Agneepath Yojana Scheme: युवाओं के आंदोलनों के आगे झुकती रही हैं सरकारें
Agneepath Yojana Scheme-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम योजना की घोषणा होते हुए उसका विरोध होना शुरू हो गया है। बिहार से शुरू हुआ इस योजना का विरोध अब पूरे देश में पहुंच गया है। जगह-जगह ट्रेनें रोकी जा रही हैं। आग के हवाले कर दी जा रही हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पहले उन युवाओं की भर्ती की जाए, जिन्होंने मेडिकल परीक्षा तक पास कर ली है। जिस तरह से Agneepath Yojana Scheme का विरोध पूरे देश में हो रहा है। उसे देखकर तो ऐसा लग रहा है कि कहीं अग्निपथ योजना का हस्र ३ नये किसान कानूनों वाला न हो जाए।
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दरअसल नए तीन कृषि कानून बनते ही उनका विरोध होना शुरू हो गया था। किसान आंदोलन में तो खेतीबाड़ी छोड़कर किसान ही मोर्चे पर डटे थे अब तो देश का युवा सड़कों पर उतरा है। इस बेरोजगारी के दौर में यदि यह आंदोलन ऐसे ही गति पकड़ते गया तो कहीं प्रधानमंत्री को नये कृषि कानूनों की तरह Agneepath Yojana Scheme को भी वापस न लेना पड़ जाए। किसान आंदोलन तो १३ महीने खिंच गया था पर क्या युवाओं के आंदोलन को इतने दिन सरकारें झेल पाएंगी। वैस भी यह आंदोलन लगातार आक्रामक और हिंसक रूप ले रहा है।
Agneepath Recruitment 2022 पर इसलिए भी ऊँगली उठ रही है क्योंकि देश की रक्षा सेवा यानी कि भारतीय थल सेना, वायुसेना और नौसेना में लगभग सवा लाख पद खाली हैं। यह जानकारी एक प्रश्न के जवाब में बाकायदा रक्षा मंत्रालय ने दी थी। इन रिक्त पदों में अफसर समेत कुल 1,04,653 पद केवल सेना में खाली हैं। यानि कि कुल पदों की संख्या में 85 फीसदी हिस्सा भारतीय सेना का है। सबसे कम रिक्त पद एयरफोर्स में हैं।
हाल में दिए गए आंकड़े क तुलना में मार्च 2021 के देता से करें तो कुल खाली पदों की संख्या में लगभग 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2021 के लिए तीनों सेवाओं में खाली पदों की संख्या में लगभग 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मार्च 2021 के लिए तीनों सेवाओं में खाली पदों की संख्या 1,07,505 थी जो जुलाई में 1,21,726 रही।
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सेना में ज्वाइन करने वालों में सबसे अधिक युवा राजस्थान से होते हैं। राजस्थान के अलावा पंजाब और बिहार से भी बड़ी संख्या में युवा सेना में शामिल होते हैं। दरअसल कोरोना महामारी के चलते जवानों की भर्ती रैलियां रद्द कर दी गईं थी। इसकी वजह से भी काफी पद खाली रह गए हैं ।
Agneepath recruitment scheme के विरोध में पूरा देश उबल पड़ा है। कई राज्यों में हिंसक आंदोलन शुरू हो चुका है। उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार समेत कई राज्यों में ट्रेनों को आग के हवाले कर दिया है। आंदोलनकारी सड़कों पर उतरकर वाहनों को तोड़ रहे हैं आगजनी कर रहे हैं। तेलंगाना के सिकंदराबाद में आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए हैं। बिहार के लखीसराय में विक्रमशिला एक्सप्रेस में आग लगाने के बाद बेहोश हुए एक अज्ञात रेल यात्री काल के मुंह में समा गया।
तमाम विरोधों के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भर्ती प्रक्रिया कुछ ही दिनों में शुरू होने की बात कही है। न्यूज एजेंसी से बात करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा है कि Indian Agneepath recruitment scheme भारत के नौजवानों को देश की रक्षा व्यवस्था से जोड़ने और देश की सेवा करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करने की बात कही है।
केंद्र सरकार को यह समझना होगा कि देश में जितने भी आंदोलन हुए हैं। उन सबने युवाओं के बल पर ही सफलता पाई है। चाहे स्वतंत्रता आंदोलन हो, जेपी क्रांति हो, अन्ना आंदोलन हो, राम मंदिर आंदोलन हो, किसान आंदोलन हो। इन सब आंदोलन की रीढ़ युवा ही रहे हैं। अग्निपत्र योजना के विरोध में भी युवा सड़कों पर उतरे हैं। इस आंदोलन की विशेषता यह है कि यह किसी विशेष राज्य या फिर विशेष राज्य में नहीं हो रहा है। न ही किसी पार्टी द्वारा प्रायोजित है।
यह आंदोलन जाति औेर धर्म को लेकर भी नहीं है। न ही धार्मिक भावनाओं को लेकर है। यह अपने आप में दिलचस्प है कि रोजगार को लेकर सरकार युवाओं को सेट करना चाहती थी उसी रोजगार के नाम पर युवा बिदक गये हैं। सरकार साढ़े 17 साल से 21 तक उम्र के युवाओं के लिए Agneepath Yojana Scheme लाई है और उन युवाओं ने मोर्चा संभाल लिया है जिनका भर्ती में मेडिकल तक हो गया था और उनकी नौकरी नहीं मिली। इन युवाओं ने सरकार के रवैये को पीछे चौड़ आगे दौड़ करार दिया है।
– चरण सिंह राजपूत
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