Author: TheNews 15

  • शिकारपुर थाना द्वारा फिरौती हेतु अपहरण कांड के अपहृत की बरामदगी एवं छह अभियुक्तों की गिरफ्तारी कि गई

    शिकारपुर थाना द्वारा फिरौती हेतु अपहरण कांड के अपहृत की बरामदगी एवं छह अभियुक्तों की गिरफ्तारी कि गई

    पश्चिम चम्पारण। दिनांक 15/11/24 को शिकारपुर थाना क्षेत्र के हरपुर बढनिहार गांव से उमाकांत साह पिता किशोरी साह का अपहरण अज्ञात अपराधियों के द्वारा कर लिया गया था। अपराधियों द्वारा अपहृत के परिवार से ₹300000 की फिरौती की मांग की जा रही थी। इस संबंध में नागेंद्र कुमार के आवेदन के आधार पर शिकारपुर थाना कांड संख्या 827/24 अंकित कर अनुसंधान प्रारंभ किया गया। पुलिस अधीक्षक पश्चिम चंपारण बेतिया के आदेशानुसार कांड के उद्वेदन हेतु अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरकटियागंज के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया।गठित टीम द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए तकनीकी अनुसंधान से अपहृत को सीतामढ़ी जिला के सहियारा थाना क्षेत्र से बरामद कर घटना में शामिल 6 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। बरामदगी अपहृत उमाकांत साह पिता किशोरी साह ग्राम हरपुर बढ़नीहार थाना शिकारपुर।
    गिरफ्तारी 1. सुधीर सिंह पिता इंद्रजीत सिंह ग्राम जलसी
    2. दीपक कुमार उर्फ अमरेश सिंह पिता इंद्रजीत सिंह ग्राम जलसी
    3. रितेश सिंह पिता रामबरन भगत ग्राम मटियार कला
    4. अनमोल कुमार पिता विनोद कुमार ग्राम मटियार कला चारों थाना सहियार जिला सीतामढ़ी
    5. राकेश कुमार पिता श्याम शाह गौंड ग्राम मंगलपुर थाना पटखौली जिला बगहा
    6. लाल बाबू राम पिता मोहन राम ग्राम पूरैनिया थाना शिकारपुर जिला पश्चिमी चंपारण बेतिया।

  • आखिर योगी आदित्यनाथ को अपने को साबित जो करना है!

    आखिर योगी आदित्यनाथ को अपने को साबित जो करना है!

