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नेपाल की निवासी, बिहार में लड़ी चुनाव और बन गई मुखिया – कैसे छिन गई सबा खातून की कुर्सी?

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 दरभंगा । दरभंगा जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां कोठिया पंचायत की मुखिया सबा प्रवीण उर्फ सबा खातून की कुर्सी छिन गई है। सबा खातून पर आरोप था कि उन्होंने नेपाल की नागरिकता होते हुए भी भारत में मुखिया का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। अब राज्य निर्वाचन आयोग ने इस मामले की पूरी जांच के बाद उनके खिलाफ फैसला सुनाया है और कानूनी कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं।

सबा खातून के खिलाफ शिकायत कोठिया पंचायत के निवासी जितेंद्र प्रसाद ने दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सबा के पास नेपाल की नागरिकता होने के बावजूद उन्होंने भारत में चुनाव लड़ा। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत यह अनिवार्य है कि भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए।

सबा खातून ने अपने बचाव में बताया कि उनके पिता भारतीय नागरिक थे और वह नेपाल में केवल थोड़े समय के लिए अपने नाना के पास रहीं थीं। हालांकि, वह यह स्पष्ट नहीं कर सकीं कि नेपाल में उनका नाम नागरिकता सूची और मतदाता पहचान पत्र में कैसे दर्ज हो गया। उन्होंने दावा किया कि जैसे ही उन्हें इसका पता चला, उन्होंने इसे हटवाने का अनुरोध किया और इस वर्ष मार्च में उनका नाम नेपाल की सूची से हटा दिया गया।

सुनवाई के बाद निर्वाचन आयोग ने सबा खातून की दलीलों को अस्वीकार कर दिया और स्पष्ट किया कि नामांकन की तिथि तक वह भारत की नागरिक नहीं थीं। आयोग ने इस आधार पर उन्हें मुखिया पद से तुरंत प्रभाव से हटा दिया और दरभंगा के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि तथ्यों को छिपाने और गलत शपथ पत्र दाखिल करने के लिए सबा खातून पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
इस प्रकरण ने पंचायत चुनावों में योग्यता और नागरिकता के मानकों पर ध्यान आकर्षित किया है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में कड़े नियमों के पालन की आवश्यकता को भी बल मिला है।