Author: Ragib

  • जानिए, रामनवमी की विशेषता

    जानिए, रामनवमी की विशेषता

    भारतीय संविधान रचा जा रहा था. ढाई वर्ष का समय बीतते-बीतते संविधान सभा अपने अंतिम चरण में थी. इसी समय डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जब इसके ड्राफ्ट को पेश किया तो संविधान की मूल प्रति में विषयों के अनुसार उसमें चित्रों के चित्रण पर चर्चा हुई. सहमति बनी और तब के चोटी के चित्रकार नंदलाल बोस को ये काम सौंपा गया. बोस ने हजारों वर्षो के भारतीय सामाजिक ढांचे, रहन-सहन और लोगों की भावना-आस्था पर गहन अध्ययन किया और इस आधार पर पाया कि 800 वर्षों के परतंत्र इतिहास के बावजूद इस देश की माटी में वैदिक महत्ता, ऋषि परंपरा रची-बसी है. कोई है जिसका सिर्फ नाम ही करोड़ों भारतीयों को एक साथ न सिर्फ जोड़ता-बांधता है, बल्कि उत्तर के हिमालयी क्षेत्र से लेकर दक्षिण के सागर तट तक के लोगों को एक केंद्र में ले आता है.

    यह नाम कोई और नहीं बल्कि प्रभु श्री राम का ही नाम है. आप उन्हें ईश्वर न मानें, आस्था न भी रखें तो भी एक राजा और उससे कहीं अधिक एक मर्यादा पुरुषोत्तम होने की कसौटी पर भी ये नाम खरा उतरता है. संविधान के जिस भाग 3 में मौलिक अधिकारों को जगह मिली है, उस भाग के प्रतिनिधि चित्रण में श्रीराम-सीता और लक्ष्मण को दर्शाया गया है और यह प्रसंग तब का है, जब वह लंका विजय के बाद अयोध्या वापसी करते हैं. सोचिए! बात जब मौलिक अधिकारों की हुई तो घर लौटना, उसका कितना बड़ा पर्याय बना. किसी के घर लौट आना सिर पर छत, परिवार के पोषण के लिए एक स्थान और सुरक्षा तीनों प्रमुख जरूरतों को पूरा करता है. रोटी-कपड़ा-मकान की यही मूलभूत जरूरत न सिर्फ आदमी की चाहत है, बल्कि संविधान की भी कसौटी है. राम का घर आना, यानी इस देश के नागरिकों को घर मिलने-सुरक्षित रहने का वचन है.

    असल में भारतीय समाज में राम नाम इतना व्यापक और रचा-बसा है कि भारत की कल्पना इस नाम के बिना नहीं की जा सकती. राम-राम कहिए तो यह सम्मान है. हरे राम-हरे राम कहिए तो कीर्तन, अरे राम! कह दें तो आश्चर्य, हाय राम! कहें तो पीड़ा, सियाराम कहिए तो उत्साह, जय श्रीराम कहिए तो बल… और जीवन का सबसे बड़ा और अटल सत्य है ‘राम नाम सत्य’ होना. सदियां बीत गईं, पीढ़ियां गुजर गईं, कनेक्टिविटी के नए तार जुड़ चुके हैं, बल्कि तार भी नहीं रहे, इसके बावजूद रामनाम से जो कनेक्शन जुड़ा हुआ है, वह आज भी कायम है.

    पुराण कथाएं बताती हैं कि राम विष्णु के सातवें अवतार हैं और इसलिए वह धरती पर जन्म लेने वाले भगवान हैं. देश में बने तमाम मंदिरों में बनी उनकी छवि भगवान वाली ही है. फिर भी लोक जनमानस में राम ईश्वर से कहीं ज्यादा हैं. विष्णु के एक और अवतारी श्रीकृष्ण की बालरूप और युगल रूप में बड़ी मान्यता है, लेकिन फिर ऱाम की जो छवियां सरल-सहज आदमी में हैं, वह सबसे अलहदा और अलग है. वह पिता के पुत्र हैं, मां के लाडले हैं, भाई हैं, मित्र हैं, पति हैं, सामाजिक संबंधी हैं और जब एक राजा भी हैं तो वह न्याय की मू्र्ति हैं. उनसे डर नहीं है, बल्कि उनके राज में नागरिक के पास उसकी नागरिकता का सम्मान है.

    मिथिला की लोक परंपरा की एक दंतकथा से इसका विवरण भी मिलता है. रामायण में राम द्वारा सीता का त्याग ऐसा प्रसंग है, जो उनकी हर स्थिति में आदर्श वाली छवि पर हल्की धुंध जमा देता है. प्रसंग है कि सीता त्याग के बाद एक दिन राम दरबार में आ रहे थे. दोनों ओर से दास-दासियां उनपर फूल बरसा रहे थे. इसी दौरान जब राम एक दासी के सामने पहुंचते हैं तो वह मुंह घुमा लेती है. राम यह देख लेते हैं, लेकिन आगे बढ़ जाते हैं. कुछ देर बाद वही दासी किसी मंत्री के आने के बारे में सूचना देने पहुंचती है.

    तब राम कहते हैं कि, तुम सीता की अंतरंग सखी भी हो, उसके जाने का तुम्हारा दुख मेरे दुख से कहीं अधिक है. इसलिए पहले जो मन में है वो कहो. यह सुनकर सीता की वह सखी रो पड़ती है और कहती है कि मैं मिथिला वालों से कहूंगी कि अब से कोई अपनी बेटी अयोध्या वालों को न ब्याहना. वे बड़े निष्ठुर होते हैं. राम चुपचाप उस सखी की बात सुनते रहते हैं और जब वह खूब रो कर शांत हो जाती है, तब राम उसे जाने देते हैं.

    मिथिला की लोक परंपरा में जहां राम की मान्यता अपने जमाता के तौर पर है, वहीं सीता को त्याग की मूर्ति बताया गया है. सीता के त्याग से जो दुख उपजा, उसका उलाहना पाने से राम भी अछूते नहीं रहे हैं. वहां की परंपरा में एक भजन है, जिसे सीता के सम्मान और उनकी दुख की अवस्था को भांपते हुए गाया जाता है.

