Author: Sumbika Gupta

  • गुजरात बाढ़ में 28 की मौत, मौसम की मार से हर ओर हाहाकार

    गुजरात बाढ़ में 28 की मौत, मौसम की मार से हर ओर हाहाकार

    देश के कई हिस्सों में इन दिनों मूसलाधार बारिश (Gujarat Rain Alert) हो रही है. गुजरात का तो बुरा हाल है. क्या अहमदाबाद, क्या सूरत और क्या वडोदरा, हर जगह जलमग्न हो गई है. लगातार हो रही बारिश की वजह से कई जगहों पर बाढ़ जैसे हालात हैं. वहीं सड़कों पर पानी भरा हुआ है. जन-जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. आज भी तेज बारिश का अनुमान मौसम विभाग ने जारी किया है. मौसम विभाग ने गुजरात के कच्छ, जामनगर, मोरबी, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर जिलों में बारिश का रेड अलर्ट (Rain Alert) जारी किया है. इसके साथ ही तेज बारिश और तूफान की भी संभावना है. वहीं सुरेंद्रनगर, अमरेली, गिर और सोमनाथ जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है.

    बनासकांठा, पाटन, साबर कांथा, महेसाणा अरावली, गांधीनगर, अहमदाबाद, भावनगर, महिसागर, दाहोद, पंचमहल, खेड़ा, आनंद, वडोदरा के साथ ही गुजरात के  अन्य  छोटे जिलों मे भी हल्की  बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. बारिश की वजह से कृष्ण नगरी द्वारका का भी बुरा हाल है. पिछले 2 दिनों से हो रही भयंकर बारिश की वजह से लोगों के घरों में पानी घुस गया है. NDRF इंस्पेक्टर मंजीत ने कहा, “पिछले 2 दिनों में द्वारका में भारी बारिश हुई है.लोंगों के घरों में पानी घुस गया है.हमारी टीम ने अब तक 95 लोगों को रेस्क्यू किया है. ”

    बारिश की वजह से बाढ़ के हालात

    गुजरात के कुछ हिस्सों में लगातार बारिश की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है. वहीं वडोदरा में लगातार भारी बारिश के बाद शहर में जगह-जगह जलभराव हो गया है. वड़ोदरा में कीर्ति मंदिर सरकारी क्वार्टर में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है,  क्योंकि भारी बारिश की वजह से बाढ़ जैसी स्थिति में कई लोग फंसे हुए हैं. बारिश से संबंधित घटनाओं में 19 और लोगों की मौत हो गई, जिससे तीन दिन में मरने वालों की तादात बढ़कर 26 हो गई है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों में बुधवार को लगातार चौथे दिन भी भारी बारिश रही. वहीं, बाढ़ प्रभावित इलाकों में से 17,800 लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया.

    वडोदरा में रिहायशी इलाकों में पहुंचा पानी

    एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जान गंवाने वालों में वे सात लोग शामिल हैं, जो रविवार को मोरबी जिले के हलवद तालुका के धवना गांव के पास एक पुल को पार करते समय एक ट्रैक्टर ट्रॉली के बह जाने के बाद लापता हो गए थे. इस पुल से होकर पानी बह रहा था. उनके शव बरामद कर लिए गए हैं. वडोदरा में बारिश थमने के बावजूद, शहर से होकर बहने वाली विश्वामित्री नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर रिहायशी इलाकों में घुस गया. जिसकी वजह से निचले इलाकों में जलजमाव हो गया और इमारतें, सड़कें और वाहन पानी में डूब गए

    गुजरात के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से फोन पर बातचीत करके स्थिति का जायजा लिया और इस संकट से निपटने के लिए राज्य को केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया. बुधवार को सौराष्ट्र क्षेत्र के देवभूमि द्वारका, जामनगर, राजकोट और पोरबंदर जैसे जिलों में शाम 6 बजे तक 12 घंटे की अवधि में 50 मिलीमीटर से लेकर 200 मिलीमीटर तक बारिश हुई. इस अवधि के दौरान देवभूमि द्वारका जिले के भानवद तालुका में 185 मिलीमीटर बारिश हुई, जो राज्य में सबसे अधिक है. आईएमडी ने गुरुवार को सौराष्ट्र जिलों के अलग-अलग हिस्सों में अत्यधिक भारी बारिश का अनुमान जताया है.

    रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी NDRF-SDRF

    अधिकारियों ने बताया कि वडोदरा शहर में घरों और छतों में फंसे लोगों को NDRF, SDRF और सेना की तीन टुकड़ियों ने निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया.  मंत्री ऋषिकेश पटेल ने मीडियाकर्मियों को बताया कि वडोदरा में अब तक 5,000 से अधिक लोगों को निकाला गया और 1,200 अन्य लोगों को बचाया गया है. बुधवार को शहर में सेना की तीन अतिरिक्त टुकड़ियां और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की एक-एक टुकड़ियां तैनात की गईं.

    मुख्यमंत्री पटेल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बाढ़ का पानी कम होते ही वडोदरा शहर में सफाई उपकरण तैनात किए जाएं और कीटाणुनाशक का छिड़काव किया जाए. उन्होंने निर्देश दिया कि इस उद्देश्य के लिए अहमदाबाद और सूरत के नगर निगमों और भरूच और आणंद की नगर पालिकाओं से टीमों को वडोदरा में तैनात किया जाए. मुख्यमंत्री ने वडोदरा में बचाव और राहत कार्यों में प्रशासन की सहायता के लिए एनडीआरएफ की पांच अतिरिक्त टीमों और सेना की चार टुकड़ियों को तैनात करने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि अहमदाबाद और सूरत से बाढ़ प्रभावित शहर में अतिरिक्त बचाव नौकाएं भी भेजी जानी चाहिए.

