ऊषा शुक्ला
सलाह देना तो सभी को अच्छा लगता है पर लेना कोई क्यों पसंद नहीं करता? व्यक्तिगत जीवन में बहुत बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि हमारे समझ में ही नहीं आता है कि अब हम क्या करें? तो ऐसी स्थिति में बड़े बुजुर्गों या अनुभवी लोगो से सलाह लेना जरूरी हो जाता है। लेकिन जो लोग बिना मतलब की सलाह देते हैं तो यह आप पर निर्भर करता है कि आप उनकी सलाह माने अथवा न माने। और दूसरी बात सलाह उसी को देनी चाहिए जो आपकी सलाह का सम्मान करे और सलाह उसी को देनी चाहिए जो आपसे सलाह मांगे बिना मांगे किसी को भी कोई सलाह नहीं देनी चाहिए।
आज कल हर कोई अपने आप को बहुत अक्लमंद समझता है । एक बार किसी से एक सलाह माँग तो लो । फिर देखो कैसे सलाह देने वाले लोगों की भीड़ मच जाएगी ,सब अपने अपने तरीक़े से इस तरह से सलाह देंगे ।पर एक बार साथ माँग कर देख लो ।इस भीड़ में शायद ही कोई भी आपका साथ देने के लिए खड़ा हो जाए । यही अटल सत्य है। मुख से बोलना आसान है और शरीर से खड़े होना बहुत अधिक मुश्किल कार्य हैं।
सलाह देते ही क्यों हो ? जरुरत क्या है , किसी को सलाह देने की । अगर किसी व्यक्ति मे होगी तो लोग उनके पास सलाह लेने अपने आप चले आएंगे। काबिल व्यक्ति द्वारा दी गई सलाह , उन लोगों को पसंद भी आएंगी वो लोग अम्ल भी करेंगे।
निट्ठल्ले लोगों के पास कोई काम नहीं होता। इसलिए वे लोग सलाह देते फिरते हैं। आप ही सोचिए , उनकी सलाह कोई मानेगा । ऐसे लोगों को सलाह देने की आदत होती है और समझदार लोग उनकी सलाह नापसंद करते हैं। सलाह के आदान प्रदान का पसंद नापसंद होना। दोनों व्यक्तियों के स्वभाव पर निर्भर करता है।सलाह का आदान प्रदान बहुत जरूरी है। समझदार लोग बेमतलब एवं फालतू की सलाह कभी नहीं देते हैं । और न ही किसी से लेते हैं। निट्ठल्ले एवं फालतू लोगों से वे दूर रहते हैं।
सलाह देना व लेना किसी को भी पसंद नहीं आता। मगर जरूरत पड़ने पर आदान प्रदान करना जरूरी है।
एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है। पहला बोला समुंदर ने मेरे बच्चे डूबा दिए है अब तो इसे सूखा कर ही रहूँगा। यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा। तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन लग जायेगा। पहला बोला देना है तो साथ दे। सिर्फ़ सलाह नहीं चाहिए। यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए सलाह नहीं साथ चाहिए। यह देख भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी भी इस काम के लिए जाने लगे। भगवान बोले तू कहा जा रहा है तू गया तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुंदर सूखना भी नहीं है। गरुड़ बोला भगवन सलाह नहीं साथ चाहिए। फिर क्या ऐसा सुन भगवान विष्णु जी भी समुंदर सुखाने आ गये। भगवान जी के आते ही समुंदर डर गया और उस पक्षी के बच्चे लौटा दिए।
अगर कभी भी – कही भी, किसी को मदद चाहिए हो तो सलाह न दे कर, साथ देने वाले बन जाइए।
इसलिए सलाह नहीं साथ दें। जो साथ दे दे सारा भारत, तो फिर से मुस्कुरायेगा भारत।* कई लोग मैंने ऐसे देखे हैं जो हर मामले में सलाह देने लगते हैं, भले ही उन्हें उस विषय की जानकारी हो या न हो. कोई भी इतना पर्फेक्ट नहीं हो सकता कि हर काम में महारत हासिल कर लें, किसी न किसी विषय पर तो दूसरे से सलाह लेनी पड़ती है.
*लेकिन कुछ मानसिक विकृतियां ऐसी होती हैं जिनकी वजह से मनमानी करने लगते हैं और नुक्सान झेलते हैं.हर चीज का नजरिया होता है… सलाह मांगी गयी है? या, आप खुद से होकर बताना चाह रहे हो?
आज कल तो सालाहगार एक तरह का सेल्समन बन गया है जो अपनी पोटली का माल जायेगा या नही सिर्फ उतना ही बता सकता है. बस यही चीज बहुत प्रताडीत करती है.. आप खुद बुला बुला के बुलाते हो आओ में आपकी इस चिंता को दूर करणे का प्रयास करुंगा लेकीन आपसे बात कर चिंता बढ जाती है..
व्यक्ती विशेष कि रुची.. आप जिन्हे सलाह देने जा रहे हो वो आपकी बाते सुनने में कितना समय देते है? क्या आपके कहे नुसार उनकी वास्तविक स्तिथी बिलकुल आपके अन्दाझे जैसी है? के आप सिर्फ अपने तरक के दम पे उनके साथ क्या हो सकता है उसका सोच सलाह देते हो?