Author: Sumbika Gupta

  • ममता बनर्जी को टेंशन में डाल देगी प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी !

    ममता बनर्जी को टेंशन में डाल देगी प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी !

    लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बड़ी भविष्यवाणी की है. उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन तृणमूल कांग्रेस से बेहतर होगा. 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लहर का असर दिखा और हर बड़े राज्य में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी का दबदबा कायम रहा और यहां बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी नहीं बन पाई. अब प्रशांत किशोर ने दावा किया है कि 2024 में बीजेपी को पश्चिम बंगाल में टीएमसी से ज्यादा सीटें मिलेंगी. प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि उत्तर पूर्व और दक्षिण भारतीय राज्यों में भी बीजेपी की सीटें बढ़ेंगी, लेकिन पीएम मोदी का 370 सीटें जीतने का सपना पूरा होना मुश्किल है. उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी की लोकप्रियता और मजबूत विपक्ष की कमी का फायदा एनडीए गठबंधन को मिल रहा है.

    बंगाल के नतीजे करेंगे हैरान

    प्रशांत किशोर के अनुसार एनडीए गठबंधन का 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य पूरा होना मुश्किल है, लेकिन पश्चिम बंगाल में चौंकाने वाले नतीजे आएंगे. उन्होंने कहा “मैं कोई भविष्यवाणी नहीं करना चाहता, लेकिन पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रदर्शन टीएमसी से बेहतर होगा. यहां के चुनावी नतीजे हैरान करने वाले और बीजेपी के पक्ष में होंगे. पीएम मोदी का दक्षिणी राज्यों का दौरा बीजेपी के लिए अच्छा संकेत है.”

    दक्षिण भारत में भी बढ़ेंगी सीटें

    एक इंटरव्यू के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बंगाल के अलावा बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में भी बीजेपी की सीटें बढ़ेंगी. हालांकि, उन्होंने किसी भी पार्टी की सीटों की संख्या नहीं बताई. पीके ने तर्क देते हुए कहा कि पीएम मोदी की लोकप्रियता का फायदा बीजेपी को मिलेगा. पहले भी एनडीए गठबंधन को इसका फायदा मिला है. विपक्ष ने भी अपनी गलतियों के जरिए पीएम मोदी का खूब प्रचार किया है. प्रशांत किशोर भले ही दक्षिण भारत में एनडीए की सीटें बढ़ने की बात कह रहे हों, लेकिन अधिकतर ओपिनियन पोल में दक्षिण भारत में I.N.D.I.A. गठबंधन को ज्यादा सीटें मिलने और सीटों की संख्या बढ़ने की बात कही गई है.

  • फिर मुश्किल में फंस गए अरविंद केजरीवाल! DJB से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नहीं होंगे पेश केजरीवाल

    फिर मुश्किल में फंस गए अरविंद केजरीवाल! DJB से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नहीं होंगे पेश केजरीवाल

    दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीछे बीते कुछ महीनों से ईडी पड़ी हुई है. दिल्ली शराब घोटाले में ईडी अरविंद केजरीवाल को 9 बार समन जारी कर चुकी है, मगर अरविंद केजरीवाल एक बार भी पूछताछ में शामिल नहीं हुए. ऐसे में ईडी ने एक और मामले में समन जारी कर अरविंद केजरीवाल की मुसीबत बढ़ा दी है. दरअसल, ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े धनशोधन के मामले यानी मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज पेश होने के लिए समन भेजा है. अधिकारियों के अनुसार, अरविंद केजरीवाल को आज यानी सोमवार 18 मार्च को एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी कार्यालय में अधिकारियों के सामने पेश होने और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है. धनशोधन रोधी कानून के तहत दर्ज यह दूसरा मामला है, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक को बुलाया गया है.

    जल बोर्ड मामले में भी समन

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 50 के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को 18 मार्च के लिए समन जारी किया है। ED दिल्ली जल बोर्ड में अवैध टेंडरिंग और अपराध की कथित आय के शोधन की जांच कर रही है। वहीं, आम आदमी पार्टी रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रही है। पार्टी का आरोप है कि लोकसभा चुनाव से पहले ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नया केस खोला है। पार्टी का दावा है कि ईडी का मकसद केजरीवाल को गिरफ्तार करना है।

    कोर्ट से नहीं मिली थी राहत

    इससे पहले सीएम केजरीवाल को सेशन कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। कोर्ट ने समन पर रोक लगाने से इंकार कर दिया थी। ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ दो शिकायतें की थी। सात फरवरी को राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी की पहली शिकायत पर संज्ञान लेते हुए केजरीवाल को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। दिल्ली आबकारी घोटाला के मामले में पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह न्यायिक हिरासत में हैं। ईडी ने संजय सिंह को 4 अक्टूबर को उनके सरकारी आवास पर पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। ईडी ने इस मामले में मनीष सिसोदिया को 9 मार्च, 2023 को पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। सिसोदिया को पहले सीबीआई ने 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। संजय सिंह की जमानत याचिका राऊज एवेन्यू कोर्ट खारिज कर चुका है। संजय सिंह की जमानत याचिका हाई कोर्ट भी खारिज कर चुका है, जिसके बाद संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर रखी है। सिसोदिया की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट भी खारिज कर चुका है।