    सुरक्षित जगहों पर पहुंचाए जा रहे लोग

    अधिकारियों ने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के अलावा सेना, भारतीय वायुसेना और तटरक्षक बारिश से तबाह हुए इलाकों में बचाव और राहत अभियान चला रहे हैं, जिसमें अब तक करीब 17,800 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है और 2,000 लोगों को बचाया गया है. पिछले तीन दिनों में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 26 लोगों की मौत हो चुकी है. ये मौतें राजकोट, आणंद, महिसागर, खेड़ा, अहमदाबाद, मोरबी, जूनागढ़ और भरूच जिलों से हुई हैं.

  • चुनाव से पहले बड़ा उलटफेर, पूर्व पीएम अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर नई पार्टी बनाने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री

    चुनाव से पहले बड़ा उलटफेर, पूर्व पीएम अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर नई पार्टी बनाने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री

    झारखंड में विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले सियासी हलचल काफी ज्यादा बढ़ने लगी है। एक तरफ जहां पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) से नाता तोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने जा रहे हैं। तो वहीं, अब पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को लेकर खबर सामने आ रही है कि वो अपनी पार्टी बनाने जा रहे हैं। बता दें कि यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाली पार्टी के गठन का फैसला हजारीबाग में अटल विचार मंच की बैठक में लिया गया। इतना ही नहीं इस पार्टी का नाम भी अटलबिहारी वाजपेयी के नाम पर ही होगा।

    मिली जानकारी के मुताबिक, हजारीबाग के अटल भवन में अटल विचार मंच की बैठक हुई। प्रोफेसर सुरेंद्र सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में देश के विदेश और वित्त मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा भी मौजूद थे। बता दें कि सुरेंद्र सिन्हा, यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत के संसदीय क्षेत्र प्रतिनिधि भी थे। अटल विचार मंच की बैठक में झारखंड की राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा के बाद राजनीतिक पार्टी के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया।

    यशवंत सिन्हा ने कहा कि, आज की राजनीति चाटुकारिता की हो गई है। भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी के विचारों पर चलकर ही समाज को स्वच्छ राजनीति कर हर वर्ग का उत्थान किया जा सकता है। उनके विचारों और सिद्धांतों पर चलने की आवश्यकता है। इस संगठन में समाज के हर वर्ग के लोगों को जोड़ा जाएगा। बैठक में अटल विचार मंच के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने र्व पीएम अटलबिहारी वाजपेयी के विचारों पर चलकर उनके सपनों को पूरा करने का हर संभव प्रयास का संकल्प जाहिर किया।

    यशवंत सिन्हा की अगुवाई में पार्टी का गठन कब तक होगा, फिलहाल इसकी कोई जानकारी अभी सामने नहीं आई है। बता दें कि, यशवंत सिन्हा जनता दल और बीजेपी के बाद 2021 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन अब पार्टी में उनकी बिल्कुल भी सक्रियता नहीं है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को ही उम्मीदवार बनाया था। हजारीबाग सीट से संसदीय लंबी पारी खेल चुके यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा इस सीट से सांसद रहे हैं। इस बार बीजेपी ने जयंत का टिकट काट दिया था।

     

  • हरियाणा में बदल सकती है मतदान की तारीख, चर्चाएं तेज

    हरियाणा में बदल सकती है मतदान की तारीख, चर्चाएं तेज

     हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीति गरमाई हुई है। इस बीच खबर सामने आ रही है कि हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक पार्टी के अनुरोध पर चुनाव आयोग (Election Commission) मंगलवार 27 अगस्त को बैठक कर सकता है। राजनीतिक दलों की गुहार पर मंगलवार को निर्वाचन आयोग की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया जा सकता है।

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्य की सभी 90 सीटों के लिए एक ही चरण में मतदान होगा। हरियाणा में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और चुनाव नतीजे 4 अक्टूबर को मतगणना के बाद आएंगे। दरअसल, भाजपा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीख बदलने की मांग की है। निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक मतदान 1 अक्टूबर के बजाय 7 या 8 अक्टूबर को हो सकता है। जानकारी के मुताबिक मतगणना की तारीख भी आगे बढ़ सकती है। चुनाव आयोग मंगलवार को इस बात पर घोषणा कर सकता है।

    भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र

    हरियाणा भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बडोली ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने कम मतदान के डर से 1 अक्टूबर की मतदान तिथि को बदलने के लिए कहा था। उनका कहना है कि 1 अक्टूबर की मतदान की तारीख से पहले और बाद में कई छुट्टियां हैं, जिस वजह से कम मतदान हो सकता है इसलिए इस तिथि को बदल दिया जाना चाहिए।

    इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष ने पत्र में आगे कहा कि 1 अक्टूबर को मतदान के दिन के आगे और पीछे छुट्टियां पड़ रही हैं। इन छुट्टियों की वजह से लोग बाहर घूमने जा सकते हैं। इसका असर मतदान प्रतिशत पर पड़ सकता है। उन्होंने इस आधार पर निर्वाचन आयोग और हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को मतदान की तारीख बदलने की गुजारिश की थी।

