Abortion cases in India- नहीं होना चाहिए गर्भपात “पटना हाईकोर्ट”

Abortion cases in India- देश में बलात्कार के मामलों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। 2020 में देशभर में बलात्कारों की संख्या 28046 दर्ज हुई हैं। ये वे मामले हैं, जो दर्ज हुए हैं। और उन मामलों के कारण पीड़िताओं कों कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। (Abortion cases in India)इन्हीं मामलों की दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट द्वारा क्या क्या निर्णय लिए गए हैं। और कौन से मामलो को सज्ञांन में लिया गया हैं। इन्हीं पर आज हम चर्चा करने जा रहें हैं।

दरअसल, पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में एक याचिका दायर (Medical Termination of pregnancy Act ) की गई थी, जिसमें पीड़िता ने बलात्कार से पैदा हुए गर्भ का गर्भपात कराने की अनुमति माँगी थी। वारदात के काफी समय बाद लड़की को गर्भवती होने का पता चला। अब लड़की की सेहत और गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत को लेकर सवाल उठने लगे थें। और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया, जहां कोर्ट ने पीड़िता को एबॉर्शन की इजाजत नहीं दी।

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इस याचिका पर हाईकोर्ट ने सात सदस्यीय डॉक्टरों की टीम का गठन किया गया था और कई याचिकाओं में जांच कर डॉक्टरों को कानून के तहत फौरन गर्भपात कराने का भी आदेश दिया गया था।

Patna high Court- कोर्ट ने कि याचिका खारिज़

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए रेप पीड़िता को गर्भपात कराने से मना कर दिया हैं। य़ह याचिका बिहार की एक पीड़िता द्वारा दायर की गई थी। जिसमें पीड़िता के साथ रेप हुआ था। और पीड़िता गर्भ से हो गई थी। पटना हाईकोर्ट नें इस याचिका को खारिज़ (Medical Termination of pregnancy Act) कर दिया क्योंकिं गर्भ 30 से 32 सप्ताह का हैं और पीड़िता की उम्र 19 वर्ष हैं। इस हालत में गर्भ करना बहुत खतरनाक हो सकता हैं। इसलिए कोर्ट द्वारा य़ाचिका को खारिज़ कर दिया गया हैं।

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Patna High Court

 कोर्ट का पीड़िता को एक लाख रूपये देने का आदेश

कोर्ट नें रेप पीड़िता को गर्भपात कराने से मना कर याचिका को खारिज कर दिया गया। कोर्ट नें पीड़िता के गर्भ को 30 से 32 सप्ताह का बताया है। और पीडिता की उम्र 19 साल बताई हैं। इस हालत में गर्भपात कराना खतरनाक साबित हो सकता हैं (Medical Termination of pregnancy Act)। इसलिए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर पीड़िता की जिम्मेदारी सरकार को दी हैं और राज्य सरकार को पीड़िता के पिता के बैंक खाते में एक लाख रूपये डालने के आदेश भी दिये गये हैं।

इस याचिका को पॉक्सो कोर्ट ने गर्भपात कराने की अनुमति देने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिय़ा हैं। पॉक्सो कोर्ट के उसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इसकी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पटना एम्स में पीड़िता की जांच कराने के लिए सात सदस्यीय डॉक्टरों की टीम का गठन किया गया और जांच की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए गए।

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पीड़िता को सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा

सात सदस्यीय डॉक्टरों की टीम द्वारा प्राप्त रिपोर्टो में पीड़िता को 30 से 32 सप्ताह का गर्भ है इस हालत में प्रसव कराना उचित नहीं हैं। कोर्ट ने इसी के मद्देनजर बाल कल्याण समिति और बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक और बेगूसराय के डीएम को पीड़िता की देखभाल कराने के साथ ही उसे सरकारी अस्पताल में मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। और साथ ही पीड़िता  का  सुरक्षित प्रसव तथा अन्य सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया गया। कोर्ट ने पीड़िता के परिवार के सदस्य को अलग से कमरा देने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि जन्म के बाद अगर पीड़िता बच्चे को अपने पास रखना नहीं चाहेगी तो उस स्थिति में उसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। कोर्ट ने पीड़िता को विक्टिम कंपन्सेशन स्कीम के तहत मुआवजा देने का आदेश भी राज्य सरकार को दिया। पटना हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वह चाहे तो बच्चे को जन्म के बाद छोड़ सकती है। और किसी NGO में उसका पालन पोषण होगा और कोई उसे गोद लेना चाहेगा तो ले सकता है। राज्य सरकार पीड़िता की देखभाल के साथ ही खाने-पीने की भी व्यवस्था करेगी।

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2018 में कोर्ट नें प्रसव की अनुमति Abortion cases in India

पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने 2018 में एक रेप पीड़‍िता (Misdeed Victim) को 28 सप्ताह का गर्भपात का आदेश दिया था। साथ ही कोर्ट ने संबंधित मामले में दो सदस्यीय डाक्टरों की टीम गठन कर पीड़‍िता की फौरन जांच कर कानून के तहत गर्भपात कराने की कार्रवाई करने का भी  आदेश दिया था। न्यायाधीश अनिल कुमार की एकलपीठ ने नाबालिग के साथ हुए दुष्कर्म के बाद गर्भवती बच्ची के गर्भपात कराने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते उक्त आदेश दिया था

मामले में 16 वर्षीय नाबालिग लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया गया था। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार पीड़‍िता गर्भवती पाई गई थी। और 28 सप्ताह का गर्भ पाया गया था। कोर्ट ने पीड़‍िता तथा उसकी मां को डीएमसीएच के अधीक्षक से संपर्क करने का आदेश दिया था।

(Abortion cases in India) देश में बढ़ रहे रेप मामलों से पीड़िताओं की जान चली जाती हैं तो कभी पीड़िता गर्भ से हो जाती है। इन सबका खामयाज़ा पीड़िता और उसके परिवार जनों को भुगतना पड़ता हैं। कोर्ट द्वारा दोनों मामलों में अलग अलग आदेश को आप किस नजरिये से देखते है। यह कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा।

 

 

 

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