    दिल्ली शराब घोटाला केस में भी ईडी भेज चुकी है समन

    इससे पहले, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किए गए हैं. अरविंद केजरीवाल इस मामले में अब तक आठ समन को अवैध बताते हुए एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए हैं. 55 साल के अरविंद केजरीवाल को इस मामले में नौवां समन जारी कर उन्हें 21 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. बता दें कि दिल्ली शराब घोटाला में ईडी अरविंद केजरीवाल की पेशी के लिए कोर्ट तक पहुंच चुकी है.

    आप ने बताया बैकअप प्लान

    बहरहाल, आम आदमी पार्टी ने इसे अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने से रोकने की ‘बैकअप’ योजना करार दिया है. दिल्ली की मंत्री आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन में इन कार्रवाई के मकसद पर चिंता व्यक्त की और कहा, ‘कोई नहीं जानता कि यह दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) मामला क्या है. ऐसा लगता है कि यह किसी भी तरह केजरीवाल को गिरफ्तार करने और उन्हें लोकसभा चुनाव प्रचार करने से रोकने की बैकअप योजना है.’

    क्या हैं ईडी के आरोप

    डीजेबी मामले में ईडी ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार के विभाग द्वारा दिए गए ठेका में भ्रष्टाचार के माध्यम से प्राप्त धन दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी ‘आप’ को कथित तौर पर चुनावी फंड के रूप में भेजा गया था. ईडी का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें तकनीकी पात्रता मानदंड पूरे नहीं करने पर भी डीजेबी की ओर से एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को दिए गए 38 करोड़ रुपये के ठेका में अनियमितताओं का आरोप है.

    क्या हैं केस

    इस मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किए गए लोगों में डीजेबी के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा और ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल शामिल हैं. ईडी ने दावा किया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने ‘जाली’ दस्तावेज जमा करके ठेका हासिल किया और अरोड़ा को इस तथ्य की जानकारी थी कि कंपनी तकनीकी पात्रता पूरी नहीं करती. यह दूसरा मामला है जिसमें ‘आप’ पर रिश्वत लेने का आरोप लगा है. ईडी ने दावा किया है कि 2021-22 की आबकारी नीति से अर्जित धन का इस्तेमाल पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया था.

  • संदेशखाली केस में शाहजहां शेख का छोटा भाई भी अरेस्ट

    संदेशखाली केस में शाहजहां शेख का छोटा भाई भी अरेस्ट

    संदेशखाली केस के मुख्य आरोपी शाहजहां शेख की गिरफ्तार के बाद अब उसका छोटा भाई भी पुलिस की गिरफ्त में है।तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के छोटे भाई शेख आलमगीर को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।

    क्या है मामला?

    दरअसल सीबीआई ने उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में 5 जनवरी को ईडी और सीएपीएफ टीमों पर हमले के आरोपी मास्टरमाइंड और निलंबित तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां के छोटे भाई शेख आलमगीर को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। मामले के संबंध में पूछताछ के लिए शनिवार सुबह सीबीआई के निजाम पैलेस कार्यालय पहुंचे आलमगीर को नौ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। दो अन्य व्यक्तियों – मफिजुल मोल्ला और सिराजुल मोल्ला को भी गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई ने इन दोनों से शनिवार को पूछताछ की थी।मिली जानकारी के अनुसार पूछताछ के दौरान आलमगीर और उसके साथियों ने या तो सवालों को टालकर या एक ही सवाल का अलग-अलग जवाब देकर पूछताछ करने वाले अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश की। सीबीआई ने रात करीब 8.30 बजे आलमगीर को हिरासत में ले लिया।

    मामले में अब तक कुल 14 गिरफ्तारी

    वही इन गिरफ्तारियों के साथ ही इस मामले में सीबीआई की ओर से पकड़े गए लोगों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी को संदेह है कि ये लोग पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हुए हमले में कथित तौर पर शामिल थे और जब अधिकारी पश्चिम बंगाल के संदेशखालि में शाहजहां शेख के परिसरों पर छापा मारने गए थे तब इन्होंने उन पर हमला करने के लिए भीड़ को उकसाया था।

    ममता बनर्जी भी आई निशाने पर

    आपको बतादें कि शाहजहां को 55 दिनों तक छुपे रहने के बाद 28 फरवरी को राज्य पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इससे सीएम ममता बनर्जी भी भाजपा के निशाने पर आ गईं, क्योंकि उनके पास गृह विभाग का भी प्रभार है। ईडी ने शाहजहां के घर पर छापा मारा क्योंकि वह करोड़ों रुपये के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) मामले में संदिग्ध थे।