  • कौन हैं ASP सीमा पाहुजा? हाथरस और उन्नाव के बाद मिली बंगाल रेप-मर्डर केस की कमान

    कौन हैं ASP सीमा पाहुजा? हाथरस और उन्नाव के बाद मिली बंगाल रेप-मर्डर केस की कमान

    सीबीआई की सबसे तेज तर्रार अधिकारियों में से एक माने जाने वाली ASP सीमा पाहुजा को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है. पाहुजा का स्पेशल क्राइम यूनिट के तहत कई मामलों की जांच का लंबा अनुभव है, जिससे उन्हें इस जटिल मामले के लिए सबसे अच्छा विकल्प बनाया गया है. 2007 से 2018 के बीच, उन्हें उनके एक्सीलेंट इनवेस्टिगेशन वर्क के लिए दो बार गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. शिमला में “गुड़िया” के बलात्कार और हत्या के मामले को सुलझाने के दौरान पाहुजा ने पहली बार एक यूनिक साइंटिफिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया था. उन्होंने वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर हाथरस मामले को भी निष्कर्ष पर पहुंचाया . एक समय, पाहुजा ने पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन सीबीआई निदेशक ने उन्हें रिटायमेंट नहीं लेने के लिए मना लिया. अपनी ईमानदारी और बेदाग करियर के लिए जानी जाने वाली पाहुजा को बाहरी दबावों से मुक्त माना जाता है, और किसी भी मामले में उनकी शामिल होने को सफलता की गारंटी के रूप में देखा जाता है.

    कब कब मिले अवॉर्ड

    सीमा पाहुजा को पहला गोल्ड मैडल बेस्ट इन्वेस्टीगेशन अवार्ड 2007 में हरिद्वार में हुए डबल मर्डर केस को सुलझाने के लिए मिला था.
    2018 में ही सीमा पाहुजा को बेस्ट इन्वेस्टीगेशन के लिए गोल्ड मैडल के साथ 50000 कैश अवार्ड मिला ये सम्मान सीमा पाहुजा को शिमला का गुड़िया का रेप और मर्डर केस को सुलझाने की वजह से मिला. इस केस की इन्वेस्टीगेशन को सीबीआई की बेहतरीन इन्वेस्टीगेशन भी माना जाता है.
    सीबीआई में सराहनीय सेवाओं के लिए सीमा को 15 अगस्त 2014 को पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था.

    क्यों सौंपे जाते हैं ऐसे मामले

    छवि सख्त और ईमानदार होने की वजह से ऐसे मामले सौंपे जाते हैं जो बेहद पेचीदा हों
    कई वर्षों तक सीबीआई की स्पेशल क्राइम यूनिट-1 में दे चुकी हैं अपनी सेवाएं
    तेज तर्रार महिला अधिकारी को बेहतर काम के लिए मिल चुके हैं कई सम्मान जिनमें पुलिस पदक भी हैं शामिल

  • 15 दिन में पैसे डबल, कुछ लोगों को दिए भी… फिर सैकड़ों लोगों के करोड़ों लेकर फरार हो गई चिटफंड कंपनी

    15 दिन में पैसे डबल, कुछ लोगों को दिए भी… फिर सैकड़ों लोगों के करोड़ों लेकर फरार हो गई चिटफंड कंपनी

    उन्नाव के बांगरमऊ के गंजमुरादाबाद निवासी अनवरुद्दीन उर्फ राजू और उसके दो बेटों ने मिलकर एक चिटफंड कंपनी शुरू की थी। कंपनी का नाम अरबाज ट्रेडिंग और शेयर बाजार रखा गया था। आरोप है कि इस कंपनी ने पैसे डबल करने का लालच देकर करीब 10 करोड़ रुपये जुटाए और फिर फरार हो गए।

    चिटफंड कंपनी के संचालक अनवरुद्दीन और उसके बेटे अरबाज उर्फ कशान और अदनान का जीवन बहुत ही भव्य था। वे विदेशी लड़कियों के साथ होटलों में पार्टियां करते थे, महंगी गाड़ियों के काफिले में चलते थे और नोट उड़ाते थे। उनके वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, जिनमें उनकी लग्जीरियस लाइफस्टाइल और पार्टी लाइफ देखी जा सकती है।

    निवेशकों की मेहनत की कमाई गई बर्बाद

    चिटफंड कंपनी में निवेशक अपनी मेहनत की कमाई और गहने गिरवी रखकर पैसे लगाते थे। कई लोगों ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे जमा कराए। लेकिन जब पैसे लौटाने का वक्त आया, तो कंपनी ने पैसे लौटाना बंद कर दिया और अंततः फरार हो गई। इसके बाद लोग कंपनी के दफ्तर पर हंगामा करने लगे।

    जब लोगों का धैर्य जवाब दे गया, तो 14 अगस्त को सैकड़ों लोगों ने चिटफंड कंपनी के संचालकों के घर के बाहर हंगामा किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर लोगों को शांत किया और आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। अब तक सात मुकदमे दर्ज किए गए हैं और तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

    पीड़ितों का हाल

    पीड़ित सैय्यद मोहम्मद शाहिद ने बताया कि उसने अपने दोस्तों के 65 लाख रुपये कंपनी में निवेश किए थे। अब वह और उसके दोस्त अपने पैसे वापस पाने के लिए परेशान हैं। पुलिस को शिकायत दर्ज कराई गई है और वे अपने पैसे वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

