
राधेश्याम दुबे
आसनसोल। आरोप है कि पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के एनजीओ ‘अखिल भारतीय मजदूर कल्याण सेवा संघ’ द्वारा धड़ल्ले से सरकारी मुहर अशोक स्तंभ का प्रयोग किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसी मुहर को दिखाकर आम लोगों को अर्द्ध सरकारी संस्था बता कर इसमें सदस्यता के नाम पर मोटी रकम भी वसूली जा रही है।
दरअसल यह मामला तब उजागर हुआ जब इसी संस्था के एक अधिकारी सुजीत मोदी ने अससनोल के आयुक्त को एक पत्र भेजा, जिसमें अशोक स्तंभ लगा हुआ पाया गया। बाद में मामले को संज्ञान में लेकर पूछताछ की गई तो सुजीत मोदी ने बताया कि यह कई वर्षों से चलते आ रहा है। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सचिव से जब इसे बारे में पूछा गया उनका कहना था कि सुजीत मोदी को पहले ही पत्र लिखकर ऐसा करने से मना किया गया था। इसके बावजूद सुजीत मोदी इस मुहर का प्रयोग धड़ल्ले से कर रहा है। संस्था से जुड़े कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें भी यह कहकर संस्था में जोड़ा गया कि भारत सरकार ने ही उन्हें मोहर लगाने का अधिकार दिया है। मालूम हो कि दाऊद इब्राहिम जैसे कुख्यात अपराधी को पहचान पत्र जारी कर संस्था पहले भी विवादों में रह चुकी है।
कथित तौर पर सुजीत संस्थान के लेटर हेड में अशोक स्तंभ लगाकर जमीन, जायदाद व अन्य विवादों का निपटारा करता था। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र सहित विभिन्न राज्यों में सुजीत मोदी का नेटवर्क सक्रिय रूप से पीड़ित परिवार से संपर्क कर मोटी रकम वसूलता था। सुजीत जामुड़िया स्थित श्याम सेल में फीटर के पद पर कार्यरत है। कंपनी के कर्मचारियों को भी अशोक स्तंभ युक्त पहचान पत्र देकर उनसे मोटी रकम वसूलने का आरोप है। वहीं सुजीत मोदी पर जमीन विवाद में अपनी ही बहन पर जानलेवा हमला कर फरार होने का केस भी दर्ज हुआ था। सवाल यह है कि इस तरह का आरोपी किसी संस्था से जुड़कर सरकारी नियमों का उल्लंघन कर कैसे बेपरवाह होकर घूम रहा है? ऐसे में प्रश्न उठता है कि आखिर उसे किसका संरक्षण प्राप्त है ? बहरहाल अशोक स्तंभ के प्रयोग से जुड़े मामले की जांच कर रही है।