  • अब भारत में भी जल्द खेती करेंगे रोबोट

    अब भारत में भी जल्द खेती करेंगे रोबोट

    सुभाष चंद्र कुमार 

    आज का समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग माना जा रहा है। पिछले कुछ समय से AI और रोबोटिक्स की खूब चर्चा हो रही है। अब इंसानों के हर काम को रोबोट्स कर रहे हैं। काफी तेजी से AI का चलन बढ़ते जा रहा है। इसे लेकर सोशल मीडिया पर भी ऐसे कई वीडियो वायरल होते रहते हैं जिसमें ऐसे रोबोट्स दिखते हैं, जो किसी भी काम को इंसानों की तरह करते दिख रहे होते हैं।  अब जल्द ही रोबोट खेतों में काम करता हुए नजर आने वाले है ।

    समस्तीपुर पूसा डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित पौधा रोग एवं सूत्र कृमि विभाग के तकनीकी सहायक विवेक कुमार पटेल एवं सुभाषी कुमार ने बताया कि रोबोटिक खेती एक उत्कृष्ट तकनीक है जो कृषि क्षेत्र में उन्नति और सुधार का एक नया माध्यम प्रदान कर रही है। यह तकनीक किसानों को उनके खेतों की संचालन और उनकी परिसंवेदनशीलता में सहायक होती है। रोबोटिक खेती के उपयोग से कृषि कार्यों में कारगरता और उत्पादकता में वृद्धि  होती है, जिससे किसान अधिक समय और श्रम की बचत कर सकते हैं। इस तकनीक केअंतर्निहित लाभों में सटीकता, सहजता, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी लेने की क्षमता शामिल है। रोबोटिक खेती के उपयोग से विविध प्रकार के कृषि कार्यों को स्वचालित रूप से पूरा किया जा सकता है, जैसे कि बुआई, खेत संचालन, और विविध फसलों की देखभाल। रोबोटिक खेती न केवल किसानों को विशेष तकनीकी समर्थन प्रदान करती है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण के माध्यम से समृद्धि और विकास की ओर पहुंचाती है।

    रोबोटिक खेती के लाभ

    रोबोटिक खेती के लाभ कई तरह के होते हैं। पहले तो, इससे कृषि कार्यों में मानव के श्रम की बचत होती है, जिससे किसान अधिक समय और श्रम को अन्य कार्यों में लगा सकते हैं। दूसरे, रोबोटिक खेती उत्पादकता में वृद्धि लाती है, क्योंकि यह खेतों के संचालन, बुआई, और फसलों की देखभाल को संवारण करने में मदद करती है। तीसरे, इससे खेती कार्यों की सटीकता बढ़ती है, जिससे फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है। चौथा, रोबोटिक खेती पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदारी लेने में सहायक होती है, क्योंकि इसमें कम या निलंबित कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है, जो जल, हवा, और मिट्टी के प्रदूषण को कम करते हैं। अंत में, रोबोटिक खेती से आधुनिक तकनीकी समर्थन मिलता है, जिससे कृषि क्षेत्र की उत्पादनता और प्रदर्शन में सुधार होता है।

    भारतीय कृषि में रोबोटिक खेती का अनुप्रयोग

    भारतीय कृषि में रोबोटिक खेती का अनुप्रयोग किसानों के लिए एक बड़ा आविष्कार है। यह तकनीक कृषि कार्यों को स्वचालित रूप से संचालित करने में मदद करती है, जिससे खेती में उत्पादकता में वृद्धि होती है। रोबोटिक खेती में विभिन्न प्रकार के रोबोट्स और उपकरण किसानों को कई कार्यों को संपन्न करने में मदद करते हैं, जैसे कि बुआई, खेत संचालन, कीटनाशक छिड़कना, और सिंचाई। रोबोटिक खेती पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदारी लेने में सहायक होती है, क्योंकि इसमें कम या निलंबित कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है, जो जल, हवा, और मिट्टी के प्रदूषण को कम करते हैं,  रोबोटिक खेती से आधुनिक तकनीकी समर्थन मिलता है, जिससे कृषि क्षेत्र की उत्पादनता और प्रदर्शन में सुधार होता है। इन रोबोट्स और उपकरणों का उपयोग किसानों को कई तरह की चुनौतियों से निपटने में मदद करता है, जैसे कि मनवीय श्रम की कमी, अधिक समय की उपलब्धता, और खेती संबंधित शैली में वृद्धि। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करता है कि कृषि कार्यों में समयबद्धता और सटीकता बनी रहती है, जिससे उत्पादकता में सुधार होता है। भारतीय कृषि में रोबोटिक खेती का अनुप्रयोग कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकी तरीके से समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

