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Aaj ka taaja samachar : जानिए भारत की सम्प्रदायिकता और दंगों (Riots) का मानसिक कारण

Aaj ka taaja samachar : क्यों भारत में बढ़ रही नफरत

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Aaj ka taaja samachar

Aaj ka taaja samachar : जानने से पहले यह समझिए इन दिनों दुनियाभर में भारत की अच्छी विदेश नीति के साथ भारत का नाम साम्प्रदायिकता से भी जोड़ कर देखा जा रहा हैं जगह-जगह साम्प्रदायिक तनाव के चलते पथराव की घटना आम बात हो गई हैं।

आप Aaj ka taaja samachar पढ़ने के लिए अखबार उठाते होंगे लेकिन आप वहा हिंसा की खबर बस पाते हैं। पहले साम्प्रदायिकता की जड़ धार्मिक त्योहारों में हो रही रैलियों को माना जा रहा था लेकिन अब सामान्य से सड़क हादसे के बाद भी दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ जाता हैं। तो चलते हैं आज का ताजा समाचार जानने से पहले दंगाईयों की मानसिकता समझते हैं।

हालही में हुए साम्प्रदायिक मामले –

Aaj ka samachar taaja khabar देखें तो 18 ग्रैंड स्लैम सिंगल्स जीतने वाली अमेरिकी टेनिस प्लेयर “मार्टिना नवरातिलोवा” ने जहांगीरपुरी हिंसा पर ट्वीट कर सीधा PM मोदी से सवाल पूछ लिया, वही श्रीलंका के अखबार “शीलोन टुडे” ने अपनी Aaj ka samachar taaja khabar मे बताया कि  “How polarization is dividing India’s Silicon Valley” कहने का मतलब श्रीलंका के लोग विस्तार से समझ रहे कि किस प्रकार भारत की सिलिकॉन वैली यानी बेंगलुरु को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा हैं।

हम घंटों इस बारे में बात कर सकते हैं इसके पक्ष विपक्ष को लेकर किसने पहले हिंसा की शुरुआत की किसने उकसाया और ये सब साम्प्रदायिकता में कैसे बदल गया। लेकिन आज हमारी कोशिश रहेगी की हम प्रशासन के ऊपर उठ रहे बड़े सवालों के अलावा लोगों की मानसिकता को समझे की लोग आखिर क्यों अचानक साम्प्रदायिकता की ओर खीचें जा रहे हैं।

इस बारें में लोगों की मानसिकता को समझने के लिए हम पत्रकार तथा लेखिका रेवती की किताब “the anatomy of hate” में इस बारे में प्रकाश डालती हैं और अपराधियों के बारे में समझ बनाने में मदद करती हैं। बता दें कि रेवती ने यह किताब गुजरात दंगों के आरोपियों के साथ लम्बा समय बिता कर लिखा और इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों, यहां तक की हिंसा का भी सामना करना पड़ा।

रेवती ने इन लोगों के साथ समय बिता कर समझने का प्रयास किया कि इन लोगों के बचपन में कितनी हिंसा थी। वह समाज के अन्य लोगों के साथ अपने आप को किस तरीके से तुलना कर देखते हैं और अपने आप को दबा हुआ पाते हैं। कई लोग इन कमियों को सुधारने की बजाय इस तरीके की हिंसा में शामिल होकर अपराध कर उसे अपनी कमियों पर विजय पा लेने की तरह देखते हैं।

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किताब के एक पात्र के बारे में रेवती बताती है कि बचपन में वह अपने पिता की घरेलू हिंसा का शिकार था उसके पिता उसकी मां के साथ हिंसा तथा गाली – गलौज करते हैं, और बड़ा होकर वह खुद भी अपने आप को उसी प्रकार पाता हैं। पात्र खुद भी एक बलात्कार का दोषी है जाहिर है वह भीड़ के साथ हिंसा करने में लिप्त था।

क्यों भारत में बढ़ रही नफरत –

घरेलू हिंसा के कारण बन रहे लोग हिंसक
घरेलू हिंसा के कारण बन रहे लोग हिंसक

अगर हम मनोवैज्ञानिकों की बात सुने तो उनके अनुसार धार्मिक या राजनीतिक हिंसा और नशे के लिए हमारे दिमाग का एक ही भाग एक्टिव होता हैं यानी हम इस समस्या के साथ पैदा नहीं होते इंसान चाहे तो उसे बाहर आ सकते हैं। अपनी धार्मिक पहचान को इतना महत्व देना एक बीमारी के समान हैं लेकिन सभी लोगों के लिए नहीं। क्योंकि कुछ लोगों के लिए हिंसा और नशे में एक ही प्रकार का अनुभव प्राप्त होता हैं।

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समय – समय पर सोशल मीडिया कंपनियों में दंगे भड़काने का आरोप लगता रहा। इन प्लेटफार्मों का यूजर बेस काफी बड़ा होता है यानी यह आसानी से लोगों को प्रेरित कर सकते हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो बिना सच साबित किये हुए टहलते रहते हैं और एक आम इंसान जिसके पास इतना समय नहीं कि वह सत्यापिक करने मे सछम हो वह इसे सच मान बैठे हैं। इन प्लेटफार्म का एलगोरिथम भी नफरत को बढ़ाने का काम करते हैं ऐसा कई बार सामने आया हैं।

ऐसा नहीं है कि हर कमजोर इंसान जो बचपन में हिंसा का शिकार हुआ या खुद को कमजोर समझे जाने पर हिंसा का ही रास्ता अपना लेते हैं, बहुत से लोग हिंसा से आगे जाकर अपने आप को हिंसा से दूर रखते हैं। हमारी भी आपसे यही विनती है कि हिंसा किसी भी विवाद का हल नहीं हैं। बाकि Aaj ka samachar taaja khabar के लिए हमारा ब्लॉग जरुर पढ़े।