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अहमदाबाद ब्लास्टः मानेंगे कुरान का निर्णय, संविधान मायने नहीं रखता- बोला मास्टर माइंड सफदर नागौरी; अफसरों को खुले आम धमकाता था, 100 से अधिक दर्ज हैं केस

अहमदाबाद ब्लास्ट

अहमदाबाद ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी जेल में अधिकारियों को धमकाता था कि उसके लोग सभी जेलों में घुस चुके हैं और जेलों का कायाकल्प कर देंगे

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में सीरियल बम ब्लास्ट मामले में स्पेशल कोर्ट ने दोषियों को फांसी की सजा का ऐलान कर दिया। कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है जबकि 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एक साथ इतने लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट में 21 बम धमाके हुए थे।
संविधान नही कुरान मानेगा आतंकी सफदर: अहमदाबाद ब्लास्ट का मास्टरमाइंड सफदर नागौरी को भी कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। सफदर नागौरी अभी भोपाल की केंद्रीय जेल में बंद है। जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि नागौरी को फांसी की सजा सुनाई गई तो उसने जेल के अधिकारियों से कहा कि वह संविधान को नहीं मानता है, बल्कि वह कुरान को मानता है। जेल अधीक्षक ने बताया कि जब उसे 5 साल पहले भोपाल जेल में शिफ्ट किया गया था तब भी वह जेल के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को धमकी देता था और कहता था कि वो उनका आदेश नहीं मानेगा। नागौरी को अलग बैरक में रखा जाता था और कई बार वो याचिका दाखिल कर चुका है कि उसे भोपाल जेल से दूसरी जेल में शिफ्ट किया जाए।
अधिकारियों को धमकाता था आतंकी: भोपाल जेल में बंद आतंकवादी सफदर नागौरी कई बार जेल के अधिकारियों को धमकी देते हुए कहता था कि उसके लोग भारत के सभी जेलों में घुस चुके हैं और जेलों का कायाकल्प कर देंगे। सफदर नागौरी आतंकवादी संगठन सिमी का राष्ट्रीय महासचिव भी रहा है और नागौरी ने कई बार जेल से भागने का भी प्रयास किया था।
100 से अधिक मुकदमें दर्ज: आतंकवादी सफदर नागौरी पर देशभर में 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। पहला मुकाबला उसके खिलाफ 1997 में दर्ज हुआ और 11 दिसम्बर 2000 को उसे एक मामले में भगोड़ा भी घोषित किया गया। सफदर नागौरी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिमी से ताल्लुक रखता है। 26 मार्च 2008 को उसे गिरफ्तार किया गया था।
70 मिनट में 21 बम धमाके: बता दें कि 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 70 मिनट में एक के बाद एक 21 बम धमाके हुए थे, जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे। इस पूरी सुनवाई के दौरान 1163 गवाहों के बयान दर्ज किए गए और 6000 से अधिक सबूत पेश किए गए। 78 आरोपियों में एक आरोपी सरकारी गवाह बना और बाकी 77 आरोपियों पर केस चला। 8 फरवरी 2022 को 49 आरोपियों को दोषी करार दे दिया गया था जबकि 28 बरी हो गए थे। अब स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 49 में 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
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