Author: TheNews 15

  • आज का अख़बार

    आज का अख़बार पढ़ने के लिए Click Here… 27 NOVEMBER 2024

  • विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सीनियर सिटीजन को सम्मानित करेगी सरकार

    विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सीनियर सिटीजन को सम्मानित करेगी सरकार

    समाज कल्याण विभाग ने वरिष्ठ नागरिकों एवं संस्थाओं से पुरस्कारों के लिए मांगे आवेदन

    करनाल, (विसु)। समाज कल्याण विभाग ने वरिष्ठ नागरिकों तथा उनकी देखभाल के लिए काम करने वाली संस्थाओं तथा ग्राम पंचायतों को पुरस्कृत करने के लिए 25 नवंबर तक आवेदन आमंत्रित किए हैं। हर साल एक अक्टूबर को मनाए जाने वाले सीनियर सिटीजन वेलफेयर डे के उपलक्ष्य में ये पुरस्कार राज्य स्तर पर प्रदान किए जाने हैं।
    जिला समाज कल्याण अधिकारी कृष्णा भारद्वाज ने बताया कि 100 वर्ष की आयु पार कर चुके स्वस्थ बुजुर्ग, विशेष उपलब्धियां हासिल करने वाली बुजुर्ग महिला, वरिष्ठ मूर्तिकार, चित्रकार, नर्तक, गायक, संगीतज्ञ, खिलाड़ी, सर्वश्रेष्ठ वृद्धाश्रम, बेस्ट डे केयर सेंटर, बुजुर्गों की सेवा करने वाली ग्राम पंचायत व समाजसेवी संगठनों को सीनियर सिटीजन वेलफेयर अवार्ड के लिए चुना जाएगा। उन्होंने कहा कि साहस और हिम्मत की किसी घटना में शामिल रहे बुजुर्ग को करेज एंड ब्रेवरी अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इसी प्रकार बेस्ट मदर अवार्ड, सीनियर पेंटर, सीनियर स्कल्पचर अवार्ड भी दिए जाएंगे।
    उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत पुरस्कार हासिल करने वाले वरिष्ठ नागरिक को प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर क्रमश: 50 हजार, 30 हजार व 20 हजार रूपए का इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा संस्थागत अवॉर्ड जैसे ग्राम पंचायत, ओल्ड एज होम आदि को एक लाख, 75 हजार तथा 50 हजार रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा। इन पुरस्कारों के लिए आवेदक विकास सदन में स्थित जिला समाज कल्याण कार्यालय में आकर संपर्क कर सकते हैं।

  • आखिर यूपी उप चुनाव में योगी ने अपने को कर ही दिया साबित! 

    आखिर यूपी उप चुनाव में योगी ने अपने को कर ही दिया साबित! 

    चरण सिंह

    जैसा कि उम्मीद व्यक्त की जा रही थी यूपी उप चुनाव में ठीक उसी तरह से परिणाम आया है। क्योंकि इन उप चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। इसलिए उन्हें हर हाल में छह से सात सीटें जीतनी थी। योगी आदित्यनाथ का बटेंगे तो कटेंगे नारा चल निकाला। यही वजह रही कि रुझान में 7-2  की बढ़त पर ही उन्होंने बयान जारी कर दिया। उनका कहना था कि नहीं बटेंगे तो सेफ रहेंगे। मतलब उनका नारा जीत गया। ऐसा भी नहीं है कि सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से ही योगी आदित्यनाथ ने इन चुनाव में बढ़त बनाई है।
    दरअसल सपा मुखिया अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव की तरह आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर जातीय समीकरण लगाये बैठे थे। अखिलेश यादव यह बात समझने को तैयार नहीं थे कि वह विपक्ष की भूमिका में विफल साबित हो रहे हैं। वह सपा को बसपा के तरीके से चलाने लगे हैं। उनके नेतृत्व में सपा कार्यकर्ता आंदोलन करना भूल बैठे हैं।सपा कार्यकर्ता किसानों और मजदूरों के आंदोलनों को समर्थन देते नजर आते रहे हैं। पर खुद सपा ने न तो किसानों के लिए कोई आंदोलन किया और न ही मजदूरों के लिए ही। जो अखिलेश यादव ने पीडीए बनाया उस पीडीए के लिए भी अखिलेश यादव ने कोई खास संघर्ष करने नहीं दिखाई दिये।