    सिया धिया हे त्याग सँ तोहर
    दबल अयोध्या धाम छै
    जैं सीता तखनहि मर्यादा
    पुरुषोत्तम श्रीराम छै

    इसी तरह हिंदी पट्टी में एक और भजन बहुत प्रसिद्ध है जो महिलाओं के कीर्तन का हिस्सा है और बिना नाम लिए राम की उपेक्षा करता है. इस भजन में काल्पनिक दृष्य रचा गया है, जब सीता वनवास को जा रही होती हैं, तो अपनी सास, देवर सभी को कह रही होती हैं कि मैं तो महल छोड़कर जा रही हूं, कपड़े, गहने, रथ-घोड़े, नौकर-चाकर भी छोड़ जा रही हूं, मेरे पास तो सिर्फ पतिव्रता की मर्यादा है, वही लिए जा रही हूं.

    राम दिया बनवास महल को छोड़के जाती हूं….

    यह लो री सासुल कपड़े अपने,
    इनको रखना संभाल चुनरिया ओढ़े जाती हूं,
    राम दिया बनवास महल को छोड़के जाती हूं….

    यह लो री ससुर गहने अपने,
    इनको रखना संभाल अंगूठी पहने जाती हूं,
    राम दिया बनवास महल को छोड़के जाती हूं….

    यह लो री सांचौर जूते चप्पल,
    इन को रखना संभाल मैं नंगे पैरों जाती हूं,
    राम दिया बनवास महल को छोड़के जाती हूं….

    अपने ईष्ट, अपने आराध्य जिसकी पूजा-अर्चना में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती, उलाहना देने की बात आती है तो भारतीय समाज इससे भी पीछे नहीं हटता, और इतना होने के बावजूद राम की प्रभुता में कोई कमी नहीं आती है. राम इस समाज का नाम हैं, पहचान हैं, खान-पान हैं, पहनावा भी हैं और ओढ़ना-बिछाना भी हैं. यहां कहा भी जाता है कि,

    पुकारो- रामदास,
    रहो कहां- रामपुर में
    खाओ क्या- रामफल, रामभोग
    पीया क्या- रामरस
    पहना क्या- रामनामी
    बैठे किधर- रामटेक
    जाना किधर- रामनगर

  • हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    हल्द्वानी में क्यों और कैसे भड़की हिंसा ,क्या है उस मदरसे और मस्जिद की कहानी जिस पर चला है बुलडोज़र

    उत्तराखंड का हल्द्वानी हिंसा की आग में जल रहा है। नैनीताल जिले में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में उस वक्त हिंसा की आग भड़क उठी जब नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रहा था। हिंसा की आग इतनी भयावह थी कि पूरा शहर इसकी चपेट में आ गया। इस हिंसा में अब तक पांच लोगों के मारे जाने की खबर है और 300 पुलिस वाले और नगर निगम के कर्मचारी घायल हैं। फ़िलहाल पुरे इलाके में तनाव की इस्थिति बानी हुई है।

    दरअसल ,हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार को नगर निगम ने ‘अवैध’ रूप से निर्मित मदरसा एवं मस्जिद को जेसीबी मशीन से ध्वस्त कर दिया। इस एक्शन का रिएक्शन ऐसा हुआ कि पूरे इलाके में हिंसक स्थिति पैदा हो गई। माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया कि तुरंत कर्फ्यू लगा दिया गया और दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए। पुलिस की मानें तो घटना में 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं। घायलों में हल्द्वानी के एसडीएम (अनुमंडलाधिकारी) भी शामिल हैं। इसने कहा कि शहर के बनभूलपुरा इलाके में हिंसा के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए लगभग 300 से अधिक लोगों में से अधिकांश पुलिसकर्मी और नगरपालिका कर्मचारी हैं, जो एक स्थानीय मदरसे की विध्वंस कार्रवाई में शामिल थे।

    हल्द्वानी डीएम वंदना सिंह ने शुक्रवार को बताया कि अतिक्रमण हटाने से पहले ही टीम पर हमले की प्लानिंग कर ली गई थी। भीड़ ने पहले पत्थर फेंके, जिन्हें फोर्स ने तितर-बितर कर दिया। इसके बाद दूसरा जत्था आया और उसने पेट्रोल बम से हमला किया। मीडिया से बात करते हुए एक महिला पुलिस ने बताया महिला पुलिसकर्मी के मुताबिक, हम बहुत बचकर आए। बचने के लिए हम 15-20 लोग एक घर में घुस गए। लोगों ने पथराव किया, बोतलें फेंकीं। आग लगाने की कोशिश की। चारों तरफ, गलियों, छतों से पथराव हो रहा था। उन्होंने गलियां घेर ली थीं। जिसने हमें बचाया, उन लोगों ने उसे भी गालियां दीं, घर तोड़ दिया। हम लोगों ने फोन किया, लोकेशन भेजी, तब फोर्स आई तो हमें बाहर निकाला।

    अभी क्या हैं हालात
    फिलहाल, हालात ये हैं कि हिंसा बढ़ने पर हल्द्वानी की सभी दुकानें बंद कर दी गईं हैं। कर्फ्यू लगने के बाद शहर और आसपास कक्षा 1-12 तक के सभी स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राजधानी देहरादून में उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर हालात की समीक्षा की तथा अराजक तत्वों से सख्ती से निपटने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिए। इलाके में भारी संख्या में पुलिसबलों की तैनाती है। कुल मिलाकर इलाके में पूरी तरह से लॉकडाउन वाले हालात हैं। केवल जरूरी कार्यों को ही करने की छूट है।

