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MP चुनाव से पहले किसानों को साधने का प्रयास? कृषि कानून वापसी के बाद मोदी सरकार ने बनाया यह प्लान

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कृषि मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए इस कार्यक्रम की शुरुआत कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गृह राज्य मध्य प्रदेश से होगी। शनिवार को मध्य प्रदेश के इंदौर में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस कार्यक्रम को लांच करेंगे।

द न्यूज 15 
भोपाल। अगले साल होने वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा किसानों को साधने का प्रयास कर रही है। इसी के मद्देनजर कृषि कानून वापसी के बाद अब मोदी सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए मेरी पालिसी मेरे हाथ नाम से एक कार्यक्रम लांच करने का प्लान बनाया है। जिसमें किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कागजात दिए जाएंगे।
एक अख़बार में छपे दिल्ली कांफिडेंशियल कॉलम के मुताबिक़ सरकार ने पिछले साल नवंबर महीने में कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद अब देशभर के किसानों के बीच बड़े पैमाने तक पहुंचने का प्लान बनाया है। कृषि मंत्रालय ने देशभर के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कागजात को देने के लिए मेरी पालिसी मेरे हाथ नाम का एक कार्यक्रम प्लान किया है।
कृषि मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए इस कार्यक्रम की शुरुआत कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गृह राज्य मध्यप्रदेश से होगी। शनिवार को मध्यप्रदेश के इंदौर में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस कार्यक्रम को लांच करेंगे। कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए करीब 25 हजार किसानों को आमंत्रित किया गया है। कृषि मंत्रालय द्वारा लांच किए गए इस कार्यक्रम को काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने को हैं।
गौरतलब है कि बीते साल नवंबर महीने में केंद्र सरकार ने किसानों के एक साल से भी अधिक समय तक चले लंबे आंदोलन के बाद कृषि कानून वापस लेने का फैसला किया था। सरकार ने यह फैसला पंजाब, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले लिया था। हालांकि कृषि कानून वापसी के बाद भी किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को निरस्त करने को तैयार नहीं थे।
प्रदर्शनकारी किसान एमएसपी को लेकर एक कमेटी बनाने, आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा दर्ज किए गए सभी केस तुरंत वापस लेने और मृतक किसानों के परिवारजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने किसानों की इन मांगों को स्वीकार कर लिया था। जिसके बाद पिछले साल 11 दिसंबर को प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की तीनों सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को निरस्त कर दिया था।