    महाराष्ट्र में भी यही हुआ। चाहे उद्धव ठाकरे की पार्टी हो, कांग्रेस हो या फिर एनसीपी, इनमें से कोई पार्टी एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ आंदोलन करती नहीं देखी गई। ये सभी नेता बिल्ली के भाग से छींका टूटने का इंतजार करते रहे। भाजपा नेता सत्ता में रहते हुए भी लोगों से संपर्क करते दिखाई दिये। विशेषकर आरएसएस की टीमें लगातार लोगों के संपर्क में रहीं। यह भी कहा जा सकता है कि अब लोग वंशवाद पर टिके नेतृत्व को नकार रहे हैं। महाराष्ट्र में शरद पवार और उद्धव ठाकरे को तो उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव पर लोगों ने विश्वास नहीं किया।

    उत्तर प्रदेश में तो योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री होते हुए भी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से ज्यादा मेहनत करते देखे जाते रहे हैं। अखिलेश यादव तो आज की तारीख में भी अपने को मुख्यमंत्री से कम नहीं मानते हैं। उनका अपने कार्यकर्ताओं से वही व्यवहार है जो उनके मुख्यमंत्री रहते हुए था। उनके खुद के कार्यकर्ता कहते सुने जाते हैं कि आज भी उनके पास अपने कार्यकर्ताओं के लिए समय नहीं है।

    अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के समय के अधिकतर नेताओं को दरकिनार कर रखा है। प्रॉपर्टी डीलर और ठेकेदार टाइप के लोग अपने साथ सटा रखे हैं। ऐसे में सपा के जमीनी कार्यकर्ता पार्टी से दूर होते जा रहे हैं। उधर योगी आदित्यनाथ का व्यक्तित्व इस तरह का हो चुका है कि वह विपक्ष से तो डरते ही नहीं हैं साथ ही भाजपा के शीर्षस्थ नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के भी किसी दबाव में नहीं आते हैं। उत्तर प्रदेश की हार का ठीकरा योगी आदित्यनाथ के सिर फोड़ते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य योगी आदित्यनाथ के खिलाफ काफी समय तक मोर्चा खोले रखे।इस विरोध में उन्होंने दूसरे डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह के साथ ही सहयोगी दल के नेता अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर को भी लगा लिया। वह योगी आदित्यनाथ ही थे जो दबे नहीं और अंतत: विरोधियों को झुकना पड़ा।

  • हरियाणा के सीएम ने कुशाग्र सैनी को शादी की बधाई दी

    हरियाणा के सीएम ने कुशाग्र सैनी को शादी की बधाई दी

    करनाल (विसु)। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी शुक्रवार को करनाल प्रवास पर रहे। मुख्यमंत्री मॉल रोड पर स्थित ऑफिसर कॉलोनी में पहुंचे।
    यहां उन्होंने महाराणा प्रताप हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार सुरेश सैनी के पुत्र कुशाग्र सैनी को शादी की बधाई दी। उन्होंने कुशाग्र को अपना आशीर्वाद दिया तथा परिजनों को हार्दिक शुभकामनाएं दी। इस मौके पर करनाल के विधायक जगमोहन आनंद, पूर्व विधायक सुभाष सुधा, जिला अध्यक्ष बृज गुप्ता, जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त उत्तम सिंह, पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया भी उपस्थित रहे।

  • दिल्ली का लगातार वायु प्रदूषण संकट

    दिल्ली का लगातार वायु प्रदूषण संकट

    दिल्ली के वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए निवारक उपाय स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना है जैसे सीएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ईंधन पर स्विच करना वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को काफ़ी हद तक कम कर सकता है। दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत, सभी डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को 2023 तक अपने बेड़े का 50% और 2025 तक 100% इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा। किसानों को बायो-डीकंपोजर और नो-बर्न तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने से पराली जलाने में कमी आ सकती है। महाराष्ट्र में सगुना चावल तकनीक पराली जलाने को कम करती है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ाने से निजी वाहनों पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे उत्सर्जन पर अंकुश लग सकता है। दिल्ली मेट्रो चरण IV का विस्तार कनेक्टिविटी में सुधार और यातायात से सम्बंधित प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य रखता है। पूसा द्वारा विकसित बायोडीकंपोजर का उपयोग पराली प्रबंधन के महत्त्वपूर्ण विकल्पों में से एक है।