  • अमेरिका में बाइडेन के खिलाफ सड़क पर उतरे मुस्लमान

    अमेरिका में बाइडेन के खिलाफ सड़क पर उतरे मुस्लमान

    अमेरिका में इसी साल राष्ट्रपति चुनाव होने वाले है। अमेरिका के प्रेसिडेंट जो बाइडेन एक बार फिर से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके है। अमेरिकी मुस्लिम बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक माने जाते हैं। हालांकि, गाजा में करीब चार महीने से जारी इजराइल-हमास की जंग के चलते डेमोक्रेट पार्टी का यह वोट उससे दूर होता जा रहा है।कुछ महीने पहले अमेरिकी मुस्लिमों के संगठन ने बाइडेन को इजराइल के गुनाह में बराबर का हिस्सेदार बताया था। अब मिशिगन राज्य के नेताओं ने तो डेमोक्रेट पार्टी के नेताओं की टीम से मिलने से ही इनकार कर दिया है।

    अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया गया है कि बाइडेन की री-इलेक्शन टीम अरब मूल के अमेरिकी मुस्लिम नेताओं के साथ मिशिगन में मीटिंग करना चाहती थी। यह मीटिंग शनिवार को तय थी और पूरा प्लान तैयार हो चुका था। ऐन वक्त पर मिशिगन के इन नेताओं ने बाइडेन की टीम को बताया कि वो मीटिंग नहीं करना चाहते।डियरबॉर्न शहर के मेयर अब्दुल्लाह हमाद ने कहा- इस तरह की बातचीत तब अच्छी होती है, जब हम पॉलिसीज बनाते हैं या उनके बारे में बात करते हैं। जाहिर सी बात है पॉलिसी के बारे में हम कैम्पेन टीम से बातचीत नहीं कर सकते। यह काम तो सरकार के नुमाइंदों के साथ हो सकता है। मैं ऐसी किसी बातचीत के फेवर में नहीं हूं जिसमें इलेक्शन के बारे में डिस्कस किया जाए। वो भी तब जबकि गाजा के नरसंहार को हम लाइव देख रहे हैं। एक और नेता ने कहा- यह वक्त सियासत का नहीं है। अगर बाइडेन और उनकी टीम वास्तव में गंभीर हैं तो सबसे पहले गाजा में नरसंहार रोका जाए, वहां सीजफायर में देर नहीं होनी चाहिए।

    नवंबर 2023 में अमेरिका के कुछ मुस्लिम लीडर्स और अरब-अमेरिकन ग्रुप के सदस्यों ने कहा था कि राष्ट्रपति बाइडेन गाजा में सीजफायर के लिए तुरंत कदम उठाएं। उन्होंने शर्त रखी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो 2024 के चुनाव के लिए उनको मिलने वाली फंडिंग बंद कर देंगे और बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट भी नहीं देंगे। इसके कुछ दिन पहले ही बाइडेन ने नेशनल मुस्लिम डेमोक्रेटिक काउंसिल के सदस्यों के साथ बैठक की थी। इनमें वो डेमोक्रेटिक नेता भी शामिल थे जो मिशिगन, ओहायो और पेनसिलवेनिया जैसी अहम स्टेट्स से आते हैं। अमेरिका के चुनाव के वक्त इन राज्यों में सबसे ज्यादा कांटे की टक्कर होती है।

    मुस्लिम लीडर्स ने इसी दौरान एक ओपन लेटर 2023 सीजफायर अल्टीमेटम में कहा था कि जो भी उम्मीदवार फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइली हमले का समर्थन करेगा, उसे कोई भी मुस्लिम, अरब या उनके सहयोगी मतदाता वोट नहीं देंगे। इन नेताओं ने आगे कहा था कि अमेरिका इजराइल को खुला समर्थन दे रहा है। इसमें फंडिंग, हथियार और जंग से जुड़ी दूसरी सामग्री शामिल है।इन नेताओं ने आगे कहा- अमेरिका की इजराइल को मदद भी फिलिस्तीनियों पर नरसंहार के लिए जिम्मेदार है। इसके जरिए अमेरिका ने कहीं न कहीं उस हिंसा को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसकी वजह से आम नागरिक मारे जा रहे हैं। अब वो वोटर्स बाइडेन पर भरोसा नहीं करना चाहते जो पहले खुले तौर पर अमेरिका के साथ थे।

    इन बयानों के बीच व्हाइट हाउस ने कहा- जंग के बीच हमने लगातार मुस्लिम लीडर्स और समुदाय के बाकी लोगों की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है। बाइडेन मुस्लिम नेताओं से बात कर चुके हैं और इस पर आगे भी चर्चा होती रहेगी।व्हाइट हाउस ने बयान में आगे कहा- बाइडेन इस बात को जानते हैं कि अमेरिकी मुस्लिम नेताओं और समुदाय ने नफरत भरे कई हमलों को सहन किया है। हम लगातार अरब, मुस्लिम समुदाय और यहूदी लीडर्स के साथ मिलकर काम करने की कोशिश कर रहे हैं।पिछले महीने ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इसके मुताबिक- इजराइल और हमास की जंग शुरू होने के बाद अमेरिका में मुस्लिम नेताओं ने एक नया संगठन बनाया। इनका नारा है अब बाइडेन को अकेला छोड़ दो। इसके नेता जलाई हुसैन ने मिशिगन की रैली में कहा था- हम ऐलान करते हैं कि बाइडेन 2024 का प्रेसिडेंशियल इलेक्शन पहले ही हार चुके हैं। हसन सिबली ने कहा- हम बाइडेन को जिता सकते हैं तो याद रखिए हरा भी सकते हैं। वो न तो सीजफायर करा पाए और न गाजा के बेकसूर लोगों की जान बचा सके। हम उन्हें नरसंहार कराने वाला प्रेसिडेंट मानते हैं।

