Agneepath Scheme Protest : केंद्र सरकार को भारी पड़ सकता है युवाओं और किसानों का मिलना 

Agneepath Scheme Protest : किसान जवान आंदोलन बनाने में जुट गए हैं किसान नेता 

अग्निपथ योजना पर युवाओं का आक्रोश झेल रही केंद्र सरकार के लिए Agneepath Scheme Protest आफत बनने वाले हैं। सरकार को नये कृषि कानून को वापस लेने के लिए मजबूर करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्निपथ योजना को किसानों के नुकसान से जोड़ते हुए इस योजना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने अग्निपथ योजना को राष्ट्रविरोधी करार देते हुए इसे वापस कराने के लिए सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है।
24 जून को संयुक्त किसान मोर्चा देश के हर जिला मुख्यालय और तहसील कार्यालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति रामनाथ कोविड को संबोधित ज्ञापन सौंपेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के सात सदस्यीय समन्वय समिति ने यह निर्णय लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि वन रैंक वन पेंशन के नाम पर जनादेश लेने वाली मोदी सरकार सेना के लिए नो रैंक नौ पेंशन स्कीम लाई है। मोर्चा का कहना है कि केंद्र सरकार जय जवान जय किसान नारे को झूठलाने में लगी है। किसानों ने अग्निपथ योजना को किसानों से बदला लेने का षड्यंत्र बताया है। अब किसान जवानों को साथ लेकर आंदोलन को बड़ा रूप देने में लगे हैं। 

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दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार को टारगेट बनाते हुए कहा है कि अधिकतर सैनिक किसान परिवारों से आते हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के सम्मान और आर्थिक ताकत से जुडी होती है। किसान नेताओं ने कहा कि सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती किसान बेटों के साथ विश्वासघात है। 

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा Agneepath Recruitment Scheme के खिलाफ 24 जून को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगा। राकेश टिकैत ने कर अग्निपथ योजना के विरोध में ‘‘युवाओं, नागरिक संस्थाओं, दलों से एकत्रित होने की अपील है। 

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दरअसल किसान आंदोलन ने न केवल देश बल्कि विदेश में भी लोकप्रियता हासिल की थी। मोदी सरकार भले ही किसी आंदोलन को तवज्जो न दे रही थी पर किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है। अब यह माना जा रहा है कि युवाओं के आंदोलन को किसानों के समर्थन करने से यह आंदोलन बड़ा रूप लेगा। २५ जून को हो सकता है कि किसान पिछले साल की तरह ही दिल्ली बार्डर पर आकर डट जाएं। यदि देश का किसान दिल्ली बार्डर पर आकर डट गया तो Agneepath Recruitment Scheme को लेकर हो रहे विरोध से केंद्र सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगी।

दो साल में आम चुनाव है। केंद्र सरकार को यह भी समझना होगा कि यदि यह आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह लंबा चल गया तो आम चुनाव में भाजपा को लेने के देने पड़ जाएंगे। आम चुनाव के चलते विपक्ष का समर्थन भी इस आंदोलन को मिल सकता है। वैसे भी बेरोजगारी और महंगाई के चलते आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। नौकरीपेशा आदमी तो बहुत परेशान है। किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों का माना जा रहा था। अग्निपथ योजना के विरोध में तो पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। चाहे बिहार हो, झारखंड हो, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश हो, हरियाणा हो सभी जगह आंदोलन चल रहा है। २५ जून को होने वाला आंदोलन आक्रामक भी हो सकता है। क्योंकि किसान आंदोलन में युवाओं का भी समर्थन रहेगा। वैसे भी किसान नेता राकेश टिकैत ने युवाओं, जन संगठनों से एक साथ आने की अपील की है।

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इस योजना को देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि यह न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और बेरोजगार युवाओं के सपनों के साथ खिलवाड़ है, बल्कि देश के किसान परिवारों के साथ भी धोखा है। इस देश का जवान वर्दीधारी किसान है। अधिकांश सैनिक किसान परिवार से हैं। सेना की नौकरी लाखों किसान परिवारों के मान और आर्थिक संबल से जुड़ी है।

यह देश के लिए शर्म का विषय है की “वन रैंक वन पेंशन” के वादे के साथ पूर्व सैनिकों की रैली से अपना विजय अभियान शुरू करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब “नो रैंक नो पेंशन” की Agneepath Scheme Yojana को लाद दिया है। सेना में नियमित भर्ती में भारी कटौती उन किसान पुत्रों के साथ धोखा है जिन्होंने बरसों से फौज में सेवा करने का सपना संजोया था। यह संयोग नहीं है कि इस योजना में “ऑल इंडिया ऑल क्लास” के नियम से Agneepath Scheme Yojana से उन सभी इलाकों से भर्ती में सबसे ज्यादा कटौती होगी जहां किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया था। किसान आंदोलन के हाथों अपनी पराजय से तिलमिलाई हुई इस सरकार का किसानों से बदला उतारने का एक और हथकंडा है।

दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा की आगामी राष्ट्रीय बैठक 3 जुलाई रविवार को गाजियाबाद में तय की गई है इस बैठक में Agneepath Scheme को लेकर मोर्चा के आगामी कार्यक्रम और संगठन संबंधी फैसले लिए जाएंगे। दरअसल किसान आंदोलन ने न केवल देश बल्कि विदेश में भी लोकप्रियता हासिल की थी। मोदी सरकार भले ही किसी आंदोलन को तवज्जो न दे रही थी पर किसान आंदोलन ने मोदी सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है। अब यह माना जा रहा है कि युवाओं के आंदोलन को किसानों के समर्थन करने से यह आंदोलन बड़ा रूप लेगा। २५ जून को हो सकता है कि किसान पिछले साल की तरह ही दिल्ली बार्डर पर आकर डट जाएं।

यदि देश का किसान Agneepath Scheme के विरोध में दिल्ली बार्डर पर आकर डट गया तो केंद्र सरकार के लिए मुश्किल हो जाएगी। दो साल में आम चुनाव है। केंद्र सरकार को यह भी समझना होगा कि यदि यह आंदोलन भी किसान आंदोलन की तरह लंबा चल गया तो आम चुनाव में भाजपा को लेने के देने पड़ जाएंगे। आम चुनाव के चलते विपक्ष का समर्थन भी इस आंदोलन को मिल सकता है। वैसे भी बेरोजगारी और महंगाई के चलते आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है। नौकरीपेशा आदमी तो बहुत परेशान है।

किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों का माना जा रहा था।  Agneepath Scheme Protest तो पूरे देश में आंदोलन चल रहा है। चाहे बिहार हो, झारखंड हो, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश हो, हरियाणा हो सभी जगह आंदोलन चल रहा है। 25 जून को होने वाला आंदोलन आक्रामक भी हो सकता है। क्योंकि किसान आंदोलन में युवाओं का भी समर्थन रहेगा। वैसे भी किसान नेता राकेश टिकैत ने युवाओं, जन संगठनों से एक साथ आने की अपील की है।

 

 

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