योगी के लिए राजनीतिक हथियार बनेंगी अपर्णा यादव!

चरण सिंह 

उप चुनाव की घोषणा अभी हुई नहीं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है। जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है वहीं मुलायम सिंह यादव की दूसरी बहू अपर्णा यादव के सपा में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। बताया जा रहा है कि लंबे समय से प्रत्याशी न बनाये जाने और अब महिला आयोग का अध्यक्ष न बनाकर उपाध्यक्ष बनाने पर अपर्णा यादव नाराज बताई जा रही हैं। देखने की बात यह है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव में सपा ने ३७ और बीजेपी ३३ सीटें जीती उसको देखते हुए तो लग नहींं रहा कि योगी आदित्यनाथ अपर्णा यादव को सपा में जाने देंगे। क्योंकि अपर्णा यादव मुलायम सिंह यादव के दूसरे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं तो स्वाभाविक है कि यादव परिवार के बारे में सब कुछ जानती होंगी।
ऐसे में योगी आदित्यनाथ सपा से लड़ने में अपर्णा यादव को हथियार बना सकते हैं। यदि उनको लगेगा कि अपर्णा यादव महिला आयोग की उपाध्यक्ष पद से संतुष्ट नहीं हैं तो वह उनके बारे में और भी कुछ सोच सकते हैं पर सपा में तो नहीं जाने देंगे। वैसे भी बीजेपी की सरकार उत्तर प्रदेश में भी है और केंद्र में भी। ऐसे में अपर्णा  यादव सपा में क्यों जाना चाहेंगी। वैसे भी अखिलेश यादव अपर्णा  यादव को समाजवादी पार्टी में वह रुतबा नहीं दे पाएंगे जो वह चाहती हैं। वैसे भी शिवपाल यादव को भी समाजवादी पार्टी में कुछ खास तवज्जो नहीं मिल रही है।
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच चल रहा विवाद निजी हमले में बदल गया है। अखिलेश यादव सपा की सरकार बनने पर सभी बुलडोजरों का रुख गोरखपुर की मुड़ने की बात कर चुके हैं तो योगी आदित्यनाथ संपत्ति गरीबों में बांटने की बात कर रहे हैं। अखिलेश यादव कह रहे हैं कि बाबा बुलडोजर के नाम से अपनी पार्टी बना लें और तब जीतकर बताएं। उनका कहना है कि उन्हें पार्टी में कोई नहीं पूछ रहा है। वह खुद ही बने घूम रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने आक्रामक बरतते हुए कहा कि जो लोग दंगाइयों से दब जाते हों उन्हें आगे बढ़ाते हों अपराधियों को संरक्षण देने हों पर उनके हाथ बुलडोजर पर सेट नहीं होंगे।
दरअसल योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के साथ अपने मठ में सब कुछ होते हुए भी सादगीपूर्ण जीवन जी रहे हैं, जबकि अखिलेश यादव बंगले में रहने के आदी हो गये हैं। अखिलेश यादव पर अपने कार्यकाल में कई कंपनियों के साथ पार्टनरशिप के आरोप लग चुके हैं, जबकि योगी आदित्यनाथ मोह माया से दूर रहने वाले नेता हैं। अखिलेश यादव कहते हैं तो अपने को समाजवादी पर लंदन घूमने जाते हैं। निर्णय लेने और जिद्दीपन में भी योगी आदित्यनाथ अखिलेश यादव से आगे हैं। ऐसे में यदि योगी आदित्यनाथ अपने पर आ जाएं तो अखिलेश यादव के लिए दिक्कतें खड़ी कर सकते हैं।
इसमें दो राय नहीं कि अखिलेश यादव के पास इस समय अथाह संपत्ति है। यदि योगी आदित्यनाथ उनके पीछे ढंग से लग गये तो जड़ें खोद भी सकते हैं। अखिलेश यादव को यह समझ लेना चाहिए कि अब नेताजी वाले कार्यकर्ता नहीं हैं। जब मोहम्मद आजम खां के जेल में जाने के विरोध में कार्यकर्ता सड़कों पर नहीं उतरे तो क्या गारंटी है कि अखिलेश यादव को कुछ परेशानी पड़ जाए तो कार्यकर्ता सड़कों पर उतर जाएंगे।

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