    सिबली ने आगे कहा- गाजा में 10 हजार बच्चे मारे जा चुके हैं। इसलिए अब बाइडेन को व्हाइट हाउस में रहने का एक और मौका नहीं दिया जा सकता। वो इस नरसंहार के दोषी है। ग्लोबल स्टडीज के प्रोफेसर और मुस्लिम नेता हसन अब्दुल सलाम ने कहा- बाइडेन को देखना चाहिए कि हमारे पास 111 इलेक्टोरल वोट्स हैं।रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में करीब 30 लाख 45 हजार मुस्लिम रहते हैं। आमतौर पर इन्हें डेमोक्रेट पार्टी का समर्थक माना जाता है। अक्टूबर2023 के आखिर में एक सर्वे किया गया था। इसके नतीजे बताते हैं कि इजराइल का समर्थन करने की वजह से बाइडेन और उनकी डेमोक्रेट पार्टी मुस्लिमों से दूर होते जा रहे हैं। खास बात ये है कि 17% अरब मूल के अमेरिकी नागरिकों ने 2024 में बाइडेन के समर्थन की बात कही। 2020 में यह आंकड़ा 60% था।इस नजरिए से देखें तो मुस्लिमों के बीच डेमोक्रेट्स का समर्थन 42% कम हुआ है। 9 स्विंग स्टेट्स की वजह से ही बाइडेन 2020 में उस वक्त के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराने में कामयाब रहे थे।मिसाल के तौर पर मिशिगन को ही ले लीजिए। अमेरिकी जनगणना विभाग के मुताबिक इस राज्य में 2 लाख 77 हजार अरब मुस्लिम अमेरिकी वोटर हैं। 2020 में इसी राज्य में कामयाबी के चलते बाइडेन ने इतिहास रचा था। इस पूरे मामले में एक मुस्लिम नेता का बयान हैरान करता है। जलाई हुसैन के मुताबिक हम ट्रम्प का भी समर्थन नहीं करेंगे। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि अगर वो बाइडेन (डेमोक्रेट) और ट्रम्प (रिपब्लिकन) दोनों का समर्थन नहीं करेंगे तो फिर किसका समर्थन करेंगे।

  • नीतीश के बीजेपी में जाने के बाद विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा ?

    नीतीश के बीजेपी में जाने के बाद विपक्षी पार्टियों ने क्या कहा ?

    रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए आ। आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। फ़राज़ साहब की यह लाइन आज नीतीश कुमार पर बिलकुल सटीक बैठ रही है। नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिलकर नीतीश कुमार ने महागठबंधन के नेता का पद त्याग दिया और बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो गए इन दस सालों में नितीश कुमार ने पांचवी बार पलटी मारी है। लेकिन वो मुख्य मंत्री पहली या दूसरी बार नहीं बल्कि नौंवी बार बने हैं। कभी NDA के साथ गठबंधन में रहकर CM, कभी UPA के साथ, कभी नए-नए बने इंडिया अलायन्स के साथ. नीतीश कुमार ने महागठबंधन सरकार से इस्तीफे के तुरंत बाद अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने बताया कि आखिर क्या परिस्थितियां थी जिसके चलते उन्हें इस्तीफे के लिए मजबूर होना पड़ा। इंडिया अलायन्स पर तंज कस्ते हुए कहा कि वहां भी लोगों को तकलीफ थी यहां भी लोगों को तकलीफ थी काम नहीं होने दिया जा रहा था, इसीलिए हमने पार्टी के लोगों की राये सुनी और इस्तीफे का फैसला किया।

    नीतीश कुमार अगस्त 2022 में बीजेपी से गठबंधन तोड़कर राजद के साथ आए थे। राजनीती में नीतीश कुमार का ये पहला यू-टर्न नहीं था। यही वजह है कि तब ना उनके बीजेपी से गठबंधन तोड़ने को लेकर हैरानी हुई थी और ना ही राजद के साथ नई सरकार बनाने से।पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजधानी पटना से आ रहे सभी संकेत एक तरफ़ इशारा कर रहे थे कि ‘इंडिया गठबंधन’ को एकजुट करने की कोशिशों में लगे नीतीश कुमार अब ख़ुद ही गठबंधन को छोड़कर दूसरे गठबंंधन में जा सकते हैं, जिसका राजनीतिक विकल्प देने की कोशिशें वो कर रहे थे।ये तो हुई नीतीश कुमार की बात अब आपको हम वो बयान भी सुनाने जा रहे हैं जो नितीश के इस्तीफे के बाद विपक्षी दल बोल रहा हैं। राजद और कांग्रेस के कई नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं। कोई उन्हें गिरगिट कह रहा है तो कोई उन्हें पलटूराम बता रहा है। कई लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार की राजनीति अब खत्म होने वाली है। बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनका पत्ता साफ हो जाएगा। कुछ नेताओं का कहना है कि जब नीतीश कुमार NDA को छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए थे तभी ये तय हो गया था कि एक दिन ये आदमी फिर से पलटी मारेगा।

    कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “बिहार के उपमुख्यमंत्री (तेजस्वी यादव) और लालू प्रसाद यादव ने इस बारे में संकेत दिया था और आज यह सच हो गया। ‘ऐसे देश में बहुत सारे लोग हैं, आया राम गया राम’।” केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “नीतीश कुमार को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया। उनकी जो भी मजबूरी रही लेकिन बिहार पेशोपेश में था, डेढ़ साल में बिहार में जंगलराज 2 की स्थिति आ गई थी। अगर तेजस्वी यादव की ताजपोशी हो जाती तो बड़ी कठिनाई होती। भाजपा जंगलराज नहीं आने देगी।”नीतीश को चचा कहने वाले बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के पलटने पर कहा कि “सीएम नीतीश कुमार आदरणीय थे और हैं। कई चीजें नीतीश कुमार के नियंत्रण में नहीं हैं।