    चरण सिंह
    उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ किसी भी तरह से अपने को साबित करना है। उन्हें हर हाल में छह से सात सीटें निकालनी ही हैं। ऐसे में वह सब कुछ करेंगे जिससे उनकी अधिकतर सीटें आ जाएं। यह माना जाता है कि उप चुनाव में सरकारी मशीनरी का खुलकर दुरुपयोग होता है तो योगी आदित्यनाथ भला कैसे मानेंगे ? इन चुनाव से भले ही सरकार बने या न बिगड़े पर यह चुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। देखने की बात यह है कि आरएसएस योगी आदित्यनाथ को पीएम मोदी के विकल्प के रूप में तैयार कर रहा है। योगी आदित्यनाथ की पूछ दूसरे राज्यों में भी हो रही है। योगी आदित्यनाथ की रैली यूपी से ज्यादा महाराष्ट्र और झारखंड में हुईं है। ऐसे में यदि भाजपा उप चुनाव हार जाती है तो फिर योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री पद के लिए पेश करने में आरएसएस को दिक्कत आएगी। यही वजह है कि मोहन भागवत ने मथुरा में योगी आदित्यनाथ के साथ लंबी मंत्रणा की थी। वह मंत्रणा यूपी उप चुनाव को लेकर ही हुई थी। मतलब चुनाव में आरएसएस ने भी पूरा साथ दिया है।
    दरअसल लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में मिली करारी शिकस्त के बाद  बीजेपी की एक लॉबी ने येागी आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्च खोल दिया था। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह के साथ ही अनुप्रिया पटेल और ओमप्रकाश राजभर खुलकर योगी आदित्यनाथ के विरोध में खड़े हो गये थे। आरएसएस ने मामला संभाला और योगी आदित्यनाथ ने हर मोर्चे का मुकाबला किया। अंततज् योगी आदित्यनाथ को अपने नेतृत्व में चुनाव लड़ने का मौका मिला। केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भूपेंद्र चौधरी और धर्मपाल सिंह को योगी आदित्यनाथ से मिलने भेजा गया।
    योेगी आदित्यनाथ ने केशव प्रसाद मौर्य को फूलपुर मझवां, ब्रजेश पाठक को करहल और सीसामऊ, भूपेद्र चौधरी को कुंदरकी और मीरापुर, धर्मपाल सिंह को खैर और गाजियाबाद का प्रभारी बना दिया और खुद योगी आदित्यनाथ ने कटेहरी और मिल्कीपुर सीट जिताने का जिम्मा लिया था। कोर्ट की वजह से मिल्कीपुर सीट पर चुनाव नहीं हो रहा है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा दांव यह खेला है कि कटेहरी को छोड़कर जो भी सीट बीजेपी हारेगी वह इन योगी के विरोधियों के खाते में जाएगी। यही वजह है कि इन नेताओं की भी सीटों को जितवाने की मजबूरी है।
    दरअसल उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव में मीरापुर, करहल, सीसामऊ सीट पर बवाल देखने को मिला है। समाजवादी पार्टी के शिकायत करने के बाद चुनाव आयोग ने कुछ पुलिसकर्मी सस्पेंड भी किये पर चुनाव आयोग की इस सख्ती से समाजवादी पार्टी संतुष्ट नहीं दिखाई दी। सीसामऊ में भाजपा ने नाराजगी जताई। अखिलेश यादव ने मीरापुर में एक एसओ पर महिलाओं को रिवाल्कर दिखाकर वोट न डालने का डर दिखाने का आरोप लगाया। मतलब महाराष्ट्र और झारखंड के इतर उत्तर प्रदेश के विधानसभा उप चुनाव में ज्यादा गर्माहट दिखाई दी।

  • नई परम्परा

    नई परम्परा

    डॉ. प्रियंका ‘सौरभ’

    विजय के पिता जी का स्वर्गवास हो गया था। उनके खानदान में परपरा थी कि स्वर्गवासी के फूलों (अस्थियों ) को गंगा जी में विसर्जित किया जाता था। वह अपने पिता की आत्मिक शांति के लिए हरिद्वार चल पड़ा। जैसे ही उसने हरिद्वार की भूमि पर कदम रखे उसके चारों ओर पण्डों की भीड़ जुट गई। हाँ, जी कौन-सी जाति के हो। कहाँ से आए हो ? किसके यहाँ जाओगे ? जैसे-जैसे प्रश्नों की संख्या बढ़ रही थी उसकी दुगुनी गति से पण्डों का हुजूम उमड़ रहा था। पिता की मौत के भार तले दबे विजय ने धीरे से बोलते हुए कहा, मुझे पण्डित गुमानी राम के यहाँ जाना है। उसके बड़े-बुजुर्ग कहा करते थे कि गुमानी राम जी उनके खानदानी पण्डित है।

    इतने में भीड़ से एक पण्डे की आवाज आई- आइए मेरे साथ आइए, मैं उनका पौत्र हूँ। मैं ले चलता हूँ आपको गंगा घाट। आया हुआ पण्डा, विजय के हाथों से अस्थि-कलश लेकर उनके आगे-आगे चल पड़ा और वो उनके पीछे-पीछे। रास्ते में बतियाते हुए पण्डा बोला- एक हजार रूपये दान करना जी अस्थियां विसर्जित करने के लिए ताकि दिवंगत आत्मा को शांति मिल सके। ऐसी बात सुनकर विजय चौंका तो जरूर पर बिना कुछ कहे उसके साथ-साथ चलता रहा। पण्डे ने फिर से कहा, कहो जी दान करोगे ना। विजय ने उदासी पूर्ण भाव से कहा नहीं, मेरे पास इतने पैसे नहीं है। चलो कोई बात नहीं पिता की सद्गति के लिए कुछ तो दान करना ही पड़ेगा आपको। कुछ कम कर देंगे, पांच सौ रूपये तो होंगे आपके पास। विजय चुपचाप पण्डे की बात सुनता रहा। लगता है पिता पे तुम्हारी श्रद्धा बिल्कुल नहीं है। तुम्हारा कुछ तो कर्त्तव्य बनता है उनके लिए । जो कुछ था तुम्हारे लिए ही तो छोड़ गए बेचारे । अगर उसमें से थोड़ा हमें दान कर दोगे तो क्या जाता है तुहारा? विजय अब भी चुपचाप सुनते जा रहा था।