    रोबोटिक खेती के लिए उदाहरण

    रोबोटिक खेती के उदाहरण कृषि क्षेत्र में नए और आधुनिक तकनीकी तरीकों का प्रयोग करके किया जाता है। इसमें संगठन की रफ्तार और कार्य की सटीकता बढ़ती है, जिससे खेती में उत्पादकता में वृद्धि होती है। एक उदाहरण के रूप में, खेत संचालन रोबोट जो खेतों की सफाई, जैविक खाद और उर्वरक की वितरण, और सिंचाई कार्यों में मदद करता है। ये रोबोट विभिन्न संवेदनशीलता सेंसर्स का उपयोग करके खेत की स्थिति का विश्लेषण करते हैं और किसानों को सहायता प्रदान करते हैं। दूसरे उदाहरण के रूप में, बुआई रोबोट जो बुआई कार्य को स्वचालित रूप में संपन्न करता है, कीट प्रबंधन रोबोट ये रोबोट खेतों में कीटों और कीटपतंगों को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। वे विशेष तरीके से डिज़ाइन किए जाते हैं ताकि वे कीटों को पहचानें और निष्क्रिय करें, स्वच्छता और निगरानी रोबोट ये रोबोट खेतों की सफाई और निगरानी के लिए उपयोग किए जाते हैं तथा ये खरपतवार को निष्क्रिय करने, विशेष रूप से वायुमंडलीय प्रदूषण को कम करने और खेतों की स्वच्छता बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे समय और  श्रम  की बचत होती हैं। इन उदाहरणों से प्रकट होता है कि रोबोटिक खेती कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से सुसज्जित करने में सहायक हो सकती है। रोबोटिक खेती का योगदान: उत्पादन और आर्थिक समृद्धि में सुधार रोबोटिक खेती ने भारतीय कृषि क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया है। इस तकनीक के उपयोग से कृषि कार्यों की स्वचालितता में सुधार हुआ है, जिससे किसानों को अधिक समय और श्रम की बचत होती है। यह उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाता है, क्योंकि उन्हें अधिक उत्पन्नता और आय का स्रोत प्राप्त होता है। रोबोटिक खेती से कृषि कार्यों की सटीकता और वृद्धि होती है, जिससे फसलों की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। यह न केवल फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करता है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार करता है, जिससे व्यापारिक और आर्थिक समृद्धि मिलती है। इस तकनीक का उपयोग करके भारतीय कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकी तरीके से सुसज्जित किया गया है, जिससे कृषि उत्पादन और आर्थिक समृद्धि में सुधार आया है।
    रोबोटिक खेती: भविष्य की दिशा में बढ़ते कदम: रोबोटिक खेती भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा सूचक है। यह तकनीक न केवल किसानों को उत्पादक ही नही बल्कि खेती से जुड़े कई क्षेत्रों में भी सुधार करती है। इसके साथ ही, रोबोटिक खेती से कृषि क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है, क्योंकि यह कीमिकल के इस्तेमाल को कम करती है और प्राकृतिक तरीके से कीटों का नियंत्रण करती है। भविष्य में, रोबोटिक खेती का प्रयोग और भी विस्तार से होने की संभावना है। यह कृषि कार्यों को और अधिक समृद्ध और सुगम बना सकती है और कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है। इसके साथ ही, यह कृषि क्षेत्र में नई रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकती है और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है।

  • इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI को भेजा नोटिस, कहा- संख्या का खुलासा करे बैंक

    इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने SBI को भेजा नोटिस, कहा- संख्या का खुलासा करे बैंक

    देश में लोकसभा चुनाव 2024 की गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई करेगा कि क्या देश में चुनाव ईवीएम से होना चाहिए या बैलेट पेपर से। कांग्रेस की याचिका पर यह सुनवाई हो रही है। बता दें, कांग्रेस के नेता समय-समय पर ईवीएम पर सवाल उठाते रहे हैं। इस याचिका में भारत के चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराने का निर्देश देने की मांग की गई है। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ सुनवाई करेगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत के ज्यूडिशियल रजिस्ट्रार यह सुनिश्चित करें कि दस्तावेज को स्कैन और डिजिटल किया जाए और बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद दस्तावेजों को ईसीआई को वापस दे दिया जाए। वह इसे 17 मार्च को या उससे पहले वेबसाइट पर अपलोड कर देगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत सोमवार तक एसबीआई से जवाब मांगा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने बुधवार को भारतीय निर्वाचन आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सौंपा था। आदेश के मुताबिक गुरुवार को ही चुनाव आयोग ने इस डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपोलड कर दिया है। हालांकि इसमें किसी भी बॉन्ड का यूनिक नंबर नहीं दिया गया है।