    महागठबंधन’ में राजद के सहयोगी दलों ने हमेशा मुख्यमंत्री का सम्मान किया है।कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी नीतीश कुमार पर तंज कसा और ट्वीट करते हुए लिखा- बार-बार राजनीतिक साझेदार बदलने वाले नीतीश कुमार रंग बदलने में गिरगिटों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने उनकी तुलना कूड़े से की है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा- कूड़ा गया फिर से कूड़ेदानी में, कूड़ा-मंडली को बदबूदार कूड़ा मुबारक। ओपी राजभर ने कहा, “विरोधियों ने ठाना है कि 2024 में मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाना है और उसी का नतीजा बंगाल में दिखा जिसकी शुरुआत ममता बनर्जी ने की, फिर बिहार में दिखा। इसके दोषी अखिलेश यादव हैं, वे नहीं चाहते कि नीतीश कुमार INDIA गठबंधन में रहें। यह तय है कि सभी विपक्ष के लोग चाहते हैं कि PM मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें।”असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार के साथ नरेंद्र मोदी और तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। उन्हों ने कहा कि बिहार की जनता के साथ धोखा दिया है। उन्होंने मांग की है कि इन तीनों को बिहार की जनता से माफ़ी मांगनी चाहिए.कल तक नीतीश कुमार कहते थे कि ओवैसी बीजेपी की ‘बी’ टीम है,अब बताइए, नीतीश कुमार को इनकी (बीजेपी) ‘बी’ टीम बोलेंगे या नहीं।

    बिहार की राजनीति में बहुत तेजी से घटनाक्रम बदल रही है। कई दिनों से चल रहा कयासों का आज अंत हो गया है। नीतीश कुमार ने आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया है है और एनडीए में शामिल हो गए है।

     

     

     

  • Ram Mandir Pran Pratishta पर 57 मुस्लिम देशों ने क्यों किया विरोध जानिए पूरी घटना

    Ram Mandir Pran Pratishta पर 57 मुस्लिम देशों ने क्यों किया विरोध जानिए पूरी घटना

    अयोध्या में बीते 22 जनवरी को राम मंदिर का भव्य उद्घाटन किया गया। इसको लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी काफी चर्चा थी। हालांकि राम मंदिर के उद्घाटन पर कई लोगों को मिर्ची लगी है। पाकिस्तान ने पहले ही नाराजगी जाहिर कर दी है। हालांकि, अब इसमें एक नया नाम जुड़ चुका है। इस बार 57 मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने जहर उगला है।(OIC) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा के हवाले से इस्लामिक सहयोग संगठन ने कहा है कि हम इस्लामिक धर्म से ताल्लुक रखने वाले बाबरी मस्जिद को तोड़कर बनाई गई राम मंदिर की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि जिस जगह पर राम मंदिर का निर्माण किया गया है, उस जगह पर पिछले 500 सालों से बाबरी मस्जिद थी। इस पर OIC ने राम मंदिर के उद्घाटन पर गंभीर चिंता जाहिर की है।

    ओआईसी का बयान पाकिस्तान की ओर से एक दिन पहले जारी स्टेटमेंट से मेल खाता है। सोमवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह की निंदा की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा गया कि अयोध्या में 500 साल पुरानी बाबरी मस्जिद को तोड़कर बनाया गया ये मंदिर भारत के लोकतंत्र पर एक कलंक की तरह है। 1992 में कट्टरपंथियों की भीड़ ने पहले बाबरी मस्जिद को तोड़ा और उसके बाद अब यहां ये मंदिर बनाया गया। इस घटनाक्रम से साफ है कि भारत में आने वाले समय में मुसलमानों के दूसरे धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाया जा सकता है। अयोध्या के बाद वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को भी कट्टरपंथी तोड़ सकते हैं।

    आपको बताते है कि क्या OIC संघटन मुस्लिम आबादी के लिहाज से भारत, इंडोनेशिया और पाकिस्तान के साथ शीर्ष तीन देशों में है। प्यू रिसर्च के अनुसार, मुसलमानों की आबादी 2060 में सबसे ज़्यादा भारत में होगी और दूसरे नंबर पर पाकिस्तान होगा। ओआईसी इस्लामिक या मुस्लिम बहुल देशों का संगठन है। इसके कुल 57 देश सदस्य हैं। ओआईसी में सऊदी अरब का दबदबा है, लेकिन सऊदी अरब दुनिया के उन टॉप 10 देशों में भी शामिल नहीं है, जहाँ मुस्लिम आबादी सबसे ज़्यादा है। हालांकि इस्लाम के लिहाज से मक्का और मदीना के कारण सऊदी अरब काफ़ी अहम है.भारत मुस्लिम आबादी के लिहाज से शीर्ष तीन देशों में होने के बावजूद ओआईसी का सदस्य नहीं है। 2006 में 24 जनवरी को सऊदी अरब के किंग अब्दुल्लाह बिन अब्दुल अज़ीज़ भारत के दौरे पर आए थे। इस दौरे में उन्होंने कहा था कि भारत को ओआईसी में पर्यवेक्षक का दर्जा मिलना चाहिए। सऊदी के किंग ने कहा था कि यह अच्छा होगा कि भारत के लिए यह प्रस्ताव पाकिस्तान पेश करे।

    हालांकि पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि जो भी देश ओआईसी में पर्यवेक्षक का दर्जा चाहता है, उसे ओआईसी के किसी भी सदस्य देश के साथ किसी भी तरह के विवाद में संलिप्त नहीं होना चाहिए। ये पहली बार नहीं है, जब ओआईसी ने भारत से जुड़े किसी मामले को लेकर बयान जारी किया है, ये संगठन पहले भी अलग-अलग मुद्दों पर ऐसा करता रहा है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की भी ओआईसी ने निंदा की थी और इसे भारत सरकार का एकतरफ़ा फ़ैसला बताया था। ओआईसी ने कश्मीरी नेता यासिन मलिक को दी गई उम्र क़ैद की सज़ा को लेकर भी आपत्ति जताई थी हालाँकि भारत ने हमेशा OIC की तरफ से जारी बयानों का खंडन किया है।|

  • गुवाहाटी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस और पुलिस में झड़प