     

    डॉ. सत्यवान सौरभ

    भारत अपने विषैले धुएँ को साफ़ करने में क्यों विफल रहा है? राज्य के अधिकारी एक प्रायोगिक योजना का प्रचार करते हैं जिसमें बारिश के लिए बादलों को उत्तेजित करना शामिल है, लेकिन वैज्ञानिक संशय में हैं। तकनीकी प्रगति और नीतिगत हस्तक्षेपों के बावजूद दिल्ली को अक्सर दुनिया भर में सबसे प्रदूषित शहरों में से एक माना जाता है, जहाँ वायु गुणवत्ता में गंभीर गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। नवंबर 2024 में, वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर स्तर को पार कर गया, जो कुछ क्षेत्रों में 500 तक पहुँच गया, जो 400 की “गंभीर” सीमा से कहीं अधिक है। यह भयावह स्थिति शहर के बढ़ते प्रदूषण संकट से निपटने के लिए प्रभावी, दीर्घकालिक समाधानों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। सामान्य वायु प्रदूषण भारत में अपनी आधी से अधिक बिजली बनाने के लिए कोयले को जलाने से जुड़ा है। दिल्ली में, यह लाखों कारों से होने वाले उत्सर्जन और निर्माण उद्योग से निकलने वाले धुएँ के साथ मिलकर काम करता है, जहाँ कोई प्रदूषण नियंत्रण नहीं है।

    कुछ लोग अक्टूबर के अंत में हिंदू रोशनी के त्यौहार दिवाली के दौरान पटाखों के व्यापक उपयोग को भी इसके लिए दोषी ठहराते हैं। अधिकारियों ने 2017 में पारंपरिक पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था और लोगों को केवल पर्यावरण के अनुकूल रोशनी का उपयोग करने की अनुमति दी थी, लेकिन नियम को ठीक से लागू नहीं किया गया।पीएम2.5, प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण पदार्थ, फेफड़ों में गहराई तक जाकर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन या हृदय की स्थिति वाले लोगों के लिए। हर साल, भारत में श्वसन सम्बंधी बीमारियों से सैकड़ों हज़ार लोग मरते हैं। 2021 में विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में पाया गया कि भारत का कोई भी शहर प्रति घन मीटर हवा में 5 माइक्रोग्राम पीएम2.5 के अद्यतन विश्व स्वास्थ्य संगठन सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करता है। भारत के लगभग आधे राज्य इस सीमा को 10 गुना से भी ज़्यादा पार कर गए हैं।

    तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और निजी वाहनों की बढ़ती संख्या कण पदार्थ उत्सर्जन में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। सफ़र इंडेक्स से पता चलता है कि वाहन प्राथमिक प्रदूषक हैं, जो पीएम2.5 उत्सर्जन में लगभग 40 प्रतिशत और नाइट्रोजन ऑक्साइड में 81 प्रतिशत का योगदान करते हैं। पुरानी तकनीक और उचित उत्सर्जन नियंत्रण की कमी के कारण दिल्ली और उसके आसपास के उद्योग ज़हरीली गैसें छोड़ते हैं। एनजीटी ने सीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत क्षमता रिपोर्ट के आधार पर जिगजैग तकनीक वाले ईंट भट्टों सहित सभी ईंट भट्टों को बंद करने का निर्देश दिया है। पंजाब और हरियाणा में फ़सल अवशेषों को जलाने से दिल्ली की हवा में भारी मात्रा में धुआं और कण निकलते हैं। एनसीआर में चल रही निर्माण परियोजनाओं से अपर्याप्त नियंत्रण उपायों के कारण बड़ी मात्रा में धूल उत्पन्न होती है। राजमार्गों और मेट्रो लाइनों के निर्माण से परियोजना निष्पादन के दौरान पीएम10 के स्तर में वृद्धि हुई है। भारत-गंगा के मैदान में दिल्ली का स्थान और सर्दियों के दौरान कम हवा की गति प्रदूषकों को फंसाती है, जिससे घने धुएँ की परत बनती है।