    गंगा घाट बस बीस कदमों की दूरी पे था। पण्डा अपना आपा खो बैठा था ।बड़े निकम्मे पुत्र हो । मरे बाप की कमाई अकेले खाना चाहते हो। पण्डे की बेतुकी बातें सुनते-सुनते विजय का संयम टूट चुका था। उसने पण्डे के हाथों से अपने पिता का अस्थि-कलश छीन लिया था और पण्डे की ओर देखते हुए बोला- पिता जी मेरे थे। आप कौन होते है उसकी कमाई का हिस्सा मांगने वाले । मेरी श्रद्धा से मैं यहाँ आया हूँ और दान भी अपनी श्रद्धा से ही देता। पर अब तुम्हारी बातें सुनकर तो वो भी नहीं करूंगा और न ही आगे आने वाली पीढ़ियों को करने दूँगा। यह कहकर वह गंगा में उतर गया ।

    मैया के जयकारे के संग एक नई परपरा बनाते हुए उसने पिता के फूल गंगा माँ की गोद में अर्पित कर दिये थे। वहीं दूसरी ओर किनारे खड़ा पण्डा इस ‘नई परपरा’ से अपना धन्धा चौपट होते देख रहा था।

  • मुख्यमंत्री ने स्व. रामायण राय की 9वीं पुण्यतिथि पर किया श्रद्धांजलि अर्पित

    मुख्यमंत्री ने स्व. रामायण राय की 9वीं पुण्यतिथि पर किया श्रद्धांजलि अर्पित

     वृक्षारोपण से दी पर्यावरण की प्रेरणा

    रोहतास। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के कुशही ग्राम में स्वर्गीय रामायण राय की नौवीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रतिमा स्थल के पास वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

    स्व. रामायण राय के सुपुत्र एवं पश्चिम चम्पारण के जिलाधिकारी श्री दिनेश कुमार राय ने मुख्यमंत्री का गुलदस्ता, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। गाँव पहुंचने पर स्थानीय नेताओं, जनप्रतिनिधियों और ग्रामवासियों ने मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया।

    मुख्यमंत्री ने प्राथमिक विद्यालय कुशही के पास बने मंच से सभा को संबोधित किया और बड़ी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में जल संसाधन मंत्री श्री विजय कुमार चौधरी, ग्रामीण विकास मंत्री श्री श्रवण कुमार, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. जमा खान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्व. रामायण राय के परिवार के सदस्यों सहित कई राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे।

  • दरभंगा में आईटी पार्क का शुभारंभ: मिथिला क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का नया अध्याय

    दरभंगा में आईटी पार्क का शुभारंभ: मिथिला क्षेत्र में तकनीकी प्रगति का नया अध्याय

    दरभंगा। जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अब एक नए रूप में सामने आ रहा है। जिले में हाल ही में निर्मित आईटी पार्क न केवल इस क्षेत्र में आर्थिक उन्नति की उम्मीदों को बढ़ा रहा है, बल्कि युवाओं को अपने ही घर के पास तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने का मौका भी प्रदान कर रहा है।

    आईटी पार्क की विशेषताएं:

    दरभंगा में स्थापित इस आईटी पार्क में अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, हाई-स्पीड इंटरनेट सुविधाएं, आधुनिक कार्यालय स्थान, और तकनीकी जरूरतों के हिसाब से तैयार की गई सुविधाएं शामिल हैं। यह पार्क करीब 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला है और इसमें कई छोटे और बड़े कॉन्फ्रेंस रूम, कैंटीन, और आरामदायक वर्कस्पेस जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।