    ईवीएम के खिलाफ कांग्रेस की दलील

    कांग्रेस की मथुरा जिला समिति के महासचिव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ईवीएम के बारे में विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराना चाहिए। चुनाव आयोग को ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने का अधिकार देने वाली लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 61ए को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।याचिका में कहा गया कि बैलेट पेपर के खिलाफ बूथ कैप्चरिग, मतपेटी रोके जाने, अवैध वोट, कागज की बर्बादी आदि की दलील अनुचित और तर्कहीन है, जबकि एक ईवीएम मशीन में 2,000 से 3,840 वोट जमा होते हैं।इसका मतलब है कि प्रति निर्वाचन क्षेत्र केवल 50 ईवीएम मशीनों के डेटा में हेरफेर करके प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में एक लाख से 1.92 लाख वोटों की धोखाधड़ी संभव है। याचिका में कहा गया कि ईवीएम के प्रति सत्तारूढ़ दल का समर्थन ईवीएम की कार्यप्रणाली के बारे में संदेह पैदा करता है क्योंकि ईवीएम या मतपत्र के बावजूद चुनाव परिणाम समान रहने चाहिए।याचिका में कहा गया कि बैलेट पेपर के खिलाफ बूथ कैप्चरिग, मतपेटी रोके जाने, अवैध वोट, कागज की बर्बादी आदि की दलील अनुचित और तर्कहीन है, जबकि एक ईवीएम मशीन में 2,000 से 3,840 वोट जमा होते हैं।इसका मतलब है कि प्रति निर्वाचन क्षेत्र केवल 50 ईवीएम मशीनों के डेटा में हेरफेर करके प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में एक लाख से 1.92 लाख वोटों की धोखाधड़ी संभव है। याचिका में कहा गया कि ईवीएम के प्रति सत्तारूढ़ दल का समर्थन ईवीएम की कार्यप्रणाली के बारे में संदेह पैदा करता है क्योंकि ईवीएम या मतपत्र के बावजूद चुनाव परिणाम समान रहने चाहिए।

  • एनकाउंटर में गोली लगने से 3 करोड़ की डकैती केस का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

    एनकाउंटर में गोली लगने से 3 करोड़ की डकैती केस का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

    दिल्ली पुलिस ने एक बांग्लादेशी डकैत को दिल्ली में एनकाउंटर के बाद गिरफ्तार कर लिया है। कम से कम 5 डकैती केस में वांछित बदमाश मिराज पर 2 लाख रुपए का इनाम था। पकड़ा गया बदमाश पिछले साल करीब 3 करोड़ की हुई डकैती केस का भी मास्टरमाइंड था। शुक्रवार तड़के द्वारका के धुलसिरास गांव में एनकाउंटर में गोली लगने के बाद मिराज क्राइम ब्रान्च के हत्थे चढ़ गया है
    मुठभेड़ के दौरान डकैत मिराज उर्फ मेहराज के पैर में गोली लगी है। पिछले साल अशोक विहार में हुई 3 करोड़ की डकैती केस में वह वांछित था। मिराज और उसके गुर्गों ने एक कारोबारी के घर लोगों को बंधकर बनाकर वारदात को अंजम दिया था। इस घटना के बाद से स्पेशल सेल, क्राइम ब्रान्च और नॉर्थवेस्ट दिल्ली की पुलिस की कई टीमें मिराज की तलाश में जुटीं थीं। यह भी माना जा रहा था कि मिराज गिरफ्तारी से बचने के लिए बांग्लादेश भाग चुका है। पुलिस ने उसके सिर पर 2 लाख रुपए का इनाम घोषित किया था।
    एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) संजय भाटिया ने कहा कि गुरुवार रात क्राइम ब्रान्च की पश्चिमी रेंज-II (WR-II) के सदस्यों को जानकारी मिली थी कि फरार मिराज द्वारका के धुलसिरास गांव में अपने गुर्गों के साथ आने वाला है। यह सूचना इंस्पेक्टर अक्षय कुमार को दी गई। सूचना की पुष्टि के बाद उन्होंने टीम बनाकर मिराज को दबोचने में सफलता पाई।
    पिछले साल 7 मई को तड़के कम से कम 5 बदमाश हथियार के साथ अशोक विहार निवासी कारोबारी के घर घुस गए। कारोबारी अपने माता-पिता, पत्नी, बहन और बच्चों के साथ घर में अलग-अलग कमरों में सो रहे थे। बदमाशों के पास गन के अलावा चाकू और लोहे काटने वाले औजार थे। ग्राउंड फ्लोर पर कारोबारी का ऑफिस था। डकैत खिड़की के ग्रिल को काटकर घर में दाखिल हुए। पहले उन्होंने दफ्तर को खंगाला जहां कुछ नहीं मिला।
    इसके बाद पहली मंजिल पर गए और परिवार के लोगों को जगाया। उन्होंने पूरे परिवार को बंधकर बनाया और तलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने कारोबारी को बैट से पीटा और कैश-जूलरी का पता लगा लिया। 1.38 करोड़ कैश और करीब 1.50 करोड़ की जूलरी के साथ फरार हो गए। जाते हुए उन्होंने परिवार को एक कमरे में बंद कर दिया। अपने साथ मोबाइल फोन, सीसीटीवी फुटेज का रिकॉर्डर भी साथ ले गए। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू की और एक महीने बाद चार संदिग्धों को दबोचा। हालांकि मुख्य अभियुक्त मिराज फरार था।

  • पश्चिम देशों को है रूस से खतरा ,पुतिन की चेतावनी

    पश्चिम देशों को है रूस से खतरा ,पुतिन की चेतावनी

    राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को पश्चिम देशों को परमाणु युद्ध की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि रूस परमाणु युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार है. यदि अमेरिका अपने सैनिकों को रूस भेजता है, तो इसे युद्ध के लिए भड़काने वाली कार्रवाई मानी जाएगी. ऐसे में रूस के न्यूक्लियर पावर को समझना जरूरी है. रूस के पास कितने परमाणु बम हैं और कहां तैनात हैं? आइए इस खबर में रूस के परमाणु हथियारोंसे जुड़े ऐसे ही सवालों के बारे में जानते हैं.