    पुलिस सीओ अरविंद चौरसिया के अनुसार, मामले की जांच जारी है और अधिक जानकारी के लिए लोगों को लगातार अपडेट दिया जा रहा है।

  • कर्ज से परेशान सहारनपुर के दंपति ने गंगा में कूदकर दी जान, सेल्फी और लोकेशन परिजनों को भेजी

    कर्ज से परेशान सहारनपुर के दंपति ने गंगा में कूदकर दी जान, सेल्फी और लोकेशन परिजनों को भेजी

     ‘मैं कर्ज के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर नहीं निकल पा रहा। मरने से पहले की फोटो हम सभी को शेयर कर देंगे…’ये लाइनें लिखने वाला शख्स अब इस दुनिया में नहीं है। दिल दुखाने वाली इस घटना में पति-पत्नी ने गंगा नदी में कूदकर अपनी जान दे दी। मरने से पहले उन्होंने सेल्फी ली और गंगा नदी में कूद गए। गंगा नदी में कूदकर जान देने के लिए वे 80 किलोमीटर बाइक यात्रा कर हरिद्वार पहुंचे थे। पुलिस के हाथ सुसाइड नोट लगा है, जिसमें आत्महत्या की वजह बताई गई है।

    जान देने वाले दंपत्ति सहारनपुर के हैं। शख्स सराफा कोरोबारी था। गंगा में सुसाइड करने के लिए वह पत्नी सहित बाइक से शनिवार रात हरिद्वार पहुंचा। जहां गंगनहर के पुल पर दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़ा, सेल्फी ली और गंगा में छलांग लगा दी। फिलहाल कारोबारी का शव गंगनहर में तैरता हुआ मिला, जबकि पत्नी लापता है।

    सुसाइड नोट लिखकर वॉट्सऐप ग्रुप में भेजा

    सुसाइड करने से पहले शख्स ने वॉट्सऐप ग्रुप में एक नोट भेजा। जिसमें लिखा था मैं कर्ज के दलदल में इस कदर फंस गया हूं कि बाहर नहीं निलक पा रहा। मरने से पहले की फोटो हम सभी को शेयर कर देंगे। पुलिस की जांच में अबतक यबह बात सामने आई है कि कोरोबारी पर 10 करोड़ का कर्ज था। मृतकों के परिजन सूचना मिलते ही हरिद्वार के रवाना हो गए।

    मासूम बच्चों के सिर से उठा मां-बाप का साया

    कोरोबारी की पहचान नगर कोतवाली क्षेत्र में किशनपुरा के रहने वाले सौरभ बब्बर के रुप में हुई है। जिसकी उम्र 35 साल थी। सौरभ घर में ही श्री साई ज्वेलर्स नाम से दुकान चलाता है। सौरभ की शादी 15 साल पहले मोना बब्बर से हुई थी। सौरभ के दो बच्चे है। 12 साल की बेटी श्रद्धा और 10 साल का बेटा संयम। सौरभ का बेटा दिव्यांग है। जानकारी के अनुसार 5 साल पहले सौरभ का छोटे भाई से बंटवारा हो गया। जिसके बाद सौरभ अपने माता-पिता से अलग रहने लगा था। छोटा भाई मां-बाप के साथ गोविंदनगर में रहता है।

    दरअसल, सौरभ सोने-चांदी के अलावा कमेटी का भी काम करता था। कमेटी में लोग अपना पैसा जमा करते थे। जिसे वह ब्याज के साथ लौटाता था। इस बीच सौरभ का व्यापार ठप हो गया था। सौरभ पर 10 करोड़ रुपये का कर्ज था। लोग अपना पैसा मांग रहे थे। सौरभ ने यह बात अपनी पत्नी मोना को बताई थी। दोनों काफी समय से परेशान थे।

    दोनों बच्चों को छोड़ा नाना-नानी के घर

    सुसाइड करने से पहले सौरभ ने अपने दोनों बच्चों को नाना-नानी के पास छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि वे किसी जरुरी काम से जा रहे है, आकर बच्चों को लेकर जाएंगे। इसके बाद दोनों हरिद्वार चले गए। दोनों ने वहां गंगनहर पुल पर सेल्फीली। सुसाइड नोट को वॉट्सऐप ग्रुपों पर भेजा और फिर नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।

     

     

  • विनेश फोगाट मामले में नया मोड़, भारतीय पहलवान से पूछे गए 3 बड़े सवाल, सिल्वर मेडल पर सस्पेंस बरकरार

    विनेश फोगाट मामले में नया मोड़, भारतीय पहलवान से पूछे गए 3 बड़े सवाल, सिल्वर मेडल पर सस्पेंस बरकरार

    भारतीय पहलवान विनेश फोगाट के पेरिस ओलंपिक में हुए डिसक्वालिफिकेशन के मामले में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. विनेश को गोल्ड मेडल मैच से पहले वजन अधिक होने के कारण टूर्नामेंट से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ खेल पंचाट (सीएएस) में अपील की है. इस मामले पर 10 अगस्त को रात 9:30 बजे तक फैसला आना था, लेकिन अब 13 अगस्त की तारीख तक मामले को बढ़ा दिया गया है. फैसला देने से पहले सीएएस के जज ने विनेश फोगाट से तीन सवाल पूछे हैं. भारतीय पहलवान को 12 अगस्त की शाम तक ईमेल के जरिए जवाब देना होगा. सीएएस ने गेंद अब विनेश के पाले में फेंक दिया है. उसने उलझाने वाले सवाल पूछे हैं.