    कंपनियों की बढ़ती दिलचस्पी:

    कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आईटी कंपनियां इस पार्क में अपने ऑफिस खोलने की इच्छुक हैं। प्रमुख कंपनियों की यहां उपस्थिति न केवल क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए उच्च वेतन वाली नौकरियों के अवसर भी प्रदान करेगी। इसके अलावा, स्थानीय स्टार्टअप्स और नए व्यवसायों को भी इस पार्क में सहयोग और संसाधन मिल सकते हैं, जिससे स्थानीय इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा।

    युवाओं के लिए सुनहरा अवसर:

    दरभंगा का यह आईटी पार्क उन युवाओं के लिए सुनहरा अवसर है जो अब तक अपने क्षेत्र से बाहर जाकर रोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर जाते थे। यहां की रोजगार संभावनाओं से युवा अपनी पढ़ाई के बाद स्थानीय स्तर पर ही काम कर सकेंगे। इससे ‘ब्रेन ड्रेन’ की समस्या में भी कमी आएगी और क्षेत्र में आईटी प्रोफेशनल्स की संख्या में वृद्धि होगी।

    स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ:

    आईटी पार्क के संचालन से स्थानीय अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। छोटे व्यवसाय जैसे होटल, रेस्टोरेंट, कैफे, परिवहन सेवाएं और अन्य संबंधित उद्योग भी इससे लाभान्वित होंगे। इसके अलावा, स्थानीय सेवा प्रदाताओं को भी अपने काम के विस्तार के लिए नए मौके मिलेंगे।

    सरकारी और प्रशासनिक प्रयास:

    दरभंगा के इस आईटी पार्क की सफलता के पीछे बिहार सरकार और स्थानीय प्रशासन की योजनाएं और प्रयास शामिल हैं। सरकार ने इस परियोजना के लिए निवेश आकर्षित करने के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की थी, जिसमें कर में रियायतें, भूमि की आसान उपलब्धता, और आवश्यक बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।

    विकास की ओर एक नई दिशा:

    आईटी पार्क का उद्घाटन दरभंगा के लिए केवल एक शुरुआत है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मिथिला क्षेत्र भी तकनीकी दृष्टि से पिछड़ा नहीं है और यहां के लोग भी तकनीकी कौशल में प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। इससे अन्य जिलों में भी ऐसे विकास कार्यों के लिए प्रेरणा मिलेगी।

    आने वाले समय में दरभंगा का आईटी पार्क क्षेत्रीय विकास का एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। इस पहल के माध्यम से शहर में तकनीकी संस्थानों, प्रशिक्षण केंद्रों, और उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या भी बढ़ सकती है, जिससे तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी मजबूती आएगी।

    दरभंगा में आईटी पार्क की स्थापना एक ऐतिहासिक और दूरगामी कदम है, जो इस क्षेत्र की तकनीकी और आर्थिक स्थिति को एक नई दिशा देगा। इससे दरभंगा मिथिला क्षेत्र का एक आधुनिक, तकनीकी रूप से सक्षम और आर्थिक रूप से सशक्त शहर बन सकेगा।

  • सीतामढ़ी की अनुपमा जायसवाल को स्वीडेन में मिला सम्मान

    सीतामढ़ी की अनुपमा जायसवाल को स्वीडेन में मिला सम्मान

     ट्रूकॉलर के लिए अहम भूमिका निभाई

    सीतामढ़ी । सीतामढ़ी जिले के कोट बाजार निवासी अनुपमा जायसवाल को हाल ही में स्वीडेन स्थित ट्रूकॉलर मुख्यालय द्वारा सम्मानित किया गया। अनुपमा को यह सम्मान ट्रूकॉलर के लिए तीन महत्वपूर्ण ISO प्रमाणपत्र (ISO 27001, ISO 22301 और ISO 9001) प्राप्त करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए दिया गया है। इन प्रमाणपत्रों ने ट्रूकॉलर के वैश्विक स्तर पर उच्च सुरक्षा, गुणवत्ता, और आपातकालीन प्रबंधन के मानकों को सुनिश्चित करने में मदद की है।

