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बिना नबी से मोहब्बत किए हुए मुसलमान का इमान मुकम्मल नहीं हो सकता : मौलाना सैयद अजहर मदनी

बिजनौर। बिना नबी से मोहब्बत किए हुए मुसलमान का इमान मुकम्मल नहीं हो सकता। यह बयान 12 रबी उल अव्वल के मौके पर सोमवार को स्थानीय मोहल्ला चाहशीरीं जामा मस्जिद में मुनअक़िद किए गए सीरत उल नबी के जलसे में देवबंद से तशरीफ़ लाए मौलाना सैयद अजहर मदनी ने खिताब करते हुए कहे।

उन्होंने कहा कि रसूल अल्लाह से मोहब्बत करना ही हमारा ईमान है। किसी भी मुसलमान का ईमान तब तक मुकम्मल नहीं हो सकता जब तक की उसके दिल में नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मोहब्बत ना हो सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मोहब्बत रखने वाला ही मुसलमान है । उन्होंने कहा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों पर चलकर जिंदगी को कामयाब बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम सिर्फ तीन बातों पर अगर अमल करें तो किसी भी मुसलमान के लिए नबी से मोहब्बत करना आसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया में रहकर झूठ ना बोले , अमानतों को ख्याल रखें जो शख्स किसी की अमानत का ख्याल रखकर उसकी अमानत वापस लौटाता है अल्लाह उसे खुश होता है। यह तीसरा अमल यह है कि हर मुसलमान को अपने पड़ोसी चाहे वह गरीब हो,अमीर हो या फिर मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम उसके साथ हुस्ने सलूक रखे। इजलास की शुरुआत कारी अब्दुल बासित की कुराने तिलावत से हुई। इजला में नाते पाक मौलाना साकिब उज़ैर ने पेश की। इजलास को मौलाना महफूजुर रहमान और हजरत मौलाना मुजम्मिल ने भी खिताब करते हुए आप सल्लल्लाहो वाले वसल्लम की सीरत पर रोशनी डाली और सभी से नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत को जिंदगी में उतरने का आह्वान किया। कार्यक्रम की सदारत कारी अब्दुल हन्नान तथा निजामत मुफ्ती वकार ने की । इजलास का आयोजन इमाम जामा मस्जिद हकीम कारी वरीस द्वारा किया गया। इजलास में कारी अब्दुल हलीम,
कारी रजब अली, जामा मस्जिद के मुतवल्ली व पूर्व चैयरमेन जावेद आफताब एडवोकेट, जीशान अहमद, मास्टर सआदत हुसैन भी मौजूद रहे।

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