    1. क्या आपको इस नियम की जानकारी थी कि आपको अगले दिन भी वजन देना है?
    2. क्या वर्तमान सिल्वर मेडल विजेता क्यूब की पहलवान आपके साथ अपना सिल्वर मेडल शेयर कर लेंगी?
    3. आपको इस अपील का फैसला सार्वजनिक घोषणा से चाहिए या आपको गोपनीय तरीके से निजी तौर पर बता दिया जाए?

    विनेश की उम्मीदें

    विनेश ने पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए शानदार प्रदर्शन किया था. लेकिन वजन में थोड़ी सी अधिकता के कारण उन्हें गोल्ड मेडल से वंचित रहना पड़ा. अब सभी की नजरें सीएएस के फैसले पर टिकी हुई हैं. विनेश को इस बात की उम्मीद है कि उन्हें सिल्वर मेडल दे दिया जाएगा.

    भारत का पेरिस ओलंपिक प्रदर्शन

    भारत ने पेरिस ओलंपिक में कुल 6 मेडल जीते हैं जिनमें 5 ब्रॉन्ज और 1 सिल्वर शामिल है. नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में सिल्वर मेडल जीता जबकि भारतीय हॉकी टीम और शूटिंग में तीन खिलाड़ियों ने ब्रॉन्ज जीते. रेसलिंग में अमन सहरावत ने भी ब्रॉन्ज जीता. शूटिंग में मनु भाकर, सरबजोत सिंह और स्वप्निल कुसाले ने मेडल अपने नाम किया. मनु को 2 मेडल जीते. उन्होंने एक मेडल अकेले और एक सरबजोत के साथ मिलकर जीता.

  • आज़ादी के बाद के सबक

    आज़ादी के बाद के सबक

    आज़ादी के बाद सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि भारत को विकसित बनाने के लिए हमें पांच प्रमुख क्षेत्रों में पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की जरूरत है। इनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा, सूचना व संचार तकनीक, भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक पॉवर, महत्वपूर्ण तकनीक में आत्मनिर्भरता। ये पांचों क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े तो हैं ही, एक-दूसरे पर प्रभाव भी डालते हैं। इसलिए इनमें बेहतर सामंजस्य होना चाहिए। यह देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है। इसके साथ ही हममें यह सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए कि हम कुछ नया अविष्कार करके ही अपने देश में अच्छा बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि विज्ञान और तकनीक से ही मानव कल्याण, शांति और खुशहाली आ सकती है।

    – डॉo सत्यवान सौरभ

    भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आजादी के बाद से एक लंबा सफर तय किया है, कई सही और गलत फैसलों से परहेज किया है, जो कई ऐसे स्थलों को पीछे छोड़ता है जो विभाजन की पीड़ा से एक मजबूत, शक्तिशाली और विकासशील राष्ट्र की यात्रा को परिभाषित करते हैं। हाल ही के दशकों में भारत धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय स्थान पर ऊपर चढ़ता जा रहा है और इसके कारण विश्व की एक प्रमुख महाशक्ति के रूप में इसका वैश्विक प्रभाव भी नजर आने लगा है. पिछले चार दशकों में एक जबरदस्त ताकत के रूप में उभरकर सामने आया है और भारत ने भी काफ़ी ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं. इसके कारण विश्व की आर्थिक शक्ति का केंद्र यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हटकर एशिया की ओर स्थानांतरित होने लगा है.

    उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ जाता है. हालांकि भारत के कई नेता गति को आगे बढ़ाने और सामाजिक राजनीतिक संकट से बचने में विफल रहे, यह भी राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता की कमी का मामला था। भारत में विविधता के कारण, कहीं न कहीं आना मुश्किल है। हालांकि, अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) यानी एक समान नागरिक संहिता लगने के प्रयासों को रूढ़िवादी वर्गों के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने दावा किया कि इससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा होगा।

    पानी की तरह किलोमीटर पर भारत में भाषा बदल जाती है। इसलिए,हिंदी केवल आधिकारिक भाषा के रूप में लाना मुश्किल था और 1965 में तमिलनाडु के हिंदी-विरोधी आंदोलन जैसे हिंसा और गरमागरम बहस देखी गई। जनसंख्या नियंत्रण कानून 2019 का जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, जिसे 2022 में वापस ले लिया गया था। दो संतान नीति को आजादी के बाद से 35 बार संसद में पेश किया गया है। इन मसौदे की आम जनता द्वारा भारी आलोचना की गई थी। कृषि अर्थशास्त्री और अन्य हितधारक दशकों से कृषि बाजार में सुधार की वकालत कर रहे हैं। इसने संकट से बचने के लिए तीन प्रमुख कृषि सुधार कानून जिन्हें निरस्त कर दिया गया को फिर से चुपके मोड में आगे बढ़ाने के बारे में सरकार को झिझक दिया। लेबर कोड पर नियम आज तक टाले गए। कोड के परिणामस्वरूप कम टेक-होम पे और आसान छंटनी होगी। निःसंदेह सरकार को सुधार के मार्ग पर बहुत सावधानी से चलना होगा।