    अनुपमा जायसवाल, जिनका पैतृक घर सीतामढ़ी के कोट बाजार में स्थित है, एक समर्पित और मेहनती महिला पेशेवर हैं। वे अवकाश प्राप्त शिक्षक राजेंद्र प्रसाद की पौत्रवधु और डॉ. शंभूनाथ प्रसाद के पुत्र ई. हिमांशु की पत्नी हैं। सीतामढ़ी जिले के छोटे से क्षेत्र से निकल कर अनुपमा ने अपने पेशेवर जीवन में असाधारण सफलता प्राप्त की है।

    अनुपमा ने ट्रूकॉलर में अपनी जिम्मेदारियों के दौरान डिजिटल सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। आज के डिजिटल युग में जहां डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, अनुपमा ने ट्रूकॉलर के संचालन में सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। ISO 27001 प्रमाणपत्र, जो डेटा सुरक्षा के उच्चतम मानकों को प्रमाणित करता है, अनुपमा की कड़ी मेहनत का परिणाम है। इसके अलावा, ISO 22301 और ISO 9001 प्रमाणपत्रों ने कंपनी के आपातकालीन प्रबंधन और गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता दी है।
    ISO 27001, ISO 22301 और ISO 9001 प्रमाणपत्र, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होते हैं, कंपनियों को उनकी सेवा में सुरक्षा, गुणवत्ता, और आपातकालीन प्रबंधन के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करने का प्रमाण प्रदान करते हैं। अनुपमा की यह उपलब्धि ट्रूकॉलर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी अपने ग्राहकों को सुरक्षित, विश्वसनीय और गुणवत्ता आधारित सेवा प्रदान करती है।
    अनुपमा की सफलता सिर्फ उनके पेशेवर कौशल का परिणाम नहीं है, बल्कि उनके समर्पण, कठिन परिश्रम और डिजिटल सुरक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का भी परिणाम है। स्वीडेन में ट्रूकॉलर के मुख्यालय में उन्हें सम्मानित करना यह साबित करता है कि उनकी कड़ी मेहनत और लक्ष्य के प्रति समर्पण ने उन्हें वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाई है।
    अनुपमा की इस सफलता पर सीतामढ़ी वेब परिवार की ओर से उन्हें हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी गईं। उनके इस सम्मान ने सीतामढ़ी जिले के युवाओं को प्रेरणा दी है और यह दिखाया है कि किसी भी क्षेत्रीय स्थान से आने वाले लोग भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकते हैं।

    अनुपमा के लिए यह सम्मान एक नई शुरुआत है। उनके इस योगदान को देखते हुए, उनकी यात्रा और सफलता अब न केवल सीतामढ़ी जिले, बल्कि पूरे बिहार और भारत के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। वे साबित करती हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपने काम के प्रति ईमानदार और समर्पित होता है, तो वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है और विश्व स्तर पर पहचान बना सकता है।

    अनुपमा की यह सफलता उनके परिवार, दोस्तों और पेशेवर सहयोगियों के लिए गर्व का कारण है। उनके प्रयासों और समर्पण ने न सिर्फ उनकी कंपनी को लाभ पहुंचाया है, बल्कि सीतामढ़ी को भी गौरवान्वित किया है।

  • एक ऐतिहासिक क्षण जिसने बिहार की छवि को बदला

    एक ऐतिहासिक क्षण जिसने बिहार की छवि को बदला

    अल्लू अर्जुन की पटना यात्रा

    दीपक/शालिनी 

    पटना। दक्षिण भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित अभिनेता अल्लू अर्जुन ने पटना के गांधी मैदान में रविवार को एक प्रमोशनल कार्यक्रम के तहत उपस्थिति दर्ज कराई। इस आयोजन ने न केवल हजारों प्रशंसकों को आकर्षित किया, बल्कि बिहार की बदलती सामाजिक और आर्थिक पहचान को भी उजागर किया।

    भीड़ का मतलब: बेरोजगारी या उत्साह?