    गुवाहाटी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस और पुलिस में झड़प

    कांग्रेस नेता राहुल गाँधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा जब से असम में पहुंची है तब से ही इस यात्रा को ले कर बवाल मचा हुआ है।भारत जोड़ो न्याय यात्रा मंगलवार को गुवाहाटी पहुंची, जिसे असम पुलिस ने रोक दिया। राहुल अपने काफिले के साथ गुवाहाटी शहर के बीच से गुजरना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। पुलिस ने गुवाहाटी सिटी जाने वाली सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी। जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल काटा और प्रदर्शन किया। इस दौरान नाराज कार्यकर्ताओं ने बैरिकेड तोड़ दिए और राज्य सरकार के विरोध में जमकर नारेबाजी भी की। इस घटना को लेकर राहुल ने कहा कि जिस रास्ते पर हमारी यात्रा को रोका गया है, उसी रास्ते से बजरंग दल और जेपी नड्डा की रैली निकली थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रास्ते पर लगे बैरिकेड हटा दिए हैं, लेकिन हमने कानून नहीं तोड़ा है।असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा, ‘ऐसा बर्ताव असमिया कल्चर का हिस्सा नहीं है। ये नक्सली गतिविधियां हमारी संस्कृति से अलग हैं। मैंने असम पुलिस के DGP को निर्देश दिया है कि वे राहुल गांधी के खिलाफ भीड़ को उकसाने के लिए FIR दर्ज करें और कांग्रेस ने जो वीडियो पोस्ट किए हैं, उन्हें सबूत के तौर पर इस्तेमाल करें।’दरअसल, असम पुलिस ने वर्किंग डे का कारण बताकर न्याय यात्रा को शहर के अंदर ले जाने से मना किया था। पुलिस ने कहा था कि आज अगर न्याय यात्रा शहर में गई तो ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी, इसलिए प्रशासन ने रैली को नेशनल हाईवे पर जाने का निर्देश दिया है।

    राहुल की न्याय यात्रा 18 जनवरी को नगालैंड से असम पहुंची थी। 20 जनवरी को यात्रा अरुणाचल प्रदेश गई, फिर 21 को असम लौट आई। इसके बाद यात्रा 22 जनवरी को मेघालय निकली और मंगलवार को एक बार फिर असम पहुंची। राहुल की न्याय यात्रा 25 जनवरी तक असम में रहेगी।हिमंता बिस्व सरमा और कांग्रेस के बीच पिछले कई दिनों से जुबानी जंग चल रही है। कांग्रेस सरमा पर यात्रा को प्रभावित करने का आरोप लगाती आ रही है। सरमा भी कांग्रेस को कई जिलों में नहीं जाने की सुझाव दे चुके हैं।

    कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के आठवें दिन असम में राहुल गांधी के साथ धक्का-मुक्की हुई। राहुल को बचाते हुए उनके सिक्योरिटी गार्ड उन्हें बस के अंदर वापस ले गए। घटना के दौरान राहुल का काफिला सोनितपुर में था। राहुल गाँधी ने घटना को लेकर कहा- आज BJP के कुछ कार्यकर्ता झंडा लेकर हमारी बस के सामने आ गए। मैं बस से निकला, वो भाग गए। हमारे जितने पोस्टर फाड़ने हैं, फाड़ दो। हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।अपने संबोधन में राहुल गाँधी ने कहा कि राहुल गांधी आएं या न आएं ये महत्वपूर्ण नहीं बल्कि आप जिसे सुनना चाहते है। आपको उसे सुनने की आजादी दी जाए ये महत्वपूर्ण है। राहुल ने कहा कि सभी लोगों को अपनी मर्जी के मुताबिक जिंदगी जीने की इजाजत दी जानी चाहिए न कि किसी और की मर्जी से। उन्हों ने आगे कहा कि ये लोग आपको गुलाम बनाना चाहते हैं, लेकिन ब्रह्मांड की कोई भी ताकत ऐसा नहीं कर सकती। राहुल ने ये भी कहा कि सिर्फ असमनहीं बल्कि देश के हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में भी ऐसा हो रहा है, लोगों को अपनी कल्पना करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। आपको बता दें कि 22 जनवरी को भी राहुल गाँधी असम के नगांव स्थित शंकरदेव मंदिर में जाने से रोका गया है।

    नगांव में स्थित ‘बोदोर्वा थान’ वो धर्मस्थल है, जिसे असम के संत श्री शंकरदेव का जन्मस्थान माना जाता है. ‘बोदोर्वा थान’ मंदिर को शंकरदेव मंदिर के तौर पर भी जाना जाता है। राहुल गांधी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन शंकरदेव मंदिर में पूजा अर्चना करना चाहते थे लेकिन असम पुलिस ने उनको वहां पर भी रोक दिया जिसके बाद राहुल गाँधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मंदिर के बाहर ही धरने पर बैठ गए राहुल गाँधी ने कहा ने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय करेंगे कि कौन मंदिर में जाएगा। ‘मंदिर में केवल एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकता है। मैंने कोई गुनाह नहीं किया है, फिर हमें मंदिर में जाने से क्यों रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि “हम कोई समस्या पैदा नहीं करना चाहते, हम बस मंदिर में प्रार्थना करना चाहते हैं। राहुल गांधी ने आगे कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय करेंगे कि कौन मंदिर में जाएगा। मंदिर में केवल एक ही व्यक्ति प्रवेश कर सकता है। घटना के बाद राहुल गांधी ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

  • BSP के इतिहास में पहली बार बड़ा बदलाव, आकाश आनंद का अहम एलान

    BSP के इतिहास में पहली बार बड़ा बदलाव, आकाश आनंद का अहम एलान

    2024 लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने बड़ा एलान किया है। आकाश आनंद ने BSP से जुड़ने के लिए एक नंबर जारी किया. आकाश ने कहा है कि ना रुके हैं, ना रुकेंग अधिकारों की लड़ाई के लिए लड़ते रहेंगे। समाज में बदलाव के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी। देश में समतामूलक समाज बनाने के लिए हम फिर से संगठित होंगे। चूंकि वे बसपा सुप्रीमो मायावती के घोषित उत्तराधिकारी हैं तो यही टीम पार्टी के लिए भी काम करेगी। आकाश आनंद की अगुवाई में लोकसभा चुनाव से पहले बीएसपी नई शक्ल लेती दिख रही है।