    लोकतंत्र की सफलता में पहला है मतदान को अनिवार्य बनाना, जैसा कि कम से कम 30 लोकतंत्रों में किया गया है, जिससे मतदान प्रतिशत बढ़कर 90 प्रतिशत से अधिक हो गया है। वर्तमान में, भारत में मतदान प्रतिशत कम है। आईपीसी की धारा 124ए का घोर दुरुपयोग एक उपहास है लेकिन अधिकांश राजनीतिक दल नहीं चाहते कि कानून के इस प्रावधान को हटाया जाए। सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस और केंद्रीय अर्ध-सैन्य पुलिस का उपयोग करना चाहिए। घुसपैठ, भाड़े के सैनिकों, आतंकवादियों और आतंकवादियों से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के नागरिक क्षेत्रों से सशस्त्र बलों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ले जाने के लिए अधिनियम को हटाना एक मजबूत मामला है।

    राजनीतिक हस्तक्षेप और पुलिस जांच में अपर्याप्तता को देखते हुए, भारत ने औपनिवेशिक काल से यूरोप में प्रचलित जिज्ञासु प्रणाली में आरोप लगाने वाली प्रणाली से एक संरचनात्मक परिवर्तन करने का समय आ गया है। जस्टिस वी.एस. मलीमथ ने रिफॉर्म ऑफ क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर अपनी रिपोर्ट में भी इसका सुझाव दिया है। जीएम खाद्य फसलों के लिए भारत अभी भी आनुवंशिक रूप से इंजीनियर या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (जीएम) फसलों पर अनिर्णीत है। राजनीतिक इच्छा देश की खाद्य सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए जैव प्रौद्योगिकी सहित एक आधुनिक कृषि नीति ढांचे को अपनाने और लागू करने की कमी है। राजनीतिक प्रतिष्ठान ने राजनीतिक कार्यकर्ता आंदोलन से खुद को बचा लिया है। भारत में सामाजिक राजनीतिक अशांति के बावजूद नेताओं द्वारा कई कठोर निर्णय सुधार किए गए जैसे 1991 के सुधारों के दौरान नेताओं की राजनीतिक इच्छाशक्ति को याद रखना चाहिए। हम उस नेतृत्व की सराहना करते हैं जिसने भारत को “चट्टान से गिरने” से बचाया और भुगतान संकट के आसन्न संकट के साथ फंड और बैंक की मजबूरी के तहत सुधारों का प्रबंधन किया।

    1960 में भारत में हरित क्रांति ने गेहूं और दालों की अधिक उपज देने वाली किस्मों के विकास के साथ खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि देखी। 1976 सामूहिक नसबंदी अभियान संजय गांधी द्वारा शुरू किया गया था और एक वर्ष में लगभग 6.2 मिलियन पुरुषों की नसबंदी की गई थी, जिसमें लगभग 2000 लोग सर्जरी के कारण मारे गए थे। 1990 वीपी सिंह सरकार द्वारा कुछ जातियों को जन्म के आधार आरक्षण पर सरकारी नौकरी देने के विरोध में पूरा देश विरोध की चपेट में था, बावजूद इसके निर्णय जारी रहा। भारत ने 1998 में पोखरण में परमाणु बम परीक्षण किए, “ऑपरेशन शक्ति” कोडनेम के साथ निरस्त्रीकरण के वैश्विक दबाव में कठोर निर्णय लिया। इसने भारत को एक पूर्ण परमाणु राष्ट्र बना दिया। 2016 में, सरकार ने 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की। कई किसान, व्यापारी और युवा वर्ग सभी आंदोलन कर रहे थे लेकिन काले धन के खिलाफ एक कदम के रूप में इसे आगे बढ़ाया गया माल और सेवा कर: यह प्रमुख केंद्रीय और राज्य करों को शामिल करने के बाद परिणामी कर था। कश्मीर की पहेली सुलझाना राज्य के पूर्ण एकीकरण के लिए अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण लंबे समय से लंबित था और इसे जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर सीधे रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए सालों पहले किया जाना चाहिए था।

    आज़ादी के बाद सबसे महत्वपूर्ण सबक यह है कि सुधारों की प्रक्रिया को अधिक परामर्शी, अधिक पारदर्शी और संभावित लाभार्थियों को बेहतर ढंग से संप्रेषित किया जाना है। यह समावेशिता ही है जो भारत के लोकतांत्रिक कामकाज के केंद्र में है। हमारे समाज की तर्कशील प्रकृति को देखते हुए, सुधारों को लागू करने में समय और विनम्रता लगती है। लेकिन ऐसा करना सुनिश्चित करता है कि हर कोई जीत जाए। भारत को विकसित बनाने के लिए हमें पांच प्रमुख क्षेत्रों में पूरी ईमानदारी और निष्ठा से काम करने की जरूरत है। इनमें कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, शिक्षा व स्वास्थ्य सुरक्षा, सूचना व संचार तकनीक, भरोसेमंद इलेक्ट्रॉनिक पॉवर, महत्वपूर्ण तकनीक में आत्मनिर्भरता। ये पांचों क्षेत्र एक-दूसरे से जुड़े तो हैं ही, एक-दूसरे पर प्रभाव भी डालते हैं। इसलिए इनमें बेहतर सामंजस्य होना चाहिए। यह देश की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है। इसके साथ ही हममें यह सकारात्मक सोच भी होनी चाहिए कि हम कुछ नया अविष्कार करके ही अपने देश में अच्छा बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि विज्ञान और तकनीक से ही मानव कल्याण, शांति और खुशहाली आ सकती है।

