एमएसपी के साथ ही किसानों पर दर्ज मामलों को वापस कराने में भी फंसेगा पेंच !

सी.एस. राजपूत 
तो क्या किसानों के घर वापसी के तुरंत बाद केंद्र सरकार उनकी मांगों पर राजनीति करने लगी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के बयान से तो ऐसा ही लग रहा है। यदि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें मानी हैं और उन मांगों में किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की बात कही गई है तो मामलों को वापस कराने की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी केंद्र सरकार की ही है। नरेंद्र तोमर कह रहे हैं कि मामलों को वापस करने का मामला राज्य सरकारों का है। उन्हें कानून व्यवस्था देखनी होती है। राज्य सरकारें कानून व्यवस्था का हवाला देकर दर्ज मामलों में पेंच भी फंसा सकती हैं। वैसे भी २६ जनवरी को निकाली गई ट्रैक्टर परेड पर लाल किला प्रकरण मामले में दर्ज मामले केंद्र सरकार के ही अधीन आते हैं और लालकिला प्रकरण को केंद्र सरकार ने राष्ट्रवाद से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना लिया।
वैसे भी मांगों को इम्प्लीमेंट कराने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय कमेटी सरकार सरकार से बातचीत करेगी। ऐसे किसानों पर दर्ज मामलों को राज्य सरकारों को टाल देना मतलब पेंच फंसने का पूरा अंदेशा है। होना यह चाहिए कि केंद्रीय कृषि मंत्री को संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को साथ लेकर किसानों की कमेटी से बातचीत करनी चाहिए। वैसे अधिकतर मामले पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में दर्ज हैं। पंजाब और उत्तर प्रदेश में चुनाव के चलते दर्ज काफी मामले वापस हो सकते हैं तो हरियाणा सरकार खुद ही मामलों को वापस लेने की बात कर चुकी है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को कहा कि संबंधित जिलों के उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक रिपोर्ट तैयार करें कि पिछले एक साल में किसानों के खिलाफ दर्ज  कितने मामले हैं, जिन्हें तत्काल वापस लिया जा सकता है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि उन मामलों पर उचित कदम उठाया जाएगा, जो पहले ही अदालत में हैं। किसान आंदोलन के दौरान मरे किसानों के परिवारों को मुआवजा देने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में उनसे बात चल रही है और ऐसे लोगों की सूची किसानों द्वारा मुहैया कराई गई है, जिनका सत्यापन पुलिस द्वारा किया जाएगा। उन्होंने प्रदर्शन खत्म करने के किसानों के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदर्शन के कारण बंद टोल बूथों को जल्द ही दोबारा खोला जाएगा.
गौरतलब है कि किसान आंदोलन स्थगित किए जाने के बाद किसान घर वापसी कर रहे हैं। जीटी रोड पर जाम की आशंका को देखते हुए किसानों ने अलग-अलग जत्थों में निकलने का फैसला किया था। सिंघू बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली-यूपी सीमा) से भी किसान अपने घरों की ओर रवाना हो रहे हैं। उधर, राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे किसान भाइयों ने घर वापसी शुरू कर दी है, इसमें चार से पांच दिन लगेंगे। मैं अपने घर की ओर 15 दिसंबर को निकलूंगा।
किसानों की वापसी के साथ ही कुंडली बॉर्डर पर करीब आठ किलोमीटर तक का मार्ग खाली हो जाएगा। 50 फीसदी से अधिक किसान पहले ही लौट चुके हैं। माना जा रहा है कि तीन दिन तक मामूली मरम्मत होने के बाद जीटी रोड के दोनों तरफ की सर्विस लेन को चालू किया जा सकेगा। इससे वाहन चालकों को राहत मिल सकेगी।

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