    अल्लू अर्जुन की इस यात्रा ने कई सवाल खड़े किए। सोशल मीडिया पर कई आलोचकों ने इसे बिहार की बेरोजगारी से जोड़कर देखा, जबकि स्थानीय निवासियों और छात्रों ने इसका विरोध किया। उन्होंने बताया कि मुंबई और अन्य बड़े शहरों में इसी तरह की भीड़ को सितारों के प्रति प्रेम और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। पटना में अल्लू अर्जुन की उपस्थिति पर भी इसी नजरिए से देखा जाना चाहिए।

    बिहार में रोजगार की स्थिति:

    पिछले दो दशकों से बिहार बेरोजगारी की चुनौती से जूझ रहा था, लेकिन हाल के वर्षों में राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर सुधार किए हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो सालों में जितनी सरकारी नौकरियां बिहार में दी गई हैं, उतनी किसी और राज्य ने नहीं दी। इसके उदाहरण के तौर पर बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा शिक्षकों की भर्ती को देखा जा सकता है, जिसमें चयनित शिक्षक प्रतिमाह ₹45,000 से अधिक की आय प्राप्त कर रहे हैं।

    पटना: छात्रों और प्रतिस्पर्धा का केंद्र:

    पटना, विशेषकर गांधी मैदान और उसके आस-पास के क्षेत्र, हजारों छात्रों के लिए प्रतिस्पर्धा और शिक्षा का केंद्र है। यहां के छात्र देश की कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। सप्ताहांत पर, विशेष रूप से रविवार को, ये छात्र गंगा के एनआईटी घाट, मरिन ड्राइव और अन्य गंगा किनारे के इलाकों में राहत और मनोरंजन के लिए इकट्ठा होते हैं। अल्लू अर्जुन की उपस्थिति इन छात्रों के लिए एक उत्सव का माहौल बन गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि बिहार का युवा वर्ग अपनी पढ़ाई के साथ-साथ मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी रुचि रखता है।

    बिहार की बदलती छवि: साउथ इंडियन सिनेमा का योगदान:

    अल्लू अर्जुन की उपस्थिति ने एक और महत्वपूर्ण पहलू को उजागर किया: बिहार की वैश्विक पहचान। साउथ इंडिया के लोग, जिन्होंने कभी बिहार के प्रति संदेहपूर्ण दृष्टिकोण रखा था, अब इस राज्य के नए रूप को देख सकते हैं। इससे दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान की संभावनाएं बढ़ेंगी और बिहार की छवि एक प्रगतिशील राज्य के रूप में उभर सकती है।

    पर्यटन और फिल्म उद्योग के लिए नए अवसर:

    अल्लू अर्जुन की इस यात्रा ने बॉलीवुड और अन्य फिल्म इंडस्ट्रीज के लिए बिहार के दरवाजे खोल दिए हैं। अगर पटना जैसे शहर में इस प्रकार की भीड़ आकर्षित हो सकती है, तो भविष्य में फिल्म निर्माताओं के लिए यह राज्य एक नई संभावित शूटिंग डेस्टिनेशन बन सकता है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।

    स्थानीय व्यापारियों और पर्यटन क्षेत्र पर प्रभाव:

    गांधी मैदान के आसपास के क्षेत्र के व्यापारियों ने बताया कि अल्लू अर्जुन के कार्यक्रम के चलते उनके कारोबार में बढ़ोतरी देखी गई। स्थानीय होटलों, रेस्तरांओं, और अन्य छोटे व्यापारियों को इससे सीधा फायदा हुआ। पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस प्रकार के आयोजन जारी रहे, तो पटना और बिहार अन्य पर्यटक स्थलों के मुकाबले अधिक लोकप्रिय हो सकते हैं।

    अल्लू अर्जुन की पटना यात्रा ने यह साबित किया कि बिहार अब केवल पिछड़ेपन की कहानियों के लिए नहीं जाना जाएगा। यह राज्य अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता और फिल्मी जगत में नए अवसरों के लिए पहचाना जाएगा।