    छोटे से छोटे भ्रष्टाचार का सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। करप्शन फ्री इंडिया के सपने को साकार करने के लिए इंडिया बात करने लगा है। कभी फिल्म और स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रखने वाला भारत अब भ्रष्टाचार मुक्त देश बनना चाहता है। आज भी भारत में बहुत से स्थान ऐसे हैं जहां लड़कियों को सिर्फ इस लिए नहीं पढ़ने दिया जाता क्यों कि वो लड़की हैं। ऐसे भी ये कहना गलत नहीं होगा कि इस देश का हर नागरिक स्वतंत्र नहीं है। यदि वास्तव में देश को आगे बढ़ाना है तो लिंग भेद को समाप्त करना होगा। आज का भारत मर्डर, रेप जैसे बड़े क्राइम्स के साथ साथ बहुत से छोटे क्राइम्स से भी परेशान है। कहीं न कहीं इन क्राइम्स के पीछे एक बड़ा कारण बेरोजगारी भी है लेकिन सोच बदलकर कर रोजगार मुहैया करवाकर क्राइम पर कंट्रोल किया जा सकता है।

    देश जितना हिन्दू- मुसलमान सोशल मीडिया पर दिखाई देता है उतना है नहीं। आज का भारत किसी के बहकावे में आने वाला नहीं है। बदलते भारत के लोगों में अपने विवेक के आधार पर निर्णय करके देश को प्राथमिकता देने जैसी बातें प्रमुखता से सामने आईं। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आजादी पाई जा सकती है।। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को गुलामी का अहसास देती है, आखिर वो कब इस से आजाद होगा। सोचना होगा।

    – डॉo सत्यवान सौरभ,

    – डॉo सत्यवान सौरभ,
    कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट,
    333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी,
    हरियाणा – 127045, मोबाइल :9466526148,01255281381

    — Dr. Satyawan Saurabh,
    Poet, freelance journalist and columnist,
    All India Radio and TV panelist,
    333, Pari Vatika, Kaushalya Bhavan, Barwa (Siwani) Bhiwani,
    Haryana – 127045, Mobile :9466526148,01255281381

    — ਡਾ. ਸਤਿਆਵਾਨ ਸੌਰਭ,
    ਕਵੀ, ਸੁਤੰਤਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਅਤੇ ਕਾਲਮਨਵੀਸ,
    ਆਲ ਇੰਡੀਆ ਰੇਡੀਓ ਅਤੇ ਟੀਵੀ ਪੈਨਲਿਸਟ,
    333, ਪਰੀ ਵਾਟਿਕਾ, ਕੌਸ਼ਲਿਆ ਭਵਨ, ਬਰਵਾ (ਸਿਵਾਨੀ) ਭਿਵਾਨੀ,
    ਹਰਿਆਣਾ – 127045, ਮੋਬਾਈਲ : 9466526148,01255281381

    नोट- आपको प्रकाशनार्थ भेजी गई मेरी रचना/आलेख/ कविता/कहानी/लेख नितांत मौलिक और अप्रकाशित है।

  • माहेश्वरी समाज, नोएडा द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

    माहेश्वरी समाज, नोएडा द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक संध्या का आयोजन

    प्रेस विज्ञप्ति
    माहेश्वरी समाज, नोएडा द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह एवं सांस्कृतिक संध्या का आयोजन
    माहेश्वरी समाज, नोएडा की ओर से 10 अगस्त 2024, शनिवार को सैक्टर 6 स्थित इंदिरा गांधी कलाकेन्द्र में वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। समाज के परिवार के सदस्यों की ओर से नई एवं पुरानी शैली के विभिन्न नृत्यों की बहुत ही सुन्दर एवं मनमोहक प्रस्तुति प्रकर्ति के नो रसों को प्रदर्शित करते हुए नवरस की थीम पर पेश की गई। विविधताओं से भरे हुए इस मनोरंजक कार्यक्रम में सुन्दर हास्य नाटिका की प्रस्तुति भी की गई। सभी दर्शक इस नाट्य मंचन का आनंद लेते हुए हास्य रस में सरोबार हो गए। इस सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ ही समाज के 45 प्रतिभाशाली छात्रों का सम्मान भी किया गया। विधि परवाल को 12th में 96% अंक लाकर समाज को गौरवान्वित करने के लिए पुरस्कृत किया गया। समाज के 2 अन्य छात्रों, रौनक दमानी एवं सोहम साराडा भी 12th में 95% से ज्यादा अंक लाने पर पुरस्कृत किया गया। नव्या झंवर, अंशिका मालपानी, अश्लेशा डागा, मनन बिहाणी ने इस वर्ष कक्षा 10 में 90% से ज्यादा अंक प्राप्त किये। समाज के सभी छात्रों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

    इस अवसर पर एनसीआर के कई गणमान्य माहेश्वरी नागरिको एवं नोएडा की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया। माहेश्वरी समाज समय समय पर इस प्रकार के कार्यक्रम करता रहता है। इन आयोजनो से संस्था की विभिन्न प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है।

    संस्था के अध्यक्ष अरविन्द सांवल ने सभी अथितियों का स्वागत करते हुए कहा की आज माहेश्वरी समाज सभी क्षेत्रो में देश की प्रगति में अग्रणीय रूप से भागीदार है। समाज को आज के परिवेश के अनुरूप देश की जवलंत समस्याओं के समाधान में अपनी भागीदारी बढ़नी चाहिए। उन्होंने युवा वर्ग को इसके लिए आगे आने का आवाहन किया।

