Aalha Udal Ki Kahani : पृथ्वीराज चौहान को भी अपनी वीरता का लोहा मनवाने वाले आल्हा उदल !

Aalha Udal Ki Kahani

चरण सिंह राजपूत/नई दिल्ली-

Aalha Udal Ki Kahani:पृथ्वीराज चौहान फिल्म रिलीज होने के बाद मुग़ल शासकों औरंगजेब, अकबर, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे शासकों को लेकर एक बहस छिड़ गई है। इस बीच में इतिहास से गायब बुंदेलखंड के वीर योद्धा आल्हा ऊदल की वीरता की दास्तां को लेकर भी एक अभियान शुरू हो चुका है। इस अभियान में आल्हा ऊदलऔर उनके चचेरे भाई मलखान के पृथ्वीराज चौहान को भी अपनी वीरता का लोहा मनवाने को प्रमुखता से दिखाया (Aalha Udal Ki Kahani) जा रहा है।

Alha Udal story in hindi : दरअसल बारहवीं शताब्दी में बुंदेलखंड की धरती के वीर आल्हा-ऊदल और इनके चचेरे भाई मलखान अपनी वीरता के लिए देशभर में विख्यात थे। इतिहास में भले ही इनकी वीरता का  वर्णन ज्यादा न किया गया हो पर जगनेर के राजा जगनिक ने जिस आल्ह-खण्ड काव्य की रचना की थी, उसमें बावन गढ़ की लड़ाइयों में इन वीरों की गाथा का बहुत वर्णन किया गया है। इन लड़ाईयों में कई बार इनका मुकाबला पृथ्वीराज चौहान से हुआ और इन वीरों ने पृथ्वीराज चौहान को परास्त भी किया।

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हालांकि आल्हा खंड में ऊदल और मलखान  के पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते वीरगति प्राप्त करने का भी वर्णन है। आल्हा खंड में वर्णन है कि अपने छोटे भाई उदल की वीरगति की खबर सुनकर आल्हा अपना अपना आपा खो बैठे थे और आक्रामकता के साथ पृथ्वीराज चौहान की सेना पर काल बनकर टूट पड़े थे। आल्हा एक घंटे तक सेना को चीरते हुए पृथ्वीराज चौहान तक पहुंच गए और दोनों में भीषण युद्ध हुआ।

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बताया जाता है कि आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को बुरी तरह से घायल कर दिया था। आल्हा खंड में ऐसा वर्णन है कि आल्हा पृथ्वीराज चौहान को मारने ही वाले थे कि आल्हा के गुरु गोरखनाथ ने युद्ध में पहुंचकर आल्हा को बीच में ही रोक दिया और पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिलवा दिया। आल्हा खंड में आल्हा ऊदल और मलखान की पृथ्वीराज चौहान से जो लड़ाई का वर्णन है वह 1182 ई० का है।

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आल्हा खंड में जो लिखा है उसके अनुसार आल्हा ऊदल को महोबा के चंदेल राजा परमाल के सेनापति जसराज के पुत्रों के रूप में बताया गया है। मलखान जसराज के छोटे भाई बछराज के पुत्र थे। ये बनाफल वंश के बताये जाते हैं। बनाफल वंश चन्द्रवंशी क्षत्रिय वंश माना जाता है। पंडित ललिता प्रसाद मिश्र के ग्रन्थ आल्हाखण्ड में तो आल्हा को युधिष्ठिर तो ऊदल को भीम का अवतार तक दर्शाया गया है। बताया जाता है कि यूरोपीय महायुद्ध में सैनिकों में जोश भरने के लिए अंग्रेजी हुकूमत ने आल्हा खंड का सहारा लिया था।  इस तरह से आल्हा उदल की वीरता की कहानी (Aalha Udal Ki Kahani) आल्हा खंड में दिखाई गई है।

नोट : द न्यूज 15 आल्हा खंड में वर्णित 52 गढ़ की लड़ाईयों की जानकारी क्रमवार देगा। कृपया सुझाव दें। 

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