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अखिलेश का कांग्रेस को नाराज करना मतलब तगड़ा झटका!

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चरण सिंह
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर भाजपा से ज्यादा सीटें लाने वाली सपा अब विधानसभा के उपचुनाव में कांग्रेस को भाव देने को तैयार नहीं। बाकायदा सपा ने ९ सीटों में से ६ सीटों पर प्रत्याशी उतार दिये हैं। कांग्रेस को सपा गाजियाबाद और खैर सीट ही देना चाहती है। ऐसे में कांग्रेस ने पांच सीटों पर दावा ठोक अखिलेश यादव टेंशन बढ़ा दी है। कांग्रेस ने यह भी कह दिया कि यदि ५ सीटें उसे नहीं मिली तो कांग्रेस उप चुनाव नहीं लड़ेगी। दरअसल कांग्रेस और सपा दोनों ओर से अड़ियल रवैया होने का बड़ा कारण लोकसभा चुनाव में सपा को भाजपा ३६ से ज्यादा ३७ सीटें तो कांग्रेस को पांच सीटें मिलना है। कांग्रेस के दिमाग में एक बात और बैठ गई है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का वोट सपा को राहुल गांधी की वजह से मिला है। हालांकि हरियाणा चुनाव हारने के बाद सपा कांग्रेस पर हावी और कांग्रेस बैकफुट पर दिखाई दे रही है।
दरअसल कांग्रेस को यह बात अखर रही है कि बिना सीटों के बंटवारे के लिए सपा ने मझवा, फूलपुर, करहल, कटेहरी, सीसामऊ और मीरापुर सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिये हैं। ऐसे में कांग्रेस का बिलबिलाना स्वाभाविक है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या सपा कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना चाहती है ? क्या कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं लड़ेगी। राजनीतिक के लहजे से सपा कभी नहीं चाहेगी कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में चुनाव न लड़े। यदि ऐसा हुआ तो मुसलमान वोटबैंक सपा से बिदक सकता है। और यदि कांग्रेस ने अपने दम पर उत्तर प्रदेश में उप चुनाव लड़ लिया तो सपा का पूरा खेल ही बिगड़ जाएगा। ऐसे में अखिलेश यादव नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस उससे नाराज हो।
दरअसल यह बात अखिलेश यादव भी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के मुसलमान का रुख कांग्रेस की ओर है। देश का मुसलमान राहुल गांधी को अपना नेता मानने लगा है। ऐसे में अखिलेश यादव ऐसी भूल नहीं करेंगे। २०२७ के विधानसभा चुनाव से पहले वह नहीं चाहेंगे कि उनकी ओर से कांग्रेस के खिलाफ कोई संदेश जाए। अखिलेश यादव भी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उन्हें जो ३७ सीटें मिली हैं उनमें कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान है। हरियाणा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस भी लचीला रुख अपनाएगी। ऐसे में गाजियाबाद, खैर औेर कुंदरकी सीटों पर कांग्रेस उप चुनाव लड़ सकती है। हो सकता है कि विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे की बात भी अभी ही हो जाए। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बारे में सपा और सोच ले।
इसमें दो राय नहीं कि सपा कांग्रेस दोनों ही पार्टी भाजपा को खुलकर खेलने का मौका नहीं देंगी। ऐसे में राहुल गांधी और अखिलेश यादव के स्तर पर सीटों का बंटवारा होने की पूरी उम्मीद है। वैसे तो संजय निषाद भी अपने सिंबल पर दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर आमादा है। ऐसे में देखना यह होगा कि आखिरकार कौन सा गठबंधन टूटता है।