  • पुलिस ने शराब सहित पैक्स अध्यक्ष समेत तीन को किया गिरफ्तार

    पुलिस ने शराब सहित पैक्स अध्यक्ष समेत तीन को किया गिरफ्तार

    कैमूर। बिहार में शराबबंदी के बावजूद चुनावों में शराब का इस्तेमाल एक आम बात बन गई है। ताजा मामला कैमूर जिले से सामने आया है, जहां पैक्स चुनाव के दौरान पैक्स अध्यक्ष की गाड़ी से 168 पीस शराब बरामद हुई है। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।
    मोहनिया एसडीपीओ प्रदीप कुमार ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर नुआंव पुलिस ने एक बोलेरो गाड़ी को रोका। जांच में पाया गया कि यह गाड़ी महेंद्र सिंह, जो सातों एवती पैक्स के वर्तमान अध्यक्ष हैं, की है। गाड़ी से लगभग 33 लीटर शराब बरामद हुई। कहने को तो बिहार में शराबबंदी है लेकिन इस शराबबंदी के बीच लगातार यूपी से शराब की खेप बिहार की सीमा में लाई जा रही है. कैमूर पुलिस ने पैक्स अध्यक्ष लिखी गाड़ी से 168 बोतल शराब जब्त किया है। मोहनिया एसडीपीओ प्रदीप कुमार ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया की नुआंव पुलिस द्वारा जाती के दौरान कार्यवाही करते हुए एक बोलेरो को जब्त किया गया जांच के क्रम में पाया गया कि यह वहां महेंद्र सिंह वर्तमान पैक्स अध्यक्ष सातों एवती की है जिसमें लगभग 33 लीटर शराब जब्त हुआ है। पुलिस का मानना है कि इस शराब को पैक्स चुनाव में प्रत्याशियों को लुभाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।
    यह मामला एक बार फिर बिहार में शराबबंदी कानून के प्रभावी कार्यान्वयन पर सवाल खड़े करता है। बावजूद इसके कि सरकार शराबबंदी को लेकर सख्त है, लेकिन चुनावों के दौरान शराब का अवैध कारोबार लगातार बढ़ रहा है।

  • पूर्व विधायक ने रचाई खुद से आधी उम्र की लड़की से शादी, राजनीति में चर्चा का विषय बनी नई रणनीति

    पूर्व विधायक ने रचाई खुद से आधी उम्र की लड़की से शादी, राजनीति में चर्चा का विषय बनी नई रणनीति

     समस्तीपुर। समस्तीपुर के विभूतिपुर के जदयू के पूर्व विधायक रामबालक सिंह ने 62 साल की उम्र में 30 वर्षीय रवीना कुमारी से शादी कर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा दी है। शादी बेगूसराय के गढ़पुरा स्थित बाबा हरिगिरि धाम मंदिर में सोमवार रात समाज के बीच संपन्न हुई।

    रवीना खगड़िया के अलौली निवासी हैं और पूर्व मुखिया रह चुकी हैं। शादी के बाद मंगलवार को विधायक जी ने अपने घर मिठाई बांटकर लोगों को इस खुशखबरी में शामिल किया। इस शादी के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिससे यह शादी चर्चा का केंद्र बन गई है।

    राजनीतिक समीकरण का हिस्सा है शादी?

    स्थानीय लोगों का कहना है कि यह शादी 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा हो सकती है। हत्या के मामले में आरोपी होने के कारण रामबालक सिंह खुद चुनाव नहीं लड़ सकते। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी नई पत्नी रवीना को विभूतिपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारने की योजना बनाई है।

    राजनीति में बढ़ता ‘टिकट के लिए शादी’ ट्रेंड:

    बिहार की राजनीति में शादी और टिकट का यह समीकरण नया नहीं है। हाल ही में राजद के अशोक महतो ने लोकसभा टिकट के लिए अपने से आधी उम्र की अनीता से शादी की थी। इसी तरह, सीवान में जदयू नेता ने भी मलेमास के दौरान शादी कर टिकट हासिल किया।

    सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया:

    इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। लोग इसे राजनीति में टिकट और सत्ता के लिए निजी जीवन में बड़े फैसलों का उदाहरण मान रहे हैं।