन रहा है” ने प्रस्तुति कर गांव से शहर तक का सफर कराया। संचालनकर्ता रोहित मिश्र जी की रचना “हे जगत को जीतने वाले विजेता, हार के मन को जरा आराम दे दो” तथा “चुप रहे वो द्रौपदी अपमान पर जो है यही कारण कि वो शय्या पर सोए” की खूब सराहना हुई। पूरन भंडारी ने अपनी कविता ख्वाहिशों ने अभी कहां दम तोड़ा है सुनाया तो डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर ने “न रंग न रुप पनपता है अजीब, नफरत का बीज है ही अजीब” सुनाया। कन्हैया प्रसाद केशरी ने पर्यावरण को लक्ष्य करके लिखी कविता “छोड़ो यार शहर, आओ चलें गांव,
बैठेंगे चैन से,बरगद के छांव” सुनाई तो मनीष जैन मौजी ने एक नज़्म- “आप मुल्जिम, गवाह भी, और मुर्शीद भी आप ही हैं” सुनाया तो कुछ अन्य सम्मानित रचनाकारों ने भी अपनी एक से बढ़कर एक कविताएं सुनाकर काव्य सरिता को मुकाम तक पहुंचाया।

मुख्य अतिथि सचिन अंबावत एवं विशिष्ट अतिथि पंडित विजय मिश्रा को मुख्य संपादक निर्मेष त्यागी वत्स द्वारा अंकुर साहित्य परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। उक्त विशाल कार्यक्रम के संयोजन में अंकुर परिवार के मुख्य आयोजक निर्मेेश त्यागी वत्स, संयोजक सुनीता सोनू, आयोजक, मनीष जैन एवं रचना जैन रहे। कार्यक्रम का संचालन रोहित मिश्र, यादवेन्द्र आर्य एवं राजदीप सिंह ने करके श्रोताओं को बांधे रखा।

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