इफ्तार के बहाने सियासी समीकरण बदलने की कोशिश

 नीतीश-चिराग की बढ़ती नजदीकियां

पटना | दीपक कुमार तिवारी।

बिहार की राजनीति में इफ्तार पार्टियां अब सिर्फ रोज़ा खोलने तक सीमित नहीं, बल्कि सियासी रणनीति का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। इस बार भी इफ्तार के बहाने नए समीकरण बनते और पुराने गठजोड़ टूटते दिख रहे हैं। जहां राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी से वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी और कांग्रेस के बड़े चेहरे गायब रहे, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में पहुंचकर बड़ा सियासी संदेश दे दिया।

चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी में एनडीए की ताकत:

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर्फ इफ्तार में शामिल ही नहीं हुए, बल्कि उन्होंने चिराग पासवान से लंबी बातचीत भी की। उनके साथ बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी मौजूद थे। इससे यह साफ हो गया कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए पूरी मजबूती से एकजुट है और इसमें नीतीश-चिराग के बीच की दूरियां अब बीते दिनों की बात हो चुकी हैं।

चिराग पासवान का कांग्रेस-राजद पर हमला:

चिराग पासवान ने इफ्तार पार्टी में कांग्रेस और राजद पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“कांग्रेस और राजद ने सिर्फ मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। इन दलों ने उनकी स्थिति सुधारने के बजाय केवल राजनीतिक फायदे के लिए उनका उपयोग किया।”

उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की नाराजगी पर भी प्रतिक्रिया दी और कहा,
“अगर किसी धार्मिक संगठन को इस तरह के आयोजनों से दिक्कत है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन उन्हें यह भी देखना चाहिए कि मुसलमानों की दयनीय स्थिति के लिए असल में जिम्मेदार कौन हैं?”

लालू यादव की इफ्तार पार्टी से कांग्रेस और मुकेश सहनी दूर:

लालू प्रसाद यादव की इफ्तार पार्टी में इस बार कांग्रेस के बड़े चेहरे नहीं दिखे। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी नदारद रहे, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में वे राजद के सहयोगी थे। इससे साफ संकेत मिलते हैं कि राजद-कांग्रेस के रिश्तों में खटास बढ़ रही है और मुकेश सहनी का नया सियासी रुख भी जल्द देखने को मिल सकता है।

क्या यह ‘2025 का चिराग मॉडल’ है?

2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और चिराग पासवान के बीच ‘चिराग मॉडल’ की खूब चर्चा थी, जिसमें चिराग ने जदयू के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की थी। लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। इस बार चिराग खुद एनडीए के मजबूत चेहरे बनकर उभरे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खुलकर नजर आ रहे हैं।

सियासी संकेत और 2025 की लड़ाई:

बिहार में इफ्तार पार्टियों के जरिए गठबंधनों की सियासी ताकत को दिखाने की परंपरा रही है। इस बार के आयोजनों ने यह साफ कर दिया कि राजद-कांग्रेस के रिश्तों में दरार बढ़ रही है, जबकि एनडीए के भीतर चिराग पासवान की भूमिका और मजबूत होती जा रही है।

अब देखना यह होगा कि क्या लालू यादव इस समीकरण का तोड़ निकाल पाएंगे, या फिर बिहार की राजनीति में 2025 का चुनाव एनडीए के नए ‘चिराग मॉडल’ के इर्द-गिर्द ही घूमेगा?

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