    दिल्ली के वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए निवारक उपाय स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना है जैसे सीएनजी, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ईंधन पर स्विच करना वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को काफ़ी हद तक कम कर सकता है। दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत, सभी डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को 2023 तक अपने बेड़े का 50% और 2025 तक 100% इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा। किसानों को बायो-डीकंपोजर और नो-बर्न तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने से पराली जलाने में कमी आ सकती है। महाराष्ट्र में सगुना चावल तकनीक पराली जलाने को कम करती है। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ाने से निजी वाहनों पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे उत्सर्जन पर अंकुश लग सकता है। दिल्ली मेट्रो चरण IV का विस्तार कनेक्टिविटी में सुधार और यातायात से सम्बंधित प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य रखता है। पूसा द्वारा विकसित बायोडीकंपोजर का उपयोग पराली प्रबंधन के महत्त्वपूर्ण विकल्पों में से एक है।

    निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन जैसे धूल दबाने वाले पदार्थों के इस्तेमाल को अनिवार्य करना। 2021 की सर्दियों के दौरान, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आपातकालीन उपायों की एक शृंखला शुरू की, निर्माण पर प्रतिबंध लगाया, तीव्र धूल नियंत्रण उपायों को लागू किया। हरित स्थानों का विस्तार करना और सड़कों के किनारे पेड़ लगाना प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य कर सकता है। नगर वन योजना एनसीआर उप-क्षेत्रों में हरियाली के लिए एक अवसर है। दिल्ली के वायु प्रदूषण को दूर करने के लिए उपचारात्मक उपाय। महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में स्मॉग टावर लगाने से स्थानीय स्तर पर प्रदूषक स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। कॉनॉट प्लेस के स्मॉग टावर ने प्रदूषण के चरम समय के दौरान वायु गुणवत्ता में स्थानीय सुधार दिखाया है। वास्तविक समय प्रदूषण निगरानी सेंसर जैसे उन्नत निगरानी उपकरण लक्षित हस्तक्षेपों के लिए सटीक डेटा प्रदान कर सकते हैं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दिल्ली की वायु गुणवत्ता संकट को दूर करने के लिए अंतर-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा देता है।

    पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं पर जनता को शिक्षित करना, जैसे कि वाहनों को निष्क्रिय रखना, प्रदूषण के स्तर को काफ़ी हद तक प्रभावित कर सकता है। “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” जैसे अभियान उत्सर्जन को कम करने के लिए व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करते हैं। सामान्य वायु प्रदूषण भारत में कोयले को जलाने से जुड़ा है, जिससे इसकी आधी से ज़्यादा बिजली पैदा होती है। दिल्ली में, यह लाखों कारों से निकलने वाले उत्सर्जन और निर्माण उद्योग से निकलने वाले धुएँ के साथ मिलकर होता है, जहाँ प्रदूषण नियंत्रण नहीं है। अक्टूबर से जनवरी तक यह संकट और गहरा जाता है, जब ठंड के मौसम के साथ-साथ बड़े पैमाने पर फ़सल के ठूंठ जलाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के पड़ोसी राज्यों से धुआँ आता है, क्योंकि हज़ारों किसान फ़सल के मौसम के बाद कृषि अपशिष्ट जलाते हैं। हालाँकि, सर्दियों की भारी हवा प्रदूषकों को ज़मीन के करीब फँसा देती है, जिससे धुआँ और भी खराब हो जाता है।

