लालू के बयान के बाद नीतीश के पाला बदलने की अटकलें

 बिहार की राजनीति में फिर हलचल

पटना। दीपक कुमार तिवारी।

बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के हालिया बयान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।

लालू के बयान से बढ़ी राजनीतिक सरगर्मी:

होली के अवसर पर लालू प्रसाद यादव ने अपने संदेश में लिखा, “हर पुरानी बात भूलकर आओ करें नई शुरुआत। प्रेम और अपनत्व के भाव से समाज में हो हर बात।” इस तीन लाइन के संदेश को राजनीतिक गलियारों में सीधा-सीधा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में लौटने का अप्रत्यक्ष न्योता माना जा रहा है।

महागठबंधन में वापसी के संकेत?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान महज शुभकामना संदेश नहीं, बल्कि बिहार की बदलती सियासी परिस्थितियों में बड़ा राजनीतिक संकेत है। खासकर बिहार में भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदुत्व एजेंडे को आक्रामक रूप से बढ़ावा दिए जाने के बीच इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

नीतीश कुमार के महागठबंधन में लौटने की संभावनाओं को तब और बल मिला जब राजद नेताओं ने हाल के दिनों में खुले मंच से इसका संकेत दिया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सदन में कहा था, “नीतीश कुमार कब पलटी मार लें, इसकी कोई गारंटी नहीं है।”

दूसरी ओर, लालू यादव ने भी कुछ समय पहले मीडिया से कहा था कि “नीतीश कुमार के लिए राजद का दरवाजा हमेशा खुला है।”

भाजपा के बयान से भी गर्माई सियासत:

इस बीच, भाजपा नेताओं के हालिया बयान भी संकेत दे रहे हैं कि प्रदेश में सियासी समीकरण बदल सकते हैं। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती समारोह में कहा था कि “अटल जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी, जब बिहार में भाजपा की सरकार बनेगी।”

गृहमंत्री अमित शाह के बयान कि “बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका निर्णय संसदीय बोर्ड करेगा” भी इन अटकलों को और बल देता है।

‘खेला’ की संभावना पर राजद का दावा:

राजद नेताओं का मानना है कि भाजपा के बढ़ते दबाव के चलते नीतीश कुमार एक बार फिर राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा कि “राजनीति में कोई स्थायी मित्र या दुश्मन नहीं होता, अगर नीतीश सांप्रदायिक ताकतों को छोड़कर लौटते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा।”

2025 के चुनाव की तैयारी में नए समीकरण:

बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन अपने पुराने समीकरण के तहत चुनावी रणनीति बनाने में जुटा है। राजद के लगातार नीतीश को लेकर दिए जा रहे बयान यह संकेत दे रहे हैं कि उनकी वापसी के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है।

बिहार में नीतीश कुमार के राजनीतिक रुख को लेकर असमंजस बना हुआ है, लेकिन लालू यादव के संदेश और भाजपा नेताओं के बयानों ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति किस करवट बैठती है।

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