चरण सिंह
सीज फायर होने के बाद दो वीडियो बहुत वायरल हो रहे हैं। एक मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र का गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए आप की अदालत का है और दूसरा 1971 के युद्ध से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का है। एक वायरल वीडियो में पीएम मोदी पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने पर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए सुने जा रहे हैं कि जब पाकिस्तान पर हमला किया जाना चाहिए था तो इनका मंत्री अमेरिका जाकर आंसू बहा रहा है, जबकि पाकिस्तान की ओर रुख करना चाहिए था।
एक वीडियो में 1971 की पाकिस्तान से लड़ाई से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कहते सुने जा रही हैं कि दुश्मन से लड़ने के लिए हमें एकजुट होकर मन दिमाग और ताकत से लड़ना होगा। उनका कहना था कि किसी भी देश की सेना तब मजबूती से लड़ पाती है जब उसके पीछे देश मजबूती से खड़ा हो। दोनों नेताओं की बातें वायरल होने के पीछे भी बड़ा कारण है।
दरअसल पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में वह माहौल बन गया था कि लोग यह उम्मीद लगाने लगे थे कि जो काम इंदिरा गांधी के समय अधूरा रह गया वह अब पूरा हो जाए। पीएम मोदी से लोगों ने कुछ ज्यादा ही उम्मीद लगा ली थी। बीजेपी और मोदी समर्थक भी मोदी की महिमा मंडित करने में लगे थे। सरकार ने क्या किया ? एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकाने ध्वस्त कर दिए गए। सरकार की ओर से 100 आतंकी मारने का दावा किया गया है पर पहलगाम हमले के आतंकियों का कुछ नहीं बिगड़ा है।
देखने की बात यह है कि 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को घुटने बल ला दिया था। उन्होंने उस दौर में न केवल पाकिस्तान के टुकड़े कर बांग्लादेश बनवा दिया था बल्कि पाकिस्तान के 92 हजार सैनिक बंदी बना लिए थे। हजारों एकड़ जमीन कब्ज़ा ली थी। इंदिरा गांधी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के दबाव में नहीं आई थीं। जहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात है तो उनकी सरकार में पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीयों को चार आतंकी मारकर चले जाते हैं और उन आतंकियों का कुछ बिगाड़ भी नहीं पाता।
पीएम मोदी ने आतंकी हमले की जानकारी मिलते ही सऊदी अरब का दौरा रद्द कर दिया तो ऐसा लगा कि पीएम मोदी अपना पूरा फोकस पाकिस्तान को सबक सिखाने में लगाएंगे। क्या हुआ मोदी अगले ही दिन बिहार रैली में पहुंच गए। वहां उन्होंने आतंकियों और उनके समर्थकों को मिट्टी में मिलाने की बात कही। क्या हुआ ? देश पीओके लेने और बलूचिस्तान को अलग करने की उम्मीद लगाए बैठे थे। मोदी ने क्या क्या ?
मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में आ गए और युद्ध रुकवा दिया। यह ऐसे समय किया गया जब पूरा देश युद्ध के लिए तैयार था और इस बार पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहता था। अब मोदी बोल रहे हैं कि यदि पाकिस्तान गोली मारेगा तो वह गोला मारेंगे। सीजफायर का उल्लंघन किया तो भारत उसे युद्ध समझेगा। क्या मोदी नहीं जानते कि पाकिस्तान ने सीजफायर को माना कब है। दो चार दिन सही रहेगा फिर हरकत करेगा। कुत्ते की दुम कब सीधी होती है। अब तो खुद मोदी के समर्थक भी उनके इस निर्णय पर नाराज दिखाई दे रहे हैं। एक तो मोदी सर्वदलीय बैठक में नहीं गए और दूसरे आतंकी हमले के अगले ही दिन बिहार रैली को संबोधित करने पहुंच गए।
विपक्ष ने इसे मुद्दा बना लिया और पीएम मोदी पर आरोप लगा दिया कि मोदी को हमले का बदला लेने की चिंता कम और बिहार में सरकार बनाने की ज्यादा है। अब जब पूरा विपक्ष सरकार के साथ था तो केंद्र सरकार अमेरिका के दबाव में आ गई। सीजफायर कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि सीजफायर की जानकारी देश को डोनाल्ड ट्रम्प से पता चली। दूसरे विपक्ष के पास एक मुद्दा यह भी हो गया कि जब पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सर्वदलीय बैठक की गई तो सीज फायर प् निर्णय लेने के लिए सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं की गई।