    बसपा ने आकाश आनंद से जुड़ने के लिए 9911278181 फोन नंबर जारी किया है। एक पोस्टर पर लिखा है- मुझसे जुड़ने के लिए मिस्ड कॉल करें। मेरे साथ चलें बीएसपी से जुड़ें। इस सदंर्भ में आकाश ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट भी किया। उन्होंने लिखा- ना रुके हैं, ना रुकेंगे, सत्ता की ‘गुरु किल्ली’ लेकर रहेंगे। अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए, सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष के लिए, देश में समतामूलक समाज बनाने के लिए हमें संगठित होना होगा, और ये आपसे शुरू होगा। इस मिशन से जुड़ने के लिए 9911278181 पर एक मिस्ड कॉल दीजिए और सीधे मुझसे जुड़िये।

    आपको बता दें मायावती के जन्मदिन पर 15 जनवरी को पार्टी का ऐप भी लॉन्च करने जा रही है। इस ऐप के जरिए युवाओं से जुड़ने की कोशिश होगी। यह ऐप पीएम नरेंद्र मोदी के नमो ऐप के तर्ज पर बना है। इसमें बसपा से संवाद करने और फीडबैक जैसे ऑप्शन्स भी हैं। मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। तब से वो बीएसपी को एक बार फिर से मजबूत करने में जुट गए हैं। आकाश लगातार सियासी बयान जारी कर रहे हैं। आकाश मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। आकाश बसपा की राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। वह इस समय पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर हैं।

    आकाश को 2019 में बीएसपी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया था जब मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद पार्टी संगठन में फेरबदल किए थे। हाल के वर्षों में आकाश ने पार्टी के भीतर अपनी गतिविधियां बढ़ाई हैं और चुनावों में प्रमुख भूमिका निभाई है। वह राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे चुनावी राज्यों में पार्टी की कमान संभाल रहे थे।

  • दिल्ली एनसीआर में महसूस किये गए तेज़ भूकंप के झटके

    दिल्ली एनसीआर में महसूस किये गए तेज़ भूकंप के झटके

    दिल्ली एनसीआर में महसूस किये गए तेज़ भूकंप के झटके भूकंप की तीव्रता 6.1 बताई गयी है। भूकंप का केंद्र अफ़ग़ानिस्तान के फैज़ाबाद में बताया जा रहा है।

    दिल्ली-एनसीआर गुरुवार को भूकंप के तेज झटकों से दहल उठे। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश इलाके में रहा, जिसकी तीव्रता 6.1 आंकी गई। भूकंप के झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद, लाहौर और पेशावर के अलावा भारत में भी महसूस किए गए। अब तक जान-माल के नुकसान की जानकारी नहीं मिली है।

    राजधानी दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और गुरुग्राम में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप के तेज झटके महसूस होने के बाद लोगों के बीच खलबली मच गई और लोग अपने घरों से बाहर आ गए। दिल्ली के अलावा गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम में दोपहर करीब 2 बजकर 55 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। इसके बाद दफ्तरों में काम कर रहे लोग बाहर निकले और घरों में छिपे लोग सुरक्षित जगह ढूंढने लगे। प्रशासन फिलहाल स्थिति की समीक्षा कर रहा है और उसने लोगों से सतर्क रहने को कहा है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी सर्विसेज को अलर्ट पर रखा गया है।

    भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर लोग अपने अनुभव साझा करने लगे। कई लोगों ने बिल्डिंगों और घरों में हिलते पंखों के वीडियोज शेयर किए। इसके अलावा अफरा-तफरी के भी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। #Delhiearthquake हैशटैग भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा।

     

  • बीजेपी की लोकसभा चुनाव पर क्या है रणनीति? सबसे ज़्यादा सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार

    बीजेपी की लोकसभा चुनाव पर क्या है रणनीति? सबसे ज़्यादा सीटों पर उतारेगी उम्मीदवार

    भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा की तैयारिओं को ज़मीन पर उतारना शुरू कर दिया है। बीजेपी 2019 की तुलना में 2024 में ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।हालाँकि सहयोगी पार्टियों के साथ उसका समझौता रहेगा लेकिन वह उनके लिए ज्यादा लोकसभा सीटें नहीं छोड़ेगी। असल में इस बार भाजपा ने पहले से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। बताया जा रहा है कि भाजपा की आंतरिक बैठकों में इस बात पर चर्चा हुई है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहले चुनाव में 284 और दूसरे में 303 सीटें जीती थीं। कहा जा रहा है कि इस बार 303 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य है। यह तभी होगा, जब पहले से ज्यादा सीटें लड़ेगी। इसके लिए एक एक सीट का हिसाब लगाया जा रहा है।

    जानकार सूत्रों के मुताबिक भाजपा इस बार सहयोगी पार्टियों से भी सीटें छुड़ा रही है। उनको विधानसभा में ज्यादा सीट देने का वादा कर रही है। तालमेल खत्म कर रही है या ऐसे हालात बना रही है कि राज्यों की सहयोगियों को अलग चुनाव लड़ना पड़े। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झारखंड में अपनी सहयोगी आजसू को एक सीट दी थी, जिस पर उसका सांसद जीता था। लेकिन इस बार भाजपा राज्य की सभी 14 सीटों पर खुद लड़ना चाहती है। इसी तरह राजस्थान की एक सीट पिछली बार भाजपा ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ी थी। लेकिन इस बार वे पहले ही अलग हो गए हैं। सो, राज्य की सभी 25 सीटों पर भाजपा अकेले लड़ेगी।

    मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी अपनी पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के नामों की घोषणा करेगी 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी पहली सूची में पीएम मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह की सीटों के नामों का ऐलान किया था। बीजेपी इस बार 70 वर्ष 70 वर्ष से ज्यादा उम्र और तीन बार से अधिक बार जीते लोकसभा सांसदों को टिकट ना देने का मन बना रही है। पार्टी की कोशिश है कि नए चेहरों पर दांव लगाया जाए।

    बीजेपी की पहली सूची में उन 164 सीटों के उम्मीदवारों के नाम भी होंगे, जिन्हें पार्टी अब तक नहीं जीती या 2019 में जीत का मार्जिन बेहद कम रहा है। बता दें कि बीजेपी पिछले दो साल से ऐसी सीटों पर लगातार मेहनत कर रही है और संगठन को मजबूत करने में लगी है. लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 436 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे 303 सीटों पर जीत मिली थी। 133 सीटों पर बीजेपी चुनाव हार गई थी।