    रूस के पास कितने परमाणु हथियार?

    रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस को सोवियत संघ के परमाणु हथियार विरासत में मिले हैं, जिसके बाद रूस के पास परमाणु हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (एफएएस) के अनुसार, व्लादिमीर पुतिन लगभग 5,580 परमाणु बमों को कंट्रोल करते हैं.

    एफएएस के मुताबिक, रूस के कुल 5,580 परमाणु बमों में से 1200 परमाणु बम पुराने हो गए हैं, अब इनको रूस की आर्मी ने सेवा से बाहर कर दिया है. इसके बावजूद रूस के पास आज भी लगभग 4,380 परमाणु बमों हैं. इनमें से लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल और कम दूरी की मिसाइलें शामिल हैं, इनका पुतिन कभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

    रूस ने कहां तैनात किए हैं परमाणु हथियार?

    फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक रूस ने 1710 परमाणु बमों को रणनीतिक तौर पर तैनात किया है. रूस ने 870 न्यूक्लियर बमों को भूमि-आधारित बैलिस्टिक मिसाइलों पर तैनात किया है, वहीं लगभग 640 परमाणु बमों को समुद्र में पनडुब्बियों पर तैनात किया हुआ है.

    इसके अलावा, एफएएस का अनुमान है कि 200 परमाणु बमों को रूस ने भारी बमवर्षक ठिकानों पर तैनात किया है, जो रुस की वायुसेना के कंट्रोल में हैं. इतनी संख्या में परमाणु बमों की तैनाती महज कुछ मिनट में ही दुनिया को कई बार नष्ट करने की क्षमता रखती है.

    रूस परमाणु हथियारों का कब प्रयोग करेगा? इसको लेकर 2020 में रूस ने एक गाइडलाइंस भी जारी किया है. रूस के परमाणु सिद्धांत 2020 के मुताबिक, जब देश का अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आएगा तो इन परमाणु हथियारों को रूस इस्तेमाल कर सकता है. ऐसे में रूस ने पश्चिमी देशों को रूस-यूक्रेन जंग से दूर रहने की चेतावनी दी है.

    परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा रूस

    संयुक्त राज्य अमेरिका ने साल 2022 की न्यूक्लियर से जुड़ी एक रिपोर्ट में कहा, रूस और चीन अपने परमाणु हथियारों का विस्तार कर रहे हैं और इन हथियारों को और आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि रूस को और भी परमाणु हथियार मिल सकते हैं. अमेरिका ने साल 2024 में रूस की परमाणु धमकी पर चिंता जाहिर की है.

    परमाणु हथियार चलाने की ताकत किसके पास?

    रूस में परमाणु हथियारों को चलाने का अंतिम निर्णय देश के राष्ट्रपति के पास होता है. ऐसे में व्लादिमीर पुतिन ही परमाणु हथियारों के प्रयोग का अंतिम आदेश दे सकते हैं और पुतिन ही पश्चिमी देशों को परमाणु युद्ध की धमकी दे रहे हैं.

    रूस के परमाणु हथियारों से कितना खतरा?

    यूएन स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉप्यूलेशन रिपोर्ट 2023 के मुताबिक, दुनिया की आबादी 8 अरब है. अगर 400 परमाणु बमों को धरती के अलग-अलग हिस्सों पर गिरा दिया जाए तो मानवता हमेशा के लिए गायब हो जाएगी. ऐसे में रूस के 4,380 परमाणु बमों से दुनिया को 11 बार दहलाया जा सकता है.

  • CAA के तहत नागरिकता पाने के लिए वेबसाइट लॉन्च

    CAA के तहत नागरिकता पाने के लिए वेबसाइट लॉन्च

    गुवाहाटी पुलिस ने उन संगठनों को कानूनी नोटिस जारी किया है जिन्होंने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के विरोध में असम में हड़ताल का आह्वान किया है. बता दें, 16-पक्षीय संयुक्त विपक्षी मंच, असम, (यूओएफए) ने चरणबद्ध तरीके से अन्य आंदोलनात्मक कार्यक्रम आयोजित करने के अलावा, मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की थी. सोमवार को, केंद्र ने सीएए 2019 के कार्यान्वयन की घोषणा की थी. सरकार ने इस कानून को संसद से पारित होने के चार साल बाद लागू किया है.

