पंजाब के अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य पहले से ही 2.82 लाख करोड़ के कर्ज में डूबा हुआ है. ऐसे में 300 यूनिट मुफ्त बिजली और महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक मदद का वादा पूरा करना आसान नहीं होगा
द न्यूज 15
चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में पंजाब के हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली और हर महिला को हर महीने एक हजार रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया था। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि आप की इन दो मुख्य वादों को पूरा करने के लिए राज्य पर 26,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।
अमृतसर में 13 मार्च को एक रोड शो के दौरान आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सभी चुनावी वादों को पूरा किया जाएगा। हालांकि, पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और नीति के जानकारों का कहना है कि राज्य पर 2.82 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, ऐसे में अतिरिक्त वित्तीय ज़रूरत को पूरा करना बड़ी चुनौती होगी।
केजरीवाल ने 29 जनवरी को कहा था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगाया जाएगा।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य में कुल 10,668 करोड़ रुपये की राशि बिजली बिल सब्सिडी के तौर पर दी गई. इनमें से 7,180 करोड़ रुपये किसानों और 1,627 करोड़ की राशि एससी, बीसी और बीपीएल परिवारों को बिजली बिल सब्सिडी के तौर मिली है।
वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, बाकी सब्सिडी बिल परिवारों को प्रति यूनिट बिजली की खपत पर छूट के तौर पर मिलती है। इनमें अलग-अलग तरह के उद्योगों को दी जाने वाली बिजली बिल सब्सिडी भी शामिल है।
अधिकारियों ने कहा, ‘जैसा कि ‘आप’ ने कहा है, हर महीने 300 यूनिट मुफ्त बिजली की योजना राज्य के सभी परिवारों के लिए है. अगर कम-से-कम भी जोड़ें, तो इससे सब्सिडी बिल में 5,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी.’महिलाओं को वित्तीय मदद में ‘15,600 करोड़ खर्च होगा’ : पंजाब सरकार के एक अन्य अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि राज्य की हर महिला (18 साल और उससे ज़्यादा) को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता से राज्य के खर्च में कम-से-कम 15,600 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी ।
अधिकारी ने कहा, ‘यह एक सामान्य गणना है, अगर सभी 1.3 करोड़ महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये दिए जाने हैं, तो इससे सालाना 15,600 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ पड़ेगा. हमें पता नहीं है कि आने वाले हफ्तों में सरकार इस योजना में कुछ फेरबदल करेगी और सिर्फ़ कुछ सामाजिक और आर्थिक समूहों को ही इसका फायदा देगी.’
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने चुनावी कैंपेन में, राज्य के वित्तीय संकट के लिए कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेतृत्व वाली पिछली सरकारों को दोषी ठहराया था. उन्होंने दावा किया था कि इन सरकारों के पहले राज्य का बजट फायदे में था।
कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंत में अनुमानित कर्ज 2.82 लाख करोड़ रुपये था. मार्च, 2017 में कांग्रेस जब सत्ता में आई थी उस समय राज्य का कर्ज 1.82 लाख करोड़ रुपये था. इससे पहले राज्य में एसएडी-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी। मान ने पंजाब के हित में वित्तीय मॉडल लागू करने का वादा किया था. उन्होंने दिल्ली सरकार का उदाहरण देते हुए कहा था कि वित्त वर्ष 2013-14 से राज्य का रेवेन्यू सरप्लस बना हुआ है. आम आदमी पार्टी साल 2015 में पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सत्ता में आई. इससे पहले, साल 2013 में कांग्रेस के बाहरी समर्थन से 49 दिनों तक सत्ता में थी।