  • दरभंगा में घूसखोर दारोगा की गई नौकरी, वीडियो के आधार पर एसएसपी का एक्शन

    दरभंगा में घूसखोर दारोगा की गई नौकरी, वीडियो के आधार पर एसएसपी का एक्शन

     दरभंगा। घूस लेते दारोगा जी पकड़े गए। बाजितपुर थाने में इनकी पोस्टिंग थी। सोशल मीडिया पर रिश्वत का वीडियो वायरल हुआ था। दरभंगा के एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने मामले की जांच करवाई। जांच में आरोप सही पाए जाने पर दारोगा को निलंबित कर दिया गया। इससे पहले भी कई पुलिसकर्मी रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित हो चुके हैं।
    दरअसल, बाजितपुर थाने में तैनात दरोगा शशिभूषण रजक एक केस के जांच अधिकारी थे। आरोप है कि उन्होंने पीड़ित पक्ष से केस में मदद के नाम पर रिश्वत की मांग की। पीड़ित ने रिश्वत देते समय शशिभूषण रजक का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। मामला एसएसपी जगुनाथ रेड्डी के संज्ञान में आते ही उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दे दिए।
    बेनीपुर के एसडीपीओ और बहेड़ा के सर्किल इंस्पेक्टर को जांच सौंपी गई। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में दरोगा शशिभूषण रजक को दोषी पाया। रिपोर्ट मिलते ही एसएसपी ने शशिभूषण रजक को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया।
    पिछले कुछ दिनों में रिश्वतखोरी के आरोप में पुलिसकर्मियों पर की गई ये दूसरी बड़ी कार्रवाई है। इससे पहले, दो दिन पहले ही फेकला की थानाध्यक्ष पूजा कुमारी और दरोगा पन्नालाल सिंह को गिरफ्तारी वारंट के बदले पैसे लेने के आरोप में निलंबित किया गया था। इस मामले में फेकला थाना के ड्राइवर की भूमिका की भी जांच की जा रही है। इससे पहले इसी थाने की थानाध्यक्ष तृषा सैनी और एक चौकीदार को शराब कारोबारियों से सांठगांठ के आरोप में तीन महीने पहले निलंबित किया गया था।
    एसएसपी जगुनाथ रेड्डी ने कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। बाजितपुर थाने के दारोगा शशिभूषण रजक का रिश्वतखोरी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। इसकी जांच के लिए बेनीपुर एसडीपीओ और बहेड़ा अंचल के सर्किल इंसेक्टर को दिया गया था। दोनो पदाधिकारियों की जांच रिपोर्ट में मामला सही पाया जाने पर उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

  •  सीतामढ़ी जिला प्रशासन को डराने लगे हादसों के आंकड़े

     सीतामढ़ी जिला प्रशासन को डराने लगे हादसों के आंकड़े

    156 मौत और 198 सड़क दुर्घटना,  अब खुली नींद

    सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले की सड़कों पर आवागमन करना होगा, तो पूरी तरह संभल करें। सफर के दौरान कब और कहां पर दुर्घटना के शिकार हो जाएंगे, ये कहना मुश्किल है। दरअसल, यह बातें किसी अनुमान पर नहीं लिखी गई हैं, बल्कि सरकारी रिपोर्ट ही इस बात का गवाह है। प्रशासन की रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाएं और मौतों का आंकड़ा जान लेंगे, तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे। केंद्र और राज्य सरकार आमजन के सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए सड़कों को चकाचक कर रही है। वहीं दुर्घटना भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं।
    जिले में एनएच 77 और 104 के आलावा कई सड़कें चकाचक हैं। इसके चलते काफी रफ्तार से इन सड़कों पर गाड़ियां चलती हैं। तेज गाड़ी से दुर्घटनाएं तो होती ही हैं, लापरवाही, यातायात के नियमों की जानकारी नहीं होने और जानकारी के बावजूद उसे नजरअंदाज करने से दुर्घटनाएं अधिक हो रही है। रिपोर्ट में दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या चौंकाने और हैरान करने वाले हैं। चालू वर्ष में जनवरी से सितंबर तक 196 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 156 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अक्टूबर और नवंबर का आंकड़ा जोड़ दे, तो मृतकों की संख्या दर्जन भर और बढ़ जाएगी।
    एक सप्ताह के अंदर दो स्कूलों की बसें दुर्घटनाग्रस्त हुई है, जिसमें दो की मौत और कई के जख्मी होने की घटनाओं के बाद अब जिला प्रशासन की नींद खुली है। यानी यातायात नियमों का पालन करते हुए स्कूली बच्चों को घर से स्कूल तक सुरक्षित यात्रा को लेकर जिला स्तरीय विद्यालय वाहन परिचालन समिति द्वारा निर्देश जारी किया गया है। साथ ही स्कूल वाहनों के लिए निर्धारित मानक का अनुपालन करना अनिवार्य किया गया है। परिवहन अधिकारी भी अब नियमित रूप से स्कूली बसों और अन्य वाहनों की जांच करेंगे।
    जिला की टीम सभी स्कूलों में पहुंच कर वाहनों के साथ-साथ बाल परिवहन समिति के गठन की भी जांच करेगी। गौरतलब है कि बिहार वाहन परिचालन विनियमन के तहत स्कूलों में बाल परिवहन समिति का गठन करना है। समिति के अध्यक्ष संबंधित स्कूल के एचएम होंगे। वहीं दो अभिभावक, शिक्षक संघ के एक प्रतिनिधि, यातायात पुलिस निरीक्षक, एमवीआई, शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि और स्कूल के बस मालिक के एक प्रतिनिधि बतौर सदस्य होंगे। डीएम ने अनुमंडल वार अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है। डीटीओ स्वप्निल ने बताया कि स्कूलों बसों की भी नियमित जांच के लिए टीमों का गठन किया गया है।