    इसके साथ ही 31 अन्य सीटें हैं, जहां पार्टी कमजोर है। इन 164 सीटों का क्लस्टर बनाकर केंद्रीय मंत्रियों और बड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी गई थी, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह का नाम भी शामिल है। बीजेपी ने इन सीटों को सी और डी कैटेगरी में बांटा है और 80-80 सीटों की दो श्रेणियां बनाई हैं। 45 मंत्रियों को इन सीटों की ज़िम्मेदारी दी है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला एक या दो लोकसभा सीट मिलने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन भाजपा ने पहले ही उनसे किनारा करना शुरू कर दिया है। ऐसे हालात बन गए हैं कि दुष्यंत चौटाला को अलग लड़ना होगा। गैर जाट राजनीति की पोजिशनिंग के कारण भाजपा ने ऐसी स्थिति बनाई है। अब चौटाला की पार्टी के नेता दुष्यंत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे हैं। इसका मतलब है कि उनकी पार्टी विधानसभा का चुनाव भी अलग लड़ेगी।

    बिहार में चार छोटी पार्टियों से भाजपा का तालमेल है। लेकिन भाजपा उनके लिए नौ-दस सीटों से ज्यादा छोड़ने को तैयार नहीं है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के छह सांसद हैं। एक के नेता पशुपति पारस हैं तो दूसरे के चिराग पासवान। भाजपा दोनों को मिला कर छह सीट दे दे तो बड़ी बात होगी। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक जनता दल और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के लिए भाजपा एक-एक सीट का प्रस्ताव दे रही है तो दो सीटें मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी के लिए रखी है। अगर वे नहीं आते है तो कुशवाहा को एक अतिरिक्त सीट मिल सकती है। अगर नीतीश कुमार की पार्टी से तालमेल होता है तो भाजपा उनको इस बार 10 से ज्यादा सीट नहीं देगी। उधर महाराष्ट्र में भाजपा पिछली बार 25 सीटों पर लड़ी थी और इस बार 30 पर लड़ना चाहती है।

  • छह महीने से पिता बेटी के इन्साफ के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है

    छह महीने से पिता बेटी के इन्साफ के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है

    ईस्टर्न फेरीवेल एक्सप्रेस वे पर करीब छह माह पहले सड़क हादसे में घायल हुई महिला ने इलाज के दौरान डीएम तोड़ दिया था। इस मामले में मृतक महिला के परिजनों का आरोप है ये कोई एक्सीडेंट नहीं है बल्कि प्लान के तहत की गयी हत्या है। जिसकी अगर निष्पक्ष जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है। परिजन महिला के ससुराल वाले और उसके पति मुस्तकीम पर हत्या का आरोप लगा रहे है। रबूपुरा थाना चैत्र के तिल थिरि गाओं निवासी चाँद मुहम्मद उन्हों ने अपनी बेटी रूही की शादी हरयाणा के पलवल निवासी मुस्तकीम के साथ साल 2021 में की थी। शादी के बाद से ही रूही का उसके ससुराल में उत्पीड़न होना शुरू हो गया। उसका पति रोज़ उसको मारता था रूही के ससुराल वाले उसको परेशान करते थे। यही नहीं मुस्तकीम रूही के परिवार वालों पर दहेज़ के लिए भी दबाओव बना रहा था। मुस्तकीम की तरफ से 10 लाख कैश की डिमांड की जाए रही थी और महिला के घर वाले इतने पैसों का इंतज़ाम नहीं कर पा रहे थे हालाँकि महिला के पिता चाँद मुहम्मद ने मुस्तज़स्कीम को 2 लाख कैश दे दिया था और बाकी के पैसे के लिए कुछ वक़्त माँगा था। लेकिन उसके बाद भी महिला पर उत्पीड़न रुका नहीं।

    मुस्तकीम ने अपने रिश्तेदार फारुख और गुलशन के साथ नैनीताल जाने का प्लान बनाया जब की रूही लगातार जाने के लिए मना करती रही उसने ये बात अपनी माँ को भी बताया की उसको जाने का मन नहीं है लेकिन मुस्तकीम उसको ज़बरदस्ती ले जा रहा है उसने मुझ पर हाथ भी उठाया है। इसके बाद वह रूही को 15 मई 2023 को नैनीताल ले जाने के लिए निकल पड़े। नैनीताल जाने से पहले रूही ने अपनी माँ को बताया था की हम लोग छह दिनों के लिए जा रहे है। लेकिन अब बड़ा सवाल ये उठता है की नैनीताल में ऐसा क्या हुआ कि ये लोग एक ही दिन में वापस पलवल के लिए निकल पड़े और रास्ते में उसकी मौत हो गयी। परिवार का आरोप है की 15 मई 2023 लगभग 3 दादरी में आ कर मुस्तकीम ,फारुख और गुलशन द्वारा रूही की हत्या कर दी गयी और खुद को बचाने के लिए अपनी स्कार्पियो गाड़ी को एक रोड साइड खड़े ट्रक में टक्कर मार कर इस घटना को एक्सीडेंट का केस बना दिया।

    रूही के पिता के अनुसार सम्बंधित थाने द्वारा सही व निष्पक्ष जांच नहीं किया जा रहा है घर वालों ने आरोप लगाया है की पुलिस मुस्तकीम को बचा रही है। परिवार जनों ने पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच ना करने पर डी सी पी ग्रेटर नॉएडा को पात्र लिख कर केस की जांच दादरी से राबुपूरा थाने में ट्रांसफर कराया गया मगर यहाँ भी सही व निष्पक्ष जांच ना होने से दुखी रूही के पिता न्याय पाने की खातिर न्याय की खातिर आलाधिकारियों से गुहार लगा रहे है उनका मानना है की अगर निष्पक्ष जांच हो तो उनको न्याय ज़रूर मिलेगा।