आखिर पर्यटकों को सुरक्षा कौन देगा ?

चरण सिंह 
पहलगाम आतंकी हमले में अब सरकार कुछ भी कर जो चले गए और जिनके चले गए उनके लिए तो कुछ नहीं किया जा सकता है। जिन लोगों का भरोसा टूट गया वह वापस नहीं लाया जा सकता। जो सुरक्षा में चूक हुई है, उसका स्पष्टीकरण भी जनता को नहीं दिया जा सकता है। देखने की बात यह है कि जब सरकार ने यह माहौल बना दिया कि जम्मू-कश्मीर में अब सब कुछ ठीक है तो पर्यटकों को सरकार पर विश्वास जगा और जम्मू कश्मीर जाने शुरू हो गए।
मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से जाने जाने वाला पहलगाम गुलजार होना ही था। बताया जा रहा है कि जहां पर आतंकी हमला हुआ है वहां 2000 के आसपास पर्यटक थे। क्या सरकार को उनकी सुरक्षा की व्यवस्था नहीं करनी चाहिए थी ? क्या यह आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर और केंद्र सरकार दोनों ही के लिए ही शर्मनाक नहीं है ? क्या यह फिल्म का दृश्य था कि आतंकी स्थानीय पुलिस की ड्रेस में आते हैं और 28 हिन्दुओं को चिन्हित कर कर मारकर चले जाते हैं। यह उस भारत में आतंकी हमला हुआ है जो विश्वगुरु होने का दम्भ भर रहा है।
केंद्र सरकार यह कहते कहते थक नहीं रही है कि हथियारों के मामले में भारत अब बहुत आगे जा चुका है। ये हथियार किस काम आएंगे ? जब आतंकी आसानी से पर्यटकों को मारकर निकल लेते हैं। जानकारी मिल रही है कि आतंकियों ने लिंग तक चेक किये। कलमा तक पढ़वाकर देखा। 28 पर्यटकों को मारकर आतंकी रफ्फूचक्कर भी हो जाते हैं। ख़ुफ़िया एजेंसियां क्या कर रही थी ?
ऐसा भी नहीं है कि पहलगाम कोई बॉर्डर पर हो। बड़ा प्रश्न तो यह है कि ये आतंकी पहलगाम तक पहुंचे कैसे ? कैसे पर्यटकों को मारकर चले गए ?  यदि पहलगाम में ही पर्यटकों की सुरक्षा  फिर कहां होगी ? अब कौन जाएगा जम्मू कश्मीर घूमने ? सरकार ने लोगों पर कितना विश्वास जमाया ? अब तक तो जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग मरते रहे हैं। यह पहला आतंकी हमला है जिसमें चिन्हित कर कर हिन्दुओं को मारा गया है।
क्या जम्मू-कश्मीर में सचेत रहने की जरुरत नहीं थी ?
सरकार का काम क्या सियासत करना ही है ? एक भी आतंकी मार गिराया होता तो जनता को कुछ तो राहत मिलती। पहलगाम जैसे संवेदनशील इलाके में 26 हिन्दू मार दिए गए और देश में राजनीति हो रही है। भाई पाकिस्तान तो वह करेगा जो उसके बस में होगा। आप उसके षड्यंत्र से बचने के लिए क्या कर रहे हैं ? ऐसे तो आतंकी कहीं भी आएंगे और किसी को भी मारकर चले जाएंगे। जनता अब इन सरकारों पर कैसे विश्वास करे। देश में एक ऐसी भी टीम काम कर रही है जो सरकार से जवाब मांगने पर कांग्रेस को कोसने लगते हैं। ये लोग यह समझने को तैयार नहीं कि देश में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनी है। मतलब अब कांग्रेस को कोसने का कोई मतलब नहीं है।
कोई कुछ भी बोलता फिरे पर देश के हालात बहुत ख़राब हैं। मीडिया घराने सरकार के दबाव में इसलिए है क्योंकि उन्हें बिजनेस करना है। वह बात दूसरी है कि मीडिया की निष्पक्षता न होने की वजह से समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। लोग भी सियासत में ऐसे उलझ गए हैं कि जिसकी आस्था जिस पार्टी से जुड़ी है वह उसके खिलाफ कुछ सुनने को तैयार नहीं। भले ही वह पूरी तरह से भ्र्ष्ट हो चुकी हो।
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