एनडीए की बैठक में नीतीश की जगह बुलाया गया ललन सिंह
टीडीपी से चंद्रबाबू नायडू, अपना दल से अनुप्रिया पटेल, हम से जीतन राम मांझी तो जदयू से ललन सिंह आये
चरण सिंह
तो क्या बिहार के दौरे से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खेल कर दिया है ? क्या ललन सिंह जदयू के मुखिया होने जा रहे हैं ? क्या नीतीश कुमार में अमित शाह में इस तरह से शह मात का खेल शुरू हो चुका है। जैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह के बीच हुआ था। क्या महाराष्ट्र में जिस तरह से एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया। ऐसे ही बिहार में नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने में अमित शाह लग चुके हैं ? क्या ऐसे में नीतीश कुमार महागठबंधन में पलटी मार सकते हैं ? यह सभी सवाल बिहार की राजनीतिक गलिर्यारे में चक्कर लगा रहे हैं।
दरअसल गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार के जान सताब्दी पर दिल्ली में एनडीए की बैठक बुलाई। इस बैठक में टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू, अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल, हम के मुखिया जीतन राम मांझी समेत सभी सहयोगी दलों के मुखिया मौजूद थे। यदि इस बैठक में यदि कोई नहीं मौजूद था तो वह नीतीश कुमार। नीतीश कुमार की जगह वह ललन सिंह मौजूद थे जिनको राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से नीतीश कुमार ने इसलिए हटा दिया था क्योंकि उन पर लालू प्रसाद के साथ मिलकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनवाने के लिए षड्यंत्र रचने का आरोप लग गया था।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि ललन सिंह न तो राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और न ही मुख्यमंत्री। तो किस हैसियत से जदयू की ओर से बैठक में आये थे ? यह माना जा रहा है कि अमित शाह नीतीश कुमार को साइड लाइन में लग गए हैं। नीतीश कुमार को एहसास कराने के लिए अमित शाह ने ललन सिंह को बुलाया था। दरअसल जदयू में भी सेकेण्ड लाइन के नेता भी चाहते हैं कि नीतीश कुमार की कुर्सी यह हथिया लें। ललन सिंह और संजय झा की आजकर अच्छी खासी पट रही है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या नीतीश कुमार इतनी आसानी से अमित शाह के दबाव में आ जाएंगे ?
दरअसल अमित शाह के एक निजी चैनल को दिये इंटरव्यू में उन्होंने यह कह दिया था कि बिहार में सरकार बनने पर मुख्यमंत्री का निर्णय बीजेपी का संसदीय बोर्ड तय करेगा। ऐसे में नीतीश कुमार ने मन बना लिया था कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर दिल्ली के साथ ही विधानसभा चुनाव के लिए सिफारिस कर दी जाये। इसकी भनक अमित शाह को हो गई और आरिफ मोहमद खान को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया गया। ऐसे में नीतीश कुमार भी योगी आदित्यनाथ की तरह अमित शाह के खिलाफ खुलकर सामने आ रहे हैं। बाबा साहेब की तस्वीर को नमन कर उन्होंने अमित शाह को उनकी गलती का एहसास कराया है।
ऐसे में कहा जा सकता है कि क्या नीतीश कुमार और अमित शाह में आमने सामने की लड़ाई होने वाली है। यदि ऐसा होता है तो फिर नीतीश कुमार के आपस इंडिया गठबंधन में जाने के अलावा कुछ बचेगा नहीं। ऐसे में ललन सिंह और संजय झा के माध्यम से जदयू में टूट कराई जा सकती है। नीतीश के 12 सांसदों में भी टूट कराई जा सकती है।
दरअसल ललन सिंह और संजय झा पूरी तरह बीजेपी से सटे हुए हैं। तो क्या नीतीश कुमार इस टकराव में अमित शाह को पटखनी दे पाएंगे ? क्या नीतीश कुमार का दांव केंद्र सरकार के लिए भी खतरा बन सकता है। क्योंकि एकनाथ शिंदे भी मौका मिलते ही खेल कर सकते हैं। पर सांसद बचाये रखने की चुनौती एक नाथ शिंदे के सामने भी है। इस में शरद पवार को साधा जा सकता है। शरद पवार के 8 सांसद हैं। नीतीश कुमार के पास बिहार की राजनीति में खेल करने की ही ताकत है। यदि वह इंडिया ग गठबंधन में आ जाते हैं तो एनडीए को कमजोर जरूर कर सकते हैं। आज भी नीतीश कुमार की स्वीकार्यता है। पर आरजेडी में भी लालू प्रसाद तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। हो सकता है नीतीश के अंतिम दौर में लालू प्रसाद शुरूआती ढाई साल नीतीश कुमा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए सहमत हो जाये।
दरअसल जिस तरह से नीतीश कुमार ने पूर्वी चम्पारण में बाबा साहेब की तस्वीर को नमन किया। उससे अमित शाह के खिलाफ एक बड़ा संदेश गया है। दरअसल अमित शाह ने एनडीए में एक संदेश दिया है कि विपक्ष बाबा साहेब पर दिए बयान पर दुष्प्रचार कर रहा है। ऐसे में एनडीए के सभी नेता अमित शाह के बयान का बचाव कर रहे हैं। खुद जदयू के सेकेंड लाइन के नेता ललन सिंह और संजय झा भी। ऐसे में नीतीश कुमार ने बाबा साहेब की तस्वीर पर नमन कर संदेश दे दिया या है कि वह किसी भी हालत में अमित शाह के बयान को सही नहीं ठहराने वाले हैं।
नीतीश कुमार ने ऐसे ही बाबा साहेब भीम राव अम्बेडकर की तस्वीर को नमन नहीं किया है। ऐसे ही पूर्वी चम्पारण में महिला कार्यकर्ताओं से नीतीश कुमार को बाबा साहेब की तस्वीर भेंट नहीं कराई गई है ? ऐसे ही बाबा साहेब को लेकर दिए गए अमित शाह के बयान को लेकर नीतीश कुमार ने चुप्पी साध नहीं रखी है ? दरअसल गृह मंत्री अमित शाह के एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में जब अमित शाह ने यह कह दिया कि बिहार का चुनाव किसके चेहरे पर लड़ा जाएगा। एनडीए की सरकार बनने पर कौन मुख्यमंत्री बनेगा तो उन्होंने कहा था कि यह बीजेपी की संसदीय बोर्ड की मीटिंग में तय होगा।