    संस्थापक अध्यक्ष आर पी सोनी जी ने संस्था की और से किये गए कल्याण कार्यो की जानकारी देते हुए बताया की माहेश्वरी समाज नोएडा, समाज के विभिन्न वर्गों के उथ्थान के लिए निरन्तर कार्यरत है।

    महासचिव दिलीप बाहेती एवं कोषाध्यक्ष अजित परवाल ने कार्यक्रम के सफल संयोजन के लिए सभी कार्यकर्ताओं को ध्यन्यवाद दिया। साथ ही सुन्दर सजावट एवं संस्कर्तिक आयोजन में विभिन्न सहयोग के लिए संगीता चांडक, कविता मूंदड़ा, राधा दमानी एवं रंजना लखोटिया का आभार किया। साथ ही कार्यक्रम के सफल आयोजन में सहयोग के लिए विजय सोनी, कपिल लखोटिया, श्यामसुंदर सोनी, गिरीश माहेश्वरी, प्रकाश इनाणी, दिनेश माहेश्वरी, दिनेश चांडक, नितिन झंवर, विजय मालपानी एवं सभी युवा सदस्यों एवं महिला सदस्यों को बधाई देते हुए धन्यवाद दिया एवं सभी आगंतुक अथितियों को सुरुचि पूर्ण भोजन के लिए आमंत्रित किया। काय्रक्रम में सम्मिल्लित माहेश्वरी समाज के सदस्य अनिल लाहोटी, आर एन मालू, डॉ रवि मोहता, राकेश माहेश्वरी, दीपक माहेश्वरी, नरेश सोढानी, नंद्किशोर चांडक, के के सादानी, रविन्द्र मूंदड़ा, रमाकांत माहेश्वरी, प्रभात माहेश्वरी, पवन शर्मा, नरेन्द्र पंफालिया, बालमुकुन्द माहेश्वरी, दीपक भण्डारी, अशोक बियाणी, ओ पी अजमेरा, एन के मालपानी आदि मुख्य थे।

    भवदीय
    प्रकाश ईनाणी
    9811772244

  • कौशांबी पार्क : पप्पू चौपाल  पर बढ़ने लगे मित्रों के कदम

    कौशांबी पार्क : पप्पू चौपाल पर बढ़ने लगे मित्रों के कदम

    ……….राकेश जाखेटिया , दिल्ली
    4 अगस्त मित्रता दिवस के उपलक्ष पर कौशांबी का प्रमुख पार्क सेंट्रल पार्क में पप्पू चेयरमैन चौपाल पर मनाया गया मित्रता दिवस जिसमें पार्क प्रेमियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया ।

    जीवन के विभिन्न क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति , एडवोकेट्स, डॉक्टर ,इंजीनियर, मीडियाकर्मी , सी ए, कलाकार, सेवानिवृत्त अधिकारी , व्यापारी, उद्योगपति , आदि अनेको क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों ने भाग लिया !

    पप्पू चौपाल अचानक आकर्षण का केंद्र बन गया जब गीत संगीत , काव्या पाठ की धमक से चलते हुए पार्क प्रेमियों के कदम स्वयं रुकने लगे जब यहां पर अचानक हंसने हंसाने की आवाज गूंजने लगी ।

    राजनीतिक चर्चा तथा आर्थिक संपन्नता पर कम ध्यान देकर अपने साथ लाए हंसी के खजाने को बिखरने लगे यानी मनोरंजन संवाद में आनंद लेने लगे ।
    कार्यक्रम के दौरान फूलों की वर्षा सभी एक दूसरे पर उपस्थित जनमानस पर करने लगे । विदेश से लौट कर आए पार्क प्रेमी चौपाल का हिस्सा बनते दिखाई दिए ।

    कार्यक्रम का प्रारंभ पप्पू चौपाल के लोगों ने ‘स्वच्छता अभियान ‘से किया। धीरे-धीरे अपनी इच्छानुसार लाए स्वादिष्ट व्यंजन एक दूसरे को वितरित करने लगे ।
    चाय की चुस्कियां के साथ कार्यक्रम लगभग डेढ़ घंटा चलता रहा । श्रीमती सुनीता परवाल का बंबईया बड़ा पाव चटकारे लगाते हुए खाते हुए दिखाई दिऐ ।
    विदेश से आए कमल गुप्ता जी के हाथ की अदरक – इलायची की चाय के साथ बिस्किट मठिया आदि अनेकों व्यंजन कार्यक्रम के दौरान चलते रहे । डॉ. मीनू अग्रवाल एवं सुधीश अग्रवाल ( पति -पत्नी) का हास्य संवाद सभी उपस्थित जनमानस को आनंदित करता रहा ।

    अशोक परवाल द्वारा माइक पर गाया गीत
    ‘मैं भी पप्पू , तू भी पप्पू , हम सब है पप्पू पप्पू ‘गीत पर
    सामुहिक डांस ने सभी का मन मोह लिया ।

    पप्पू चेयरमैन चौपाल के मुखिया श्री सुशील जैन ,
    एडवोकेट के सी कौशिक , सुधीश अग्रवाल , वरिष्ठ पत्रकार राकेश जाखेटिया , पवन गुप्ता , रविंद्र नागर ,
    मनीष जैन , गौरव वर्मा , प्रेम गौगिया , आनंद शर्मा आदि अनेकों गणमान्य सदस्यों ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपनी अग्रणीय भूमिका निभाई ।