चरण सिंह
क्या बिहार में नीतीश कुमार की तरह ही बीजेपी चिराग पासवान को भी टारगेट कर रही है। क्या बीजेपी अपने सहयोगी दलों को डराकर रखना चाहती है ? क्या बिहार में नीतीश की तरह ही चिराग पासवान भी बीजेपी को झटका देने जा रहे हैं ? क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में शामिल होंगे ? क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से बीजेपी से दो दो हाथ करने के मूड में हैं। ये सभी सवाल बिहार के राजनीतिक गलियारे में चक्कर काट रहे हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन के निधन की वजह से बिहार की राजनीति में भले ही शांति दिखाई दे रही हो पर शांति है नहीं है। नीतीश कुमार ने अमित शाह से मोर्चा लेने का मूड बना लिया है। वह कहीं नहीं जा रहे हैं मतलब। वह जा रहे हैं। दरअसल बीजेपी नीतीश कुमार के साथ वही खेल करना चाहती है जो खेल उसे एकनाथ शिंदे के साथ किया है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया और मुख्यमंत्री बना दिया गया देवेंद्र फडणवीस को। इस ही बीजेपी की रणनीति है कि चुनाव नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा जाए और मुख्यमंत्री बना दिया जाए बीजेपी के किसी नेता को। यह बात नीतीश कुमार समझ रहे हैं। यही वजह है कि उनके इंडिया गठबंधन में जाने की अटकलें शुरू हो गई है।
दरअसल बीजेपी को अंदेशा है कि कहीं एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर सभी क्षेत्रीय दल एक न हो जाएं। उससे केंद्र की सरकार भी भी असर पड़ेगा। यही वजह है कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों को किसी न किसी बहाने डराकर रखना चाहती है। चिराग पासवान के करीबी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हुलास पांडेय के घर पर ईडी का छापा चिराग पासवान को डराने के लहजे में देखा जा रहा है। बीजेपी को लगता है कि नीतीश कुमार के साथ यदि चिराग पासवान भी खिसक लिया तो केंद्र सरकार को भी खतरा पैदा हो जाएगा।
दरअसल एक देश में चुनाव के मुद्दे पर क्षेत्रीय दल लामबंदी कर रहे हैं। ममता बनर्जी का इंडिया गठबंधन को लीड करने और उसके बाद सपा के प्रवक्ता उदयवीर और उसके बाद आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद का ममता बनर्जी के बयान का समर्थन करना। यदि देश में क्षेत्रीय दल एकजुट हो गए तो न केवल एनडीए की सरकार को खतरा पैदा हो जाएगा बल्कि बीजेपी और कांग्रेस के सामने क्षेत्रीय दलों की लामबंदी भी हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से निपटना मुश्किल हो जाएगा।