    क्या करता है यह कानून?
    इस कानून से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता मिल पाएगी. 2019 में इस कानून का कड़ा विरोध हुआ था. केंद्र के जरिए सीएए लागू करने के ऐलान के बाद, पूरे असम में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है और विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी सरकार की आलोचना की है.

    गुवाहाटी पुलिस ने क्या कहा?
    आंदोलनकारी दलों को कड़ी चेतावनी देते हुए, गुवाहाटी पुलिस ने कहा, “‘सरबतमक हड़ताल’ के कारण रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग संपत्तियों सहित सार्वजनिक/निजी संपत्ति को कोई नुकसान या किसी भी नागरिक को चोट लगने पर भारतीय सहित कानून के उचित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.” आपके खिलाफ दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 के तहत कार्रवाई की जाएगी और सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान की कुल लागत आपसे और आपके संगठन से वसूली जाएगी.”

    असम में पहले भी हुआ था विरोध प्रदर्शन
    असम में दिसंबर 2019 में इस कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन देखा गया था, इस दौरान पुलिस कार्रवाई में पांच लोगों की मौत भी हुई थी. कई ग्रुप्स में यह डर है कि एक बार सीएए लागू होने के बाद, इससे राज्य में अवैध अप्रवासियों की आमद बढ़ जाएगी, खासकर बांग्लादेश से.
    आवेदन करने के लिए क्या आवश्यक है?

    – अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी पासपोर्ट की कॉपी

    – भारत में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (FRRO) या विदेशी पंजीकरण अधिकारी (FRO) द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाण पत्र या आवासीय परमिट, अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में सरकारी प्राधिकरण द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र।

    – अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में किसी स्कूल या कॉलेज या बोर्ड या विश्वविद्यालय द्वारा जारी स्कूल प्रमाणपत्र या शैक्षिक प्रमाणपत्र।

    – अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान सरकार या इन देशों में किसी अन्य सरकारी प्राधिकरण या सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किया गया कोई भी प्रकार का पहचान दस्तावेज।

    – अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के सरकारी प्राधिकारी द्वारा जारी कोई भी लाइसेंस या प्रमाणपत्र।

    – अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में भूमि या किरायेदारी के रिकॉर्ड

    – कोई भी दस्तावेज़ जो यह दर्शाता हो कि आवेदक के माता-पिता या दादा-दादी या परदादा-परदादा में से कोई एक तीन देशों में से किसी एक का नागरिक है या रहा है।

    – अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान में किसी सरकारी प्राधिकरण या सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया गया कोई अन्य दस्तावेज जो यह स्थापित करता हो कि आवेदक अफगानिस्तान या बांग्लादेश या पाकिस्तान से है।

  • पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित कई नेता BJP में शामिल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस का झटका

    पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित कई नेता BJP में शामिल, मध्य प्रदेश में कांग्रेस का झटका

    लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और पूर्व सांसद गजेंद्र राजूखेड़ी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इसके साथ ही संजय शुक्ला, विशाल पटेल, पूर्व विधायक अर्जुन पलिया और पूर्व विधायक अर्जुन पलिया ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. बता दें कि दो दिन पहले ही सुरेश पचौरी ने इस्तीफा दिया था. सुरेश पचौरी भोजपुर से दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. वे बीजेपी के सुरेंद्र पटवा से दोनों बार चुनाव हार गए थे. माना जा रहा है कि अब जिले से पचौरी समर्थक भी पार्टी छोड़ सकते है. मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, सुल्तानपुर,बाड़ी सहित जिले में कई नेता पचौरी समर्थक हैं.

    तो वहीं गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी 1998 से 2004 तक सांसद रहे. फिर वे 2009 से 2014 तक सांसद रहे. टिकट नहीं मिलने पर वे पार्टी से नाराज चल रहे थे. इतना ही नहीं राहुल गांधी की न्याय यात्रा में भी वे शामिल नहीं हुए थे. इस दौरान सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है. हम लोगों को पता था कि जहां-जहां राहुल गांधी जाते हैं वहां लोग पार्टी छोड़ते हैं. हर पार्टी में अच्छे लोग होते है. कोई स्वभामिनी व्यक्ति ऐसे माहौल में काम नहीं करना चाहता है. राहुल गांधी अपने बड़े नेताओं का सम्मान नहीं करते हैं. यही कारण यह दिगाज पार्टी छोड़ रहे हैं. ऐसे अच्छे लोग बीजेपी में लगातार ज्वॉइन कर रहे हैं.