  • बिहार उपचुनाव रिजल्ट: तरारी का ‘किंग’ कौन बनेगा?

    बिहार उपचुनाव रिजल्ट: तरारी का ‘किंग’ कौन बनेगा?

     28 टेबल पर 11 राउंड -दांव पर 3 पार्टियों की इज्जत

     पटना। बिहार के भोजपुर जिले में तरारी विधानसभा उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को हुए मतदान के बाद अब मतगणना की बारी है। मतगणना राजकीय कन्या +2 उच्च विद्यालय आरा में होगी। इसे लेकर प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है। मतगणना स्थल पर एंट्री के लिए दो गेट बनाए गए हैं। पहला गेट चुनाव कर्मियों और पदाधिकारियों के लिए होगा। जबकि दूसरा गेट- मतगणना अभिकर्ता और अन्य संबंधित लोगों की आवाजाही के लिए रखा गया है। वहीं मतगणना के लिए कुल 28 टेबल लगाए गए हैं। मतगणना 11 राउंड में होगी। सबसे पहले बैलेट पेपर की गिनती होगी, उसके बाद ईवीएम के वोट गिने जाएंगे।
    मतगणना केंद्र पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। CRPF की 215 बटालियन के जवान तैनात हैं। सुरक्षा के लिए दो स्तरीय घेरा बनाया गया है।
    ईवीएम की सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। सुरक्षा अधिकारी विनय कुमार ने बताया कि ‘हमारे जवान किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’
    जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीएम तनय सुल्तानिया ने बताया कि चुनाव और मतगणना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मतगणना का समय सुबह 8 बजे से निर्धारित है। सुरक्षा और लॉजिस्टिक व्यवस्था पर खास ध्यान दिया गया है।
    तरारी विधानसभा उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि तीन लोगों के बीच मुकाबला माना जा रहा है। यहां से एनडीए की ओर से बीजेपी ने सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतारा है। वहीं दूसरी तरफ ‘इंडिया’ गठबंधन की ओर से माले ने राजू यादव को प्रत्याशी बनाया। जबकि प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने किरण कुमारी को प्रत्याशी बनाया था।
    23 नवंबर की सुबह ईवीएम खुलने के बाद जनता के फैसले का खुलासा होगा। पूरे क्षेत्र में चुनाव के नतीजों को लेकर उत्सुकता और उत्साह है। अब देखना यह है कि मतगणना के बाद तरारी को उसका नया विधायक कौन मिलेगा।

  • रबी महोत्सव में छाया खाद कालाबाजारी का मुद्दा

    रबी महोत्सव में छाया खाद कालाबाजारी का मुद्दा

    ताजपुर/समस्तीपुर। शुक्रवार को प्रखंड कृषि कार्यालय परिसर में आयोजित रबी महोत्सव में खाद की किल्लत और कालाबाजारी का मुद्दा किसानों के बीच चर्चा का केंद्र रहा। प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) गौरव कुमार, प्रखंड प्रमुख पुनम देवी, कृषि वैज्ञानिकों एवं अन्य अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

    बीडीओ ने किसानों को आश्वस्त किया कि उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा। हालांकि, भाकपा माले के प्रखंड सचिव सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने किसानों की समस्याओं पर जोर देते हुए खाद की कालाबाजारी, नकली उत्पादों की बिक्री, और दुकानदारों द्वारा किसानों के आधार कार्ड के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया।
    अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रखंड अध्यक्ष ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह ने सरकार तक मुद्दे पहुंचाने की आवश्यकता जताई। कार्यक्रम में प्रखंड के कई किसान, जनप्रतिनिधि, और अधिकारी उपस्थित रहे।