    सुरेश पचौरी और गजेंद्र राजूखेड़ी ने क्या कहा

    सुरेश पचौरी ने कहा कि मैंने जब राजनीति शुरू की थी तो देश सेवा और समाज सेवा उद्देश था. एक नारा भी लगा था जात पर न पात पर,पर अभी जो निर्णय हो रहे है वह बेहद गलत हो रहे है. सेना के शौर्य पर सवाल खड़े नहीं करते. धार्मिक निर्णय की बात करें तो राम मंदिर निर्माण का न्योता ठुकरा दिया, जबकि मैं हमेशा मंदिर निर्माण का पक्षधर रहा हूं. कांग्रेस के शासन में राम मंदिर का ताला खुला और शिलान्यास हुआ. फिर यह मामला कोर्ट में गया जब निर्णय आया तो हमने स्वागत किया, फिर न्योता ठुकराने की जरूरत क्या थी. राम चरित मानस में लिखा है कि जो राम का आदर नहीं करता उसे छोड़ दिया जाए, तो मैने कांग्रेस छोड़ दी.

    तो वहीं गजेंद्र सिंह ने कहा कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने आदिवासी भाई बहनों का सम्मान किया है. सुमेर सिंह सोलंकी को राज्यसभा भेजा. अनुसुइया यूइके को राज्यपाल बनाया जबकि कांग्रेस ने कभी आदिवासी को सम्मान नहीं दिया. वोट आदिवासी का मलाई बड़े नेता खाए, ये ठीक नहीं है.

    संजय शुक्ला भी बीजेपी में शामिल

    इंदौर-1 के पूर्व विधायक संजय शुक्ला ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. उन्होंने बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय के सामने चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. माना जाता है कि उनके पास कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज है. वे बीजेपी के वरिष्ठ नेता विष्णु प्रसाद शुक्ला के बेटे हैं. चचेरे भाई गोलू शुक्ला वर्तमान में विधानसभा तीन से बीजेपी के विधायक हैं. वे कमलनाथ के करीबी माने जाते रहे हैं. बताते हैं कि जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से उनके बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे.
    इसके साथ ही जसपाल सिंह अरोड़ा और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहेअतुल शर्मा ने भी की बीजेपी जॉइन कर ली है. इस दौरान पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज की घटना एमपी के लिए असाधारण घटना है. जब मैं पढ़ता था तब सुरेश पचौरी छात्र राजनीति करते थे. हम तो कहते हैं बड़ी देर भई नंदलाला…चार बार राज्यसभा सांसद रहे. यह अपने आप में बड़ी बात है. पूरी राजनीति में एक दाग सुरेश पचौरी पर नहीं है. कांग्रेस का बड़ा दुर्भाग्य है कि कांग्रेस अपने बड़े नेताओं का सम्मान नहीं कर पा रही है. ऐसे में लोग तो पार्टी छोड़ेंगे ही. पीएम मोदी के पीछे पूरा देश खड़ा है. यह सभी नेता पीएम मोदी का साथ देने पार्टी में आए हैं. देर आए दुरस्त आए.

  • लात मारने वाले पुलिसकर्मी के सपोर्ट में खड़े हुए लोग

    लात मारने वाले पुलिसकर्मी के सपोर्ट में खड़े हुए लोग

    उत्तरी दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में सड़क पर नमाज अदा कर रहें कुछ नामजियों को लात मारना सब इंस्पेक्टर के लिए भारी पड़ गया जिसके बाद ये मामला इतना बढ़ गया कि सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है. लेकिन अब कुछ लोग इंस्पेक्टर के सपोर्ट में भी नजर आ रहे हैं औऱ सड़को पर उतर रहे हैं।

    क्या है मामला?

    राजधानी दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में आज सड़क पर नमाज को लेकर भारी हंगामा हुआ। नमाज से रोके जाने के दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा नमाजियों से बदसलूकी की घटना पर लोग भड़क उठे। नाराज लोगों ने इंद्रलोक थाने का घेराव किया। इसके बाद पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप किया और संबंधित पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया।

    सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

    दअसल, पुलिस ने लोगों को सड़क पर नमाज अदा करने पर रोक लगाई थी। इसी दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा नमाजियों से बदसलूकी की घटना सामने आने के बाद लोग भड़क उठे और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर थाने का घेराव किया। हंगामा बढ़ता देख पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और संबंधित पुलिसकर्मी पर कार्रवाई कई गई। वही नमाजियों से बदसलूकी की घटना का यह वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगा। इससे लोगों की नाराजगी और बढ़ने लगी थी। लोग थाने को घेरकर संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। वहीं डीसीपी नॉर्थ मनोज मीणा ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। संबंधित पुलिसकर्मी को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।

    पुलिसकर्मी के सपोर्ट में उतरें लोग

    वही अब इस मामले पर तेलंगाना के गोशामहल ने विधायक टी राजा सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा, देश भर में 6 लाख मस्जिदों के बावजूद सड़क जाम करके नमाज अदा करना कौन सी समझदारी है? इस मामले में मेरा पूरा समर्थन दिल्ली पुलिस के साथ है. पुलिस ने कुछ गलत नहीं किया है.साथ ही कुछ लोग भी पुलिसकर्मी को सपोर्ट करने के लिए सड़को पर उतर गए है।

    लेखन: शिवानी मांगवानी